गुरुवार, 18 जुलाई 2013

मानसून के इंतजार में मुरझाए किसानों के चेहरे

मानसून की दगाबाजी से फसलों पर छाए संकट के बादल

नरेंद्र कुंडू
जींद। धान की रोपाई का सीजन अंतिम चरण में है लेकिन अभी तक मानसून नहीं आने के कारण किसानों की फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बढ़ते तापमान के कारण सूख रही धान की फसलों को देखकर धरतीपुत्रों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी हैं। ऐन वक्त पर मानसून के धोखा दे जाने के कारण किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई है। समय पर बारिश नहीं होने के कारण जिले में धान की रोपाई का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। धीमी गति से चल रहे धान की रोपाई के कार्य के कारण कृषि विभाग को भी अपने टारगेट तक पहुंचने में पसीना आ रहा है। इस बार धान की रोपाई के लिए कृषि विभाग के पास 99 हजार हैक्टेयर का टारगेट है लेकिन समय पर बारिश नहीं होने के कारण अभी तक जिले में सिर्फ 75 हजार हैक्टेयर में ही धान की रोपाई हो पाई है। जबकि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा धान की रोपाई के लिए उपयुक्त समय 15 जुलाई तक माना जाता है। 
जिले में 15 जून से धान की रोपाई का कार्य शुरू हो जाता है और 15 जुलाई तक रोपाई का कार्य जोरों पर चलता है। कृषि विभाग के अधिकारी भी धान की रोपाई के लिए इस समय को सबसे उपयुक्त मानते हैं। 15 जून के बाद से ही जिले के किसान धान की रोपाई के कार्य में लगे हुए हैं लेकिन धान की रोपाई के दौरान बारिश नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें पडऩे लगी हैं। बिना बारिश के मुरझा रही फसलों के  साथ-साथ किसानों के चेहरे भी मुरझाने लगे हैं। किसान धान की फसल को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। मानसून की दगाबाजी व बिजली के लंबे कटों के कारण किसानों को धान की फसल को बचाने के लिए महंगे भाव का डीजल फूंकना पड़ रहा है। इससे किसानों की जेबें ढीली हो रही हैं। समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसान धान की रोपाई को लेकर कसमकस की स्थिति में हैं। किसान रोपाई करने से पहले बारिश का इंतजार कर रहे हैं लेकिन मानसून किसानों के साथ आंख-मिचौली खेल रहा है। बीच-बीच में एकाध बार हल्की बूंदाबांदी होने से मौसम में ठंड आ जाती है तो उसके अगले ही दिन किसानों को फिर से सूर्य देवता के कड़े तेवरों का सामना करना पड़ता है। मौसम की इस आंख-मिचौली ने किसानों को असमंजस की स्थिति में डाल रखा है। इसके चलते किसान धान की रोपाई की बजाए बाजरे की बिजाई का मन बना रहे हैं। 

 बारिश नहीं होने के कारण बिना रोपाई के खाली पड़े खेत।

टारगेट तक पहुंचने में कृषि विभाग को छूट रहे पसीने

समय पर बारिश नहीं होने के कारण कृषि विभाग को भी टारगेट तक पहुंचने में पसीने छूट रहे हैं। इसलिए कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को धान की रोपाई के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ फसल को बचाने के लिए भी गाइड लाइन जारी कर रहे हैं। इस बार विभाग के पास धान की रोपाई के लिए 99 हजार हैक्टेयर का टारगेट है लेकिन बरसात के अभाव में अभी तक सिर्फ 75 हजार हैक्टेयर में ही धान की रोपाई हो पाई है। विभाग के अधिकारी टारगेट तक पहुंचाने के लिए किसानों को कम पानी में भी धान की रोपाई करने के लिए लगातार गाइड लाइन जारी कर रहे हैं।

15 जून से 15 जुलाई तक धान की रोपाई का उपयुक्त समय

कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो धान की रोपाई के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक का समय सबसे सही है। हालांकि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 25 जुलाई तक भी धान की रोपाई की जा सकती है लेकिन इस दौरान रोपाई करते समय पौधों की संख्या में बढ़ौतरी करनी होगी। धान की नर्सरी की अवधि ज्यादा होने के कारण लेट रोपाई से पौधों का फुटाव पूरा नहीं हो सकेगा। इससे उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसलिए लेट रोपाई करते समय पौधों की संख्या में वृद्धि करें, ताकि एक साथ कई पौधे लगे होने के कारण फुटाव पूरा हो सके और किसान को पूरा उत्पादन मिल सके। 

मौसम किसानों के साथ खेल रहा आंख-मिचौली

 धान की रोपाई करते मजदूर।
धान की रोपाई का सीजन शुरू होते ही मौसम ने भी किसानों के साथ आंख-मिचौली का खेल शुरू कर दिया। रोपाई के सीजन के दौरान बीच-बीच में एकाध दिन हुई हल्की बूंदाबांदी से जहां एक बार तापमान में गिरावट हुई तो अगले ही दिन फिर से सूर्य देवता के कड़े तेवरों के चलते बढ़े पारे ने किसानों को दुविधा में डाल दिया। हालांकि बुधवार को भी जिले में हल्की बूंदाबांदी हुई लेकिन कुछ ही देरे के लिए हुई यह बूंदाबांदी किसानों की फसलों को बचाने के लिए नाकाफी है। मौसम की इस आंख-मिचौली से परेशान किसान धान की रोपाई को लेकर दुविधा में फंसे हुए हैं। कुछेक किसान धान की रोपाई का मन बना रहे हैं तो कुछ धान की बजाए बाजरे की बिजाई की तरफ रुझान कर रहे हैं। 

अभी तक हो चुकी है 243 एम.एम. बारिश

कृषि विभाग के बारिश के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो वर्ष 2012 की बजाए 2013 में बारिश अधिक हुई है। जनवरी 2012 से जुलाई 2012 तक सिर्फ 30 एम.एम. बारिश ही हुई थी लेकिन जनवरी 2013 से जुलाई 2013 तक जिले में 243 एम.एम. बारिश हो चुकी है। वर्ष 2012 में केवल जुलाई माह में 15 एम.एम. बारिश हुई थी और वर्ष 2013 में जुलाई माह में 40 एम.एम. बारिश हो चुकी है लेकिन यह बारिश धान की फसलों की रोपाई के लिए नाकाफी है। पिछले वर्ष की बजाए इस वर्ष मौसम में उमस काफी ज्यादा है। 

किसान क्या-क्या रखें सावधानियां

कृषि विभाग के पौध संरक्षण अधिकारी अनिल नरवाल का कहना है कि मौसम में उमस को देखते हुए किसानों को धान की रोपाई के दौरान तथा रोपाई के बाद फसल को गर्मी से बचाने के लिए विशेष सावधानियां रखनी चाहिएं। 
1. धान की नर्सरी उखाडऩे से पहले नर्सरी में हल्के पानी की सिंचाई जरुर करें। 
2. रोपाई के दौरान पौधों की संख्या पर विशेष ध्यान रखें। 1 एस.क्यू. मीटर में 35 से 36 पौधे लगाएं। 
3. रोपाई से पहले खेत तैयार करते समय ही डी.ए.पी. खाद खेत में डालें। 
4. रोपाई लेट होने पर कम अवधि वाली किस्म की रोपाई करें और रोपाई के दौरान पौधों की संख्या बढ़ाकर 1 एस.क्यू. मीटर में 40 से 42 पौधे लगाएं। 
5. रोपाई के दौरान 20 से 25 दिन की नर्सरी का ही प्रयोग करें। इससे पौधों का फुटाव अच्छा हो सकता है।
6. रोपाई के बाद धान में ज्यादा पानी खड़ा करने की बजाए हल्की सिंचाई करें, ताकि कम पानी से अधिक एरिया कवर किया जा सके। 
7. धान की फसल पानी की फसल है। इसलिए इसमें बीमारी आने की संभावना कम है। इसलिए किसानों को चाहिए कि धान की फसल में अधिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करें और सीमित मात्रा में ही उर्वरक डालें। उर्वरक जमीन में डालने की बजाए उनका घोल तैयार कर फसल पर घोल का छिड़काव करें। 

ज्यादा पानी देने की बजाए फसल में कम पानी रखें किसान 

कृषि विभाग के पास इस बार धान की रोपाई के लिए 99 हजार हैक्टेयर का टारगेट है। इसमें से 75 हजार हैक्टेयर में रोपाई हो चुकी है। जल्द ही टारगेट को कवर कर लिया जाएगा। किसान अभी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। बारिश आते ही धान की रोपाई के कार्य में तेजी आएगी। 25 जुलाई तक किसान धान की रोपाई कर सकते हैं। किसानों को चाहिए कि फसल में ज्यादा पानी देने की बजाए कम पानी रखें। इससे कम पानी में अधिक क्षेत्र को कवर किया जा सकेगा। 
रामप्रताप सिहाग, उप-निदेशक 
कृषि विभाग, जींद



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