रविवार, 1 जुलाई 2012

आवेदकों पर भारी पड़ रहे सरकारी आदेश

रैडक्रॉस फार्म बुथ पर दो माह से नहीं पहुंची गन बुक

 रैडक्रॉस का फार्म बुथ जहां पर अभी तक गन बुक नहीं पहुंची हैं।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियम आवेदकों की राह का रोड़ा बन रहे हैं। सरकार द्वारा आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में परिवर्तन करते हुए यह शर्त लागू कर दी गई है कि कोई भी आवेदक बाहर से गन बुक नहीं खरीद सकेगा। आवेदक को लाइसेंस बनवाने के लिए केवल रैडक्रॉस के फार्म बुथ से ही गन बुक खरीदकर जमा करवानी होगी। हालांकि पहले आवेदकों पर इस प्रकार की कोई पाबंदी नहीं होती थी। अब आलम यह है कि लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों ने आवेदन की सारी प्रक्रिया तो पूरी कर ली हैं, लेकिन अभी तक रैडक्रॉस फार्म बुथ से उन्हें गन बुक नहीं मिल पा रही हैं। नियमों में परिवर्तन होने के लगभग दो माह बाद भी रैडक्रॉस फार्म बुथ पर गन बुक नहीं पहुंची हैं। दो माह बाद भी गन बुक रैडक्रॉस के बुथ पर नहीं पहुंचपाने से प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।
सरकार द्वारा आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के नियमों में परिवर्तन किया गया है। सरकार ने नियमों में परिवर्तन करते हुए आवेदकों पर यह आदेश थोप दिए हैं कि कोई भी आवेकद गन हाऊस से गन बुक नहीं खरीद सकेगा। लाइसेंस बनवाने वाले आवेदक को केवल रैडक्रॉस के फार्म बुथ से ही गन बुक खरीदनी होगी। लेकिन पहले आवेदकों पर इस तरह की कोई पाबंदी नहीं होती थी। जिससे आवेदकों के सामने गन बुक को लेकर किसी प्रकार की समस्या कोई समस्या नहीं आती थी। लेकिन अब सरकार द्वारा नियमों में फेरबदल कर रैडक्रॉस से ही गन बुक खरीदने के नए नियम से आवेदकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि लगभग दो माह से रैडक्रॉस फार्म बुथ पर गन बुक ही नहीं पहुंची हैं। रैडक्रॉस के पास गन बुक उपलब्ध न होने के कारण आवेदकों की लाइसेंस की फाइल पीएलए वि  आवेदकों पर भारी पड़ रहे सरकारी आदेश
ग के कार्यालय में ही धूल फांक रही हैं। हजारों रुपए खर्च कर लंबी व कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बावजूद भी आवेदकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। आवेदक सारी औपचारिकताएं पूरी करवा चुके हैं, लेकिन सिर्फ गन बुक के इंतजार में ही उनके लाइसें अटके पड़े हैं। इस प्रकार लाइसेंस प्रक्रिया में लागू किए गए नए नियम आवेदकों की राह में रोड़ा बने हुए हैं।

प्रक्रिया से गुजरते वक्त आवेदक को लग जाता है हजारों का चूना

आर्म्ज लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया काफी लंबी और कठिन है। जिस कारण आवेदक फाइल जमा करवाने से लेकर लाइसेंस बनने तक कई बार रिश्वतखोरों के चुंगल में फंसकर हजारों रुपए एंठवा देते हैं। फाइल जमा करवाते समय ही दलाल आवेदक को अपने जाल में फांसने के लिए दाना डालने लगते हैं। फाइल जमा करवाते समय आवेदक को आर्म्ज विभाग के कार्यालय में बैठे कर्मचारियों की सेवा करनी पड़ती है। उसके बाद संबंधित थाने में गवाही करवाते वक्त भी पुलिस कर्मचारियों को सेवा के तौर पर मोटी रकम देनी पड़ती है, तब जाकर उसकी फाइल आगे सरकती है। उसके बाद डीएसपी तथा एसपी कार्यालय में भी दलाल आवेदक की जेब तरासने से नहीं चुकते। एसपी कार्यालय से डीसी कार्यालय में फाइल के पहुंचने के बाद साहब की टेबल तक फाइल पहुंचवाने के लिए भी आवेदक को जब ढीली करनी पड़ती है। उपायुक्त के दरबार में फाइल पहुंचने के बाद उपायुक्त द्वारा रैडक्रॉस की फीस के तौर पर पर्ची काटी जाती है, जिसकी फीस निर्धारित नहीं होती। रैडक्रॉस की पर्ची के नाम पर आवेदक से 1100 से लेकर 21 हजार रुपए तक की फीस वसूली जाती है। अगर आवेदक की ऊपर अच्छी पहुंच है तो उसका काम कम रुपए से चल जाता है। खेल यहीं खत्म नहीं होता। आवेदक को लाइसेंस बनने के बाद भी पीएलए ब्रांच के अधिकारियों की सेवा करनी पड़ती है। बिना सेवा शुल्क लिए तो पीएलए ब्रांच के अधिकारी भी आवेदक को कमरे से बाहर ही नहीं निकलने देते। इस प्रकार फाइल जमा करवाने से लेकर लाइसेंस बनने तक आवेदक को जमकर चूना लगाया जाता है।

क्या कहते हैं अधिकारी

सरकार द्वारा नियमों में परिवर्तन कर गन बुक का नया फार्मेट भेजा गया है। जिस कारण नया फार्मेट तैयार करवाने में समय लग रहा है। गन बुक तैयार हो चुकी हैं, जल्द ही गन बुक रैडक्रॉस के फार्म बुथ पर उपलब्ध करवा दी जाएंगी। ताकि लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
नरेंद्र पाल मलिक
नगराधीश, जींद

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