गुरुवार, 1 मई 2014

जेल में तैयार हो रहा केदियों का भविष्य

जिला कारागार को बना दिया प्रशिक्षण केंद्र 
जेल में स्थित मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर में कैदियों व बंदियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
कैदी तथा बंदियों को आत्म निर्भर बनाने के लिए सिखाए जा रहे हैं हस्त शिल्प के गुर

नरेंद्र कुंडू
जींद। 'कुचले हुए फूल फिर से मुस्करा सकते हैं बस कोई उन्हें सीने से लगाने वाला चाहिए' यह सोच है जिला कारागार के अधीक्षक डॉ. हरीश कुमार रंगा की। डॉ. रंगा ने अपनी इसी सोच की बदोलत जिला कारागार को प्रशिक्षण केंद्र में तब्दील कर दिया है। डॉ. रंगा द्वारा जिला कारागार में मल्टी आर्ट कल्चर विंग स्थापित की है। इस मल्टी आर्ट कल्चर विंग में सैंकड़ों कैदी तथा बंदी अपनी रुचि के अनुसार पेंटिंग, संगीत, हस्त शिल्प, कम्प्यूटर का प्रशिक्षण ले रहे हैं। वहीं जिला कारागार में बंद महिला कैदियों तथा बंदियों को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए हस्त शिल्प का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कैदियों तथा बंदियों को शारीरिक तथा मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ध्यान तथा राज योग केंद्र भी स्थापित किया गया है, जिसमें योग तथा ध्यान के प्रशिक्षकों द्वारा कैदियों तथा बंदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा जिला कारागार में समय-समय पर खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। 

एक साल की कड़ी मेहनत लाई रंग

जिला कारागार में स्थित जिस भवन में इस समय मल्टी आर्ट कल्चर विंग चल रही है, उस भवन में एक वर्ष पहले तक गेहूं का गोदाम था और वह भवन बुरी तरह से जर्जर था। जनवरी २०१३ में डॉ. हरीश कुमार रंगा द्वारा जिला कारागार का कार्यभार संभाले जाने के बाद डॉ. रंगा ने यहां कड़ी मेहनत की और जर्जर भवन पर लाखों रुपए खर्च कर इसका कायाकल्प कर यहां मल्टी आर्ट कल्चर विंग स्थापित की। डॉ. रंगा की एक साल की कड़ी मेहनत के बाद आज जिला कारागार पूरी तरह से प्रशिक्षण केंद्र का रूप धारण कर चुकी है और सैंकड़ों कैदी तथा बंदी यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने भविष्य को उज्जवल बनाने में लगे हुए हैं।

मल्टी आर्ट कल्चर विंग में यह-यह हैं सुविधाएं    

जेल परिसर में मल्टी आर्ट कल्चर विंग बनाया गया है, जिसमें संगीत में रूचि रखने वाले कैदियों तथा बंदियों को संगीत की विद्या सिखाई जाती है। इस सरगमशाला में संगीत के पीएचडी डॉ. राजेंद्र कुमार निशुल्क सेवाएं दे रहे हैं। इसी प्रकार मन की शांति के लिए कैदियों तथा बंदियों को आध्यातम की ओर आकॢषत करने के लिए ध्यान कक्ष बनाया गया है। मल्टी आर्ट कल्चर विंग में कैदियों तथा बंदियों को योग क्रियाएं भी करवाई जा रही हैं। यहां समय-समय पर विभिन्न धर्म प्रचारकों को आमंत्रित कर प्रेरक व्याख्यान दिलवाए जाते हैं। वहीं इसी सेंटर में कैदियों तथा बंदियों की पढ़ाई के लिए क्लाश रूम, कम्प्यूटर रूम तथा पुस्तकालय स्थापित किया गया है। इसी प्रकार इस सैंटर में बारबर की दुकान स्थापित की गई है। जेल परिसर में रोजगारोन्मुखी व्यवसायों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि जेल से बाहर निकलने परकैदी तथा बंदी अपना स्वयं का व्यवसाय चलाकर समाज में सम्मानजनक तरीके से जीवन व्यतित कर सकें। इसके अलावा 
जिला कारागार में मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर में संगीत का प्रशिक्षण लेते कैदी व बंदी।

महिलाओं को भी दिया जा रहा है स्वरोजगार का प्रशिक्षण

महिलाओं को टेडी बीयर व अन्य हस्त निर्मित खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महिला विंग परिसर में एक मंदिर का निर्माण भी करवाया जा रहा है। इस परिसर में भी मल्टी कल्चर आर्ट विंग स्थापित की गई है, जहां महिलाओं को संगीत, आध्यात्म, स्वरोजगार प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। महिलाओं के साथ रह रहे बच्चों के लिए पढ़ाई तथा खाने-पीने के लिए फल-फ्रूट की भी विशेष व्यवस्था की गई है। जेल परिसर के अंदर दीवारों पर महान पुरूषों के चित्र बनाए गए हैं और उनके नीचे सुविचार लिखे गए हैं। 
जिला कारागार में मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर में हस्त शिल्प कक्षा का मुआयना करते गणमान्य लोग। 

कैदियों औॅर बंदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है उद्देश्य 

मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर के पेंटिंग कक्ष का निरीक्षण करते जेल अधीक्षक डॉ. हरीश  कुमार रंगा।

कई बार इंसान से जाने-अनजाने में गलतियां हो जाती हैं। इसलिए उन्हें एक बार सुधरने का अवसर अवश्य प्राप्त होना चाहिए। जिला कारागार में बंद कैदी तथा बंदी हमारे समाज का ही हिस्सा हैं। इसलिए हमें इन्हें एक अच्छा नागरीक बनाकर समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास करना चाहिए। इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने जिला कारागार में मल्टी आर्ट कल्चर विंग स्थापित किया है, ताकि कैदी तथा बंदी यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर यहां से निकलने के बाद सम्मानजनक जीवन व्यतित कर सकें। 
डॉ. हरीश कुमार रंगा
जिला कारागार अधीक्षक, जींद

जिला कारागार अधीक्षक डॉ. हरीश कुमार रंगा का फोटो। 













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