शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

लाल नहीं हो रहे भ्रष्टाचारियों के हाथ


विजीलैंस के पास हर वर्ष कम आ रही हैं भ्रष्टाचार की शिकायतें

नरेंद्र कुंडू 
जींद। एक तरफ तो देश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है लेकिन दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की शिकायतों में लगातार कमी आ रही है। यह बात सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लगती है लेकिन जिला विजीलैंस कार्यालय से मिले आंकड़े इसी बात की तरफ इशारा कर रहे हैं। जिला विजीलैंस की टीम के पास हर वर्ष भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायतें कम होती जा रही हैं। राज्य चौकसी ब्यूरो के जिला कार्यालय में 2010 में रिश्वतखोरी के 6 मामले आए थे। वर्ष 2011 में ये मामले कम हो कर 4 हो गए और जनरवरी 2012 से अक्तूबर तक सिर्फ 2 ही मामले विजीलैंस कार्यालय के पास पहुंचे हैं।
इसे आम आदमी में जागरूकता का अभाव कहें या भ्रष्टाचारियों की सतर्कता जिस कारण राज्य चौकसी ब्यूरो की टीम भ्रष्टाचारियों पर नकेल डालने में नाकाम हो रही है। देश में भ्रष्टाचार भले ही गहराई में अपनी जड़ें जमा चुका हो लेकिन भ्रष्टाचारियों के हाथ लाल होने के मामले घटते ही जा रहे हैं। विजीलैंस की टीम भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए रिश्वत न देने व रिश्वतखोरों की शिकायत के लिए सरकारी कार्यालयों के बाहर सूचना बोर्ड लगवाकर मुहिम चला रही है, लेकिन इसके बावजूद भी विजीलैंस टीम के पास रिश्वतखोरी की शिकायत के मामले बढऩे की बजाए हर वर्ष कम होते जा रहे हैं। रिश्वतखोरी की शिकायत पर विजीलैंस की टीम द्वारा 2010 में 6 रैड डाली गई थी लेकिन 2011 में यह आंकड़ा कम होकर 4 पर और जनवरी 2012 से अक्तूबर तक सिर्फ 2 ही मामले विजीलैंस कार्यालय पहुंचे हैं। विजीलैंस के पास रिश्वतखोरी की कम हो रही शिकायतों से दो बातें साफ हो रही हैं। पहला यह कि लोग किसी पचड़े में पडऩे की बजाए चुपचाप रिश्वत देकर अपना काम निकलवाने में विश्वास रखते हैं और दूसरा यह कि रिश्वतखोरों ने विजीलैंस की टीम की आंखों में धूल झोंकने के लिए कोई नया रास्ता इख्तयार लिया है।

गवाह भी दे जाता ऐन वक्त पर धोखा

गवाह द्वारा कोर्ट में गवाही से मुकर जाने के कारण भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे अधिकतर सरकारी कर्मचारी व अधिकारी बिना किसी परेशानी के भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हो जाते हैं। क्योंकि कोर्ट की लंबी प्रक्रिया के दौरान आरोपी गवाह पर या तो सामाजिक दबाव बनवाकर गवाह को झुकने के लिए मजबूर कर देता या फिर पैसे का लालच देकर उसे तोड़ देता है। गवाह द्वारा ऐन वक्त पर गवाही से मुकरने के कारण कोर्ट में विजीलैंस की टीम की फजिहत होती है।

गवाही से मुकरने वालों के खिलाफ भी हो कार्रवाई

लोग भ्रष्टाचार के मामलों को सीरियस नहीं लेते हैं। विभाग द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए सभी सरकारी कार्यालयों के बाहर रिश्वत ने देने व रिश्वत मांगने वालों की शिकायत के लिए सूचना बोर्ड भी लगवाए गए  हैं। लेकिन इसके बाद भी लोगों में कोई जागरूकता नहीं आ रही है। अधिकतर मामलों में गवाह कोर्ट में मुकर जाते हैं और आरोपी आराम से कोर्ट से बरी हो जाता है। कोर्ट में गवाही से मुकरने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का प्रावधान होना चाहिए।
देवीलाल, इंस्पैक्टर 
राज्य चौकसी ब्यूरो, जींद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें