शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

जाटों ने आरक्षण की मांग को लेकर खींची एलओसी


नरेंद्र कुंडू
जींद। पिछले चार वर्षों से आरक्षण की मांग को लेकर सरकार के साथ चल रही खिंचतान के बाद आखिरकार वीरवार को जाटों ने आरक्षण के लिए 15 दिसंबर तक का अल्टीमेटम देकर सरकार के समक्ष जाटों को आरक्षण देने की एलओसी (लाइन आॅफ कंट्रोल) यानि नियंत्रण रेखा खींच दी है। सर्वखाप जाट महापंचायत के नेतृत्व में नरवाना के दनौदा गांव स्थित बिनैन खाप के ऐतिहासिक चबूतरे पर एकत्रित हुए सात प्रदेशों के जाटों ने सरकार के समक्ष यह एलओसी खींच कर सरकार को आरक्षण के लिए तीन माह का समय दिया है। यदि इन तीन माह के अंदर सरकार ने प्रदेश में जाटों को आरक्षण देकर केंद्र सरकार से भी जाटों को आरक्षण देने की सिफारिश नहीं की तो 16 दिसंबर को जाट आरक्षण के लिए जंग की रणभेरी बजाते हुए मैदान में उतर आएंगे। और जाटों की इस जंग में इनका अगला पड़ाव होगा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गृहक्षेत्र रोहतक या सोनीपत जिला। 

आरक्षण के लिए जाटों को एक मंच पर लाने के लिए नरवाना के दनौदा गांव के ऐतिहासिक चबूतरे पर वीरवार को हुई सर्वखाप जाट महापंचायत ने आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार के समक्ष एलओसी खींच दी है। सर्वजातीय 
आंदोलन के दौरान शहीद हुए तीनों वीरों को पुष्पार्पित करते खाप प्रतिनिधि।

सर्वखाप पंचायत के प्रधान नफे सिंह नैन की अध्यक्षता में बिनैन खाप के ऐतिहासिक चबूतरे से आरक्षण के लिए होने वाली इस पंचायत में अकेले हरियाणा ही नहीं बल्कि सात प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। पंचायत की शुरूआत आंदोलन के दौरान शहीद हुए सुनील श्योरण, विजय कड़वासरा, संदीप कड़वासरा को श्रद्धा सुमन अर्पित कर की। इन प्रतिनिधियों ने भरी पंचायत में सर्वखाप जाट महापंचायत को अपना पूरा समर्थन देने का ऐलान किया। इतना ही नहीं खाप पंचायत ने आरक्षण के लिए सरकार के साथ पिछले चार वर्षों से जद्दोजहद करने वाले जाटों के चारों संगठनों को एक मंच प्रदान किया है। इससे चार वर्षों से रेंग रहे जाट आरक्षण के मुद्दे को खाप पंचायत ने अब पहिये लगाकर रफ्तार देने का काम भी किया है। विभीन्न खापों से आए खाप प्रधान व प्रतिनिधियों ने मंच से ऐलान करते हुए कहा कि अगर प्रदेश सरकार ने 15 दिसंबर तक प्रदेश में जाटों को आरक्षण देकर केंद्र सरकार से भी आरक्षण देने की सिफारिश नहीं की तो खाप पंचायत को मजबूरीवश 16 दिसंबर 
 मंच पर मौजूद विभिन्न खापों से आए प्रतिनिधि।

से आरक्षण की मांग को लेकर जंग का ऐलान करना पड़ेगा। आरक्षण के मुद्दे पर अगर खाप पंचायत को सरकार का रवैया नकारात्मक नजर आया तो खाप पंचायत नवंबर माह में बैठक कर अपने आंदोलन की अगली रणनीति भी  तैयार कर सकते हैं। हालांकि खाप प्रतिनिधियों साथ-साथ यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उनका यह आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक रहेगा, लेकिन इस दौरान अगर फिर भी किसी तरह की अनहोनी घटना घटी तो उसके लिए सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। खाप प्रधानों ने सरकार को चेताते हुए कहा कि 16 दिसंबर के बाद वह अपनी जंग की शुरूआत प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृहक्षेत्र से करेंगे। रोहतक जिले से आए हुड्डा खाप के कार्यकारी अध्यक्ष व सोनीपत 360 के प्रधान ने  भी खाप पंचायत को उनके इस आंदोलन में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। खाप पंचायत में खाप प्रतिनिधियों ने खाप के लिए एक झंडा बनाने की मांग भी की। पंचायत में दलजीत पंघाल ने पिछले चार वर्षों के दौरान आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन में घायल हुए लोगों को 21-21 हजार रुपए देने की घोषण  भी की। 

पंचायत में ये रखे गए प्रस्ताव

महापंचायत में सर्वजातीय सर्वखाप पंचायत हरियाणा के प्रवक्ता सूबे सिंह समैण ने चार प्रस्ताव रखे। पंचायत में रखे प्रस्ताव में खाप प्रतिनिधियों ने मांग की कि प्रदेश सरकार 15 दिसंबर तक जाटों को आरक्षण दे तथा इसको 
पंचायत में मौजूद पुरुष व महिलाएं।

तुरंत प्रभाव से लागू करें। इस दौरान हरियाणा सरकार केन्द्रीय सेवाओं में जाटों को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार से  भी सिफारिश करे। अन्यथा 16 दिसंबर को सर्व जाट खाप पंचायत के नेतृत्व में स भी जाटों को साथ लेकर प्रदेश व केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। दूसरे प्रस्ताव में केंद्र सरकार से मांग की है कि हरियाणा तथा अन्य प्रदेशों के जाटों को शीघ्र आरक्षण देने की घोषणा करे अन्यथा सभी राज्यों के जाट संयुक्त रुप से आंदोलन करेंगे। तीसरे प्रस्ताव में कहा गया कि जाट कौम शुरू से ही न्यायप्रिय रही है और न्याय के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानियां दी है। लेकिन आज तक देश के सर्वोच्च न्यायालय में कोई भी जाट कौम का न्यायाधीश नहीं बनाया गया है। इसलिए केन्द्र सरकार से मांग है कि सर्वोच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय में जाट कौम के किसी सुयोग्य अधिवक्ता को न्यायाधीश बनाएं। इसके अलावा राष्ट्रीय की सुरक्षा में बलिदान देने वाले शहीदों में जाट कौम के लोगों की सबसे बड़ी संख्या रही है। लेकिन इस कौम का हमेशा ही दुर्भाग्य रहा है कि सेना की तीनों कमानों में आज तक कोई  भी जाट कौम से संबंध रखने वाला व्यक्ति सेना प्रमुख नहीं बना है। इसलिए इनकी नियुक्ति में भेदभाव को खत्म किया जाए और भविष्य में जाट कौम के व्यक्ति को भारतीय सेना के प्रमुख पद पर नियुक्त किया जाए। इसके अलावा केन्द्र सरकार में जाट कौम का कोई भी मंत्री नहीं है, इसलिए जाट कौम से संबंध रखने वाले किसी सांसद 
पंचायत में मौजूद पुरुष।

को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। चौथे प्रस्ताव   में विधि आयोग के सदस्य अमरजीत सिंह द्वारा खापों को डैकेत कहने पर रोष जताया और कहा कि डैकेत कहना बड़ी गैर संसदीय भाषा है। जिससे उत्तर भारतीय के सभी जाति के लोगों को गहरी ठेस पहुंची है। इसलिए केन्द्र सरकार विधि आयोग के सदस्य अमरजीत सिंह को तुरंत प्रभाव से हटाए। पंचायत में मौजूद स भी खाप प्रतिनिधियों ने हाथ उठाकर इन चारों प्रस्तावों का समर्थन किया।

आंदोलनकर्त्ताओं पर दर्ज हुए मामले वापिस ले सरकार

महापंचायत में खाप प्रतिनिधियों ने पिछले चार सालों के दौरान आरक्षण की मांग को लेकर हुए आंदोलन करने वाले आंदोलनकर्त्ताआें पर दर्ज हुए मामलों को वापिस लेने की मांग की। अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष धर्मपाल छौत ने कहा कि आरक्षण उनका हक है और वे इसे लेकर रहेंगे। छौत ने कहा कि पिछले चार वर्षों के दौरान आरक्षण की मांग को लेकर उनके द्वारा किए गए स भी आंदोलन शांतिपूर्वक थे, लेकिन फिर  भी सरकार ने आंदोलनकर्त्ताओं को परेशान करने के लिए उन पर झूठे मुकद्दमे दर्ज करवा दिए हैं। जिसे तुरंत वापिस लिया जाए। 

चार वर्ष पहले जींद से ही हुआ था आंदोलन का शंखनाद

सर्व जातीय सर्व खाप पंचायत के प्रवक्ता सूबे सिंह समैन ने कहा कि 14 मार्च 2008 को जींद से ही जाट आरक्षण का शंखनाद हुआ था। जिसके बाद प्रदेश में कई बार जाटों ने आरक्षण के लिए संघर्ष किया। लेकिन उस वक्त जाट एकजूट नहीं थे, जिस कारण आंदोलन सफल नहीं हो सके। लेकिन अब जाट आरक्षण के लिए संघर्षरत चारों गुट एकजुट हो गए हैं और जिनकी बागडोर खाप पंचायत ने अपने हाथ में ले ली है। जाटों के एकजुट होने के बाद अब दोबारा फिर जींद से ही आंदोलन की शुरूआत हुई है। इसलिए अब इस आंदोलन को कोई  भी ताकत नहीं रोक सकती। 
दनौदा गांव के ऐतिहासिक चबूतरे का प्रवेश द्वार 

किसी राजनैतिक रैली से कम नहीं थी खाप पंचायत की बैठक

दनौद गांव के ऐतिहासिक चबूतरे पर हुई सर्वखाप जाट महापंचायत की बैठक किसी राजनैतिक रैली से कम नहीं थी। रैली में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी मौजूद थी। रैली में लगभग दस हजार लोगों की उपस्थिति का अनुमान लगाया जा रहा है। खाप पंचायत द्वारा लोगों की सुविधा के लिए किए गए इंतजाम काबिले तारीफ थे। पंचायत में खान-पान की स भी सुविधाएं पूरी व्यवस्थित थी। इसमें सबसे खास बात यह थी कि पंचायत में वालिइंटियर की जिम्मेदारी छोटे-छोटे बच्चों ने संभाल रखी थी। 









कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें