सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

शौक पूरा के लिए सरकारी नौकरी को मार दी ठोकर

आई.टी.बी.पी. की नौकरी छोड़ मूर्ति निर्माण का कार्य कर रहा है सिवाहा का रोहताश

नरेंद्र  कुंडू
जींद। महंगाई व बेरोजगारी के इस दौर में लोग जहां नौकरी की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाते फिरते हैं और अपने शौक के विपरित भी जाकर काम करने को मजबूर हैं, वहीं एक शख्स ऐसा भी है, जिसने अपने शौक को पूरा करने के लिए सरकारी नौकरी को ही ठोकर मार दी। जींद जिले के सिवाहा गांव निवासी रोहताश ने मूर्ति कला के अपने शौक को पूरा करने के लिए आई.टी.बी.पी. की नौकरी छोड़ दी। 
मूर्ति कला के क्षेत्र में रोहताश का आज कोई शानी नहीं है। अपने शौक को पूरा करने के साथ-साथ रोहताश अपनी कला के दम पर ही अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। 43 वर्षीय रोहताश पिछले 22 वर्षों से मूर्ति निर्माण का कार्य कर रहा है और रोहताश द्वारा निर्मित बहुत सी मूर्तियां तो आज जींद जिले ही नहीं बल्कि जींद जिले से बाहर के मंदिरों की शोभा बढ़ा रही हैं।   
गांव सिवाहा निवासी रोहताश को पढ़ाई के  दौरान मूर्ति निर्माण का शौक लगा था। रोहताश के अंदर छिपे एक मूर्ति कलाकार को निखाकर बाहर निकालने में उसकी मदद की उसके ड्राइंग अध्यापक महेंद्र भनवाला ने। रोहताश ने छठी कक्षा में पढ़ाई के दौरान अपने गुरु महेंद्र भनवाला से ड्राइंग की बारीकियों को सीखा और अपने अंदर के कलाकार को पहचान कर कागज के टुकड़ों पर मूर्तियां बनाने का काम शुरू किया। कागज के टुकड़ों के बाद रोहताश ने कच्चे रंगों से मूर्तियों का निर्माण शुरू किया लेकिन जैसे-जैसे समय ने करवट ली और मिट्टी का स्थान सीमैंट ने लेना शुरू किया तो रोहताश ने भी अपने कार्य में परिवर्तन करते हुए सीमैंट से मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया। 12वीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने के बाद 1989 में रोहताश ने आई.टी.बी.पी. में सिपाही के पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली लेकिन रोहताश के अंदर बैठे मूर्ति कलाकार को यह रास नहीं आया। आई.टी.बी.पी. में एक साल तक देश सेवा करने के बाद 1990 में रोहताश ने नौकरी छोड़ दी। सरकारी नौकरी छोडऩे के बाद रोहताश ने अपने शौक को पूरा करने के लिए मूर्ति निर्माण का कार्य शुरू कर दिया। 43 वर्षीय रोहताश पिछले 22 वर्षों से मूर्तियों का निर्माण कर रहा है लेकिन इस दौरान रोहताश को कभी भी अपने
मूर्ति को अंतिम रुप देता मूर्ति कलाकार रोहताश सिंह।

मूर्ति कलाकार रोहताश द्वारा निर्मित शिव की मूॢतयां।
नौकरी छोडऩे के फैसले पर रतीभर भी अफशोस नहीं हुआ। रोहताश अपने शौक को पूरा करने के साथ-साथ आज अपनी इसी कला के दम पर अपने परिवार का पालन-पोषण भी अच्छे तरीके से कर रहा है। इतना ही नहीं रोहताश हर किस्म की मूर्तियां बनाने का एक्सपर्ट है। 

एक मूर्ति के निर्माण में एक से दो माह तक का लग जाता है समय  

मूर्ति कलाकार रोहताश का कहना है कि मूर्ति निर्माण का कार्य काफी बारिकी से करना पड़ता है। मूर्ति के निर्माण में सीमैंट का प्रयोग होने के कारण मूर्ति का थोड़ा-थोड़ा निर्माण करना पड़ता है। इसलिए एक मूर्ति के निर्माण में काफी समय लग जाता है। एक मूर्ति के निर्माण में एक से दो माह तक का समय लग जाता है। 

मुनाफे के नहीं लागत के आधार पर तय होती है कीमत 

मूर्ति कलाकार रोहताश का कहना है कि वह मुनाफे के लिए नहीं बल्कि अपने शौक को पूरा करने के लिए मूर्तियों का निर्माण करता है। रोहताश का कहना है कि शौक की कोई कीमत नहीं होती। इसलिए वह अपनी मूर्तियों की कीमत मुनाफा लेने के लिए नहीं सिर्फ लागत पूरी करने के लिए लागत के आधार पर ही मूर्ति की कीमत तय करता है। 
 


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