रविवार, 1 जुलाई 2012

हाईटैक पंचायत ने रच दिया इतिहास

महिला ग्रामसभा में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए किया 14 कमेटियों का गठन

नरेंद्र कुंडू
जींद।
देश की पहली हाईटैक पंचायत बीबीपुर ने सोमवार को एक नया इतिहास रच दिया है और इस इतिहास का गवाह बनी है गांव के तिहाड़ पाने की नीमवाली चौपाल। आईटी विलेज की पंचायत ने गांव में महिला ग्रामसभा का आयोजन करवाकर देश की पहली महिला ग्राम सभा करवाने वाली पंचायत का गौरव हासिल कर लिया है। जिस चौपाल के पास से कभी महिलाएं घुंघट तानकर निकलती थी आज उसी चौपाल में बैठकर महिलाओं ने लगभग दो घंटे तक गहन मंथन किया और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए अहम फैसला लिया। ग्रामसभा में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए गांव में 14 कमेटियों का गठन किया गया और सरपंच को सभी कमेटियों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। चार मैंबर की एक कमेटी बनाई गई, जिसमें तीन महिलाओं व एक पुरुष को कमेटी के मैंबर के तौर पर चुना गया। कमेटियों का कार्य केवल कन्या भ्रूण हत्या को रोकना ही नहीं, अपितू उन महिलाओं पर भी नकेल डालने का रहेगा, जो कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध में शामिल होकर खुद अपनी ही जात की दुश्मन बनी हुई हैं।

महिलाओं ने रखे सुझाव

आईटी विलेज बीबीपुर की नीमवाली चौपाल में सरपंच सुनील जागलान की अध्यक्षता में सुबह ग्यारह बजे महिलाओं की ग्रामसभा शुरू हुई। ग्रामसभा में लगभग दो घंटे तक महिलाओं ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए गहन मंथन किया और सभी महिलाओं ने बारी-बारी अपने-अपने सुझाव रखे। पूनम, सुनीता ने अपने सुझाव देते हुए बताया कि खाली सरकार या प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए अभियान चलाने से कन्या भ्रूण हत्या नहीं रुकेगी। जब तक महिलाएं खुद इस ओर अपने कदम नहीं बढ़ाएंगी तब तक हमें इस मिशन से सकारात्मक परिणाम भी नहीं मिलेंगे। गांव की एक बुजुर्ग महिला बीरमती ने अपना सुझाव रखते हुए कहा कि इस जघन्य कार्य को बढ़ावा देने में चिकित्सक भी पीछे नहीं हैं। चिकित्सक चंद पैसों के लालच में लिंग जांच कर देते हैं। उसने कहा कि अल्ट्रासाऊंड की फीस पांच रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। बीरमति ने महिलाओं से आह्वान करते हुए कहा कि जो पांच हजार रुपए भ्रूण जांच के लिए चिकित्सकों को देती हैं और फिर पांच हजार रुपए भ्रूण की सफाई के लिए देती हैं उन पैसों को कन्या के नाम बैंक में डलवा दें तो वो पैसे भविष्य में लड़की के काम आ सकेंगे। एमए पास हेमलता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जब तक महिलाएं इस अपराध को रोकने के लिए स्वयं कमर नहीं कसेंगी, तब तक सरकार को कोई प्रयास सुखद परिणाम नहीं दे सकता है। इस अवसर पर बीडीपीओ नीलम अरोड़ा, सीडीपीओ, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की महिला अधिकारी भी विशेष तौर पर मौजूद रही।
 महिला ग्रामसभा में अधिकारियों के सामने अपने विचार रखती महिलाएं।

 महिला ग्रामसभा में अधिकारियों के सामने अपने विचार रखती महिलाएं

 महिला ग्रामसभा को सम्बोधित करते सरपंच सुनील जागलान।

महिलाओं में दिखा जोश

जैसे ही सुबह के 11 बजे और महिला ग्राम सभा के लिए प्रशासनिक अधिकारी चौपाल में पहुंचे, वैसे ही महिलाओं का हजूम पूरे उत्साह के साथ चौपाल में पहुंचा। देखते ही देखते चौपाल महिलाओं से ठसा-ठस भर गई। महिलाओं ने पूरे जोश के साथ खुलकर ठेठ हरियाणावी भाषा में अपने विचार रखे।

ग्राम सभा में झलका महिला का दर्द

ग्राम सभा के दौरान महिलाओं के विचार सुनकर गांव की एक पढ़ी लिखी औरत तान्या (काल्पनिक नाम) अपने दर्द को नहीं छुपा सकी। ग्रामसभा में तान्या का दर्द झलक गया। तान्या ने चौपाल में महिलाओं से अलग होकर बताया किस उसके पास दो बेटियां है और परिवार वाले उसको आए दिन ताने कसते रहते हैं। उन्होंने बताया कि परिवार की महिलाएं ही ताने ज्यादा  कसती हैं। ऐसे में वो क्या करे, क्या न करे। इसी प्रकार गांव की ही एक अधेड़ महिला ने भी तान्या का समर्थन करते हुए बताया कि लड़का या लड़की यह तो परमात्मा की मर्जी पर निर्भर करता है। मां का इसमें क्या कसूर होता, लेकिन फिर भी उसे आए दिन परिवार की महिलाओं के तानों का सामना करना पड़ता है।

दूसरी पंचायतों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनेगी पंचायत

ग्रामसभा के बाद मिनिस्ट्री आफ पंचायती राज के अतिरिक्त सचिव डॉ. ऋषिकेश पांडा ने सरपंच सुनील जागलान से फोन पर संपर्क कर महिला ग्रामसभा की जानकारी ली। पांडा ने कहा कि अगर उनकी इस मुहिम से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं तो पूरे देश की पंचायतों में महिला ग्रामसभा को प्राथमिकता से लागू किया जाएगा और देश की सभी ग्राम पंचायतों को बीबीपुर की महिला ग्रामसभा की वीडियो फिल्म दिखा कर प्रेरित भी  किया जाएगा। इस प्रकार बीबीपुर की ग्राम पंचायत देश की अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन जाएगी।



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