सोमवार, 20 मई 2013

कीट क्रांति के जन्मदाता को नम आंखों से दी विदाई


पंचतत्व में विलिन हुए डा. सुरेंद्र दलाल, अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब

26 मई को जाट धर्मशाला में होगी शोक सभा

नरेंद्र कुंडू 
जींद। लोगों की थाली को जहर मुक्त बनाने के लिए कीट क्रांति की मशाल जलाने वाले डॉ. सुरेंद्र दलाल का अंतिम संस्कार रविवार सुबह साढ़े 10 बजे उनके पैतृक गांव नंदगढ़ में किया गया। डा. सुरेंद्र दलाल के छोटे भाई विजय दलाल ने चिता को मुखाग्रि दी। नम आंखों के साथ लोगों ने डा. दलाल को अंतिम विदाई दी। उनके अंतिम संस्कार में आसपास के गांवों तथा दूर-दराज से आए किसानों सहित शहर के गणमान्य लोग शामिल हुए। डा. दलाल की अंतिम यात्रा में शामिल लोगों के साथ-साथ पूरा नंदगढ़ गांव अपने इस लाल की याद में फफक-फफक कर रो रहा था। दुनिया को जहर से मुक्ति दिलवाने के लिए किसान-कीट की जंग को खत्म करने की मुहिम में अपनी जान गंवाने वाले डा. सुरेंद्र दलाल के अंतिम संस्कार में जींद प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा खुलकर दिखाई दी। अन्य जिलों से तो प्रशासनिक अधिकारिय उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए लेकिन जींद जिले का कोई भी आला अधिकारी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने नहीं पहुंचा। डा. सुरेंद्र दलाल की शोक सभा 26 मई को जाट धर्मशाला में की जाएगी। 
गौरतलब है कि डा. सुरेंद्र दलाल 7 फरवरी से बीमार चल रहे थे और शनिवार को उन्होंने हिसार के जिंदल अस्पताल में अंतिम सांस ली। कृषि जगत में डा. सुरेंद्र दलाल का अपना अलग से योगदान रहा है और उन्होंने अपना जीवन कीटनाशक रहित खेती को तो समर्पित किया ही साथ ही उन्होंने फसल में मौजूद कीटों के बचाव के लिए गांव निडाना में किसान कीट विवाद सुलझाने के लिए हर सप्ताह खाप पंचायत के प्रतिनिधियों को बुलाकर किसानों व कीटों में हुए विवाद को सुलझाने की मुहिम चलाई हुई थी। इससे पहले उन्होंने लगभग 5 वर्ष तक गांव निडाना में किसान खेत पाठशाला चलाकर कीटनाशक रहित खेती को नया आयाम दिया था, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे थे और प्रदेश से ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी लोग कीटनाशक रहित खेती सीखने के लिए महिला खेत पाठशाला में आने लगे थे। 7 फरवरी को स्वायन फ्लू की चपेट में आने वाले डा. सुरेंद्र दलाल पिछले 3 महीनों से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे और लगातार कोमा में थे। उनके अंतिम संस्कार में जहां आसपास के दर्जनों गांवों के किसानों ने शामिल होकर उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी, वहीं शहर के गणमान्य लोगों ने भी उनके अंतिम संस्कार में पहुंचकर उन्हें अंतिम विदाई दी। अंतिम संस्कार में पहुंचने वालों में बराह तपा के अध्यक्ष कुलदीप ढांडा, हांसी के तहसीलदार रामफल कटारिया, पंचकूला की पी.ओ. राजबाला कटारिया, हिसार के कृषि उप-निदेशक रोहताश, डी.एच.ओ. डॉ. बलजीत भ्याण, खंड कृषि अधिकारी जयप्रकाश शर्मा, एस.डी.ओ. सुरेंद्र मलिक, ए.डी.ओ. कमल सैनी, ए.डी.ओ. सुनील, बलजीत लाठर, नंदगढ के पूर्व सरपंच जयसिंह दलाल, राजबीर कटारिया, शमशेर अहलावत, कामरेड फूल ङ्क्षसह श्योकंद, रमेशचंद्र, सुरेंद्र मलिक, वीरेंद्र मलिक, महावीर नरवाल, कामरेड प्रकाश, ताराचंद बागड़ी, कर्मचारी नेता सतपाल सिवाच, रामफल दलाल, सुनील आर्य तथा कीट कमांडो किसान भी मौजूद थे।
 डा. सुरेंद्र दलाल की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब। 


 डा. सुरेंद्र दलाल की चिता को मुखाग्रि देते छोटे भाई विजय दलाल। 



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