रविवार, 18 दिसंबर 2011

बंक मारने वाले अध्यापकों पर नकेल डालने में नाकामयाब शिक्षा विभाग

 स्कूल में बायो मैट्रिक मशीन के बारे में जानकारी देते प्राचार्य
नरेंद्र कुंडू
जींद। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल से बंक मारने वाले अध्यापकों पर नकेल डालने के लिए शुरू की गई बायोमैट्रिक योजना अधिकारियों की लापरवाही के कारण सफल नहीं हो पा रही है। विभाग के आदेशानुसार स्कूलों में बायोमैट्रिक सिस्टम तो पहुंच गए हैं, लेकिन अभी  तक यह सिस्टम शुरू नहीं हो पाए हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण विभाग के करोड़ों रुपए के सिस्टम स्कूल में धूल फांक रहे हैं। विभाग करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी स्कूल से नदारद रहने वाले अध्यापकों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।
शिक्षा विभाग ने स्कूलों से नदारद रहने तथा स्कूल में लेट आने वाले अध्यापकों को सबक सिखाने के लिए सभी स्कूलों में बायोमैट्रिक सिस्टम लगाने के आदेश दिए थे। विभाग के आदेशानुसार स्कूलो में बायोमैट्रिक सिस्टम तो पहुंच गए, लेकिन अधिकतर स्कूलों में यह प्रणाली अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। कई स्कूलों में ये सिस्टम लाए जा चुके हैं, लेकिन कई स्कूलों में अभी  तक ये सिस्टम डिब्बों में बंद रखे हैं। शिक्षा विभाग के लाखों प्रयासों के बाद भी स्कूलों में बायो मैट्रिक्स सिस्टम लगाए जाने की योजना अभी  तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। हालांकि शिक्षा विभाग ने इन्हें गर्मी की छुट्टियों के तुरंत बाद शुरू करने का दावा किया था। शिक्षा विभाग ने इन सिस्टम को लागू करने व चलाने के लिए मुंबई की कंपनी एमएस कोर प्रोजेक्ट्स एंड टेक्नोलॉजी को पांच साल के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसके चलते उक्त कंपनी ने लगभग  सभी  स्कूलों में सामान भेज दिया था, लेकिन अब तक यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। इस सिस्टम के तहत अध्यापकों को स्कूलों में दिन में दो बार हाजिरी लगानी होगी, जिसमें स्कूल शुरू होने से 15 मिनट पहले और स्कूल की पूरी छुट्टी होने से 15 मिनट पहले हाजिरी लगानी होगी। स्कूल में हाजिरी लगने के बाद सारा रिकार्ड उसी समय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय व निदेशक शिक्षा विभाग के कार्यालय में नेट के द्वारा उपलब्ध हो जाएगा। इस सिस्टम को स्कूलों में चलने के लिए स्कूलों में ब्राडबैंड के कनेक्शन लगाए जाने थे, जो अब तक लग नहीं पाए हैं। इसके अलावा स्कूलों में कंप्यूटर लैब भी बनाई जानी थी जो अभी  तक नहीं बनी है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण शिक्षा विभाग द्वारा शुरु की गई बॉयोमेट्रिक्स योजना अभी  तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। साल बीतने को जा रहा है, जबकि शिक्षा विभाग का दावा था कि गर्मी की छुट्टियां खत्म होते ही इन्हें चालू कर दिया जाएगा। अब छुट्टियां तो बीती ही बल्कि साल भी बीतने वाला है। लेकिन अब तक ये बॉयोमेट्रिक्स मशीन सभी  स्कूलों में शो पीस बनी हुई हैं। किसी स्कूल में दीवार पर लटकी है तो किसी में अभी तक डिब्बों में बंद रखी हुई हैं।
क्यों पड़ी बायो मैट्रिक की जरूरत
शिक्षा विभाग को हमेशा शिकायत मिल रही है कि कुछ शिक्षक समय पर स्कूल समय पर नहीं पहुंचते और पहुंचते हैं तो छुट्टी होने से पहले ही रजिस्टर में हाजरी भर कर चले जाते हैं। कई स्कूलों में ऐसा भी देखने को मिला रहा है कि जिस दिन शिक्षक अपने घरेलू काम से बाहर गया है और स्कूल नहीं पहुंचा तो उस दिन उसका हाजिरी का कोलम खाली छोड़ दिया जाता है। अध्यापक अगले दिन स्कूल पहुंचकर अपनी हाजिरी भर देते हैं। ऐसे शिक्षकों पर रोक लगाने के लिए शिक्षा विभागने बायोमैट्रिक्स सिस्टम लगाने की योजना बनाई। इस सिस्टम के तहत शिक्षा को दिन में दोबार दो बार हाजिरी लगानी होगी। जिसमें स्कूल लगने से 15 मिनट पहले व स्कूल की छुट्टी होने से 15 मिनट पहले हाजिरी लगानी होगी। उसी समय शिक्षक की हाजिरी का रिकार्ड जिला व शिक्षा निदेशक के पास नेट के जरिए पहुंच जाएगा।
प्राइवेट कंपनी को दिया है ठेका
शिक्षा विभाग ने इस सिस्टम को लागू करने व चालू करने के लिए मुंबई की कंपनी एमएस कोर प्रोजेक्ट्स एवं टेक्नोलॉजी को पांच साल के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है। कंपनी ने सभी स्कूलों में ये मशीन तो  भेज दी। लेकिन अब तक यह सुविधा शुरु नहीं हो पाई। साथ ही इस सिस्टम को शुरू करने के लिए स्कूलों में ब्राड बैंड कनेक्शन लगाए जाने थे जो अभी तक लग नहीं पाए हैं। इसके अलावा कम्प्यूटर लैब बनानी थी, वे भी अधूरी पड़ी हैं।
नहीं चाहते शिक्षक


कई स्कूल शिक्षकों से जब इस संबंध में बात की तो उनका कहना है कि जो शिक्षक स्कूल में अपनी मनमर्जी से आ रहे हैं, वह बॉयो मैट्रिक्स सिस्टम लगने के पक्ष में नहीं हैं। इस तरह के शिक्षक नहीं चाहते की स्कूल में बायो मैट्रिक सिस्टम चालू हो। क्योंकि बायो मैट्रिक्स सिस्टम शुरू होने पर उनकी लापरवाही उजागर हो जाएगी। वे स्कूल से गायब नहीं रह सकेंगे। स्कूल में हाजिर होना उनकी मजबूरी हो जाएगा।
स्कूल से नदारद रहने वाले अध्यापकों को सबक सिखाने के लिए बनाई है योजना : प्राचार्य
राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल के प्राचार्य बलबीर सिंह ने बताया कि स्कूल से नदारद रहने वाले अध्यापकों को सबक सिखाने के लिए विभाग ने यह योजना बनाई है। इस योजना के तहत उनके स्कूल में अक्टूबर माह में बायो मैट्रिक मशीन लगाई गई थी। योजना को शुरू करने की स•ाी तैयारी हो चुकी है। लेकिन मशीन के लिए सिम कार्ड आने बाकि हैं। कार्ड डालने के बाद मशीन को प्रयोग में लाया जा सकेगा। वि•ााग की इस योजना से स्कूल में टाइम पर पहुंचना  अध्यापकों की मजबूरी बन जाएगा।
क्या कहती हैं डीईओ 
इस योजना को लागू करने का प्रयास जारी है। हमारे पास सारा सामान आ चुका है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए सभी स्कूलों में ब्राडबैंड नेट की सुविधा शुरू कर दी है। सिस्टम को शुरू करने के लिए सभी स्कूलों में अध्यापकों को ट्रेनिंग भी  दी जाएगी। ताकि सिस्टम को चलाने में अध्यापकों को किसी प्रकार की परेशानी न आए।
सुमन लता अरोड़ा
जिला शिक्षा अधिकारी, जींद

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