रविवार, 1 जुलाई 2012

रसोई घर के निर्माण कार्य में हो रहा फर्जीवाड़ा

नरेंद्र कुंडू
जींद।
सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) द्वारा मिड-डे-मील योजना के तहत बनवाए जा रहे कीचन शैड कम स्टोरों का निर्माण सवालों के घेरे में है। एसएसए द्वारा कीचन शैड कम स्टोर के निर्माण के लिए हर स्कूल को एक लाख 36 हजार रुपए की ग्रांट उपलब्ध करवाई जा रही है। लेकिन अगर इनके निर्माण में प्रयोग होने वाले मैटीरियल के बाजार के रेटों पर नजर डाली जाए तो इस ग्रांट से इनका निर्माण किसी तरह भी संभव नहीं है। मैटीरियल के बाजार भाव को देखते हुए इनका निर्माण एक लाख 85 हजार रुपए से भी  ज्यादा में पूरा होता है। इससे यह साफ है कि स्कूलों में नियमों को ताक पर रखकर घटिया निर्माण सामग्री के दम पर रसोई घर खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी इस मामले में अनजान बने हुए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की यह लापरवाही कभी भी नौनिहालों पर भारी पड़ सकती है।
सवालों के घेरे में अधिकारी
सरकारी स्कूलों में कीचन शैड कम स्टोर के निर्माण कार्य के लिए एसएसए द्वारा जारी की जा रही ग्रांट निर्माण के लिए प्रर्याप्त न होने के बावजूद भी निर्माण में फर्जीवाड़ा कर धड़ल्ले से इन बिल्डिंगों का निर्माण करवाए जा रहा है। निर्माण कार्य के लिए एसएसए द्वारा एक लाख 36 हजार की ग्रांट जारी की जाती है, लेकिन बाजार के रेटों पर नजर डाली जाए तो इनके निर्माण पर एक लाख 85 हजार से भी ज्यादा का खर्च बैठता है। इस प्रकार ग्रांट में 50 हजार की कमी होने के बावजूद भी बिल्डिंग का निर्माण करवाने से लोगों के जहन में सवाल उठने तो लाजिमी हैं। पहला सवाल यह कि अगर नियमों को ताक पर रखकर स्कूलों में रसोई घरों का निर्माण किया जा रहा है तो स्कूल प्रबंधन कमेटी व प्रशासनिक अधिकारी इस ओर से चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? दूसरा यह कि अगर इन अधिकारियों केपास कोई ऐसा फार्मूला है कि जिससे ये कम राशि खर्च कर अच्छी बिल्डिंग का निर्माण करवा रहे हैं तो फिर जिले में बन रही अन्य बिल्डिंगों का कार्य भी इन्हीं अधिकारियों को क्यों नहीं सौंपा जाता?

नौनिहालों के सिर पर मंडरा रही मौत

सरकारी स्कूलों में घटिया सामग्री के दम पर खड़े किए जा रहे रसोई घर कभी भी नौनिहालों के लिए यमदूत बन सकते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की छांव में निर्माण कार्य में जुटे अधिकारियों द्वारा स्कूलों में बच्चों के लिए मौत का सामान तैयार किया जा रहा है। घटिया सामग्री के बल पर खडे किए गए ये रसोई घर कभी भी  भर भरा कर गिर सकते हैं। इससे स्कूल में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है और फिर हादसे के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के पास सिवाए जांच करवाने के लंबे-चौड़े दावे करने व कागज स्याह करने के अलावा कुछ नहीं बचेगा। 
कीचन शैड कम स्टोर के निर्माण में प्रयोग होने वाले मैटीरियल की सूची 
मैटीरियल का नाम              लागत     बाजार का न्यूनतम मूल्य        कुल राशि 
  1. सीमेंट                   96 थैले        270 रुपए प्रति थैला           25920
  2. रेता                    500 घन फुट     19 रुपए प्रति फुट            9500
  3. पत्थर व र्इंट रोड़ी         200 घन फुट     14 रुपए प्रति फुट            2800   
  4. बजरी                  145 घन फुट     33 रुपए प्रति फुट             4785
  5. इंट प्रथम श्रेणी           12.400 नग      3700 प्रति नग              45880
  6. टाईल इंट               760 र्इंटें        4 रुपए प्रति र्इंट             3040
  7. कुल सरिया              5.27 क्विंटल    4200 रुपए प्रति क्विंटल         22134
  8. क्रेसर                  100 फुट       37 रुपए प्रति फुट              3700
  9. सफेदी                  -----           ----------              2000               
  10. खिड़की व दरवाजे          ------        -----------               33600
  11. लेबर                   ------           -----------            30000
  12. बिजली का सामान        -------           -----------            2000         
कुल जोड़                                                           185,359
नोट:- इस सूची में  पॉलीथिन, भूसा व शिलान्यास पत्थर की कीमत नहीं जोड़ी गई है।

इसी ग्रांट से चलाना पड़ता है काम

कीचन शैड बनाने के लिए जो ग्रांट जारी की जा रही है, वह लागत के अनुमान से काफी कम है। लेकिन क्या करें इतनी ही ग्रांट से काम चलाना पड़ता है। जिले में लगभग सभी स्कूलों में कीचन शैड का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। कुछ ही ऐसे स्कूल बचे हैं जिनमें अभी तक कीचन शैड का निर्माण नहीं हो पाया है। जल्द ही बचे हुए स्कूलों में भी कीचन शैड का निर्माण करवा दिया जाएगा।
जागेराम, एसडीओ
सर्व शिक्षा अभियान, जींद


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