गुरुवार, 5 मार्च 2015

देश के कृषि वैज्ञानिकों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे 'म्हारे किसान'


एनसीआईपीएम द्वारा दिल्ली में आयोजित सेमिनार में शामिल होंगे देशभर के कृषि वैज्ञानिक
एनसीआईपीएम ने सेमिनार में शामिल होने के लिए जींद के किसान को किया आमंत्रित

नरेंद्र कुंडू
जींद। जिले के कीटाचार्य किसान देश के कृषि वैज्ञानिकों को कीट ज्ञान की मुहिम से रूबरू करवाएंगे। इसके लिए राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान केंद्र (एनसीआईपीएम) द्वारा दिल्ली में एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस सेमिनार में देश के कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ जिले के कीटाचार्य किसानों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। पुषा परिसर में चल रहे इस सेमिनार में कीटाचार्य किसान कृषि वैज्ञानिकों के सामने कीटों पर किए गए अपने शोध को प्रस्तुत करेंगे और फसल में मौजूद मांसाहारी व शाकाहारी कीटों के महत्व के बारे में जानकारी देंगे। ताकि कीट ज्ञान की इस मुहिम को पूरे देश में फैलाकर थाली को जहरमुक्त बनाया जा सके।
एनसीआईपीएम द्वारा दिल्ली में 26 फरवरी से 18 मार्च तक 20 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देशभर के कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। इसी कार्यक्रम के दौरान एनसीआईपीएम की टीम द्वारा कृषि वैज्ञानिकों व प्रगतिशील किसानों के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस सेमिनार में शामिल होने वाले कृषि वैज्ञानिक व प्रगतिशील किसान नई-नई पद्धतियों पर विचार-विमर्श करेंगे। इसी सेमिनार में जींद के कीटाचार्य किसानों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। सेमिनार में जींद जिले की तरफ से एक पुरुष तथा एक महिला कीटाचार्य किसान भाग लेंगे। जींद के कीटाचार्य किसानों द्वारा सेमिनार में मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों पर अपनी प्रस्तुति दी जाएगी और फसल में मौजूद कीटों के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। ताकि दूसरे प्रदेश के किसान भी उनकी इस मुहिम से सीख लेकर जहरमुक्त खेती को बढ़ावा दे सकें।

सेमिनार में एक पुरुष व एक महिला किसान लेंगे भाग    

कीटाचार्य किसान रणबीर मलिक ने बताया कि एनसीपीआईएम की तरफ से उन्हें सेमिनार में आमंत्रित किया गया। इस सेमिनार में उनके साथ एक महिला किसान भी भाग लेंगी। सेमिनार में आधा घंटे का उनका एक सामान्य भाषण होगा। इसके अलावा शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों पर एक घंटे की उनकी प्रजनटेशन होगी। इस प्रजनटेशन के माध्यम से फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के क्रियाकलापों तथा फसल पर पडऩे वाले उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। ताकि किसानों को कीटों की पहचान करवाकर कीटनाशकों के दलदल से बाहर निकाला जा सके

एनसीआईपीएम द्वारा निडाना में डेढ़ एकड़ में शोध के लिए लगाया था प्लांट 

थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले में चल रही कीट ज्ञान की मुहिम को देखते हुए एनसीआईपीएम की टीम द्वारा वर्ष 2014 में जिले के निडाना गांव में शोध के लिए डेढ़ एकड़ में प्लांट लगाया गया था। आधा एकड़ में एनसीआईपीएम की पद्धति से, आधा एकड़ में कीटाचार्य किसानों की पद्धति से तथा आधा एकड़ में एक साधारण किसान की पद्धति से कपास की खेती की गई थी। इस शोध के दौरान ही एनसीआईपीएम की टीम जींद के कीटाचार्य किसानों के कीट ज्ञान से काफी प्रभावित हुए थे।

कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ देशभर के प्रगतिशील किसानों को भी किया गया है शामिल  

एनसीआईपीएम द्वारा कृषि वैज्ञानिकों के लिए एक 20 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम के बीच में ही एक दिन के लिए कृषि वैज्ञानिकों व किसानों के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया गया है। इस सेमिनार में 14 राज्यों के कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ देशभर के प्रगतिशील किसानों को भी शामिल किया गया है। ताकि इस सेमिनार के दौरान कृषि वैज्ञानिक व किसान एक-दूसरे के समक्ष नई-नई पद्धतियों पर अपने विचार सांझा कर सकें। जींद के कीटाचार्य किसानों को भी सेमिनार में आमंत्रित किया गया है। कीटाचार्य किसान इस सेमिनार में शामिल होने वाले कृषि वैज्ञानिकों व किसानों को फसल में मौजूद कीटों के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। ताकि कीट ज्ञान की इस मुहिम से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा जा सके।
डॉ. मुकेश सहगल, वरिष्ठ वैज्ञानिक
एनसीआईपीएम, दिल्ली