बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

अब पंजाब में भी जागेगी कीट ज्ञान की अलख

कीट  ज्ञान की तालीम लेने जींद पहुंचा किसानों का दल 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। जींद जिले के किसानों द्वारा थाली को जहरमुक्त करने के लिए शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम अब जींद जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर निकल कर दूसरे प्रदेशों में भी शुरू होगी। इसकी शुरूआत सबसे पहले कृषि क्षेत्र में अग्रीण प्रदेश पंजाब से होगी। कृषि तथा बागवानी विभाग के साथ-साथ पंजाब में कुदरती खेती की तरफ कदम बढ़ा रही इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन पंजाब में इसकी अलख जगाएंगे। पंजाब में इस मुहिम की शुरूआत करने के लिए कृषि विभाग, बागवानी विभाग के अधिकारियों तथा इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन के किसानों का एक 10 सदस्यीय दल एक दिवसीय प्रशिक्षण दौरे पर जींद पहुंचा और यहां के मास्टर ट्रेनर किसानों से कीट ज्ञान की तालीम ली।
किसानों द्वारा अधिक उत्पादन की चाह में फसलों में अंधाधुंध प्रयोग किए जा रहे कीटनाशकों के कारण जहरीले हो रहे हमारे खान-पान तथा दूषित हो रहे वातावरण को बचाने के लिए जींद जिले के किसानों ने वर्ष 2008 में डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में जींद जिले की धरती पर कीट साक्षरता की मुहिम का बीजारोपण किया था। वर्ष 2008 में जींद के किसानों द्वारा रोपित किए गए कीट साक्षरता के पौधे ने
अब एक वट वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। इसके चलते जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर भी इसकी जड़ें फैलने लगी हैं। पंजाब के होशियारपुर से जींद में एक दिवसीय प्रशिक्षण दौरे पर पहुंचे किसान रेशम सिंह, अमरजीत तरसेम बख्शी सिंह गुरविंद्र जीत सिंह का कहना है कि उनके क्षेत्र में गेहूं, गन्ने तथा सब्जी की फसल होती है। अपनी फसलों को वह कीटें से बचाने के लिए फसलों में कई-कई बार कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं लेकिन कीटों की संख्या कंट्रोल होने की बजाए निरंतर बढ़ती जाती है। इनका कहना है कि वह पंजाब में कुदरती खेती की तरफ कदम बढ़ा रही इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं और कीटों को कंट्रोल करने के लिए कुदरती नुस्खे भी अपना चुके हैं लेकिन कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए अब उन्होंने हरियाणा प्रदेश के जींद जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम का सहारा लेकर फसलों में कीटों की पहचान करने का निर्णय लिया है। वहीं इन किसानों के साथ आए कृषि विकास अधिकारी डा. जसपाल ङ्क्षसह तथा बागवानी विभाग के उद्यान विकास अधिकारी डा. दीपक पूरी का कहना है कि जींद जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई मुहिम को वह पंजाब में भी शुरू करेंगे। जींद के किसानों से वह कीट ज्ञान के गुर सिखकर पंजाब के किसानों को भी कीटों की पहचान करना तथा कीटों के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी देंगे। इस प्रकार पंजाब के कृषि विभाग, बागवानी विभाग तथा इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन द्वारा जींद की तर्ज पर पंजाब में भी इस मुहिम की शुरूआत की जाएगी।
कीट ज्ञान की मुहिम के बारे में जानकारी लेने के लिए जींद पहुंचा पंजाब के किसानों का दल।


किसान होता है सबसे बड़ा शोधकर्ता : डा. सिवाच

कहा, कीट ज्ञान की मुहिम को प्रदेश में फैलाने के लिए प्रयास करें कृषि अधिकारी
ईगराह गांव में हुआ राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन का आयोजन

नरेंद्र कुंडू
जींद। हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसंधान एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डा. सुरेंद्र सिवाच ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने कीटों पर शोध कर एक नई क्रांति को जन्म दिया है। कृषि विभाग के अधिकारियों को इनकी इस मुहिम को पूरे प्रदेश में फैलाने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिएं। इस काम को किसानों पर जबरदस्ती थोपने की बजाए किसानों में इस काम के प्रति रुचि पैदा कर दूसरे जिले के किसानों को इस मुहिम से जोड़ा जाए ताकि किसानों को जागरूक कर अंधाधुंध प्रयोग हो रहे कीटनाशकों पर रोक लगाकर खाने की थाली को जहरमुक्त बनाया जा सके और पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। डा. सिवाच वीरवार को कृषि विभाग तथा कीट साक्षरता अभियान से जुड़े किसानों द्वारा ईगराह गांव में आयोजित राज्य स्तरीय खेत दिवस में बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. देवेंद्र मलिक, एच.ए.यू. के कपास विभाग के अध्यक्ष डा. आर.एस. सांगवान, जींद हमेटी के डायरैक्टर डा. बी.एस. नैन, वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डा. पालेराम, हिसार के जिला उद्यान अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, जींद कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, के.वी.के. पिंडारा से वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक,  पंचकूला से उप-कृषि निदेशक डा. सुरेंद्र मलिक, डा. बलजीत लाठर, डा. कमल सैनी, बराह खाप प्रधान कुलदीप ढांडा, मैडम कुसम दलाल तथा विजय दलाल भी विशेष रूप से मौजूद थे।
मुख्यातिथि को कीटों के बारे में जानकारी देती महिला किसान।
डा. सिवाच ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारियों को कीट साक्षरता के अग्रदूत स्व. डा. सुरेंद्र दलाल से सीख लेनी होगी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा रिसर्च सैंटर किसान का खेत होता है और किसान ही सबसे बड़ा शोधकर्ता होता है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वह अपना तजुर्बा कृषि अधिकारियों के साथ सांझा करें, ताकि कृषि अधिकारी उनके तजुर्बे को कृषि वैज्ञानिकों के बीच रखकर उसे तकनीकी रूप से मंजूरी दिलवा सकें। डा. सिवाच ने कहा कि जींद के किसानों ने लीक से हटकर काम किया है। आज तक इससे पहले कभी भी कीटों पर इस तरह के शोध नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वह जींद के किसानों के इस शोध को पूरे प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि विभाग से जींद के किसानों को रिसर्च सैंटरों पर भेजने तथा किसानों के इस काम को एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के शोध में शामिल करने की सिफारिश करेंगे। इस अवसर पर हरियाणा के अलावा पंजाब से भी किसान कीट ज्ञान हासिल करने के लिए इस सम्मेलन में पहुंचे थे।

कीट ज्ञान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए खाप पंचायत करेंगी किसानों का सहयोग

बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि खाप पंचायतें किसी को कत्ल की मंजूरी नहीं देती बल्कि खापें तो बड़े-बड़े विवादों को सुलझा कर आपसी भाईचारे को कायम करने का काम करती हैं। ढांडा ने कहा कि खाप पंचायतें पिछले 2 वर्षों से इस मुहिम के साथ जुड़ी हुई हैं और अब तक 105 खापों के प्रतिनिधि इन किसानों की पाठशालाओं में पहुंचकर इनके कार्य का अवलोकन कर चुके हैं। ढांडा ने कहा कि फसल कटने के बाद किसान जो अवशेषों को फूंक देते हैं, उससे भी जमीन में मौजूद सुक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसलिए किसानों को फसों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए खाप पंचायतें किसानों को जागरूक करने तथा इन किसानों के साथ मिलकर कीट ज्ञान की इस मुहिम को आगे बढ़ाने में इनका सहयोग करेंगी।
मुख्यातिथि को कीटों के बारे में जानकारी देती महिला किसान।

इस प्रकार अपना खर्च कम कर सकते हैं किसान

कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी ने कहा कि कीट कमाडों किसानों द्वारा पौधों को पर्याप्त खुराक देने के लिए 100 लीटर पानी में अढ़ाई किलो यूरिया, अढाई किलो डी.ए.पी. तथा आधा किलो जिंक का घोल तैयार कर फसलों में छिड़काव किया जाता है। इस प्रकार 6 बार खाद के घोल का फसल पर छिड़काव करने पर किसान का खर्च महज 498 रुपए आता है जबकि कीटनाशकों पर किसान कम से कम 2500 से 3000 खर्च कर देते हैं। डा. सैनी ने कहा कि इस फार्मुले को अपनाकर किसान अपना खर्च कम कर सकते हैं।
गांव का नाम पेस्टीसाइड रहित खेत की पैदावार  पेस्टीसाइड खेत की पैदावार
राजपुरा 1805 किलो 1510 किलो
ईगराह 1555 किलो 1000 किलो
निडानी 1845 किलो 1250 किलो
रधाना 2430 किलो 1050 किलो
ललितखेड़ा 2025 किलो 1450 किलो
नोट :यह उन 5 गांव का आंकड़ा है, जिन गांवों में इस वर्ष किसान खेत पाठशालाएं लगाई गई थी।



सम्मेलन में किसानों को सम्बोधित करते मुख्यातिथि। 




गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

पुलिस के लिए नकली करंसी के सरगना तक पहुंचना बड़ी चुनौती

अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के साथ जुड़े हो सकते हैं आरोपियों के तार
पिछले 5-6 माह से जींद में चल रहा था नकली करंसी का कारोबार

नरेंद्र कुंडू
जींद।जींद पुलिस ने पश्चिम बंगाल से जींद में नकली करंसी के सप्लायर को गिरफ्तार करके भले ही शहर में चल रहे नकली करंसी के बड़े कारोबार का पर्दाफाश कर दिया हो लेकिन इस मामले में पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती नकली करंसी के इस कारोबार के मुख्य सरगना तक पहुंचना है। क्योंकि जींद में नकली नोटों की सप्लाई करते जींद पुलिस के हत्थे चढऩे वाला सप्लायर पश्चिम बंगाल से है। जींद में चल रहे नकली नोटों के कारोबार के तार पश्चिम बंगाल से जुड़ जाने के बाद इस कारोबार में अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का हाथ होने की संभावनाएं भी काफी बढ़ गई हैं। क्योंकि पश्चिम बंगाल के रास्ते बांगला देश से भारत में नकली करंसी की सप्लाई की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। शनिवार देर सायं शहर के पटियाला चौक से जींद पुलिस के हत्थे चढ़े पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम सरकार को पुलिस ने अदालत में पेश कर 12 दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस रिमांड के दौरान आरोपी से इस कारोबार के मुख्य सरगना के बारे में पूछतात करेगी।

9 फरवरी को पुलिस के हत्थे चढ़े दोनों आरोपियों ने रिमांड के दौरान खोला राज

जींद पुलिस ने 9 फरवरी को जींद शहर से नकली नोट चलाते 2 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक आरोपी की पहचान गांव गुराना जिला हिसार निवासी सतेंद्र तथा दूसरे आरोपी की पहचान जींद की शिवपुरी कालोनी निवासी रोशन के रूप में हुई थी। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद रिमांड पर लिया था। रिमांड के दौरान गांव गुराना निवासी सतेंद्र ने पुलिस के सामने पूरा राज खोल दिया। सतेंद्र ने पुलिस को बताया कि 16 फरवरी को इस मामले में उनकी एक बड़ी डिल होने वाली है। सतेंद्र ने बताया कि इस दिन पश्चिम बंगाल से इनके पास नकली करंसी की एक बड़ी खेप पहुंचेगी। पुलिस ने सूचना के आधार पर एक टीम का गठन कर मामले की निगरानी शुरू कर दी। शनिवार देर सायं पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम सरकार ट्रेन से जींद पहुंचा और यहां से बताए गए स्थान पटियाला चौक पर पहुंच गया। यहां पहले से ही तैनात पुलिस के जवानों ने विक्रम को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। तलाशी लिए जाने के पर पुलिस को विक्रम के कब्जे से 2 लाख की करंसी बरामद हुई।

पिछले 5-6 माह से चल रहा था नकली करंसी का कारोबार

जींद में पिछले 5-6 माह से नकली करंसी का कारोबार चल रहा था लेकिन पुलिस को इसकी कानो-कान खबर नहीं थी। नकली करंसी के कारोबार में जुड़े सतेंद्र तथा रोशन बड़े शातिर तरीके से इस कारोबार की जड़ें जींद में जमाने में लगे हुए थे। दोनों आरोपी पहले दुकानों से सामान खरीदे और सामन की पेमैंट में कुछ नोट नकली मिला कर दुकानदार को दे देते। इसके अलावा लोगों से रुपए खुल्ले करवाने के नाम पर भी यह लोग रुपए खुल्ले करने वाले व्यक्ति को नकली नोट दे देते थे।

2 बार पहले भी हो चुकी है डिलिंग

पुलिस पूछताछ में सतेंद्र तथा रोशन ने खुलासा किया कि पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम के साथ इससे  पहले उनकी 2 बार भी नकली करंसी की डिलिंग हो चुकी है। इससे पहले दोनों बार उनके बीच छोटी-छोटी डिलिंग ही हुई थी। दोनों बार सही तरीके से डिलिंग होने के बाद ही उन्होंने आगे बड़ी डिलिंग की प्लानिंग बनाई थी।

20 से 25 प्रतिशत में होती थी नकली करंसी की डिलिंग

सतेंद्र तथा रोशन ने पूछताछ में बताया कि पश्चिम बंगाल से नकली करंसी लेकर आने वाले विक्रम तथा उनके बीच 25 से 30 प्रतिशत में नकली करंसी की डिलिंग होती थी। 50 हजार नकली करंसी के बदले वह विक्रम को 35 हजार का भुगतान करते थे।

यह थे पुलिस टीम में शामिल

नकली नोटों के सप्लायर को गिरफ्तार करने के लिए गठित की गई टीम में सब इंस्पैक्टर सुरेंद्र कुमार, ए.एस.आई. सुरजीत ङ्क्षसह, हवलदार बलराज, जगदीप, तेजबीर तथा सिपाही कुलदीप ङ्क्षसह शामिल थे।

अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के साथ जुड़े हो सकते हैं तार

पुलिस ने नकली करंसी के सप्लायर पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम को अदालत से रिमांड पर पर लिया है। रिमांड के दौरान पुलिस आरोपी से यह पूछताछ करेगी कि यह कहां से नकली करंसी लेकर आता था और इसका मुख्य सरगना कौन है। पश्चिम बंगाल से इस मामले के तार जुडऩे के बाद इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के हाथ होने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। इसलिए पुलिस इस मामले की तह तक जाने का प्रयास करेगी।
धर्मबीर सिंह पूनिया
पुलिस टीम के साथ मौजूद नकली करंसी चलाने के आरोपी।

डी.एस.पी., जींद






सोमवार, 17 फ़रवरी 2014

20 को जींद जिले में जुटेंगे प्रदेशभर के कृषि वैज्ञानिक

राज्य स्तरीय खेत दिवस में कीटों के शोध पर होगा गहन मंथन

नरेंद्र कुंडू 
जींद। जिला कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने थाली को जहरमुक्त करने की जो मुहिम शुरू की है उस मुहिम के साथ पूरे प्रदेश के किसानों को जोडऩे के लिए 20 फरवरी को जींद जिले के गांव ईगराह में राज्य स्तरीय किसान खेत दिवस का आयोजन किया जाएगा। हरियाणा के अलावा दूसरे प्रदेशों के कृषि वैज्ञानिक भी इस सम्मेलन में भाग लेंगे। कृषि विभाग तथा जींद जिले के किसानों की सहभागिता से होने वाला यह सम्मेलन प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर का पहला ऐसा अनोखा सम्मेलन होगा, जिसमें किसानों द्वारा कीटों पर किए गए शोध पर बड़े-बड़े कृषि वैज्ञानिक मंथन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में खाप पंचायतों की भी बड़ी भागीदारी रहेगी। प्रदेश के कृषि निदेशक डा. बृजेंद्र सिंह सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि तथा डी.सी. जींद राजीव रत्न विशिष्ठ अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे। डा. सिहाग सोमवार को शहर की अर्बन एस्टेट कालोनी में स्थित जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। 
 डा. सिहाग ने कहा कि कृषि विभाग के ए.डी.ओ. डा. सुरेंद्र दलाल ने वर्ष 2008 में थाली को जहरमुक्त करने के लिए जींद जिले के निडाना गांव से जिस मुहिम की शुरूआत की थी आज उस मुहिम ने एक क्रांति का रूप धारण कर लिया है और कृषि विभाग भी उनकी इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए बराबर की भागीदारी दर्ज करवा रहा है। यहां के किसानों ने डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में कीटों पर अनोखे शोध किए हैं। इसी की बदौलत आज यहां के किसानों को लगभग 206 किस्म के शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों की पहचान हो चुकी है। इनके प्रयोग को देखकर दूसरे जिलों के किसान भी इनसे कीट ज्ञान लेने के लिए समय-समय पर यहां आते हैं। 
जींद जिले के किसानों ने कीटों की पहचान कर फसलों में बिना किसी पेस्टीसाइड का प्रयोग किए रिकार्ड तोड़ उत्पादन प्राप्त किया है। डा. सिहाग ने कहा कि अब तो कृषि वैज्ञानिकों ने भी इन किसानों के इस शोध पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि अब इस मुहिम से पूरे प्रदेश के किसानों को जोडऩे के लिए इस राज्य स्तरीय खेत पाठशाला के आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में यहां के कीट कमांडो किसान बाहर से आए किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा करेंगे। इससे दूसरे जिलों के किसानों को भी उनकी इस मुहिम से जुडऩे का अवसर मिलेगा। बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल के निमंत्रण पर खाप पंचायतें भी पिछले 2 साल से इस मुहिम में शामिल होकर इन किसानों के इस शोध पर गहन मंथन कर रही हैं। अब तक 105 से ज्यादा खापों के प्रतिनिधि किसान पाठशालाओं में शामिल होकर इनकी इस मुहिम का बारिकी से निरीक्षण कर चुके हैं। इस सम्मेलन में खाप पंचायतें भी कृषि विभाग तथा इन किसानों के साथ मिलकर इस मिशन को आगे बढ़ाएंगी ताकि खाने की थाली को जहरमुक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यहां के किसान तो कपास के साथ-साथ सभी फसलों में इस प्रक्रिया को अपना चुके हैं। उन्होंने कृषि विभाग से इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग की ताकि फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे पेस्टीसाइड के कारण दूषित हो रहे खान-पान को दूषित होने से बचाया जा सके। इस मौके पर उनके साथ ए.डी.ओ. डा. कमल सैनी, राजपुरा भैण गांव के पूर्व सरपंच बलवान लोहान, डा. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता कमेटी के प्रधान रणबीर मलिक, मनबीर रेढू आदि भी मौजूद थे। 
 पत्रकारों से बातचीत करते डी.डी.ए. डा. रामप्रताप सिहाग तथा बराह खाप प्रधान कुलदीप ढांडा।

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

अब पैसे के अभाव में ईलाज से वंचित नहीं रहेंगे बच्चे

0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क मिलेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं
स्वास्थ्य विभाग ने किया 11 टीमों का गठन

गांव-गांव घूमकर बीमारी से पीडि़त बच्चों की पहचान करेंगी स्वास्थ्य विभाग की टीमें

नरेंद्र कुंडू
जींद। आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चे अब आर्थिक कमजोरी के कारण उपचार से वंचित नहीं रहेंगे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग अब आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को गंभीर बीमारी में भी निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इस सेवा का लाभ लेने के बच्चों को अस्पतालों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की टीम खुद गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों को ढूंढ़कर अस्पताल तक पहुंचाएगी। इस योजना को कारगर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामान्य अस्पताल में डिस्ट्रीक अर्ली इंटरमैंशन सैंटर (डी.ई.आई.सी.) स्थापित किए जा रहे हैं और इस सैंटर को चलाने के लिए अलग से स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। 
सामान्य अस्पताल का वह कमरा, जहां डी.ई.आई.सी. का निर्माण किया जाना है।

11 मोबाइल टीमें करेंगी निगरानी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को सरकार की इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए डी.ई.आई.सी. के तहत ब्लॉक वाइज 11 मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में एक मेल डॉक्टर, एक फीमेल डॉक्टर, एक ए.एन.एम. तथा एक फार्मासिस्ट को शामिल किया गया है। डी.ई.आई.सी. की यह 11 टीमें जिले के सभी गांवों में घूमकर गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों का पता लगाएंगी। 

निशुल्क मिलेंगी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, कैंसर सहित 30 प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को अपनी सूची में शामिल किया है, जिनके उपचार पर मोटी रकम खर्च होती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन सभी बीमारियों से पीडि़त बच्चों का मुफ्त उपचार करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की सूची में शामिल इन 30 किस्म की गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चे को ओ.पी.डी. तक की पर्ची बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बच्चे को एक अलग किस्म का कार्ड जारी किया जाएगा। इस कार्ड के आधार पर ही बच्चे का पूरा उपचार निशुल्क होगा। अगर बच्चे की बीमारी सामान्य है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पी.एच.सी., सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार करवाएगी। यदि पी.एच.सी. या सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार सही तरीके से नहीं हो पाया तो बच्चे को सामान्य अस्पताल ले जाया जाएगा। अगर बच्चे की बीमारी गंभीर है तो उसे सामान्य अस्पताल से पी.जी.आई. रोहतक या चंडीगढ़ रैफर किया जाएगा। 

डी.ई.आई.सी. के निर्माण पर खर्च होंगे 20 लाख

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत जिला स्तर पर तैयार होने वाले डी.ई.आई.सी. के भवन के निर्माण पर 20 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे और भवन तैयार होने के बाद इसके डैकोरेशन पर 2 लाख रुपए खर्च होंगे। इस योजना को सही तरीके से चलाने के लिए जिला स्तर पर निॢमत सैंटर पर 15 सदस्यों का स्टाफ होगा। इसमें डॉटा आप्रेटर, स्टाफ नर्स, लैब टैक्नीशियन, सोशल वर्कर से लेकर विशेषज्ञ तक मौजूद रहेंगे। 

समय पर मिल पाएगा बच्चे को उपचार

जिला स्तर पर डी.ई.आई.सी. शुरू होने से बच्चों को काफी लाभ मिलेगा। पैसों के अभाव में कोई भी बच्चा उपचार से वंचित नहीं रह पाएगा। 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाएगा। इसकी सबसे खास बात यह होगी कि डी.ई.आई.सी. की टीमें गांव-गांव घूमेंगी और बच्चे के बीमारी की चपेट में आते ही उसका उपचार शुरू करवाएंगी। समय पर बच्चे को सही उपचार मिलने से बीमारी गंभीर रुप धारण नहीं कर पाएगी और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी। 
 डा. राजेश भोला का फोटो।
डा. राजेश भोला, नोडल स्कूल हैल्थ अधिकारी
सामान्य अस्पताल, जींद 



खाद्य एवं पूर्ति विभाग का नया फरमान

अब बिना आई.डी. के नहीं मिलेगा राशन
अफसरशाही के नियमों के जाल में फंसी सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना

नरेंद्र कुंडू 
जींद। गरीब लोगों को भरपेट दाल-रोटी देने की सरकार की योजना अफसरशाही के नियमों के जाल में फंसकर रह गई है। खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा राशन वितरण करने के लिए आए दिन नए-नए फरमान जारी किए जा रहे हैं। राशन वितरण के लिए खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा हर रोज निर्धारित किए जा रहे नए-नए नियमों के कारण राशन वितरण की प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है। इसके चलते विभाग के कर्मचारियों से लेकर राशन लेने वाले पात्र लोगों तक को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ लेने के लिए एक सप्ताह पहले विभाग द्वारा जहां परिवार के सभी सदस्यों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया था, वहीं अब विभाग ने इस नियम में फेरबदल करते हुए परिवार के सभी सदस्यों का एक पहचान पत्र होने का नया नियम तैयार कर दिया है। विभाग के नए नियमानुसार बिना पहचान पत्र वाले सदस्य को राशन नहीं दिया जाएगा। वहीं राशन लेने से पहले कार्ड धारक को अलग से एक नया फार्म भी भरना होगा।
देशभर के गरीब लोगों को 2 वक्त की दाल-रोटी मुहैया करवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश में खाद्य सुरक्षा योजना लागू की गई थी। सरकार की इस योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिमाह 2 रुपए किलो के भाव से 5 किलो गेहूं और बी.पी.एल. कार्ड धारक को अढ़ाई किलो दाल 20 रुपए प्रतिकिलो के भाव से हर माह देने का ऐलान किया था लेकिन खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा सरकार की इस योजना को अमल में लाने के लिए हर रोज नए-नए नियम निर्धारित किए जा रहे हैं। विभाग के महानिदेशक ने लगभग एक सप्ताह पहले पत्र जारी करते हुए योजना का लाभ लेने वाले सभी लोगों के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य कर दिया था लेकिन सभी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण लोगों को होने वाली परेशानी को देखते हुए विभाग ने एक सप्ताह में ही इस नियम में फेरबदल करते हुए एक ओर नया नियम खड़ा कर दिया। विभाग के इस नए नियम के अनुसार अब राशन लेने से पहले कार्ड धारक को अपने परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. डिपोधारक को दिखानी होगी। अगर कार्ड धारक के पास परिवार के किसी सदस्य की आई.डी. नहीं है तो बिना आई.डी. वाले सदस्य को राशन नहीं दिया जाएगा। इस तरह से विभाग द्वारा राशन वितरण के लिए हर रोज तैयार किए जा नियमों के जाल में उपभोक्ता उलझते जा रहे हैं। 

आई.डी. दिखाने के बाद भरना होगा फार्म

खाद्य एवं पूर्ति विभाग के महानिदेशक द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए नियमों के अनुसार राशन लेने के लिए कार्ड धारक को अपने परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. तो दिखानी ही होगी, इसके अलावा पहली बार राशन लेने पर परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. दिखाने के बाद अलग से एक फार्म भी भरना होगा।

कर्मचारियों के गले की फांस बने विभाग के नए नियम

खाद्य एवं पूर्ति विभाग के महानिदेशक द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए नियम विभाग के कर्मचारियों के गले की फांस बन गए हैं। पहले स्मार्ट कार्ड के लिए फिर खाद्य सुरक्षा योजना और इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अस्थाई फार्म भरवाने के बाद अब नए सिरे से एक अलग फार्म भरवाने के लिए विभाग के कर्मचारियों को लोगों के साथ काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी। विभाग के कर्मचारियों की मानें तो बार-बार जनता से फार्म भरवाए जाने के कारण जनता फार्म भरने की इस प्रक्रिया से परेशान हो चुकी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग सबसे ज्यादा परेशान हो चुके हैं।

3-3 बार भरवाए जा चुके हैं फार्म

खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा लगभग 1 वर्ष पहले स्मार्ट कार्ड के लिए लोगों से फार्म भरवाए गए थे। इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना के लिए फार्म भरवाए गए और तीसरी बार खाद्य सुरक्षा योजना अस्थाई के नाम से फार्म भरवाए गए। इस योजना के तहत महिला को घर की मुखिया बनाया गया था लेकिन आज तक न तो लोगों के स्मार्ट कार्ड बने हैं और न ही महिला घर की मुखिया बन पाई हैं। इसके बावजूद अब विभाग द्वारा एक बार फिर नए सिरे से लोगों से फार्म भरवाने जाने के फरमान जारी कर दिए गए हैं।

राशन लेने के लिए अब आई.डी. दिखाना जरूरी

इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब डी.एफ.एस.सी. अशोक कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह चंडीगढ़ मुख्यालय से यह निर्देश प्राप्त हुए थे कि बिना आधार कार्ड राशन वितरित नहीं किया जाए। राशन लेने के लिए परिवार के सभी सदस्यों के पास आधार कार्ड का होना अनिवार्य किया गया था लेकिन सभी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण विभाग ने अब नियम में परिवर्तन किया है। आधार कार्ड के स्थान पर परिवार के सभी सदस्यों को राशन लेते समय एक आई.डी. दिखानी होगी। विभाग द्वारा जो नए सिरे से फार्म भरवाए जाएंगे वह प्रक्रिया सामान्य है। पहली बार ही कार्ड धारक को यह फार्म भरना होगा। इसके बाद कार्ड धारक से यह फार्म नहीं भरवाए जाएंगे। स्मार्ट कार्ड के लिए उन्होंने फार्म भरवा कर रख दिए हैं, अब आगामी कार्रवाई विभाग को करनी है।