मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

चिठ्ठी ना कोई संदेश....

मोबाइल संचार क्रांति के बाद घटा ग्रीटिंग का क्रेज
इस बार मार्केट में आए नए ग्रीटिंग कार्ड को दिखाता दुकानदार।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
चिठ्ठी  ना कोई संदेश.... जी हां हम बात कर रहे हैं उस जमाने की जब लोग चिठ्ठी  या पत्र के माध्यम से दूर बैठे अपने प्रियजनों का हालचाल मालूम करते थे। काफी दिनों तक उनका कोई संदेश या चिठ्ठी  न मिलने पर इस गजल को गुणगुणा कर उन्हें याद भी करते थे। होली, दीपावली व नव वर्ष पर ग्रीटिंग के माध्यम से लोग अपने शुभचिंतकों को शुभकामनाएं देते थे। जिसके चलते त्योहारी सीजन पर कई-कई दिनों तक ग्रीटिंग कार्डों का आदान-प्रदान चलता था। करीबन एक डेढ़ दशक तक सूचना एवं संदेश भजने के कारोबार में ग्रीटिंग का साम्राज्य कायम रहा है, लेकिन इस साम्राज्य को अब मोबाइल टेक्नोलाजी ने हिलाकर रख दिया है। अब महंगे ग्रीटिंग कार्ड खरीदना और दो दिन बाद मिलने का जमाना लदने लगा है। अब यह काम एक पैसे व एक सैकेंड में हो जाता है। अब मार्केट में अच्छे से अच्छे ग्रीटिंग आए हुए हैं, लेकिन अब इनके खरीदार बहुत कम रह गए हैं। पहले त्योहारी सीजन पर ग्रीटिंग का करोड़ों रुपए का कारोबार होता था, लेकिन अब यह कारोबार सिकुड़ने लगा है।
होली, दिवाली हो या नव वर्ष का अवसर लोग ग्रीटिंग कार्ड भेज कर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं देना नहीं भूलते थे। उस समय लोगों में शुभ अवसरों पर ग्रीटिंग कार्ड भेजने का काफी क्रेज होता था। कई-कई दिनों पहले बाजार में ग्रीटिंग कार्ड की दुकानें सज जाती थी और लोग अपने शुभचिंतकों की खैर खबर लने व उन्हें बधाई देने के लिए जमकर ग्रीटिंग कार्डों की खरीदारी करते थे। उस समय लोगों के पास अपने प्रियजनों को बधाई देने का इसके अलावा कोई दूसरा माध्यम भी नहीं था। भले ही इस प्रक्रिया में शुभकामनाएं भेजने व अपने शुभचिंतकों का हालचाल मालूम करने में कई-कई दिनों का समय लग जाता हो, लेकिन जब भी उनका कोई पत्र या चिठ्ठी  मिलती थी तो दिल को बड़ा सकून मिलता था। उस जमाने के प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह की  ‘चिठ्ठी  न कोई संदेश’ नामक गजल भी शायद इसी कारण से काफी हिट रही थी। लोगों की जुबान पर इसी गजल के चर्चे रहते थे और कई दिनों तक अपने प्रियजनों का कोई संदेश न मिलने पर इस गजल को गुणगुणा कर वे अपने दिल का बोझ हलका करते थे। करीबन एक-डेढ़ दशक तक सूचना एवं संदेश भेजने के कारोबार में ग्रीटिंग का साम्राज्य भी कायम रहा, लेकिन अब मोबाइल व टेक्नोलाजी ने ग्रीटिंग के कारोबार पर ग्रहण लगा दिया है। पिछले 4-5 सालों से ग्रीटिंग का कारोबार सिकुड़ रहा है। ग्रीटिंग कार्ड विक्रेता मनोज ने बताया कि इस बार उनके पास 20 रुपए से लेकर  300 रुपए तक के ग्रीटिंग कार्ड हैं। जिसमें म्यूजिकल व खुशबूदार कार्ड भी मौजूद हैं। राजेश ने बताया कि 4-5 साल पहले ग्रीटिंग का कारोबार अच्छा चलता था, लेकिन अब मोबाइल टेक्नोलाजी ने ग्रीटिंग कार्ड के कारोबार को हिला कर रख दिया है। लोग अब फोन द्वारा एसएमएस या कॉल करके अपने शुभचिंतकों को शुभकामनाएं दे देते हैं और उनका हालचाल पूछ लेते हैं। लोगों का मोह अब ग्रीटिंग की तरफ से कम हो रहा है। अब तो एक पैसे व एक सैकेंड में ही शुभकानाएं देने का यह काम आसानी से हो जाता है। इसलिए अब महंगे ग्रीटिंग खरीदने व भेजने का जमाना लदने लगा है।
म्यूजिकल, खुशबुदार व डिजाइनिंग कार्डों की बहार
मोबाइल टैक्नोलाजी आने के बाद से ग्रीटिंग कार्डों का कारोबार लगातार सिकुड रहा है, लेकिन लोगों का रूझान ग्रीटिंग की ओर बनाए रखने के लिए हर बार बाजार में नए-नए डिजाइनदार कार्ड उतारे जा रहे हैं। इस बार बाजार में म्यूजिकल कार्ड, खुशबुदार कार्ड, डिजाइनिंग कार्ड मौजूद हैं। पहले लोग साधारण कार्ड के माध्यम से ही शुभकामनाएं देते थे, लेकिन अब लोग साधारण ग्रीटिंग की बाजाये म्यूजिकल, खुशबुदार व डिजाइनिंग कार्डों की ही खरीदारी करते हैं।
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें