बुधवार, 19 सितंबर 2012

कीट विज्ञान से ही किसानों ने पैदा किया है कीट ज्ञान


  किसान पाठशाला में खाप चौधरियों ने की किसान-कीट विवाद की सुनवाई

नरेंद्र कुंडू 
जींद। ज्ञान, विज्ञान और तकनीक देश के विकास की धूरी होती हैं। ज्ञान व विज्ञान को जनता पैदा करती और यह जनता के ही काम आता है। लेकिन तकनीक व्यापार को ध्यान में रखकर पैदा की जाती है और तकनीक जनता की बजाए पैदा करने वाले के ही काम आती है। यह बात कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेंद्र दलाल ने मंगलवार को निडाना गांव की किसान खेत पाठशाला में खाप पंचायत की 13वीं बैठक में कही। बैठक की अध्यक्षता सर्वखाप पंचायत के संयोजक कुलदीप ढांडा ने की। इस अवसर पर बैठक में कुंडू खाप कालवा के प्रधान सुभाष कुंडू, प्रसिद्ध समाजसेवी देवव्रत ढांडा, बागवानी विभाग से डीएचओ डा. बलजीत भ्याणा व पेहवा से आए प्रगतिशील किसान शीतल राम भी मौजूद थे।
डा. दलाल ने कहा कि देश में 26 से भी ज्यादा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटियां हैं और इन यूनिवर्सिटियों की स्थापना देश में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए ही की गई थी। डा. दलाल ने कहा कि आज कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों का जो प्रयोग बढ़ रहा है वह भी तकनीक का ही एक हिस्सा है। लेकिन निडाना के किसानों ने कोई नई तकनीक अपनाने की बजाए कीट विज्ञान को अपना कर अपना खुद का कीट ज्ञान पैदा किया है। उन्होंने कहा कि कीट ज्ञान का मतलब फसल में कीटों के क्रियाकलापों को समझना व कीटों का परखना है। पाठशाला की शुरूआत फसल में कीट सर्वेक्षण से की गई। कीट कमांडो किसानों ने कीटों का सर्वेक्षण कर खाप प्रतिनिधियों के सामने फसल में मौजूद कीटों का आंकड़ा रखा। इस दौरान आस-पास के गांवों से आए किसानों ने कीट बही खाते में अपने-अपने कपास के खेत से तैयार किए गए फल, फूल व बोकी का आंकड़ा भी दर्ज करवाया। किसानों द्वारा दर्ज करवाए गए आंकड़े में फल की प्रति पौधा औसत 60 से 80, फूल की 1 से 3 तथा बोकी की 7 से 12 की औसत आई। र्इंटल कलां से आए किसान चतर सिंह ने बताया कि इस समय पौधे को फूल व बोकी की बजाए फल की ज्यादा चिंता रहती है। ताकि भविष्य में भी उसकी वंशवृद्धि हो सके। इसलिए पौधा बोकी व फूल की बजाए फल की तरफ ज्यादा ध्यान देता है। इस समय पौधे को ज्यादा खुराक की जरुरत होती है। इसलिए किसानों को इस समय पौधे को पर्याप्त मात्रा में खुराक देने के लिए जिंक, यूरिया व डीएपी का छिड़काव करना चाहिए। किसान अजीत ने बताया कि जिंक, यूरिया व डीएपी के छिड़काव का प्रभाव चार घंटे में ही नजर आने लगता है, जबकि जमीन में डाले गए खाद का प्रभाव तीन से चार दिन बाद नजर आता है। अलेवा से आए किसान जोगेंद्र ने बताया कि उसकी पोली हाऊस में लगी शिमला मिर्च की फसल में ग्रास होपर का प्रकोप काफी बढ़ गया था। जिससे भयभीत होकर उसने फसल में कीटनाशक का स्प्रे किया, लेकिन कीटनाशक से भी अच्छा परिणाम नहीं मिला। इसके बाद उसने पोली हाऊस में मकड़ियां छोड़ दी और मकड़ियों ने बड़ी आसानी से ग्रास होपर को कंट्रोल कर लिया। किसान सुरेश ने बताया कि उन्होंने रामकली व चाबरी गांव में कीटनाशक रहित 57 एकड़ धान की फसल में 307 पौधों का निरीक्षण किया था। जिसमें से मात्र सात पौधों पर ही गोभ वाली सुडियां थी। जबकि जिन किसानों ने कीटनाशकों का प्रयोग किया है उनकी फसल में इन सुडियों की तादात ज्यादा है। किसानों ने बैठक में आए खाप प्रतिनिधियों को स्मृति चिह्न देकर उनका स्वागत किया गया।

चैनल की टीम ने भी किसानों के अनुभव को किया कैमरे में कैद

लोकसभा चैनल दिल्ली की टीम ने मंगलवार को किसान खेत पाठशाला में पहुंचकर किसानों के अनुभव को अपने कैमरे में कैद किया। चैनल की असिस्टैंट डायरेक्टर प्रिंयका ने एडिटर अमल, प्रोडेक्शन एसिस्टेंट शनि व कैमरामैन मुन्ना के साथ गुरुवार को प्रसारित होने वाले विज्ञान दर्पण तथा शुक्रवार को प्रसारित होने वाले साइंस दिस विक कार्यक्रम की शूटिंग के लिए यहां पहुंची थी। चैनल की टीम ने सुबह आठ से 12 बजे तक निडाना में किसान खेत पाठशाला के किसानों तथा 12 बजे से दोपहर दो बजे तक ललीतखेड़ा में महिला किसानों के क्रियाकलापों व उनके अनुभव की रिकार्डिंग की।



 कीट सर्वेक्षण के बाद बही खाते में कीटों के आंकड़े दर्ज करवाते किसान।  

 खाप प्रतिनिधि को स्मृति चिह्न भेंट करते किसान।

 महिला किसान खेत पाठशाला में कार्यक्रम के लिए शूटिंग करती चैनल की टीम।

 चैनल की टीम को स्मृति चिह्न भेंट करती महिलाएं।


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