रविवार, 18 दिसंबर 2011

कागजी खिलाड़ियों के दम पर मैडल की आश

जिला खेल कार्यालय के बाहर खिलाड़ियों की लिस्ट तैयार करते स्कूली विद्यार्थी।

डीपीई व पीटीआईओं के भेदभाव पूर्ण रवैये के कारण स्कूली चारदीवारी में ही कैद हो गए योग्य खिलाड़ी
नरेंद्र कुंडू
जींद।
खेल विभाग भले ही खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रहा हो, लेकिन स्कूली स्तर पर डीपीई व पीटीआई विभाग की इन योजनाओं पर पलिता लगा रहे हैं। स्कूलों में खिलाड़ियों की ट्रायल न लेकर केवल कागजों में ही खिलाड़ी तैयार किए जा रहे हैं। डीपीई व डीपीआई स्कूल से अपने चहेतों के नाम खेल की लिस्ट में डाल कर आगे भेज देते हैं। डीपीई व पीटीआईओं की इस लापरवाही के कारण अच्छे खिलाड़ी खेलों में भाग नहीं ले पाते, जिस कारण खेल प्रतिभाएं स्कूलों की चारदीवारी में ही दम तोड़ रही हैं।
खेलविभाग द्वारा खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए शुरू की गई स्पोर्ट्स एंड फिजिकल एप्टीट्यूड टेस्ट (स्पैट) योजना के तहत 18 अक्टूबर तक स्कूल स्तर पर सभी खिलाड़ियों की ट्रॉयल लेकर आगामी ट्रॉयल के लिए जिला खेल विभाग को चयनित खिलाड़ियों की लिस्ट सौंपनी थी। खेल विभाग के आदेशानुसार डीपीई व पीटीआईओं ने जिला स्तर पर ट्रॉयल के लिए खिलाड़ियों की लिस्ट तो तैयार कर दी, लेकिन स्कूली स्तर पर खिलाड़ियों की ट्रॉयल लेना लाजमी नहीं समझा। अधिकतर डीपीई व पीटीआईओं ने जिला खेल कार्यालय को सौंपी गई लिस्ट में योग्य खिलाड़ियों के नाम देने की बजाय अपने चहेतों के नाम दर्ज कर दिए। ताज्जूब की बात तो यह है कि अधिकतर डीपीई व पीटीआईओं ने तो स्वयं जिला खेल कार्यालय पर पहुंचकर खिलाड़ियों के फार्म जमा करवाने भी उचित नहीं समझा। उन्होंने खिलाड़ियों की लिस्ट तैयार कर अपने चहेतों को ही जिला खेल कार्यालय पर  फार्म भरने के लिए भेज दिया। शिकायत मिलने पर आज समाज की टीम ने जब जिला खेल कार्यालय पर जाकर मौके का जायजा लिया तो देखा की जो काम डीपीई व पीटीआईओं को करना चाहिए वह काम विद्यार्थी कर रहे हैं। जिला खेल कार्यालय के बाहर बैठकर विद्यार्थी स्वयं ही अपने स्कूलों के खिलाड़ियों के फार्म भर रहे थे। इसके बाद जब आज समाज की टीम ने जिला खेल कार्यालय में फार्म ले रहे कर्मचारियों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि अधिकतर डीपीई व पीटीआईओं द्वारा स्कूल में बिना ट्रायल लिए ही झूठी लिस्ट तैयार करवार कर उनके पास भेज दी है। जिला खेल कार्यालय को प्राप्त फार्मों में ज्यादातर डीपीई व पीटीआईओं ने तो सभी खिलाड़ियों को एक जैसे ही मार्क दिए हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि इन डीपीई व पीटीआईओं द्वारा खिलाड़ियों की ट्रायल लिए बिना ही झूठी लिस्ट तैयार की गई है। खेल अधिकारियों के साथ-साथ डीपीई व पीटीआईओं की लापरवाही के कारण ही खेल विभाग की योजनाएं खिलाड़ियों के लिए ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाती हैं।
अपने चहेतों को दी जाती है प्राथमिकता
डीपीई व पीटीआईओं द्वारा खुलेआम खेल विभागों के नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। सूत्रों की मानें तो अधिकतर स्कूलों में तो डीपीई व पीटीआई बच्चों की ट्रॉयल लिए बिना ही लिस्ट तैयार कर देते हैं और इस लिस्ट में योग्य खिलाड़ियों की जगह अपने चहेतों के नाम डाल देते हैं। डीपीई व पीटीआईओं के भेदभाव पूर्ण रवैये के कारण अच्छी खेल प्रतिभाएं स्कूलों की चारदीवारी में ही दम तोड़ देती हैं। जिससे अच्छे खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाता।
जिला खेल कार्यालय को ब्लॉक अनुसार प्राप्त आवेदनों का विवारण 
ब्लॉक का नाम    आवेदन
अलेवा        303
जींद           1210
जुलाना       569
नरवाना        17
पिल्लूखेड़ा  457
उचाना        411

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