शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

शौक को बना लिया रोजगार

मूर्ति कला के दम पर प्रदेशभर में मनवाया प्रतिभा का लोहा

नरेंद्र कुंडू
जींद। आधुनिकता के इस युग में एक तरफ जहां मूर्ति कला का कार्य दम तोड़ रहा है और बड़े-बड़े मूर्ति कलाकर मूर्ति निर्माण के अपने पुस्तैनी कार्य को छोड़कर अपनी इच्छा के विपरित काम करने को मजबूर हैं, वहीं गांव बुराडहर-बुआना निवासी मूर्ति कलाकार अजमेर जांगड़ा अपनी कला के दम पर दूर-दूर तक अपना लोहा मनवा चुका है। अजमेर जांगड़ा मूर्ति कला के क्षेत्र में आज भी अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। पूर्वजों से विरासत में मिली मूर्ति निर्माण की कला को अजमेर जांगड़ा आज भी पूरे उत्साह के साथ संजोए हुए है। अपनी मूर्ति कला के बूते आज अजमेर जांगड़ा मूर्ति निर्माण का अपना शौक पूरा करने के साथ-साथ अपने परिवार का पालन-पौषण भी ठीक तरह सेकर रहा है। 26 वर्षीय अजमेर पिछले 10 वर्षों से मूर्ति निर्माण का कार्य कर रहा है और अजमेर द्वारा निर्मित बहुत सी मूर्तियां तो आज प्रदेश के भिन्न-भिन्न जिलों में मंदिरों की शोभा बढ़ा रही हैं।  
गांव बुराडहर-बुआना में एक गरीब परिवार में जन्मे अजमेर जांगड़ा को बचपन से ही मूर्ति निर्माण का शौक था। अजमेर को यह कला अपने पूर्वजों से विरासत में मिली थी। अजमेर के पड़दादा (दादा के पिता) कन्हैया राम मूर्ति निर्माण का कार्य करते थे। इसके बाद अजमेर के दादा और फिर पिता सतपाल जांगड़ा तथा अब खुद अजमेर मूर्ति निर्माण का कार्य कर अपने पूर्वजों से विरासत में मिली इस कला को आधुनिकता के इस युग में भी संजोए हुए है। फर्क सिर्फ इतना है कि उस समय मूर्तियों का निर्माण मिट्टी से होता था लेकिन अब आधुनिकता के कारण मूर्तियों का निर्माण सीमैंट से होता है। अजमेर अपने चाचा रामपाल को अपना गुरु मानते हैं और उन्होंने अपने चाचा रामपाल से ही मूर्ति निर्माण का यह हुनर सीखा है। गांव के सरकारी स्कूल से 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अजमेर ने 2004 में मूर्ति निर्माण का कार्य शुरू किया। 2004 से अब तक अजमेर कुरुक्षेत्र, जींद, पानीपत, करनाल, कैथल, फरीदाबाद, अंबाला, हिसार, सोनीपत सहित कई जिलों में अपनी मूर्ति कला का प्रदर्शन कर चुका है। इस अवधी के दौरान अजमेर ने हजारों मूर्तियों का निर्माण किया। इनमें ज्यादातर मूर्तियां आराध्य देवों की हैं। धार्मिक मूर्तियों के अलावा अजमेर ने शहीदों की मूर्तियों का निर्माण भी किया है। इस तरह अजमेर द्वारा बनाई गई आराध्य देवों की मूर्तियां आज हरियाणा प्रदेश के विभिन्न जिलों में मंदिरों की शोभा बढ़ा रही हैं। अपनी कला के बूते फिलहाल अजमेर धार्मिक नगरी कुरुक्षेत्र के मंदिरों के लिए मूर्तियों का निर्माण कर रहा है। इस प्रकार अजमेर जांगड़ा अपनी कला के दम पर अपना शौक पूरा करने के साथ-साथ अपने परिवार पेट भी भर रहा है।
 मूर्ति निर्माण का कार्य करता कलाकार अजमेर जांगड़ा।

एक मूर्ति के निर्माण में एक से दो माह तक का लग जाता है समय  

मूर्ति कलाकार अजमेर जांगड़ा का कहना है कि मूर्ति निर्माण का कार्य काफी बारिकी से करना पड़ता है। मूर्ति के निर्माण में सीमैंट का प्रयोग होने के कारण मूर्ति का थोड़ा-थोड़ा निर्माण करना पड़ता है। इसलिए एक मूर्ति के निर्माण में काफी समय लग जाता है। एक मूर्ति के निर्माण में एक से दो माह तक का समय लग जाता है।

सरकार को करनी चाहिए मदद

मूर्ति कलाकार अजमेर जांगड़ा का कहना है कि आज बढ़ती महंगाई तथा आधुनिकता के कारण मूर्तियों की कम होती मांग के कारण मूर्ति निर्माण का कार्य दम तोडऩे लगी है। इसके चलते कलाकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है। आर्थिक तंगी तथा सरकार द्वारा कलाकारों की कोई आर्थिक मदद नहीं दिए जाने के कारण मूर्ति कला दम तोड़ रही है। मूर्ति कलाकार आर्थिक परेशानी के चलते अपना पुस्तैनी कार्य छोडऩे को मजबूर हैं। सरकार को चाहिए कि वे इस तरह के कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए कलाकारों की आर्थिक मदद करे। ताकि लुप्त होती कला को बचाया जा सके।

मूर्ति कलाकार अजमेर द्वारा तैयार की जा रही मूर्तियां । 



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