रविवार, 18 दिसंबर 2011

महिला सैल बनी मायका

आधुनिकत्ता की चकाचौंध व आपसी कलह से टूट रहे हैं परिवार
नरेंद्र कुन्डू
जींद।
आधुनिकत्ता की चकाचौंध व भाग दौड़ भरी जिंदगी के कारण विवाहिक जीवन में दरार बढ़ रही है। परिवारिक कलह के कारण पुलिस महिला सैल पीड़ित महिलाओं के लिए मायका बन गई है। जिले में हर रोज दो परिवार दहेज व घरेलू कलह की आग से झुलस कर टूट रहे हैं। इसी का परिणाम है कि हर माह 40 से 50 मामले न्याय की तलाश में महिला सैल के दरवाजे पर पहुंच रहे हैं। पिछले 9 माह में महिला सैल के पास 360 मामले आ चुके हैं। इन मामलों में सबसे ज्यादा दहेज, मार पिटाई व हरासमैंट के होते हैं।
आधुनिकता की चकाचौंध व भाग दौड़ भरी जिंदगी के कारण आज दाम्पत्य जीवन में दरार लगातार बढ़ रही है। परिवारिक कलेह व दहेज प्रताड़ना से विवाहिक जीवन में दरार बढ़ रही है। महिलाओं व उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाए गए दहेज विरोधी कानून में लचिलेपन के कारण सामाजिक ताना-बाना टूटने के कारण परिवार लगातार टूट कर बिखर रहे हैं। अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो हर माह दहेज व घरेलू कलेह की आग में झुलस कर 40 से 50 मामले महिला सैल के पास आ रहे हैं। दाम्पत्य जीवन में बढ़ रही कड़वाहट के कारण सैंकड़ों परिवार अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। टूटते हुए परिवारों को बचाने के लिए सरकार ने प्रत्येक जिले में पुलिस महिला सैल का गठन किया गया है। ताकि टूटते परिवारों में अपसी सुलह करवाकर उन्हें एक नए सिरे से जीवन बसर करने के लिए प्रेरित किया जा सके। पुलिस महिला सैल की परिवारों को जोड़ने की मुहिम कुछ हद तक तो सफल रहती है, लेकिन कुछ प्रतिशत लोगों के परिवार  को सहमत करने में नाकाम साबित हो रही है। पिछले नौ माह में अब तक महिला सैल के पास 360 से अधिक दहेज व अन्य घरेलू विवाद के मामले आ चुके हैं। जिनमें से सैल ने 290 मामलों में आपसी सुलह करवा कर परिवारों को जोड़ने का काम किया है तथा बाकि 70 मामलों पर अभी कार्रवाई जारी है।
एक्ट का हो रहा है दुरूपयोग
दहेज प्रथा को बंद करने के लिए दहेज निरोधक अधिनियम कड़ा कानून बनाया था। लेकिन कानून में लचीलेपन के कारण लोग इसका दुरूपयोग कर रहे हैं। जिला पुलिस महिला सैल के पास पहुंचने वाले अधिकतर मामले घरेलू कलह के होते है, लेकिन ससुराल पक्ष पर दबाव बनाने के लिए महिला दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगा देती हैं। कानून विशेषज्ञों के अनुसार दहेज निरोधक अधिनियम के तहत 85 प्रतिशत मामले ऐसे होते हैं जिनमें महिला द्वारा कानून का दुरुपयोग किया जाता है। कानून को हथियार बना कर पति व अन्य परिवार के सदस्यों पर दबाव बनाने का प्रयास किया जाता है।
टूट रहा परिवारों का तानाबाना
महिला सैल में पहुंचने वाले ज्यादात्तर मामलों में महिलाओं की एकल परिवार में रहने की इच्छा से विवाद शुरू होता है। लेकिन बाद में यह दहेज प्रताड़ना के मामले बनकर अदालत तक पहुंच जाते हैं। एकल परिवार में रहने की इच्छा के कारण संयुक्त परिवार लगातार टूटते जा रहा हैं। संयुक्त परिवारों का चलन समाज में गिने-चूने जगह पर ही दिखाई देता है। संयुक्त परिवार से टूटकर मोतियों की तरह बिखरे एकल परिवार अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, जिससे एकल परिवार के बच्चों में भी संस्कारों की कमी भी दिखाई देने लगी है।



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