मंगलवार, 25 मार्च 2014

बाल स्वास्थ्य योजना पर प्रशासन की लापरवाही का दंश

तीन माह बाद भी नहीं शुरू हो पाया डीईआईसी की भवन का निर्माण
कैबिनों में होगा बच्चों का इलाज
अस्पताल के निरीक्षण के लिए 27 को जींद पहुंचेगी एनआरएचएम की टीम
लिपापोती में जुटा अस्पताल प्रशासन 

नरेंद्र कुंडू
जींद। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों के मुफ्त इलाज की योजना पर सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का दंश लग चुका है। विभाग की योजना के तहत 0 से 18 वर्ष के बच्चों को मुफ्त उपचार देने के लिए सामान्य अस्पताल में स्थापित होने वाले डिस्ट्रिक अर्ली इंटरमेंशन सेंटर (डीईआईसी) की बिल्डिंग का निर्माण तीन माह बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। 27 मार्च को अस्पताल के निरीक्षण के लिए एनएचआरएम की टीम जींद पहुंच रही है। एनएचआरएम की टीम के जींद पहुंचने की सूचना मिलने पर अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। टीम के सामने अस्पताल प्रशासन की पोल नहीं खुले इसलिए अस्पताल प्रशासन लिपापोती पर लगा हुआ है। अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा बिल्डिंग का निर्माण करने की बजाये अस्पताल के अंदर कमरों में ही अलग से कैबिन तैयार करवाए जा रहे हैं।

यह है स्वास्थ्य विभाग की योजना

स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त इलाज किया जाना है। इस योजना के तहत विभाग ने ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, कैंसर सहित 30 प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को अपनी सूची में शामिल किया है, जिनके उपचार पर मोटी रकम खर्च होती है। इस योजना को सफल बनाने के लिए जिले में प्रत्येक ब्लॉक पर मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। यह टीमें बच्चों में बीमारी के लक्षण नजर आते ही पीएचसी तथा सीएचसी स्तर पर उनके उपचार की व्यवस्था करेंगी। यदि यहां पर उपचार संभव नहीं हो पाता है तो बच्चे को जींद के सामान्य अस्पताल में रैफर किया जाएगा। यदि बीमारी गंभीर है तो बच्चे को उपचार के लिए पीजीआई भेजा जाएगा। बच्चे की पर्ची बनवाने से लेकर बच्चे के उपचार तक की पूरी जिम्मेदारी इस टीम में शामिल सदस्यों की होगी।

बिल्डिंग के निर्माण पर खर्च होने थी 10  लाख की राशि 

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत जींद के सामान्य अस्पताल में डीईआईसी सेंटर स्थापित किया जाना था। इस सेंटर में बच्चों के पर्ची बनाने से लेकर उपचार तक की सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जानी थी। जिला स्तर पर निॢमत सैंटर पर 15 सदस्यों के स्टाफ की नियुक्ति की जानी है। इसमें डॉटा आप्रेटर, स्टाफ नर्स, लैब टैक्नीशियन, सोशल वर्कर से लेकर विशेषज्ञ तक की नियुक्ति की जानी थी। सेंटर की बिल्डिंग के निर्माण पर 10 लाख रुपए तथा डैकोरेशन पर लगभग दो लाख रुपए की राशि खर्च की जानी थी।

लीपापोती में जुटा अस्पताल प्रशासन 

सामान्य अस्पताल में 10 लाख की राशि से तैयार होने वाली डीईआईसी की बिल्डिंग के निर्माण के लिए लगभग तीन माह पहले विभाग द्वारा सामान्य अस्पताल प्रशासन को निर्देश जारी किए गए थे लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा विभाग के निर्देशों पर कोई अमल नहीं किया गया। अब 27 मार्च को सेंटर के निरीक्षण के लिए एनआरएचएम की टीम अस्पताल का दौरा करेगी। टीम के दौरे की सूचना के बाद से अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। निरीक्षण के दौरान अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए अस्पताल प्रशासन लीपापोती में जुटा हुआ है। बिल्डिंग का निर्माण शुरू करवाने की बजाए अब अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल के अंदर कमरों में ही इस सेंटर के लिए कैबिन बनाने शुरू कर दिए हैं। बिल्डिंग की बजाए अब अस्पताल प्रशासन द्वारा कैबिनों में बच्चों का इलाज किया जाएगा।

सिविल सर्जन डॉ. दीपा जाखड़ से सीधे सवाल 

सवाल : तीन माह पहले विभाग द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बाद भी बिल्डिंग का निर्माण शुरू क्यों नहीं हो पाया?
जवाब : यहां पर उनकी नियुक्ति अभी हुई है। उनके पास समय कम था और बिल्डिंग के निर्माण की प्रक्रिया लंबी थी, इसलिए उन्होंने फिलहाल डॉक्टरों के बैठने के लिए कैबिनों का निर्माण करवाया है।
सवाल : क्या बिल्डिंग की राशि से कैबिन तैयार करवाए जा रहे हैं?
जवाब : नहीं यह खर्च बिल्डिंग की राशि से अलग है।
सवाल : बिल्डिंग का निर्माण कब शुरू करवाया जाएगा?
जवाब : बिल्डिंग के निर्माण के लिए सम्बंधित विभाग के पास पत्र भेजा गया है। जल्द ही निर्माण शुरू करवा दिया जाएगा।
अस्पताल में डीईआईसी के लिए कमरों के अंदर ही तैयार करवाए जा रहे कैबिन।

सामान्य अस्पताल में डीईआईसी की टीम के बैठने के लिए बनाए गए कैबिन।

सामान्य अस्पताल में वह जगह जहां पर डीईआईसी की बिल्डिंग का निर्माण किया जाना था। 
 




 


तैयारी 200 बैड की,सुविधाएं 100 बैड की भी नहीं

मरीजों की मर्ज बढ़ा रही सामान्य अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं
बिना चिकित्सकों के कैसा मुफ्त इलाज

नरेंद्र कुंडू
जींद। प्रदेश सरकार की सामान्य अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज की योजना को लागू हुए तीन माह का समय बीत चुका है, लेकिन जींद शहर के सामान्य अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं मरीजों का दर्द कम करने की बजाए उनकी मर्ज बनती जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 100  बैड के इस अस्पताल को अपग्रेड कर 200 बैड का किया जा रहा है लेकिन सामान्य अस्पताल में सुविधाएं 100 बैड की भी नहीं हैं। सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के चलते हुए यहां आने वाले मरीजों को सरकार की मुफ्त इलाज योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छोटी सी बीमारी के उपचार के लिए भी मरीजों को यहां घंटों इंतजार करना पड़ता है। सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि कई-कई घंटों तक इंतजार करने के बाद भी उन्हें कोई यह बताने वाला नहीं है कि जिस डॉक्टर से उन्हें इलाज करवाना है आज वह ड्यूटी पर है या छुट्टी पर है। सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते मरीजों को मजबूरीवश निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। ऐसे में आखिर सवाल यह उठता है कि चिकित्सकों के बिना सरकार की मुफ्त योजना कैसे सफल हो पाएगी।

 20 पद खाली

सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कुल 50 पद सैंक्शन हैं। इनमें से 20 पद खाली पड़ी हैं और 20 पदों भरी हुई हैं। इनमें से कई महीनों से एक डॉक्टर अनुपस्थित चल रहा तो दो डॉक्टर पिछले कई माह से लंबी छुट्टी पर हैं और एक डॉक्टर को छह माह की ट्रेनिंग पर भेजा गया है। इस प्रकार 100 बैड के इस अस्पताल की जिम्मेदारी महज 26 डॉक्टरों के सहारे चल रही है। इनमें से भी हर रोज कुछ डॉक्टरों को कोर्ट इत्यादि में गवाही के लिए जाना पड़ता है।

सर्जन सहित रेडियोलाजिस्ट और त्वचा रोग विशेष की भी कमी

जिला मुख्यालय पर स्थित सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कमी का आलम यह है कि 100 बैड के इस अस्पताल में सिर्फ एक सर्जन है और वह भी पिछले लगभग 20 दिनों से छुट्टी पर चल रहे हैं। सर्जन के छुट्टी पर चले जाने के कारण इस समय सामान्य अस्पताल में आप्रेशन बंद पड़े हैं। ऑप्रेशन के लिए आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। सर्जन के अलावा सामान्य अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट तथा त्वचा रोग विशेषज्ञ की भी कमी है। यहां पर न तो रेडियोलाजिस्ट है और न ही त्वचा रोग विशेषज्ञ। सामान्य अस्पताल में ऑर्थो का भी केवल एक चिकित्सक है और वह भी अब ३१ मार्च को सेवानिवृत्त होने जा रहा है।

कैंटिन की भी नहीं है सुविधा

सामान्य अस्पताल में मरीजों के लिए कैंटिन तक की सुविधा नहीं है। अस्पताल परिसर में कैंटिन नहीं होने के कारण मरीजों को खाली पेट ही घंटों तक बैठकर डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है।

 10 दिन से काट रहा हूं अस्पताल के चक्कर

सामान्य अस्पताल में उपचार के लिए आए गांव लोहचब निवासी सतबीर ने बताया कि उसकी हड्डी में फ्रेक्चर है और वह हड्डी के उपचार के लिए पिछले 10 दिन से सामान्य अस्पताल के चक्कर काट रहा है लेकिन हर बार उसे चिकित्सक नहीं मिलने के कारण वापिस लौटना पड़ता है। सतबीर ने बताया कि जब वह एक्सरे के लिए एक्सरे विभाग में गया तो उसे बताया गया कि लाइट नहीं है इसलिए एक्सरे नहीं होगा।
ईगराह निवासी सतबीर का फोटो। 



मेडिकल के लिए भी घंटों करना पड़ता है इंतजार

सामान्य अस्पताल में आए पति-पत्नी नरसी तथा पूजा ने बताया कि उन्हें अपना मेडिकल करवाना है और वह कई देर से यहां बैठे हैं लेकिन ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक उनकी सुध नहीं ले रहा है। जब भी वह चिकित्सक से मेडिकल करने के लिए कहते हैं तो चिकित्सक उन्हें बाहर इंतजार करने के लिए कह देते हैं। घंटों इंतजार के बाद भी उनका मेडिकल नहीं हुआ है।
 नरसी का फोटो।

छह घंटे के इंतजार के बाद भी नहीं हुआ बच्चों का इलाज

ईगराह गांव निवासी कमलेश ने बताया कि वह अपने बच्चों के चैकअप के लिए सामान्य अस्पताल में आई थी लेकिन यहां पर चिकित्सक ही नहीं है। कमलेश ने बताया कि वह सुबह साढ़े दस बजे अस्पताल में आई थी और तीन बजे तक इंतजार करने के बाद भी वहां कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा। इसलिए कई घंटे के इंतजार के बाद भी बिना बच्चों का उपचार करवाए ही उसे घर लौटना पड़ेगा।
 बच्चों के उपचार के लिए सामान्य अस्पताल में चिकत्सकों का इंतजार करती ईगराह निवासी कमलेश। 




 जींद के सामान्य अस्पताल का फोटो। 





मंगलवार, 18 मार्च 2014

छोटी सी उम्र में निकल पड़ा बेटी बचाने

अब अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने के लिए छेड़ दी मुहिम 

नरेंद्र कुंडू
जींद। जिस उम्र में बच्चों को मौज-मस्ती के सिवाये कुछ नहीं सुझता, उस उम्र में उसने सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के सपने बुन लिए और उन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए महज १५ साल की उम्र में ही संघर्ष शुरू कर दिया। खेल गांव निडानी निवासी अमित के सिर पर छोटी सी उम्र में ही समाज सेवा का ऐसा भूत सवार हुआ कि फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अमित ने उम्र के 24वें पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते शराब बंदी तथा कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के अभियानों को शिखर तक पहुंचाने के बाद अब अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने के लिए नेत्रदान के लिए अभियान की शुरूआत की है। अमित निडानी ने वंदे मातरम प्रतिष्ठान के माध्यम से 24 फरवरी 2014  को गांव में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर दो हजार से ज्यादा पुरुषों और महिलाओं को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया।  
जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खेल गांव निडानी निवासी अमित ने समाज सेवा की अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए सबसे पहले अपने संघर्ष की शुरूआत अपने गांव से ही की। गांव को शराब मुक्त बनाने के लिए अमित ने गांव के युवाओं को एकत्रित कर युवा संगठन का गठन किया और ग्रामीणों के सहयोग से गांव में चल रहे शराब के अवैध खुर्दों को बंद करवाकर गांव में जड़ें जमा रहे शराब माफियाओं को उखाड़ कर गांव से बाहर कर दिया। इसके बाद अमित का टारगेट था नन्ही बेटियों को बचाने का। कन्या भ्रूण हत्या के कारण गिरते लिंगानुपात को देखते हुए अमित निडानी ने गर्भ में मारी जा रही बेटियों को बचाने के लिए वर्ष 2008 में बेटी बचाओ सृष्टि बचाओ अभियान की नींव रखी। अमित ने गांव में जागरूकता अभियान शुरू कर गांव के लोगों को कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जागरूक किया। अमित ने समाज में बेटी के महत्व को देखते हुए बेटे के जन्म पर निभाई जाने वाली कुआ पुजन की परंपरा को बेटी के जन्म पर शुरू करवाया। धीरे-धीरे यह अभियान एक गांव से दूसरे गांव से चलकर जिला स्तर और फिर राज्य स्तर तक जा पहुंचा। प्रदेशभर के लोगों को इस मुहिम से जोडऩे के लिए अमित ने 12 दिसम्बर 2012 को राज्य स्तरीय जागरूकता रथ यात्रा की शुरूआत की। भारत सरकार के ग्रह सचिव उदयचंद्र अग्रवाल ने इस रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए यह रथ यात्रा पूरे प्रदेश में घूमी। एक जननवरी 2013 में नव वर्ष के अवसर पर अमित निडानी ने कन्या भ्रूण हत्या के कारण गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए जिला स्तर पर एक हवन का आयोजन किया और शहर के गणमान्य लोगों ने हवन में आहुति देकर गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस दौरान लोगों ने हवन में आहुति देकर कन्या भ्रूण हत्या नहीं करने का संकल्प लिया। अमित निडानी ने भ्रूण हत्या करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए बड़े ईनाम की घोषणा की। अमित ने भ्रूण हत्या करने की सूचना देने वाले को सवा लाख रुपये का ईनाम देने की घोषणा की। इसी बीच शहर में महिलाओं के साथ बढ़ रही चेन स्नेचिंग की घटनाओं तथा चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए अमित ने अपने खर्च पर शहर में कई स्थानों पर खुफिाया कैमरे लगवाए। इसके बाद निडानी ने गौहत्या को बंद करवाने के लिए अगस्त 2013 में गौहत्या को बंद करवाने के लिए आवाज उठाते हुए राज्य स्तरीय युवा कार्यक्रम का आयोजन किया। इस प्रकार अमित निडानी ने एक के बाद एक कर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की। 

अब अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने के लिए छेड़ दी मुहिम

 हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रैली को रवाना करते अमित निडानी।
अमित निडानी ने शराब बंदी, कन्या भ्रूण हत्या तथा गौ हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के बाद अब अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने के लिए मुहिम शुरू कर दी। वंदे मातरम प्रतिष्ठान एनजीओ का गठन कर 24 फरवरी 2014 को गांव में विशाल नेत्रदान महोत्सव का आयोजन किया। इस महोत्सव में निडानी ने दो हजार से ज्यादा पुरुषों तथा महिलाओं को नेत्रदान का संकल्प करवाया। इस प्रकार अब अमित निडानी ने कन्या भ्रूण हत्या के अभियान के बाद अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने की मुहिम शुरू कर दी है। अमित का अगला लक्ष्य नेत्रदान के कानून में बदलाव करवाकर प्रत्येक व्यक्ति से नेत्रदान करवाना है। 

पिता से मिली प्रेरणा

अमित निडानी के पिता सरकारी स्कूल में कला अध्यापक हैं। निडानी ने बताया कि उसे सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मुहिम शुरू करने की प्रेरणा अपने पिता मास्टर समुंद्र सिंह से मिली है। निडानी ने कहा कि उनके पिता ने न केवल उसका मार्ग दर्शन किया बल्कि उसकी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद भी की। 

सरकार ने दिया जिला स्तरीय सर्वश्रेष्ठ युवा अवार्ड 

अमित निडानी द्वारा सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जिले में शुरू की गई मुहिम को देखते हुए सरकार की तरफ से अमित को 2013 का सर्वश्रेष्ठ युवा का जिला स्तरीय अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। 

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए शहर में जागरूकता रैली निकालते अमित निडानी का फाइल फोटो।


बेटी के जन्म पर खाप प्रतिनिधियों से रिबन कटवाकर कुआ पुजन की परम्परा शुरू करते अमित निडानी का फाइल फोटो।

अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए नव वर्ष पर हवन में आहुति डलवाते अमित निडानी का फाइल फोटो।  

बेटी के जन्म पर कुआ पुजन के दौरान ढोल-नगाड़ों के साथ खुशी मनाते लोगों का फाइल फोटो।  





बुधवार, 12 मार्च 2014

अल के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए किसान समय पर दें पर्याप्त खुराक

अल की रोकथाम के लिए किसी भी तरह के कीटनाशकों का प्रयोग ना करें किसान
फसल में मौजूद कूदरती कीटनारियों की मदद से ही होगा अल पर कंट्रोल

नरेंद्र कुंडू 
जींद। पिछले कई दिनों से मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण गेहूं तथा सरसों की फसल में अल (चेपा) का प्रकोप बढऩे लगा है। गेहूं और सरसों की फसल मेंं बढ़ते अल के प्रकोप को देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी हैं। अल को कंट्रोल करने के लिए किसान फसल में महंगे-महंगे कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं। महंगे-महंगे कीटनाशकों के प्रयोग के बाद भी सरसों व गेहूं की फसल से अल का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। वहीं कृषि विभाग ने किसानों की परेशानी को समझते हुए अल का तोड़ फसल में ही मौजूद मांसाहारी कीटों में ढूंढ़ निकाला है। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को अल को कंट्रोल करने के लिए फसलों में कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजाये फसल में मौजूद मांसाहारी कीटों की पहचान करने तथा फसल को पर्याप्त खुराक देने की गाइड लाइन जारी की गई हैं।  

क्या है अल (चेपा)

एडीओ डॉ. कमल सैनी के अनुसार अल कोई बीमारी नहीं है। यह एक शाकाहारी कीट है, जो पौधों से रस चूसकर अपना जीवन यापन करता है। इस कीट का प्रकोप मुख्यत फरवरी से मार्च माह तक अधिक होता है। यह कीट हरे रंग की जूं की तरह होता है। अल शिशु तथा प्रौढ़ दोनों ही अवस्थाओं में पौधों की कोमल पत्तियों व गेहूं की बालियों से रस चूसता है। अल से प्रकोपित पौधे की पत्तियां मुराझा जाती हैं। यह कीट शर्करायुक्त चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है। इससे चीटियां इन पौधों की तरफ आकॢषत होती हैं। इस कीट की साल में १२ से १४ पीढिय़ां पाई जाती हैं, जो समय-समय पर अलग-अलग फसलों में आती रहती हैं। इसलिए इस कीट की बीजमारी नहीं हो सकती।  

फसल में कब बढ़ता है अल का प्रकोप

फसल में नाइट्रोजन युक्त खाद का अधिक प्रयोग करने तथा आसमान में बादल छाए रहने के कारण फसल में अल की शुरूआत होती है। छिटपुट बारिश के कारण अल का प्रकोप ज्यादा बढ़ता है। इस समय बारिश का मौसम रहने के कारण गेहूं तथा सरसों की फसल में इसका प्रकोप ज्यादा बढ़ रहा है। 

किसान कैसे करें अल की रोकथाम

जिला कृषि उप-निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग का कहना है कि जानकारी के अभाव में किसान आमतोर पर कीटों को नियंत्रित करने के लिए रासायनों का प्रयोग करते हैं लेकिन ज्यादातर देखने को मिलता है कि रासायनों के प्रयोग से भी कीट नियंत्रित नहीं हो पाते। डॉ. सिहाग ने बताया कि कीटों को नियंत्रित करने के लिए हमारी फसलों में मौजूद मांसाहारी कीट ही हमारे लिए कूदरती कीटनाशी का काम करते हैं। इस समय गेहूं तथा सरसों के पौधों पर अल के प्राकृतिक कीटनाशी या परभक्षी कीट देखेे जा सकते हैं। इनमें सिॢफड मक्खी, लेडी बर्ड बीटल के बच्चे, क्राइसोपा के बच्चे प्रमुख हैं जो अल को बड़े चाव के साथ खाकर इसे नियंत्रित करने का काम करते हैं। इसके साथ-साथ एक्डियस नामक कीट अल का परजीवी है जो कि अल के पेट में अपने अंडे देता है, जिससे अल का आकार बढ़ जाता है और एक्डियस नामक कीट को जन्म देता है। इस प्रकार फसल में मौजूद यह मांसाहारी कीट अपने आप ही अल को कंट्रोल कर देते हैं। अल को कंट्रोल करने के लिए किसी कीटनाशक की जरूरत नहीं है। बस जरूरत है तो किसानों को फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान करने तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी लेने की। 
मांसाहारी कीट क्राइसोपा का फोटो।

पौधों को समय पर दें पर्याप्त खुराक

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फसल को अल के प्रकोप से बचाने के लिए फसल को पर्याप्त रूप से खुराक देना भी बेहद जरूरी है। अल के प्रकोप के दौरान समय-सयम पर फसल मेें पोषक तत्वों का छिड़काव करें। इसमें प्रति एकड़ के लिए अढ़ाई किलो यूरिया, अढ़ाई किलो डीएपी तथा आधा किलो जिंक  29 प्रतिशत का 100 लीटर पानी में घोल तैयार कर फसल में इसका छिड़काव करें। एक-एक सप्ताह के अंतराल पर इसका छिड़काव किया जा सकता है। यह घोल अल से फसल को होने वाले नुकसान की पूर्ति कर फसल को दोगुणा फायदा पहुंचाता है। इसके प्रयोग से पैदावार में भी बढ़ौतरी होती है। 

फसल में कूदरती कीटनाशी का काम करने वाली लेड़ी बर्ड बीटल का फोटो।

गेहूं की फसल में मौजूद अल को चट करता मांसाहारी कीट का फोटो। 




सोमवार, 10 मार्च 2014

अब भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में सुनाई देगा बेजुबानों का दर्द

कीट साक्षरता की मुहिम को देश में फैलाने की किसानों की मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करेगी भाजपा
रविवार को किसानों के साथ हुई भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में भाजपा नेताओं ने किसानों को दिया आश्वासन

नरेंद्र कुंडू 
जींद। अब भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में जनहित के मुद्दों के साथ-साथ बेजुबान कीटों का दर्द भी सुनाई देगा। फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण मारे जा रहे कीटों को बचाने की किसानों की मांग को भाजपा नेताओं ने अपने घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया है। रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली स्थित आवास पर भाजपा नेताओं के साथ हुई जींद के कीटाचार्य किसानों की बैठक में भाजपा नेताओं ने कीट ज्ञान की इस मुहिम को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने पर सहमति जता दी है। इतना ही नहीं भाजपा नेताओं ने इस मुहिम को पूरे देश में फैलाने के लिए सत्ता में आने पर इस मुहिम के लिए अलग से प्रोजैक्ट तैयार करवाने का वायदा भी किसानों से किया है। 
फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को देखते हुए भाजपा पार्टी द्वारा रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली के राय सिन्हा रोड पर स्थित कोठी नंबर छह में देशभर के प्रगतिशील किसानों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भाग लेने के लिए भाजपा के केंद्रीय एवं किसान नेता नरेश सिरोही द्वारा जींद के कीटाचार्य किसानों को भी आमंत्रित किया गया था। भाजपा के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए रविवार को जींद से खाप प्रतिनिधि कुलदीप ढांडा के नेतृत्व में जींद जिले से दो महिला तथा दो पुरुष किसान भाजपा की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। बैठक में हरियाणा के किसानों का प्रतिनिधित्व करते हुए कीटाचार्य किसान रणबीर मलिक ने भाजपा नेताओं को बताया कि फसलों में जिस तरह से अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा वह सब जानकारी के अभाव में किया जा रहा है। किसानों को फसलों में मौजूद कीटों की पहचान नहीं है और न ही उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी है। जानकारी के अभाव के कारण किसान फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर बेजूबान कीटों को मार रहे हैं। इससे हमारा खान-पान तथा पर्यावरण दूषित हो रहा है। मलिक ने बताया कि अगर खान-पान तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाना है तो सबसे पहले किसानों को  फसलों में मौजूद कीटों की पहचान करवाकर जागरूक करना होगा। किसानों को जागरूक किये बिना खान-पान तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाना संभव नहीं है। किसानों को जागरूक करने के लिए बैठक में किसानों ने भाजपा नेताओं के सामने चार मांगें रखी। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने किसानों की इस मुहिम को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया। 

यह रखी मांगें 

1. कृषि प्रधान देश को कृषक प्रधान देश बनाने के लिए रेल बजट की तर्ज पर कृषि के लिए अलग से बजट बनाया जाये। 
2. किसानों की कीट साक्षरता की मुहिम के लिए एक अलग से प्रोजैक्ट तैयार किया जाये
3. प्रोजैक्ट का नाम कीट क्रांति के जन्मदाता स्व. डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से रखा जाये। 
4. कृषि क्षेत्र में स्व. डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा किये गये कार्यों को देखते हुए डॉ. दलाल को मरणोपरांत राष्ट्रपति अवार्ड दिया जाये।

जींद के इन किसानोंं ने की भाजपा नेताओं से मुलाकात

गांव ललितखेड़ा से कीटाचार्य किसान रामदेवा, महिला किसान सविता, गांव निडाना से महिला किसान मिन्नी मलिक और कीटाचार्य रणबीर मलिक तथा बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहरजोशी से मुलाकात की। 





शनिवार, 8 मार्च 2014

कीटों को मारने की नहीं पहचानने की जरूरत

एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय सेमिनार
सेमिनार में कीट प्रबंधन पर कृषि अधिकारियों और किसानों के बीच हुई चर्चा

नरेंद्र कुंडू 
जींद। फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे कीटनाशकों के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को बचाने के लिए हरियाणा किसान आयोग तथा कृषि विभाग के सौजन्य से शुक्रवार को जींद के रोहतक रोड स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में कपास में एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर बुद्धिशीलता सत्र का आयोजन किया गया। हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. आरएस परोदा ने सेमिनार में बतौर मुख्यातिथि तथा सचिव डॉ. आरएस दलाल, सिरसा रीजनल सेंटर के डायरेक्टर डॉ. डी. मोंगा, एनसीआईपीएम के डायरैक्टर सी चटोपाध्या, हमेटी के डायरैक्टर डॉ. बीएस नैन, जिला उप-कृषि निदेशक डॉ. आरपी सिहाग, हिसार उद्यान विभाग के डीएचओ. डॉ. बलजीत भ्याण और बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। सेमिनार में किसान आयोग, कृषि विभाग के अधिकारियों तथा किसानों के बीच फसलों में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई। कृषि विभाग के अधिकारियों तथा किसानों ने बारी-बारी अपने-अपने विचार रखे। डॉ. आरएस परोदा ने कहा कि जींद के किसानों ने एक अच्छी पहल शुरू की है। इसलिए इस पर रिसर्च की जरूरत है। 

कीटों को काबू करने की नहीं कीटों को पहचानने की जरूरत 

सेमिनार में मौजूद कीटाचार्य किसान रणबीर मलिक ने कहा कि कीटों से फसलों को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए पहले कृषि विभाग ने कीटों को नियंत्रण करने का प्लान बनाया लेकिन कीट नियंत्रित नहीं हुये। इसके बाद कीटों का प्रबंधन करने की सोची लेकिन यहां भी विभाग को कोई सफलता नहीं मिली। अब समकेतिक कीट प्रबंधन पर जोर दिया जा लेकिन इससे भी बात नहीं बन रही है। मलिक ने कहा कि कीटों को न तो काबू करने की जरूरत है और न ही कीटों का प्रबंधन करने की जरूरत है। जरूरत है तो सिर्फ किसानों को कीटों की पहचान करवाने की। अगर किसानों को फसलों में मौजूद कीटों की पहचान हो गई तो आगे का फैसला किसान खुद-बे-खुद कर लेगा। 
 प्रोजेक्टर के माध्यम से कीटों के बारे में जानकारी देती महिला किसान।

कीटों को न समझें मित्र और समझें दुश्मन

मास्टर ट्रेनर किसान मनबीर रेढ़ू ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फसल में 18 प्रतिशत नुकसान कीटों से होता है लेकिन जानकारी के अभाव में किसान इस नुकसान को बचाने के लिए इससे ज्यादा खर्च फसल पर कर देता है। रेढ़ू ने कहा कि किसान और कृषि विभाग के अधिकारियों के बीच भाषा का अंतर है। विभाग द्वारा कीटों को दो भागों में बांट कर मित्र और दुश्मन की श्रेणी में रखा गया है। जबकि कीट न तो हमारे मित्र हैं और न ही हमारे दुश्मन। कीट तो फसल में अपना जीवन यापन करने के लिए आते हैं और पौधे अपनी जरूरत के अनुसार भिन्न-भिन्न किस्म की सुगंध छोड़कर अपनी सुरक्षा के लिए कीटों को बुलाते हैं। रेढ़ू ने कपास की फसल में पाई जाने वाली ब्रिस्टल बिटल का उदाहरण देते हुए कहा कि ब्रिस्टल बिटल कपास के फूल, पत्तियां और नर पुंकेशर को खाती है। इसको देखकर किसान भयभीत हो जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि कपास के उत्पादन में ब्रिस्टल बिटल का अहम योगदान है। क्योंकि ब्रिस्टल बिटल फूल के मादा भाग पर बैठकर पुंकेशर तथा पत्तियां खाती है। इस प्रक्रिया में नर का पोलन मादा तक पहुंचता है और इससे आगे चलकर टिंड्डे बनते हैं। 

यह रखे सुझाव 

सेमिनार में मौजूद महिला किसान।
बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि इस मुहिम को प्रदेश में फैलाने के लिए मास्टर ट्रेनर किसानों को अन्य जिलों के किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए समय-समय दूसरे जिलों में भेजा जाए। 
किसानों द्वारा एक एकड़ के लिए 100 लीटर पानी में अढ़ाई किलो डीएपी, अढ़ाई किलो यूरिया तथा आधा किलो जिंक का जो घोल तैयार कर फसलों में छिड़काव किया जाता है, उसे कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से वैज्ञानिक तौर पर मंजूरी दिलवाई जाए। 

प्रोजेक्टर के माध्यम से दिया कीट ज्ञान 

सेमिनार में मौजूद महिला किसानों ने भी प्रोजेक्टर के माध्यम से फसलों में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। महिला किसान सविता ने बताया कि अगस्त माह में कपास की फसल के पत्ते बड़े हो जाते हैं और इससे नीचे के पत्तों तक धूप नहीं पहुंचती। इससे पौधे की भोजन बनाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इस दौरान पौधे अपनी सहायता के लिए टिड्डों को बुलाते हैं। टिड्डे ऊपरी पत्तों के बीच में छोटे-छोटे छेद कर देते हैं। इससे नीचे के पत्तों तक भी धूप पहुंच जाती है और पौधे के सभी पत्ते भोजन बनाने लगते हैं। 


सेमिनार में भाग लेते कृषि अधिकारी तथा किसान। 







प्रदेश के किसानों को जहरमुक्त खेती का संदेश देंगे जींद के किसान

जहरमुक्त खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए किसान आयोग ने थामा जींद के किसानों का हाथ 

इनोवेशन फंड के तहत हर वर्ष हरियाणा किसान आयोग खर्च करेगा दो करोड़

नरेंद्र कुंडू
जींद। जींद जिले से शुरू हुई थाली को जहरमुक्त बनाने की मुहिम से अब पूरे प्रदेश के किसान जुड़ेंगे। जिले के मास्टर ट्रेनर किसान अब प्रदेशभर के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे। कीट ज्ञान की इस मुहिम को प्रदेश के सभी किसानों तक पहुंचाने के लिए हरियाणा किसान आयोग माध्यम बनेगा। किसान आयोग द्वारा इस मुहिम को शिखर तक पहुंचाने के लिए इनोवेशन फंड के तहत हर वर्ष दो करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। शुक्रवार को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में कपास में एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर आयोजित बुद्धिशीलता सत्र के दौरान हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डा. आरएस परोदा ने जींद के किसानों की इस मुहिम को प्रदेशभर में फैलाने की मांग पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी है। 
फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान को देखते हुए कृषि विभाग के एडीओ डॉ. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में वर्ष 2008 में जींद जिले के निडाना गांव से कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम की शुरूआत हुई थी। इस मुहिम से जुड़े किसानों द्वारा पिछले पांच-छह वर्षों से अपने खर्च पर किसाना पाठशालाओं का आयोजन कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। कीटों पर किसानों द्वारा किये जा रहे सफल प्रयोगों को देखते हुए पिछले दो वर्षों से जींद जिले के कृषि विभाग के अधिकारी भी इन किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे लेकिन संशाधनों तथा बजट के अभाव के कारण प्रदेशभर के किसानों को इस मुहिम से जोडऩे में जींद के मास्टर ट्रेनर किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। जींद जिले में चल रही कीट ज्ञान की इस मुहिम की सार्र्थकता को देखते हुए अब हरियाणा किसान आयोग ने जींद जिले के इन कीटाचार्य किसानों का हाथ थाम लिया है। हरियाणा किसान आयोग अब कीट ज्ञान की इस मुहिम को प्रदेशभर में फैलाने के लिए जींद के किसानों को मास्टर ट्रेनर के तौर पर प्रदेश के अन्य जिलों में भेजेगा। इसके लिए आयोग द्वारा 2 करोड़ का बजट तैयार किया गया है। आयोग द्वारा प्रगतिशील किसानों के अनुभवों को अन्य जिलों के किसानों तक पहुंचाने के लिए हर वर्ष दो करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इनोवेशन फंड के तहत दो करोड़ हरियाणा किसान आयोग खर्च करेगा तथा एक करोड़ रुपये मार्केटिंग बोर्ड से एकत्रित करेगा। 

वैज्ञानिक रूप से अनुमति दिलवाने के लिए होगा रिसर्च

जींद के किसानों द्वारा कीटों पर किए गए शोध को वैज्ञानिक रूप से अनुमति दिलवाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में इस काम पर वैज्ञानिक शोध भी करवाया जाएगा। शोध के बाद कृषि विभाग से इस काम को वैज्ञानिक तौर पर अनुमति मिलने के बाद इस मुहिम को प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के किसानों तक पहुंचाने में काफी आसानी होगी। 
डॉ. आरएस परोदा के चेयरमैन हरियाणा किसान आयोग
किसानों से बातचीत करते हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. आरएस परोदा। 





दिल्ली तक पहुंची जींद के किसानों की कीट साक्षरता की गूंज

राहुल गांधी के बाद अब भाजपा पार्टी ने किसानों को भेजा निमंत्रण
नौ मार्च को दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे जींद के किसान

नरेंद्र कुंडू
जींद। जींद जिले से शुरू हुई कीट ज्ञान की मुहिम की आवाज दिल्ली तक पहुंच गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बाद अब भाजपा नेताओं ने कीट साक्षरता की इस मुहिम से रूबरू होने के लिए कीटाचार्य किसानों को दिल्ली बुलाया है। भाजपा नेताओं की तरफ से मिले निमंत्रण पर जिले के कीटाचार्य किसान नौ मार्च को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली स्थित आवास पर भाजपा नेताओं से मुलाकात कर कीट साक्षरता की मुहिम से अवगत करवाएं। अगर कीटाचार्य किसान कीट ज्ञान की इस मुहिम को भाजपा नेताओं के समक्ष प्रस्तुत करने में सफल रहे तो आगामी चुनाव में भाजपा पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस मुहिम को शामिल करेगी। 
थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए वर्ष 2008 में डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में जींद जिले के किसानों द्वारा निडाना गांव से शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम लगातार रफ्तार पकड़ रही है। कीट ज्ञान की यह मुहिम अब जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर निकलकर दिल्ली तक जा पहुंची है। मजे की बात तो यह है कि अब तो राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मुहिम में अपनी दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है। गत 24 फरवरी को गन्नौर में आयोजित किसान संसद में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कीट ज्ञान की इस मुहिम की तह तक जाने के लिए खुद इन किसानों से मुलाकात की थी और किसानों को जल्द ही इस मुहिम पर काम शुरू करवाने का आश्वासन दिया था। राहुल गांधी के बाद अब भाजपा पार्टी की तरफ से इन किसानों को निमंत्रण भेजा गया है। भाजपा के केंद्रीय एवं किसान नेता नरेश सिरोही द्वारा कीटाचार्य किसानों को नौ मार्च को दिल्ली में बुलाया गया है। नौ मार्च को यह किसान भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की राय सिन्हा रोड पर स्थित कोठी नंबर 6 पर होने वाली बैठक में भाजपा नेताओं से मुलाकात करेंगे। सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक भाजपा नेताओं और किसानों के बीच बातचीत का दौर चलेगा। इस दौरान कीटाचार्य किसान भाजपा नेताओं को इस मुहिम की शुरूआत कैसे हुई, किस तरह इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा सकता है तथा इस मुहिम से देश के लोगों को क्या लाभ होगा? इसके बारे में विस्तार से समझाएंगे। 

चुनावी घोषणापत्र में शामिल हो सकती है किसानों की यह मुहिम

नौ मार्च को दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ होने वाली बैठक के दौरान यदि कीटाचार्य किसान भाजपा नेताओं को इस मुहिम की तरफ आकॢषत करने में सफल रहते हैं तो भाजपा पार्टी किसानों की इस मुहिम को पूरे देश में फैलाने की मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर सकती है। 

किसान आयोग और कृषि अधिकारियों को कीट ज्ञान देंगे जींद के किसान

सात मार्च को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में होगा एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन

नरेंद्र कुंडू
जींद। कीट साक्षरता की मुहिम से जुड़े जींद जिले के किसान अब कृषि विभाग तथा हरियाणा किसान आयोग के अधिकारियों को कीट ज्ञान की मुहिम से रू-ब-रू करवाएंगे। इसके लिए सात मार्च को जींद के रोहतक रोड स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन किया जाएगा। इस सैमीनार में हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. पड़ौदा, सचिव डा.. आर.एस. दलाल, कोर्डिनेटर डॉ. श्रीवास्तवा, नई दिल्ली स्थित एनसीआईटीएम के डायरेक्टर, सिरसा तथा नागपूर स्थित काटन रीजनल सैंटर के डायरेक्टर, हिसार एग्रीकल्यर यूनिवर्सिटी के प्रचार-प्रसार एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. एस एस सिवाच सहित कई अन्य कृषि अधिकारी भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में मौजूद अधिकारी कीट कमांडो किसानों के साथ कीटों पर गहन मंथन करेंगे। 
फसलों में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले के किसानों द्वारा वर्ष 2008 में कीट ज्ञान की मुहिम शुरू की गई थी। कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े इन किसानों द्वारा पिछले पांच-छह वर्षों में फसलों में मौजूद कीटों की पहचान करने के साथ-साथ कीटों के क्रियाकलापों पर काफी शोध किए गए हैं। इन किसानों द्वारा अब तक २०६ किस्म के मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान की जा चुकी है। वर्ष 2008  से जींद जिले में चल रही कीट ज्ञान क्रांति की यह मुहिम अब रंग लाने लगी है। पंजाब के किसानों के बाद हाल ही में गन्नौर में आयोजित किसान सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाने के बाद अब जींद के यह कीट कमांडो किसान हरियाणा किसान आयोग तथा कृषि विभाग के अधिकारियों को कीट ज्ञान की इस मुहिम से रू-ब-रू करवाएंगे। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा सात मार्च को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन किया गया है। इस सैमीनार की अध्यक्षता कृषि विभाग जींद के उप-निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग करेंगे। सैमीनार में हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. पड़ौदा, सचिव डा.. आर.एस. दलाल, कोर्डिनेटर डॉ. श्रीवास्तवा, नई दिल्ली स्थित एनसीआईटीएम के डायरेक्टर, सिरसा तथा नागपूर स्थित काटन रीजनल सैंटर के डायरेक्टर, हिसार एग्रीकल्यर यूनिवर्सिटी के प्रचार-प्रसार एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. एस एस सिवाच सहित कई अन्य कृषि अधिकारी भाग लेंगे। इस सैमीनार के बाद किसान आयोग तथा कृषि विभाग द्वारा इस मुहिम को पूरे प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने के लिए योजना तैयार की जाएगी। 

आठ घंटों तक कीटों पर होगा गहन मंथन

सात मार्च को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित होने वाले एक दिवसीय सैमीनार में जींद के कीट कमांडों किसानों तथा किसान आयोग और कृषि विभाग के अधिकारियों के बीच कीटों पर गहन मंथन किया जाएगा। सैमीनार सुबह नौ से सायं चार बजे तक चलेगा। किसानों द्वारा सैमीनार में मौजूद अधिकारियों को कीट फसल में क्यों आते हैं और फसलों पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में अपने अनुभव बताए जाएंगे।