रविवार, 19 अप्रैल 2015

जिला कारागार में मिल्ट्री की तर्ज पर बनेगी कैंटीन

अब जेल में बंद कैदियों व बंदियों के लिए परिजन बाहर से नहीं पहुंचा सकेंगे सामान
पूरी तरह से कैशलैस होगी कैंटीन, प्रत्येक कैदीं व बंदीं का कैंटीन में खुलेगा खाता
बॉयोमैट्रीक सिस्टम से कैदियों को मिलेगा कैंटीन से सामान 


नरेंद्र कुंडू 

जींद। जिला कारागार में बंद कैदी व बंदी जल्द ही कैंटीन की सुविधा ले सकेंगे। जिला कारागार में मिल्ट्री की तर्ज पर कैंटीन का निर्माण किया जा रहा है। आगामी एक मई से जिला कारागार में कैंटीन की सुविधा शुरू हो जाएगी। जेल में कैंटीन की सुविधा शुरू होने के बाद यहांं बंद कैदियों व बंदियों से मुलाकात के लिए आने वाले वाले परिजन बाहर से लाया गया सामन जेल के अंदर नहीं पहुंचा सकेंगे। जेल प्रबंधन की तरफ से कैदियों व बंदियों के लिए परिजनों द्वारा बाहर से लेकर आने वाले सामान पर पूरी तरह से रोक लगाने का निर्णय लिया है। आगामी एक मई से जिला कारागार में पूरी तरह से यह नियम लागू हो जाएगा। मिल्ट्री की कैंटिन की तर्ज पर तैयार हो रही कैंटीन से उचित रेट पर कैदी व बंदी अपनी जरूरत का सामान खरीद सकेंगे। जिला कारागार की यह कैंटीन पूरी तरह से कैशलैस होगी। प्रत्येक कैदी व बंदी के कैंटीन में अलग-अलग खाते खोले जाएंगे। बॉयोमैट्रिक सिस्टम के जरिए कैंटीन से कैदियों व बंदियों को सामान दिया जाएगा। कैंटीन में एमआरपी सहित प्रत्येक सामान की लिस्ट लगाई जाएगी। कैंटीन से सामान खरीदते समय डिस्पले बोर्ड पर बकायदा सामान की मात्रा तथा राशि दर्शाई जाएगी। ताकि कैंटीन की बिक्री प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता बनी रहे।

इस तरह चलेगी कैंटीन की प्रक्रिया 

जिला जेल प्रशासन द्वारा कैंटीन से सामान खरीदने के लिए जेल में बंद प्रत्येक कैदी व बंदी का अलग-अलग खाता खोला जाएगा। मुलाकात के लिए आने वाले कैदी के परिजन कैदी को बाहर की खाद्य वस्तुएं देने की बजाए रुपये दे सकेंगे। परिजनों की तरफ से कैदी व बंदी को मिलने वाले रुपये जेल प्रशासन द्वारा कंप्यूटर के माध्यम से उसके खाते में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे। अपने खाते में जमा रुपयों से वह कैंटीन से अपनी जरूरत का सामान खरीद सकेगा। कैंटीन की पूरी प्रक्रिया कम्प्यूटरीकृत होगी। ताकि किसी कैदी व बंदी के साथ धोखाधड़ी नहीं हो। इसके साथ-साथ कैंटीन में बॉयोमैट्रिक सिस्टम लागू होगा। कैदी व बंदी द्वारा बॉयोमैट्रिक सिस्टम पर अंगूठा लगाने के बाद कैंटीन में लगे कंप्यूटर में उसकी फोटो सहित उसका खाता खुल जाएगा और इसके बाद वह अपने खाते से सामान खरीद सकेगा। इसके लिए बकायदा एक विशेष सॉफ्टवेयर तैयार करवाया गया है। कैंटीन के निर्माण पर लगभग चार लाख रुपये की राशि खर्च की गई।

जेल में बंद होगा कूपन सिस्टम 

जिला कारागार में अभी तक रुपयों के स्थान पर कूपन सिस्टम चलता था। कैदी को जेल प्रशासन की तरफ से रुपयों के बदले कूपन मुहैया करवाए जाते थे। कैदी व बंदी इन कूपनों से ही अपनी जरुरत के अनुसार सामान खरीद सकते थे लेकिन अब कैंटीन सिस्टम शुरू होने के बाद जेल में कूपन सिस्टम बंद हो जाएगा।

एक मई के बाद अंदर नहीं जा सकेगा बाहर का सामान 



कैंटीन प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते जेल अधीक्षक डॉ. हरीश कुमार रंगा व उप अधीक्षक सेवा सिंह।


जेल विभाग के महानिदेशक के आदेशानुसार जिला कारागार में मिल्ट्री की कैंटीन की तर्ज पर कैंटीन का निर्माण किया जा रहा है। जिला कारागार में कैंटीन शुरू होने के बाद कैदियों व बंदियों से मिलने के लिए आने वाले परिजन कपड़ों व जूते इत्यादि के अलावा बाहर से कोई अन्य सामान अंदर नहीं पहुंचा सकेंगे। एक मई से जिला कारागार में यह नियम पूरी तरह से लागू हो जाएगा। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कैंटीन को पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत किया गया है। मेरे तथा जेल उप अधीक्षक की निगरानी में कैंटीन की पूरी प्रक्रिया रहेगी। कंप्यूटर के माध्यम से हम अपने कार्यालय से ही कैंटीन की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रख सकेंगे। कंप्यूटर में मौजूद साफ्टवेयर में प्रत्येक खाते का पूरा विवरण दर्ज होगा।

डॉ. हरीश कुमार रंगा, अधीक्षक

जिला कारागार, जींद 

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