tag:blogger.com,1999:blog-35224492389193778472024-03-19T09:00:06.038+05:30कलम के सिपाहीKALAM KE SIPAHI ਕਲਾਮ ਕੇ ਸਿਪਾਹੀ કલમ કે સિપાહી কলাম কে সিপাহী कलम के सिपाही کلام کے سپاہی nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.comBlogger519125tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-12839315775240770812022-11-29T21:22:00.006+05:302022-11-29T21:22:35.667+05:30 जगदीशचंद्र बसु – विज्ञान के आकाश में भारतीय पुरोधा <p><span style="color: #222222; font-family: "Times New Roman", serif; font-size: 12pt;">'</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">पेड़</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">पौधों</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">में</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">भी</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">जीवन</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">होता</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">है</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"><wbr></wbr> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">और</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">उनमें भी</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">अनुभूतियाँ</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">होती</span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Arial, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">है<wbr></wbr>' इस बात को वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध कर दुनियां को चौकाने वाले</span><span style="color: #222222; font-family: noto_sans_devanagariregular, serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु का आज जन्म दिवस है. इनका जन्म 30 नवंबर 1858 को मेमनसिंह गाँव,बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था. बसु जी प्रसिद्ध भौतिकवादी तथा पादपक्रिया वैज्ञानिक कहे जाते थे. बसु जी बचपन से ही बहुत विद्वान् और किसी न किसी क्षेत्र में रिसर्च करते रहते. जगदीश चंद्र बसु ने कई महान ग्रंथ भी लिखे हैं, जिनमें से कुछ निम्न है - सजीव तथा निर्जीव की अभिक्रियाएँ ,वनस्पतियों की अभिक्रिया, पौधों की प्रेरक यांत्रिकी इत्यादि. जगदीश चंद्र बसु ने सिद्ध किया कि चेतना केवल मनुष्यों और पशुओं, पक्षियों तक ही सीमित नहीं है, अपितु वह वृक्षों और निर्जीव पदार्थों में भी समाहित है. उन्होंने कहा कि निर्जीव व सजीव दोनों सापेक्ष हैं. उनमें अंतर केवल इतना है कि धातुएं थोड़ी कम संवेदनशील होती हैं. इनमें डिग्री का अंतर है परंतु चेतना सब में है. सर जगदीश चंद्र सबसे प्रमुख पहले भारतीय वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने प्रयोग करके साबित किया कि जानवर और पौधे दोनों में बहुत कुछ समान है। उन्होंने दिखाया कि पौधे गर्मी, ठंड, प्रकाश, शोर और विभिन्न अन्य बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति भी संवेदनशील होते हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय स्कूल से प्राप्त की, क्योंकि उनके पिता का मानना था कि अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा का अध्ययन करने से पहले बोस को अपनी मातृभाषा, बंगाली सीखनी चाहिए। उन्होंने बी.ए. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री, लंदन विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से डीएससी की डिग्री। 1896 में, बोस ने ‘निरु<wbr></wbr>देशेर कहिनी’ लिखी, जिसे बंगाली<wbr></wbr> विज्ञान कथा की पहली कृतियों <wbr></wbr>में से एक माना जाता है।</span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> </span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><b><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 14pt;">बसु के प्रसिद्ध प्रयोग :</span></b><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> लंदन में रॉयल सोसाइटी का केंद्रीय हॉल 10 मई, 1901 को प्रसिद्ध वैज्ञानिकों से खचाखच भरा था। हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि बसु का प्रयोग कैसे प्रदर्शित करेगा कि पौधों में अन्य जीवित प्राणियों और मनुष्यों की तरह भावनाएँ होती हैं। बसु ने एक ऐसे पौधे को चुना जिसकी जड़ों को ब्रोमाइड के घोल वाले बर्तन में सावधानी से उसके तने तक डुबोया गया, जिसे जहर माना जाता है। उन्होंने प्लांट के साथ उपकरण में प्लग लगाया और एक स्क्रीन पर रोशनी वाले स्थान को देखा, जिसमें पौधे की गति दिखाई दे रही थी, जैसे कि उसकी नाड़ी धड़क रही थी, और स्पॉट एक पेंडुलम के समान गति करने लगा। मिनटों के भीतर, घटनास्थल हिंसक तरीके से हिल गया और अंत में अचानक बंद हो गया। सब कुछ लगभग एक जहरीले चूहे की तरह था जो मौत से लड़ रहा था। जहरीले ब्रोमाइड के घोल के संपर्क में आने से पौधे की मृत्यु हो गई थी। इस कार्यक्रम का बहुत सराहना और तालियों के साथ स्वागत किया गया. </span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> </span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh3fqNcxO5o6CzfZiOzZCh91aIOgdXphPO_gRM8-WeeCbn0MTeBwXzc77xmNJNgbmoDBPT6vyvIPtx-yiay47H9pLc9FOltA_X46EVs4wZYQnDPoPIWIk3j1v9iZGmaKNLsx32rXkhmjctUbF0vJoLT2nwXMfFGFuHu04ed9nSb3FqbpYIW_fM7JYTw/s1280/Jagdeesh%20Chandra%20Bose.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="720" data-original-width="1280" height="180" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh3fqNcxO5o6CzfZiOzZCh91aIOgdXphPO_gRM8-WeeCbn0MTeBwXzc77xmNJNgbmoDBPT6vyvIPtx-yiay47H9pLc9FOltA_X46EVs4wZYQnDPoPIWIk3j1v9iZGmaKNLsx32rXkhmjctUbF0vJoLT2nwXMfFGFuHu04ed9nSb3FqbpYIW_fM7JYTw/s320/Jagdeesh%20Chandra%20Bose.jpg" width="320" /></a></div><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">उन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आवि<wbr></wbr>ष्कार किया, जो पौधों की वृद्धि<wbr></wbr> को मापने के लिए एक उपकरण है <wbr></wbr>उन्हें पौधों के तिसुएस में मा<wbr></wbr>इक्रोवेव की क्रिया का अध्ययन <wbr></wbr>करने वाले पहले व्यक्ति के रूप <wbr></wbr>में जाना जाता है बोस रेडियो <wbr></wbr>तरंगों का पता लगाने के लिए से<wbr></wbr>मी कंडक्टर जंक्शन का उपयोग <wbr></wbr>करने वाले पहले व्यक्ति थे और <wbr></wbr>उन्होंने विभिन्न माइक्रोवेव <wbr></wbr>घटकों का भी आविष्कार किया। उन्<wbr></wbr>होंने ऑटोमैटिक रिकॉर्डर का नि<wbr></wbr>र्माण किया जो पौधों में भी मि<wbr></wbr>नट की गतिविधियों को दर्ज कर <wbr></wbr>सकते हैं।</span><p></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> </span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><b><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 14pt;">मारकोनी नहीं बसु है 'रेडियो तरंगों' के प्रणेता:</span></b><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> जगदीश चंद्र बसु ने सूक्ष्म तरंगों (माइक्रोवेव) के क्षेत्र में वैज्ञानिक कार्य तथा अपवर्तन, विवर्तन और ध्रुवीकरण के विषय में अपने प्रयोग आरंभ कर दिये थे. लघु तरंगदैर्ध्य, रेडियो तरंगों तथा श्वेत एवं पराबैंगनी प्रकाश दोनों के रिसीवर में गेलेना क्रिस्टल का प्रयोग बसु के द्वारा ही विकसित किया गया था. मारकोनी के प्रदर्शन से 2 वर्ष पहले ही 1885 में बसु ने रेडियो तरंगों द्वारा बेतार संचार का प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में जगदीश चंद्र बसु ने दूर से एक घण्टी बजाई और बारूद में विस्फोट कराया था. आजकल प्रचलित बहुत सारे माइक्रोवेव उपकरण जैसे वेव गाईड, ध्रुवक, परावैद्युत लैंस, विद्युतचुम्बकीय विकिरण के लिये अर्धचालक संसूचक, इन सभी उपकरणों का उन्नींसवी सदी के अंतिम दशक में बसु ने अविष्कार किया और उपयोग किया था. बसु ने दुनिया के पहले 'हार्न एंटीना' की खोज की जो आज माइक्रोवेव आधारित सभी उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है. आज का रेडियो, टेलीविज़न, रडार, भूतलीय संचार रिमोट सेन्सिंग, माइक्रोवेव ओवन और इंटरनेट इन्हीं तरंगों के कारण चलते हैं. पौधों में वृद्धि की अभिरचना आज आधुनिक विज्ञान के तरीकों से सिद्ध हो गई है. पौधों में वृद्धि और अन्य जैविक क्रियाओं पर समय के प्रभाव का अध्ययन जिसकी बुनियाद बसु ने डाली, आज क्रोनोबायोलॉजी कही जाती है. अलग-अलग परिस्थियों में सेल मेम्ब्रेन पोटेंशियल के बदलाव का विश्लेषण करके वे इस नतीजे पर पहुंचे कि पौधे संवेदनशील होते हैं, वे दर्द महसूस कर सकते हैं.</span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> </span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><b><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 14pt;">जीवन बड़ा नहीं सार्थक होना चाहिए:</span></b><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> समस्त विश्व की तरह महात्मा गाँधी भी उनसे बहुत प्रभावित थे I उनके जीवनीकारों में से एक पैट्रिक गेडेज लिखते हैं कि 'जगदीश चंद्र बसु के जीवन की कहानी पर उन सभी युवा भारतीयों को गहराई और मजबूत विचारों के साथ गौर करना होगा, जिनका उद्देश्य विज्ञान या बौद्धिकता या सामाजिक भावना के महती लक्ष्यों को साकार करना है'. बोस एक अच्छे शिक्षक भी थे, जो कक्षा में पढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक प्रदर्शनों का उपयोग करते थे। बोस के ही कुछ छात्र जैसे सतेन्द्र नाथ बोस आगे चलकर प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री बने। वर्ष 1917 में जगदीश चंद्र बोस को "नाइट" (Knight) की उपाधि प्रदान की गई तथा शीघ्र ही भौतिक तथा जीव विज्ञान के लिए रॉयल सोसायटी लंदन के फैलो चुन लिए गए। बोस ने अपना पूरा शोधकार्य बिना किसी अच्छे (महगे) उपकरण और प्रयोगशाला के किया था. इसलिये जगदीश चंद्र बोस एक अच्छी प्रयोगशाला बनाने की सोच रहे थे। "बोस इंस्टीट्यूट" (बोस विज्ञान मंदिर) इसी सोच का परिणाम है जो कि विज्ञान में शोधकार्य के लिए राष्ट्र का एक प्रसिद्ध केन्द्र है। बसु ने ही सूर्य से आने वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण के अस्तित्व का सुझाव दिया था जिसकी पुष्टि 1944 में हुई. जगदीश बसु ने मानव विकास की नींव डाली और मानव जीवन के लिए बहुत से सफल प्रयास किए. उनका 78 वर्ष की आयु में 23 नवंबर 1937 को गिरिडीह, भारत में निधन हो गया। शुद्ध भारतीय परंपराओं और <wbr></wbr>संस्कृति के प्रति समर्पित जगदीश चंद्र बसु आज भी हम सभी की प्रेरणा है. </span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"><span lang="HI" style="color: blue; font-size: small;">डॉ. पवन सिंह </span><span lang="HI" style="color: blue; font-size: small;"> <br /></span> </span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: 16.8667px; margin: 0cm 0cm 0.0001pt; text-align: justify;"><b><span lang="HI" style="font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">(लेखक जे. सी. बोस विश्वविद्यालय</span></b><b><span lang="EN-US" style="font-size: 12pt;">, </span></b><b><span lang="HI" style="font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;">फरीदाबाद के मीडिया विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर है)</span></b><span lang="EN-US" style="color: #525252; font-family: poppins, serif; font-size: 8pt;"></span></p><p class="MsoNormal" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Calibri, sans-serif; font-size: 11pt; line-height: normal; margin: 0cm 0cm 0.0001pt;"><span lang="EN-US" style="color: #0f0f0f; font-family: Mangal, serif; font-size: 12pt;"> </span></p>nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-15955422219145971332022-11-24T21:34:00.000+05:302022-11-24T21:34:16.052+05:30 ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में अंतर <blockquote style="border: none; margin: 0px 0px 0px 40px; padding: 0px; text-align: left;"><p style="text-align: justify;">भारत में प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों का बहुत महत्व रहा है। ऋषि मुनि समाज के पथ प्रदर्शक माने जाते थे और वे अपने ज्ञान और साधना से हमेशा ही लोगों और समाज का कल्याण करते आए हैं। आज भी वनों में या किसी तीर्थ स्थल पर हमें कई साधु देखने को मिल जाते हैं। धर्म-कर्म में हमेशा लीन रहने वाले इस समाज के लोगों को ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी आदि नामों से पुकारते हैं। ये हमेशा तपस्या, साधना, मनन के द्वारा अपने ज्ञान को परिमार्जित करते हैं। ये प्राय: भौतिक सुखों का त्याग करते हैं हालांकि कुछ ऋषियों ने गृहस्थ जीवन भी बिताया है। आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में कौन होते हैं और इनमे क्या अंतर है?</p><p style="text-align: justify;">ऋषि कौन होते हैं</p><p style="text-align: justify;">भारत हमेशा से ही ऋषियों का देश रहा है। हमारे समाज में ऋषि परंपरा का विशेष महत्व रहा है। आज भी हमारे समाज और परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज माने जाते हैं। ऋषि वैदिक परंपरा से लिया गया शब्द है जिसे श्रुति ग्रंथों को दर्शन करने वाले लोगों के लिए प्रयोग किया गया है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है वैसे व्यक्ति जो अपने विशिष्ट और विलक्षण एकाग्रता के बल पर वैदिक परंपरा का अध्ययन किये और विलक्षण शब्दों के दर्शन किये और उनके गूढ़ अर्थों को जाना और प्राणी मात्र के कल्याण हेतु उस ज्ञान को लिखकर प्रकट किए ऋषि कहलाये। ऋषियों के लिए इसीलिए कहा गया है 'ऋषि तु मन्त्र द्रष्टारा न तु कर्तारÓ अर्थात ऋषि मंत्र को देखने वाले हैं न कि उस मन्त्र की रचना करने वाले। हालांकि कुछ स्थानों पर ऋषियों को वैदिक ऋचाओं की रचना करने वाले के रूप में भी व्यक्त किया गया है। </p><p style="text-align: justify;">ऋषि शब्द का अर्थ 'ऋषÓ मूल से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ देखना होता है। इसके अतिरिक्त ऋषियों के प्रकाशित कृत्य को आर्ष कहा जाता है जो इसी मूल शब्द की उत्पत्ति है। दृष्टि यानि नजर भी ऋष से ही उत्पन्न हुआ है। प्राचीन ऋषियों को युग द्रष्टा माना जाता था और माना जाता था कि वे अपने आत्मज्ञान का दर्शन कर लिए हैं। ऋषियों के सम्बन्ध में मान्यता थी कि वे अपने योग से परमात्मा को उपलब्ध हो जाते थे और जड़ के साथ-साथ चैतन्य को भी देखने में समर्थ होते थे। वे भौतिक पदार्थ के साथ-साथ उसके पीछे छिपी ऊर्जा को भी देखने में सक्षम होते थे। </p><p style="text-align: justify;">ऋषियों के प्रकार</p><p style="text-align: justify;">ऋषि वैदिक संस्कृत भाषा से उत्पन्न शब्द माना जाता है। अत: यह शब्द वैदिक परंपरा का बोध कराता है जिसमे एक ऋषि को सर्वोच्च माना जाता है अर्थात् ऋषि का स्थान तपस्वी और योगी से श्रेष्ठ होता है। अमर सिंह द्वारा संकलित प्रसिद्ध संस्कृत समानार्थी शब्दकोष के अनुसार ऋषि सात प्रकार के होते हैं ब्रह्मऋषि, देवर्षि, महर्षि, परमऋषि, काण्डर्षि, श्रुतर्षि और राजर्षि। </p><p style="text-align: justify;">सप्त ऋषि</p><p style="text-align: justify;">पुराणों में सप्त ऋषियों का केतु, पुलह, पुलत्स्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ठ और भृगु का वर्णन है। इसी तरह अन्य स्थान पर सप्त ऋषियों की एक अन्य सूचि मिलती है जिसमें अत्रि, भृगु, कौत्स, वशिष्ठ, गौतम, कश्यप और अंगिरस तथा दूसरी में कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, भरद्वाज को सप्त ऋषि कहा गया है। </p><p style="text-align: justify;">मुनि किसे कहते हैं</p><p style="text-align: justify;">मुनि भी एक तरह के ऋषि ही होते थे किन्तु उनमें राग द्वेष का आभाव होता था। भगवत गीता में मुनियों के बारे में कहा गया है जिनका चित्त दु:ख से उद्विग्न नहीं होता, जो सुख की इच्छा नहीं करते और जो राग, भय और क्रोध से रहित हैं, ऐसे निस्चल बुद्धि वाले संत मुनि कहलाते हैं। मुनि शब्द मौनी यानि शांत या न बोलने वाले से निकला है। ऐसे ऋषि जो एक विशेष अवधि के लिए मौन या बहुत कम बोलने का शपथ लेते थे उन्हें मुनि कहा जाता था। प्राचीन काल में मौन को एक साधना या तपस्या के रूप में माना गया है। बहुत से ऋषि इस साधना को करते थे और मौन रहते थे। ऐसे ऋषियों के लिए ही मुनि शब्द का प्रयोग होता है। कई बार बहुत कम बोलने वाले ऋषियों के लिए भी मुनि शब्द का प्रयोग होता था। कुछ ऐसे ऋषियों के लिए भी मुनि शब्द का प्रयोग हुआ है जो हमेशा ईश्वर का जाप करते थे और नारायण का ध्यान करते थे जैसे नारद मुनि। </p><p style="text-align: justify;">मुनि शब्द का चित्र, मन और तन से गहरा नाता है। ये तीनों ही शब्द मंत्र और तंत्र से सम्बन्ध रखते हैं। ऋग्वेद में चित्र शब्द आश्चर्य से देखने के लिए प्रयोग में लाया गया है। वे सभी चीजें जो उज्जवल हैं, आकर्षक हैं और आश्चर्यजनक हैं वे चित्र हैं। अर्थात् संसार की लगभग सभी चीजें चित्र शब्द के अंतर्गत आती हैं। मन कई अर्थों के साथ-साथ बौद्धिक चिंतन और मनन से भी सम्बन्ध रखता है। अर्थात् मनन करने वाले ही मुनि हैं। मन्त्र शब्द मन से ही निकला माना जाता है और इसलिए मंत्रों के रचयिता और मनन करने वाले मनीषी या मुनि कहलाये। इसी तरह तंत्र शब्द तन से सम्बंधित है। तन को सक्रीय या जागृत रखने वाले योगियों को मुनि कहा जाता था।</p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgI4k_tu1hVlTlNef_QTFYQs3uU2qQX3qUE4cZD1MeInU8MGJquKE_QzkdwF0ufuLINDYjj8NrwjhYbjkAM-sPXM6N7nY4SaP8-xoLyxFOc-xmMby1-lLEXFs3ot-9pTNaPI0Rz4OIOLSEQhEZbqKBrmfpviIKmnnP9YdRmdQdtsb6-mnPAsNL1ktYK/s1024/Sant.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="576" data-original-width="1024" height="180" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgI4k_tu1hVlTlNef_QTFYQs3uU2qQX3qUE4cZD1MeInU8MGJquKE_QzkdwF0ufuLINDYjj8NrwjhYbjkAM-sPXM6N7nY4SaP8-xoLyxFOc-xmMby1-lLEXFs3ot-9pTNaPI0Rz4OIOLSEQhEZbqKBrmfpviIKmnnP9YdRmdQdtsb6-mnPAsNL1ktYK/s320/Sant.jpg" width="320" /></a></div><p></p><p style="text-align: justify;">जैन ग्रंथों में भी मुनियों की चर्चा की गई है। वैसे व्यक्ति जिनकी आत्मा संयम से स्थिर है, सांसारिक वासनाओं से रहित है, जीवों के प्रति रक्षा का भाव रखते हैं, अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, ईर्या (यात्रा में सावधानी), भाषा, एषणा (आहार शुद्धि ) आदणिक्षेप (धार्मिक उपकरण व्यवहार में शुद्धि) प्रतिष्ठापना (मल मूत्र त्याग में सावधानी) का पालन करने वाले, सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वंदन, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान और कायतसर्ग करने वाले तथा केशलोच करने वाले, नग्न रहने वाले, स्नान और दातुन नहीं करने वाले, पृथ्वी पर सोने वाले, त्रिशुद्ध आहार ग्रहण करने वाले और दिन में केवल एक बार भोजन करने वाले आदि 28 गुणों से युक्त महर्षि ही मुनि कहलाते हैं। मुनि ऋषि परंपरा से सम्बन्ध रखते हैं किन्तु वे मन्त्रों का मनन करने वाले और अपने चिंतन से ज्ञान के व्यापक भंडार की उत्पति करने वाले होते हैं। मुनि शास्त्रों का लेखन भी करने वाले होते हैं। </p><p style="text-align: justify;">साधु कौन होते हैं </p><p style="text-align: justify;">किसी विषय की साधना करने वाले व्यक्ति को साधु कहा जाता है। प्राचीन काल में कई व्यक्ति समाज से हट कर या कई बार समाज में ही रहकर किसी विषय की साधना करते थे और उस विषय में विशिष्ट ज्ञान प्राप्त करते थे। विषय को साधने या उसकी साधना करने के कारण ही उन्हें साधु कहा गया। कई बार अच्छे और बुरे व्यक्ति में फर्क करने के लिए भी साधु शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसका कारण है कि सकारात्मक साधना करने वाला व्यक्ति हमेशा सरल, सीधा और लोगों की भलाई करने वाला होता है। आम बोलचाल में साध का अर्थ सीधा और दुष्टता से हीन होता है। संस्कृत में साधु शब्द से तात्पर्य है सज्जन व्यक्ति। लघुसिद्धांत कौमुदी में साधु का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि 'साध्नोति परकार्यमिति साधु :-अर्थात् जो दूसरे का कार्य करे वह साधु है। साधु का एक अर्थ उत्तम भी होता है ऐसे व्यक्ति जिसने अपने छह विकार काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह और मत्सर का त्याग कर दिया हो, साधु कहलाता है। </p><p style="text-align: justify;">साधु के लिए यह भी कहा गया है 'आत्मदशा साधेÓ अर्थात् संसार दशा से मुक्त होकर आत्मदशा को साधने वाले साधु कहलाते हैं। वर्तमान में वैसे व्यक्ति जो सन्यास दीक्षा लेकर गेरुआ वस्त्र धारण करते हैं और जिनका मूल उद्द्येश्य समाज का पथ प्रदर्शन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलते हुए मोक्ष को प्राप्त करते हैं, साधु कहलाते हैं। </p><p style="text-align: justify;"><br /></p><p style="text-align: justify;">सन्यासी किसे कहते हैं</p><p style="text-align: justify;">सन्यासी धर्म की परम्परा प्राचीन हिन्दू धर्म से जुड़ी नहीं है। वैदिक काल में किसी सन्यासी का कोई उल्लेख नहीं मिलता। सन्यासी या सन्यास की अवधारणा संभवत: जैन और बौद्ध धर्म के प्रचलन के बाद की है जिसमे सन्यास की अपनी मान्यता है। हिन्दू धर्म में आदि शंकराचार्य को महान सन्यासी माना गया है। सन्यासी शब्द सन्यास से निकला हुआ है जिसका अर्थ त्याग करना होता है। अत: त्याग करने वाले को ही सन्यासी कहा जाता है। सन्यासी संपत्ति का त्याग करता है, गृहस्थ जीवन का त्याग करता है या अविवाहित रहता है, समाज और सांसारिक जीवन का त्याग करता है और योग ध्यान का अभ्यास करते हुए अपने आराध्य की भक्ति में लीन हो जाता है। </p><p style="text-align: justify;">हिन्दू धर्म में तीन तरह के सन्यासियों का वर्णन है :- परिव्राजक: सन्यासी :- भ्रमण करने वाले सन्यासियों को परिव्राजक: की श्रेणी में रखा जाता है। आदि शंकराचार्य और रामनुजनाचार्य परिव्राजक: सन्यासी ही थे। </p><p style="text-align: justify;">परमहंस सन्यासी :- यह सन्यासियों की उच्चत्तम श्रेणी है। </p><p style="text-align: justify;">यति सन्यासी :- उद्द्येश्य की सहजता के साथ प्रयास करने वाले सन्यासी इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। </p><p style="text-align: justify;">वास्तव में सन्यासी वैसे व्यक्ति को कह सकते हैं जिसका आतंरिक स्थिति स्थिर है और जो किसी भी परिस्थिति या व्यक्ति से प्रभावित नहीं होता है और हर हाल में स्थिर रहता है। उसे न तो ख़ुशी से प्रसन्नता मिलती है और न ही दु:ख से अवसाद। इस प्रकार निरपेक्ष व्यक्ति जो सांसारिक मोह माया से विरक्त अलौकिक और आत्मज्ञान की तलाश करता हो सन्यासी कहलाता है। </p><p style="text-align: justify;">उपसंहार</p><p style="text-align: justify;">ऋषि, मुनि, साधु या फिर सन्यासी सभी धर्म के प्रति समर्पित जन होते हैं जो सांसारिक मोह के बंधन से दूर समाज कल्याण हेतु निरंतर अपने ज्ञान को परिमार्जित करते हैं और ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हेतु तपस्या, साधना, मनन आदि करते हैं।</p></blockquote><div><br /></div>nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-9264390391714515542022-11-15T22:16:00.007+05:302022-11-15T22:50:12.999+05:30खेलों के क्षेत्र में सोने की खान बनता हरियाणा<div style="text-align: left;">नरेंद्र कुंडू </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_4F2H2aaSes61br0upPwAeTvpWzRHfpib8P7gwCvNIXIdNnbENr7iZlEC4EPSLdUG4X_g-03KZFBVpfxc9HonAx8v-LGTwiEiczQ8KD7YIYQEARbJhgD7OuFTwuxdgRnkqJZroOEFWoUJRvKwEN8Od4qOcrggQw0eQyemcP-6CPNaoIby-V1pCKlf/s982/Haryana.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="555" data-original-width="982" height="181" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_4F2H2aaSes61br0upPwAeTvpWzRHfpib8P7gwCvNIXIdNnbENr7iZlEC4EPSLdUG4X_g-03KZFBVpfxc9HonAx8v-LGTwiEiczQ8KD7YIYQEARbJhgD7OuFTwuxdgRnkqJZroOEFWoUJRvKwEN8Od4qOcrggQw0eQyemcP-6CPNaoIby-V1pCKlf/s320/Haryana.jpg" width="320" /></a></div><br /><p></p><p>'देशां म देश हरियाणा, जित दूध-दही का खाना यह हरियाणा के दूध-दही का ही कमाल है कि जो यहां के खिलाड़ी खेलों के क्षेत्र में विश्व पटल पर भारत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख रहे हैं। खेल का मैदान हो या युद्ध का क्षेत्र हरियाणा के युवा हर जगह अपना परचम लहरा रहे हैं। आज खेलों के क्षेत्र में हरियाणा की एक अलग पहचान है। हरियाणा की माटी से निकले खिलाड़ी देश के लिए गोल्ड मैडल ला रहे हैं। हरियाणा अब खेलों का हब बन चुका है। कुश्ती का अखाड़ा हो चाहे कबड्डी का मैदान या फिर एथेलेटिक्स का ट्रैक हर क्षेत्र में हरियाणा के खिलाडिय़ों का दबदबा है। कुश्ती के अखाड़े में तो हरियाणा के पहलवानों का कोई तोड़ नहीं है। इसी प्रकार बॉक्सिंग के रिंग में भी हरियाणा के खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्डन पंच लगा रहे हैं। खेलों के क्षेत्र में हरियाणा का नाम आज अग्रीम पंक्ति में है। </p><p><span style="white-space: pre;"> </span>भारत के कुल क्षेत्रफल का केवल 1.4 प्रतिशत और देश की 2.1 प्रतिशत से कम आबादी के साथ भौगोलिक क्षेत्र के मामले में 22वें स्थान पर होने के बावजूद हरियाणा खेलों के क्षेत्र में नंबर वन राज्य के रूप में उभरा है। राष्ट्रीय स्तर हो या अंतर्राष्ट्रीय मंच, हरियाणा देश की पदक तालिका में अपने योगदान के मामले में अग्रणी रहा है। टोक्यो-2020 ओलम्पिक खेलों में भी हरियाणा का 50 प्रतिशत से अधिक मैडल का योगदान रहा है। हरियाणा ने भारत द्वारा जीते गए व्यक्तिगत पदकों में से आधे का योगदान दिया। 2016 के रियो ओलंपिक में भी हरियाणा ने भारत के पदकों में से आधे का योगदान दिया था। इसी तरह हरियाणा के खिलाडिय़ों ने 2018 एशियाई खेलों में भारत के कुल पदकों का लगभग एक-चौथाई और राष्ट्रमंडल खेलों में एक-तिहाई पदक जीते थे। इसी प्रकार गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित हुए राष्टï्रीय खेलों, स्पेन में आयोजित हुए अंडर-23 विश्व कुश्ती प्रतियोगिता, नेपाल में आयोजित हुई इंटरनैशनल पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता, इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स 2022, सर्बिया में आयोजित इंटरनैशनल गोल्डन ग्लोव्स टूर्नामेंट, भोपाल में हुई राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता, गुजरात के भावनगर में आयोजित हुए 36वें राष्ट्रीय खेलों, बुल्गारिया में आयोजित अंडर-20 वल्र्ड रेसलिंग (कुश्ती) चैंपियनशिप में भी हरियाणा के खिलाडिय़ों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। हरियाणा की माटी से दिन-प्रतिदिन अनेकों खिलाड़ी निकल कर आगे आ रहे हैं। आज सही मायनों में हरियाणा खेलों के क्षेत्र में सोने की खान बनने की ओर अग्रसर है। युवाओं का खेलों के क्षेत्र में रुझान लगातार बढ़ता रहा है। हरियाणा की माटी देश को एक से बढ़कर एक अच्छा खिलाड़ी दे रही है। हरियाणा में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। कमी है तो बस उस प्रतिभा को पहचान कर तराशने की। क्योंकि आज खेलों के क्षेत्र में हरियाणा में आपार संभावनाएं हैं। </p><p><br /></p><p> </p><p> </p><div><br /></div>nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-9573798659371603812022-11-15T22:09:00.002+05:302022-11-15T22:48:25.761+05:30भारतीय वैवाहिक व्यवस्था विश्व की सर्वश्रेष्ठ वैवाहिक व्यवस्था क्यों है <h2 style="text-align: left;"><br /></h2><p>- डॉ उमेश प्रताप वत्स</p><p>भारतीय समाज में विवाह संबंधों को प्राण से भी बढ़कर महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के अन्य देशों के लोग यह जानकर आश्चर्य चकित हो जाते हैं कि भारत के लोग किस तरह एक ही साथी के साथ पूरा जीवन गुजार देते हैं तभी तो यहाँ साथी को जीवन साथी कहकर बुलाया जाता है। </p><p>यदि भावना से अलग होकर आकलन किया जाये तो सामाजिक जीवन में वैवाहिक परम्परा दो ज्ञात-अज्ञात महिला-पुरुष को इतने निकट संबंध में लेकर आता है कि बाकि सब संबंध गौण हो जाते हैं। यद्यपि माता-पिता, भाई-बहन व पुत्र-पुत्रियों का भी प्रगाढ़ अटूट संबंध है जिनका महत्व कदापि कम नहीं हो सकता और ये संबंध रक्त के साथ-साथ भावनात्मक भी है तथापि रचनात्मक रूप से विचारे तो मात-पिता का झुकाव अन्य बच्चों की ओर भी हो सकता है। भाई-बहन विवाह उपरांत अपने परिवार में ध्यान देने लगते हैं और बच्चें अपना परिवार होने पर व्यस्त हो जाते हैं। बस! एक पत्नी अथवा पति ही मरते दम तक गाड़ी के दो पहिये की तरह एक साथ मिलकर चलते हुए अपने जीवन की गाड़ी को अपने सपनों की दुनिया में ले जाने का अथक, अविराम निरंतर प्रयास करते ही रहते हैं। हिन्दुस्थान की वैवाहिक परम्पराओं का यदि अध्ययन किया जाये तो यह पृथ्वी लोक पर सर्वाधिक अद्भुत, सांस्कृतिक, परम्परागत, पवित्र, मनोरंजक एवं सामाजिक सुदृढ़ीकरण का सुन्दर संगम है एवं विश्व के लिए मार्गदर्शक भी।परिवार की सर्वाधिक सुदृढ़ कड़ी है भारतीय वैवाहिक व्यवस्था। फिर इस व्यवस्था को ओर अधिक प्रभावी, सुदृढ़ बनाने के लिए हमारे मनिषी, विद्वान महान आत्माओं ने सहस्रों वर्षों से अपना पूरा, ज्ञान, जीवन समर्पित कर दिया। पश्चिम व अन्य देशों में पुरुष को महिला के लिए तथा महिला को पुरुष के लिए आवश्यकता मानकर संबंधों को विकसित किया गया है जबकि हमारे देश में दोनों ससम्मान एक दूसरे के लिए जीवन-भर एक साथ जीने-मरने अर्थात् किसी भी मुसीबत का एक साथ मिलकर सामना करने हेतु संबंध में स्थापित हो जाते हैं। वैवाहिक संबंध पारिवारिक व्यवस्था के लिए आर्थिक प्रावधान के रूप में, आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, भावनात्मक आधार के रूप में, एक प्रभावशाली समूह के रूप में और सामाजिक विनियमन के एक साधन के रूप में देखा जा सकता है। भारतीय परिवार व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण विशेषता संयुक्त परिवार प्रणाली का अस्तित्व है जो विशुध्द वैवाहिक संबंधों से ओर अधिक दृढ़ होती है। संयुक्त परिवार की विशालता, संयुक्त संपत्ति का स्वामित्व, निवास साझा करना आदि व्यवस्थाएं एक संस्कारी दम्पत्ति पर ही निर्भर है। संयुक्त परिवार में यदि किसी भी दंपति से कोई त्रुटि हो जाये तो अन्य दम्पत्ति उसे तुरंत सुधार लेते हैं तभी संयुक्त परिवार हंसते-हंसते सफलतापूर्वक जीवन की गाड़ी को सरलता से लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। परंपरा प्रधान समाज में विवाह एक ऐसी धार्मिक और सामाजिक संस्था है जो किसी भी महिला और पुरुष को एक साथ जीवन व्यतीत करने का अधिकार देने के साथ-साथ दोनों को कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्य भी प्रदान करती है। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के विवाहों का बड़े पैमाने पर पालन किया जाता है। जैसे-जैसे समाज उन्नत हुआ है, विवाह विभिन्न परिवर्तनों से गुजरा है, जबकि कुछ चीजें स्थिर रहती हैं। यहां तक कि इससे जुड़े मूल्यों में भी अभूतपूर्व बदलाव आया है। समय परिवर्तनीय है तो इसका असर हर युग काल की गति के साथ वैवाहिक परम्पराओं पर पढऩा भी निश्चित था। किंतु भावनाएं नहीं बदलती। भारतीय महिला सतयुग में भी पति का हित चाहती थी, उसके सुख की कामना करती थी, अपने रिश्ते की पवित्रता का महत्व समझती थी और वर्तमान में आज भी वे सर्वप्रथम अपने पति के हित की, सुख की कामना करती हैं। निसंदेह भारत में विवाह और परिवार व्यवस्था में परिवर्तन और अविच्छिन्नता और वैश्वीकरण का प्रभाव देखने को मिलता है। वैश्वीकरण ने लोगों की अधिक गतिशीलता, और विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच अधिक बातचीत को जन्म दिया है, जिससे लोगों के मूल्यों और संस्कृति पर प्रभाव पड़ा है। लोगों ने परम्परागत मर्यादाओं को लाँघने का प्रयास किया है। फलस्वरूप अधिकांश परिणाम भी नकारात्मक दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के लिए बड़े शहरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, बैंगलोर आदि में लिव-इन रिलेशनशिप विवाह पूर्व एक नया चलन है, ताकि साथी चुनते समय बेहतर निर्णय लिया जा सके। लिव-इन रिलेशनशिप में शारीरिक वासना की संतुष्टि हो सकती है। एक-दूसरे को समझने का अवसर भी मिल जाता है किंतु यदि एक-दूसरे को समझने के बाद विचार भिन्नता अथवा सामंजस्य न बैठाने की समस्या के कारण संबंध विच्छेद करने का निर्णय लेना पड़े तब अन्य किसी दूसरे संबंधों में भी सामंजस्य की समस्या उत्पन्न हो सकती है और फिर से ऐसा होने पर असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है। फलस्वरूप पार्टनर तनाव, विषाद का जीवन जीने लगते हैं। </p><p>आज युवा शैक्षिक अवसरों की तलाश में तथा कैरियर के लिए परिवारों से दूर होते जा रहे हैं। </p><p>युवा वर्ग की इस गतिशीलता ने पारिवारिक संबंधों को कमजोर कर दिया है। युवा अपने माता-पिता, घर में रह रहे बुजुर्गों का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं। इससे आदर्श परिवार की धारणा टूटती दिखाई दे रही है। विदेशों की ओर भी युवाओं के रूख में आश्चर्यजनक वृद्धि दिखाई दे रही है। परिवार के ताने-बाने को विदेशों में जाने की यह ईच्छा छिन्न-भिन्न करती दिखाई दे रही है। यह विवाह प्रणाली के परिवर्तन में परिलक्षित हो रहा है। महिलाएं अब अधिक शिक्षित हैं एवं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं, इसलिए घरेलू निर्णयों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहां वैश्वीकरण के प्रभाव को आईटी से संबंधित नौकरियों में उत्कर्ष के रूप में देखा जा सकता है। महिलाएं इस क्षेत्र का एक बड़ा भाग हैं। शहरी क्षेत्रों में अच्छी तरह से नियोजित महिलाओं को आजीविका कमाने के साथ-साथ घर के कामों के दोहरे कर्तव्य को संभालने के लिए बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ता है।</p><p>दाम्पत्य संबंध और माता-पिता के बच्चे के संबंध- विवाहित पुरुष और महिलाएं अपनी रोजगार के कारण भिन्न स्थानों पर अलग-अलग रह रहे हैं। समाज में एकल माता-पिता भी पाए जाते हैं। न केवल वैवाहिक संबंध बल्कि माता-पिता-बच्चों के संबंधों में भी उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। अधिकांश कामकाजी दंपति परिवारों में, माता-पिता अपने बच्चों से मिलने और बातचीत करने के लिए समय नहीं दे पाते हैं, क्योंकि वें देर रात तक निजी कंपनियों में काम कर रही हैं। भौतिकता की इस दिशाहीन दौड़ में वें भी सम्मिलित हैं। </p><p>पहले माता-पिता या अभिभावक बच्चों के लिए जीवन साथी का चयन करते थे किंतु वर्तमान में उदार मूल्यों के प्रभाव में, व्यक्तियों ने अपनी पसंद और नापसंद के अनुसार अपने स्वयं के साथी का चुनाव प्रारम्भ कर दिया है।</p><p>जीवन साथी के चयन की प्रक्रिया में एक नया चलन उभर रहा है जिसमें सोशल मीडिया डेटिंग साइटों का व्यापक रूप से संगत भागीदारों को खोजने के लिए उपयोग किया जा रहा है।</p><p>पहले अंतर्जातीय विवाह निषिद्ध थे। अब इसे कानूनी रूप से अनुमति प्रदान की गई है। युवा यह भी मानने लगे कि विवाह बाध्यात्मक नहीं है। कुछ पुरुष और महिलाएं प्राचीन धार्मिक मूल्यों में विश्वास नहीं करते हैं, और इसलिए विवाह को आवश्यक नहीं मानते हैं। सह-शिक्षा, महिला शिक्षा और समानता और स्वतंत्रता के लोकतांत्रिक आदर्श की वृद्धि, अंतर्जातीय वैवाहिक प्रात: के मजबूत कारक माने जाते हैं। पहले विवाह को एक पुरुष के लिए एक पूर्ण जीवन जीने का कर्तव्य माना जाता था। 1955 में तलाक के लिए प्रावधान किया गया। 1955 के हिंदू विवाह अधिनियम ने कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में तलाक की अनुमति प्रदान कर हिंदू विवाह की संस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तुत किया है। इसके उपरांत भी हिंदुओं के बीच विवाह एक सामाजिक अनुबंध मात्र नहीं है, यह मान्यता सर्वमान्य है। यह अभी भी हिंदुओं के लिए एक संस्कार है। साथी के प्रति समर्पण को आज भी विवाह का सार माना जाता है।</p><p>सभी प्रयोगों के बाद अधिकतर युवा यही मानते हैं कि परिवार के समझदार सदस्य वैवाहिक व्यवस्था को भलीप्रकार समझते हैं वे उनके सुझावों का सम्मान करते हैं एवं कालांतर में परिवार के वरिष्ठ सदस्यों में भी एक बड़ा बदलाव आया है कि वे अब व्यर्थ ही अपने निर्णय बच्चों पर नहीं थोपते अपितु बच्चों की बातों का सम्मान करते हुए ही निर्णय लिये जा रहे हैं जो भारतीय वैवाहिक व्यवस्था में सुधारिकरण के लिए बड़ा कदम है। अच्छे संकेत है। </p><p>पायल अक्सर अपनी सहेली जिया से चर्चा करती थी कि तुम बहुत खुशकिस्मत हो जो सब काम अपनी मर्जी से करती हो। मैं तो अपनी मर्जी से बाजार भी नहीं जा सकती। मेरे पापा तो पूरी दिनचर्या बनाकर बैठे रहते हैं कि इस समय यह कार्य करना है, इस समय यह। जिया कहने लगी, हाँ भई! इस मामले में तो मेरे पापा बहुत खुले विचारों के हैं। मैं कहां जाती हूँ, किसके साथ जाती हूँ, उन्हें इसके लिए कोई परेशानी नहीं है बल्कि मम्मी तो मुझे यदा-कदा बिन मांगे पैसे भी दे देती है। पायल को लगता है कि वह कैसे परिवार में फंस गई। सारा दिन या तो पढ़ाई करो और यदि कहीं जाना हैं तो पापा खुुद छोडऩे जायेंगे। एक दिन पायल को पता लगता है कि जिया किसी लड़के साथ लिव- इन-रिलेशनशिप में रहती थी, जो जिया का सबकुछ लुटपाट कर भाग गया। अब जिया डिप्रेशन में चली गई। उसे तुरंत ध्यान आया कि परिवार की जिन मर्यादाओं को वह बंदिश मान चली थी वास्तव में वहीं तो उसकी सुरक्षा चक्र है जिसके सहारे वह निर्भय, स्वछंद जीवन की उड़ान भर सकती है। तब से वह अपने मात-पिता का पहले से भी अधिक सम्मान करने लगी। उसके व्यवहार में एक जबरदस्त बदलाव देखने को मिला। भारतीय संस्कार उसे मर्यादाओं में रहते हुए आगे बढऩे की प्रेरणा दे रहे थे। </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiiVoo6mdaX1ipiZnz2jf0AGOUhx6yymqZJPO-KGBbZDFuy_77xm6JVb7ZlZbwq1w9h629CNUbtqf4KJKcOglU6NpbkMzjzvK0XjCJyptMC3IGDGdB-jetX3KTFcSN0yTpHOY_I7cZtfIPPeHL13s3sYjUJHcbj4qPnBZE7p5667bHZ7VJ1aU2N7_OX/s390/remove-obstacle-in-marriage.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="225" data-original-width="390" height="185" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiiVoo6mdaX1ipiZnz2jf0AGOUhx6yymqZJPO-KGBbZDFuy_77xm6JVb7ZlZbwq1w9h629CNUbtqf4KJKcOglU6NpbkMzjzvK0XjCJyptMC3IGDGdB-jetX3KTFcSN0yTpHOY_I7cZtfIPPeHL13s3sYjUJHcbj4qPnBZE7p5667bHZ7VJ1aU2N7_OX/s320/remove-obstacle-in-marriage.jpg" width="320" /></a></div><br /><p></p>nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-15922064136814445082020-10-29T15:19:00.002+05:302020-10-29T15:20:52.261+05:30विदेशों में भी मचा रहे हरियाणवी संस्कृति की धूम<p style="text-align: justify;"><b>आस्ट्रेलिया में युवा पीढ़ी को हरियाणवी संस्कृति के साथ जोडऩे के लिए एएचए संस्था ने शुरु की विशेष मुहिम</b></p><p style="text-align: justify;"><b>आस्ट्रेलिया में भी पूरे परंपरागत तरीके के साथ मनाए जाते हैं हरियाणा के तीज-त्यौहार </b></p><p style="text-align: justify;"><b>कोरोना के चलते इस बार ऑन लाइन मनाएंगे हरियाणा दिवस</b></p><p style="text-align: justify;"><b>नरेंद्र कुंडू </b></p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoHHB2-3RxUlMyYrmRH-kv2EKNnXxyrbbqiMNFuGqScyw0rmK7RNMD_hyopNOI7VG3Ws7tVmbTb_i243EbhQ45CgSbk_AVOMkaTBWS4MvHTMqARzaV5lXn6ZuoMV4mwDjn3N4dfyDkdAY/s1600/Haryana++%25281%2529.jpeg" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1066" data-original-width="1600" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoHHB2-3RxUlMyYrmRH-kv2EKNnXxyrbbqiMNFuGqScyw0rmK7RNMD_hyopNOI7VG3Ws7tVmbTb_i243EbhQ45CgSbk_AVOMkaTBWS4MvHTMqARzaV5lXn6ZuoMV4mwDjn3N4dfyDkdAY/s320/Haryana++%25281%2529.jpeg" width="320" /></a></div><div style="text-align: justify;">आज जहां हमारी युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध से प्रभावित होकर अपनी संस्कृति से विमुख हो रही है वहीं आस्ट्रेलिया में बैठे हरियाणवी लोगों का अपनी संस्कृति के प्रति इतना गहरा प्रेम है कि वो वहां बसे हरियाणा के लोगों व आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोडऩे का काम कर रहे हैं। विदेश में बैठकर भी यह लोग हरियाणवी संस्कृति की छठा बिखेर रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ हरियाणविज इन ऑस्ट्रेलिया (एएचए संस्था) के सदस्य विदेश में रहकर भी हरियाणा के सभी तीज-त्यौहारों को पूरे पारंपरिक तरीके व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। कार्यक्रमों का आयोजन ऐसा होता है कि विदेशी लोग भी हरियाणवी संस्कृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं। एएचए संस्था द्वारा हरियाणवी तीज-त्यौहार के अवसर पर आस्ट्रेलिया में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में हरियाणी वेश-भूषा से लेकर हरियाणवी पकवानों जैसे गुलगुले, सिवाली, फिरनी, घेवर, खीर, चूरमा, पतासे इत्यादि बताए जाते हैं। महिलाएं घर से ही हरियाणवी पकवान तैयार कर साथ लेकर आती हैं। इतना ही नहीं ग्रुप के सभी सदस्य हर माह के आखिरी रविवार को एक साथ पिकनिक पर भी जाते हंै। पिकनिक के दौरान रागनी, चुटकले, गीत, लोक नृत्य इत्यादि हरियाणवी मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विदेश में बैठकर हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देने का इनका मुख्य उद्देश्य वहां पैदा होने वाले इनके बच्चों को हरियाणवी संस्कृति के साथ आत्मिक तौर पर जोडऩा, उनमें संस्कार पैदा करना तथा उन्हें पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बचाए रखना है। ताकि वह बड़े होकर अपने समुदाय, संस्कृति व सभ्यता के साथ जुड़े रह सकें। लगभग 4 वर्ष पहले आस्ट्रेलिया के सिडनी से शुरु हुई यह संस्था अब आस्ट्रेलिया के मेल्बर्न, पर्थ, ऐडेलेड, ब्रिसबेन सहित कई राज्यों में स्थापित हो चुकी है। यह संस्था हरियाणा से यहां पढऩे के लिए आने वाले विद्यार्थियों व कामकाज के लिए आने वाले लोगों की मदद भी करती है। अपने तीज-त्यौहार पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में हरियाणा के लोगों को भी ऑन लाइन जोड़ा जाता है। संस्था की कार्यकारिणी टीम के अध्यक्ष सेवा सिंह, सदस्य मनजीत, विकास यादव, संगीता शर्मा, विजयपाल रेढू, वंदना पंजेटा, मोनिका, अमन, हनिश, दीपक का कहना है कि विदेश में पैदा होने वाली हमारी आने वाली पीढ़ी को अपने समुदाय, संस्कृति व सभ्यता के साथ आत्मिक तौर पर जोड़े रखने के लिए अपनी संस्कृति की जड़ों से जोडऩा बहुत जरुरी है। हमारी संस्कृति व सभ्यता एक पुष्प व सुगंध की तरह एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि चाहे तीज हो, रक्षाबंधन हो, दशहरा, दीवाली, होली-फाग कोई भी त्यौहार हो हर त्यौहार को पूरे परंपरागत तरीके से मनाया जाता है। फाग पर एक तालाब बुक किया जाता है पूरे परंपरागत तरीके से रंग-गुलाल के साथ फाग मनाया जाता है। महिलाएं पुरुषों को कोलड़े भी लगाती हैं। इसी प्रकार तीज पर झूले डाले जाते हैं व दीपावली पर घरों को सजाया जाता है। हरियाणा दिवस पर महिलाएं व पुरुष पूरी परंपरागत वेशभूषा में सजधज कर कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। हर बार कार्यक्रमों का आयोजन अलग-अलग शहरों में किया जाता है और पूरे आस्ट्रेलिया में बसे हरियाणा के लोग इन कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiU6ETX7VzCx-oBLmbTRdEpMd7Nd9eKkoaGa1zrAUMiuNtShia5qi1ZVY76W_d76VVFdLFGap0Ud_jo312Y8IKxNHnlfxcl12_EyblWcCNZ3IbQ0684RTVZ3dh8kOkZrwshyphenhyphenjiJy5F1FA8/s1895/Haryana++%25281%2529.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1264" data-original-width="1895" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiU6ETX7VzCx-oBLmbTRdEpMd7Nd9eKkoaGa1zrAUMiuNtShia5qi1ZVY76W_d76VVFdLFGap0Ud_jo312Y8IKxNHnlfxcl12_EyblWcCNZ3IbQ0684RTVZ3dh8kOkZrwshyphenhyphenjiJy5F1FA8/s320/Haryana++%25281%2529.jpg" width="320" /></a></div><p></p><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhozmxvxxAp3g_Al8UiXpeS1UAywlFzZNEVTWKnFKTZh4oH089zhCoy9x8fVLg5O3y5-aQ-rqwF8acrY_dUagMnWAhJPnoYtBt_SsTpnUHANj5cmCeUJ7OYnrvwz7tXx1sqI6IjDMhJaGw/s2048/Haryana++%25286%2529.jpg" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1365" data-original-width="2048" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhozmxvxxAp3g_Al8UiXpeS1UAywlFzZNEVTWKnFKTZh4oH089zhCoy9x8fVLg5O3y5-aQ-rqwF8acrY_dUagMnWAhJPnoYtBt_SsTpnUHANj5cmCeUJ7OYnrvwz7tXx1sqI6IjDMhJaGw/s320/Haryana++%25286%2529.jpg" width="320" /></a></div><div style="text-align: justify;"><b>व्हाटसएप ग्रुप के माध्यम से बनाई जाती है कार्यक्रमों की रणनीति</b></div><p></p><div style="text-align: justify;">संस्था के सदस्य मनजीत ने बताया कि संस्था द्वारा व्हाटसएप पर चार प्रकार के ग्रुप बनाए गए हैं। इसमें एक ग्रुप परिवारिक लोगों का, एक विद्यार्थियों का, एक ग्रुप महिलाओं का व एक ग्रुप जो लोग शादीशुदा नहीं हैं उनका है। इस प्रकार ये सभी लोग अपने सम्पर्क में आने वाले हरियाणा के लोगों को इन ग्रुप में शामिल कर लेते हैं। यदि किसी को किसी प्रकार की मदद की जरुरत है तो उसकी मदद भी करते हैं। वैसे तो महीने में एक बार प्रत्यक्ष तौर पर मिलना भी हो जाता है लेकिन व्हाटसएप ग्रुप में भी कार्यक्रम के आयोजन को लेकर पूरी रणनीति तैयार की जाती है। उदाहरण के तौर पर महिलाएं अपने ग्रुप में पकवानों में बारे में चर्चा करती हैं, वहीं दूसरे लोग कार्यक्रम के आयोजन की प्लानिंग करते हैं। </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2Y67HQkyjwT35XBZ4NzNbkpBdhajF3Q4V9f7SOJuu7t9BY89GCU7s4TR-QJAGOzo2IQLZfI8LuoeXlhOqID0pPor2x2rwksqbqiUadj0ghqXv_RVxK-Rd_wKpdTpqiP91aRjVfGPI9uo/s1967/Haryana++%25282%2529.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1312" data-original-width="1967" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2Y67HQkyjwT35XBZ4NzNbkpBdhajF3Q4V9f7SOJuu7t9BY89GCU7s4TR-QJAGOzo2IQLZfI8LuoeXlhOqID0pPor2x2rwksqbqiUadj0ghqXv_RVxK-Rd_wKpdTpqiP91aRjVfGPI9uo/s320/Haryana++%25282%2529.jpg" width="320" /></a></div><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRJahoi5CrZ11JgppeNymuRZLsYFJCFgZgTviinIowqg3N1eQJZmCrJN3hzUI_6uJBr71sZuEytg10EbK7olfc-trzhhDzLL_7ojoDopZN-FC8NXA4HlWsq8_12f2087kaqNnK3SYvjOo/s2048/Haryana++%25287%2529.jpg" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1365" data-original-width="2048" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRJahoi5CrZ11JgppeNymuRZLsYFJCFgZgTviinIowqg3N1eQJZmCrJN3hzUI_6uJBr71sZuEytg10EbK7olfc-trzhhDzLL_7ojoDopZN-FC8NXA4HlWsq8_12f2087kaqNnK3SYvjOo/s320/Haryana++%25287%2529.jpg" width="320" /></a></div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>रक्तदान शिविरों का भी करते हैं आयोजन</b></p><p style="text-align: justify;">संस्था के सदस्यों ने बताया कि उनकी संस्था वहां के लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाने के लिए हरियाणवी तीज-त्यौहार मनाने के अलावा सामाजिक कार्यों में भी भाग लेती है। वहां समय-समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन भी किया जाता है। वहां रक्तदान शिविर में सबसे ज्यादा रक्त एकत्रित करने का रिकार्ड भी उनकी संस्था के नाम है। </p><p style="text-align: justify;"><b>कोरोना के कारण इस बार हरियाणा दिवस पर ऑन लाइन होगा कार्यक्रम का आयोजन </b></p><p style="text-align: justify;">एसोसिएशन ऑफ हरियाणविज इन ऑस्ट्रेलिया द्वारा वैसे तो हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा दिवस प्रत्यक्ष तौर पर मनाया जाता था और रंगारंग हरियाणवी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था। संस्था द्वारा हरियाणा से भी कलाकारों को बुलाया जाता है लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते हरियाणा दिवस पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्यक्रम का आयोजन नहीं होने के कारण ऑन लाइन ही कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में हरियाणाा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज विशेष तौर पर ऑन लाइन मौजूद रहेंगे। इसके अलावा हरियाणा की जानी-मानी हस्तियां महासिंह पूनिया, कीर्ति दहिया, चौधरी दरियाव सिंह मलिक, जनार्दन शर्मा, हरविंदर राणा, प्रीति चौधरी, महावीर गुड्डू व अन्य कलाकार इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया की प्रतिभाओं के साथ ऑन लाइन ही मंच साझा करेें। </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNRVHgUtjBGGQlac-aBlY-YsQo7aHahNBPmTkE9gA3PSXW2UILiu5Z1Zzvy1JPO1yQ4dtWnRgSZN9W4o-Bq_a6T15oTRgRQLGpovnEmXuQI2UZrfq5GFILdernKJSMiXF5yWLBqxSOEew/s2048/Haryana++%25284%2529.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1365" data-original-width="2048" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNRVHgUtjBGGQlac-aBlY-YsQo7aHahNBPmTkE9gA3PSXW2UILiu5Z1Zzvy1JPO1yQ4dtWnRgSZN9W4o-Bq_a6T15oTRgRQLGpovnEmXuQI2UZrfq5GFILdernKJSMiXF5yWLBqxSOEew/s320/Haryana++%25284%2529.jpg" width="320" /></a></div><p></p>nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-80143381606636407022019-06-01T18:21:00.000+05:302019-06-01T18:21:15.984+05:30.......म्हारी छोरी के छोरयां तै कम हैं<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="text-align: justify;">
<b style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">इटली में आयोजित होने वाली वल्र्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में दौड़ेगी किसान की बेटी </b></div>
<b style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><div style="text-align: justify;">
<b>--छोटी सी उम्र में रेनू ने खेलों के क्षेत्र में लहराया परचम </b></div>
<div style="text-align: justify;">
<b>--गांव के सरकारी स्कूल में नौवीं कक्षा से शुरू किया एथलीट का सफर, अब वल्र्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में हुआ चयन</b></div>
<div style="text-align: justify;">
<b>--परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी नहीं मानी हार, ओलम्पिक में मैडल जीतना है उद्देश्य</b></div>
</b><b style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><div style="text-align: justify;">
<b>जींद, 1 जून (नरेंद्र कुंडू):- </b>म्हारी छोरी के छोरयां तै कम हैं, दंगल फिल्म का यह डायलॉग जींद की चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय की बीपीएड की छात्रा रेनू पर स्टीक बैठता है। हिसार जिले के कोथ कलां गांव की 22 वर्षीय रेनू ने छोटी सी उम्र में एथलेटिक्स के क्षेत्र में अपना परचम लहराने का काम किया है। गांव के सरकारी स्कूल में नौवीं कक्षा से एथलीट का सफर शुरू करने वाली रेनू का चयन वल्र्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप के लिए हुआ है। आगामी 3 से 14 जुलाई तक इटली में आयोजित होने वाली वल्र्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में रेनू हॉफ मैराथन (21 किलोमीटर) में भाग लेगी। एथलेटिक्स के क्षेत्र में अपने करियर की शुरूआत करने वाली रेनू थोड़े से समय में ही स्टेट से लेकर नैशनल स्तर पर कई पदक जीत चुकी है। रेनू के हौंसले इतने बुलंद हैं कि परिवार की कमजोर आर्थिक परिस्थितियां भी रेनू के रास्ते की बाधा नहीं बन पाई। गांव में जब रेनू के सपनों को आकार नहीं मिल पाया तो रेनू ने गांव छोड़ कर शहर में अपना डेरा जमा लिया। रेनू अब शहर में किराये पर रहकर पढ़ाई के साथ-साथ एथलेटिक्स की तैयारी कर रही है। रेनू का उद्देश्य ओलम्पिक में गोल्ड जीतना है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रेनू खेल विभाग में एथलेटिक्स के कोच बीरबल दूहन से एथलेटिक्स के गुर सीख रही है। </div>
</b><div style="text-align: justify;">
<span style="color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"><br /></span></div>
<b style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_Dsxb6qOj4vzTXdjkOVs3qYWJ3aAz3OhJxdQwn0L1fJ-Jxf9T0GlHYmfjBNXw1HUFC_Hh-dUBGryBHAFufLomUR67_I6mWDMfLbPgi5XlwdwzBDZRzAsvAXHSmUKt9puWqlWrmsyuYEs/s1600/01Jnd04.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="1051" data-original-width="854" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_Dsxb6qOj4vzTXdjkOVs3qYWJ3aAz3OhJxdQwn0L1fJ-Jxf9T0GlHYmfjBNXw1HUFC_Hh-dUBGryBHAFufLomUR67_I6mWDMfLbPgi5XlwdwzBDZRzAsvAXHSmUKt9puWqlWrmsyuYEs/s320/01Jnd04.jpg" width="260" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">एथलीट रेनू का फोटो।</td></tr>
</tbody></table>
<div style="text-align: justify;">
<b>आर्थिक तंगी के बाद भी परिवार से मिला पूरा सहयोग </b></div>
</b><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"><div style="text-align: justify;">
रेनू संधू ने बताया कि परिवार में माता-पिता के अलाव वह तीन भाई-बहन हैं। उसकी एक बडी बहन है जो शादीशुदा है और उससे छोटा एक भाई है जो कॉलेज में पढ़ाई करता है। उसके पिता महावीर सिंह गांव में खेती-बाड़ी का कार्य करते हैं। इसके अलावा परिवार के पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है। परिवार का मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी होने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भी परिवार के सदस्यों ने उसे लगातार आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। </div>
</span><div style="text-align: justify;">
<span style="color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"></span><br /><span style="color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"></span></div>
<b style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><div style="text-align: justify;">
<b>गांव में नहीं मिल पाई प्रशिक्षण की सुविधा तो जींद का किया रूख </b></div>
</b><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"><div style="text-align: justify;">
रेनू ने बताया कि उसने गांव के सरकारी स्कूल में नौवीं कक्षा से एथलीट का सफर शुरू किया था। इस दौरान उसने जिला व राज्य स्तर पर कई पदक हासिल किए लेकिन गांव में प्रशिक्षण की सुविधा नहीं होने के कारण उसे बीच में ही खेल छोडऩा पड़ा। 12वीं कक्षा पास करने के बाद उसने अपने सपनों को साकार करने के लिए शहर का रूख किया और जींद कॉलेज में बीएससी में दाखिला लिया। बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद जींद के चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में बीपीएड में दाखिला लिया। शहर में आने के बाद उसने दोबारा से अभ्यास शुरू किया। शहर के अर्जुन स्टेडियम में उसने दोनों समय अभ्यास के लिए जाना शुरू कर दिया। खेल विभाग के एथलेटिक्स के कोच बीरबल दूहन की देखरेख में उसने अपनी तैयारी शुरू की और फिर से एथलेटिक्स के ग्राउंड पर अपनी पहचान बनाई। </div>
</span><div style="text-align: justify;">
<span style="color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"><br /></span></div>
<b style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; margin-right: 1em; text-align: left;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEibLKLviXNgwWb6i9UNsLp9d-CGhI69n8_oS_0gQlMSzgkJxsE-CaMpPnAuZ3kmG4EYG0SqQpxRh6cyvjl3Wc6nqxGnJlrstVmnIaAFqlmZnzjLmRS5ZJ4fP4s1h8sjUuEbFnh6kQ7o9oI/s1600/01Jnd05.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="702" data-original-width="556" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEibLKLviXNgwWb6i9UNsLp9d-CGhI69n8_oS_0gQlMSzgkJxsE-CaMpPnAuZ3kmG4EYG0SqQpxRh6cyvjl3Wc6nqxGnJlrstVmnIaAFqlmZnzjLmRS5ZJ4fP4s1h8sjUuEbFnh6kQ7o9oI/s320/01Jnd05.jpg" width="253" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">प्रतियोगिता में दौड़ लगाती रेनू का फाइल फोटो।</td></tr>
</tbody></table>
<div style="text-align: justify;">
<b>यह हैं रेनू की उपलब्धियां</b></div>
</b><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"><div style="text-align: justify;">
रेनू ने गांव के सरकारी स्कूल में 9वीं से एथलेटिक्स की तैयारी शुरू की। 10वीं कक्षा में पहली बार में ही 1500 मीटर व तीन किलोमीटर की दौड़ में स्टेट लेवल पर गोल्ड मैडल हासिल किया। इसके बाद 11वीं व 12वीं कक्षा में पढ़ाई के साथ-साथ नार्थ जॉन में तीन किलोमीटर दौड़ में सिल्वर मैडल हासिल किया। जनवरी 2015 में झांसी में आयोजित अंडर 18 आयु वर्ग जूनियर नेशनल क्रॉस कंट्री में ब्रॉन्ज मैडल हासिल किया। इसके बाद गोवा में आयोजित यूथ नेशनल चैम्पियनशिप में तीन किलोमीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मैडल हासिल किया। नवंबर 2018 में मंगलूरू में आयोजित ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में 21 किलोमीटर हॉफ मैराथन में सिल्वर मैडल हासिल किया। 2019 में जींद में आयोजित मैराथन में रेनू ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद रेनू ने भुवनेश्वर में वल्र्ड यूनिवर्सिटी ट्रायल में भाग लिया और रेनू का चयन वल्र्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप के लिए हुआ। रेनू अब तीन से 14 जुलाई तक इटली में आयोजित होने वाली वल्र्ड यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में 21 किलोमीटर हॉफ मैराथन में भाग लेगी।</div>
</span><br />
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><br /></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"></td></tr>
</tbody></table>
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"></span><br />
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjNg4gHXB9BEo9iA_t-OH6If7f4HfY08iUYPx_KpWx3q-3AYlqNKvEmNPysZNv_U8uGSgROynRD5e8_u4XYi8KOzF4a9PpRaIaXkjDHuAHsaCcAjzViOYnrPx4fi6N-0gaZmTyPKrrMiSQ/s1600/01Jnd06.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="420" data-original-width="540" height="248" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjNg4gHXB9BEo9iA_t-OH6If7f4HfY08iUYPx_KpWx3q-3AYlqNKvEmNPysZNv_U8uGSgROynRD5e8_u4XYi8KOzF4a9PpRaIaXkjDHuAHsaCcAjzViOYnrPx4fi6N-0gaZmTyPKrrMiSQ/s320/01Jnd06.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">अपने कोच बीरबल दूहन के साथ रेनू।</td></tr>
</tbody></table>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; margin-right: 1em; text-align: left;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwJ6wRv1o5zC_fcsP24crcrfICdFMUe1207e6RShdrm-k6kh2JN-QmAZ9HYHaFEk7p_324bIeDf8dP8_TMqd_Q0J3WRUl_2D8QKAN19AyyOnsbuFEkKikT_ByZk0UVU7bMS5mPNnS90PA/s1600/01Jnd07.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="780" data-original-width="1040" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwJ6wRv1o5zC_fcsP24crcrfICdFMUe1207e6RShdrm-k6kh2JN-QmAZ9HYHaFEk7p_324bIeDf8dP8_TMqd_Q0J3WRUl_2D8QKAN19AyyOnsbuFEkKikT_ByZk0UVU7bMS5mPNnS90PA/s320/01Jnd07.jpg" width="320" /></a></td></tr>
</tbody></table>
<br />
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12.8px;">जींद में आयोजित मैराथन में दूसरा स्थान हासिल करने पर रेनू को सम्मानित करते मुख्यमंत्री मनोहर लाल। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"></td></tr>
</tbody></table>
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"></span><br />
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj65G7pAgCCOyjx9YcWPxPUUHWIpWida_tKCm2e_7M3-u1VpLlDC4X6c-1aPXg9YLJG8k4X2HesdUahy3XKdDeIeSalzbjTIwAszWfF4CN5YqYA3UADLLCWoSXZEXzzkVAYlR86F9jCIZY/s1600/01Jnd08.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="720" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj65G7pAgCCOyjx9YcWPxPUUHWIpWida_tKCm2e_7M3-u1VpLlDC4X6c-1aPXg9YLJG8k4X2HesdUahy3XKdDeIeSalzbjTIwAszWfF4CN5YqYA3UADLLCWoSXZEXzzkVAYlR86F9jCIZY/s320/01Jnd08.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने पर विक्टरी स्टैंड पर मौजूद खिलाड़ी रेनू का फाइल फोटो। </td></tr>
</tbody></table>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-9874085367914414042019-05-11T10:49:00.003+05:302019-05-11T10:49:40.412+05:3012 मई को इन मामा-फूफा वालों का एक बटन से बांध देना इलाज : दुष्यंत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
कहा, भाजपा ने जात-पात व धर्म के नाम पर देश को बांटने का काम किया</div>
<div style="text-align: justify;">
जजपा की सरकार बनने पर जींद को बनाएंगे राजधानी, गोहाना को बनाएंगे जिला</div>
</h3>
<div style="text-align: justify;">
जींद, 10 मई (नरेंद्र कुंडू):- हिसार के सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस का आधार जिस तरह से गिरा है और भाजपा को जिस तरह से विरोध का सामना करना पड़ रहा है उससे यह साफ हो गया है कि इस लोकसभा चुनाव में हरियाणा में सबसे ज्यादा सीटें जजपा-आप गठबंधन जीतेगा। मोदी केवल अखबारों व टीवी तक सिमट कर रह गया है। जनता में मोदी का कोई प्रभाव नहीं है। भाजपा ने देश को जात-पात व धर्म के नाम पर बांटने का काम किया है। गुजरात में हिंदू को मुस्लमान से, उत्तरप्रदेश में यादव को दूसरी जात के लोगों व हरियाणा में जाट को नॉन जाट से लड़ाने का काम किया है। वहीं कांग्रेस ने अपने शासनकाल में देश में भ्रष्टाचार फैलाने का काम किया था। इसलिए इस चुनाव में जनता इन दोनों पार्टियों को सबक सिखाने का काम करेगी। दुष्यंत चौटाला शुक्रवार को जींद के हुडा ग्राउंड में जजपा व आप गठबंधन के सोनीपत के प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला के पक्ष में प्रचार अभियान के दौरान जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। </div>
<div style="text-align: justify;">
दुष्यंत चौटाला ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा हिसार में अंदर खाते चुनाव जीताने के लिए बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह की मदद कर रहे हैं और बीरेंद्र सिंह रोहतक में दीपेंद्र की मदद कर रहे हैं। इस प्रकार यह दोनों पर्दे के पीछे से अपनी रिश्तेदारी निभा रहे हैं। दुष्यंत ने कहा कि ये दोनों मामा-फूफा वाले म्हारे पाछै पड़ गए हैं। अबकी बार 12 मई को एक बटन से इन मामा-फूफा वालों का इलाज कर देना है। दुष्यंत ने कहा कि आज कुछ लोग उन पर आरोप लगा रहे हैं कि वह भाजपा की बी टीम हैं लेकिन सही मायने में देखा जाए तो भूपेंद्र हुड्डा भाजपा की बी टीम के तौर पर काम कर रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य सभा चुनाव में स्याही बदल कर भाजपा की मदद की थी। पिछले पांच साल में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीबीआई के डर से एक बार भी प्रधानमंत्री के खिलाफ नहीं बोला। जींद उपचुनाव में भी हुड्डा ने भाजपा नेताओं के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी के नेता सुरजेवाला के खिलाफ षडयंत्र रचकर भाजपा की मदद की थी। दुष्यंत ने कहा कि भाजपा के साढ़े चार साल के शासन काल में हरियाणा में चार बार मिल्ट्री बुलानी पड़ी थी। भाजपा ने अपने शासन काल में प्रदेश में जात-पात का जहर फैलाने का काम किया। लोगों को गुमराह करने के लिए मुरथल को बदनाम करने का काम किया। अगर भाजपा के शासन काल की बात की जाए तो सबसे ज्यादा शहीद तो भाजपा के शासन काल में हुए हैं। भाजपा ने दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का काम किया था लेकिन भाजपा के शासन काल में 50 लाख युवा बेरोजगार हो गए। भाजपा ने किसानों की आय दोगुणा करने का वायदा किया था लेकिन भाजपा के शासन काल में किसानों का कर्ज दोगुणा हो गया। दुष्यंत ने कहा कि बीरेंद्र सिंह ने 47 साल जींद के नाम पर राजनीति की और लोगों से बार-बार उसे सीएम बनाने का राग अलापते रहे लेकिन वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाए और अब तो वह राजनीति से सन्यास ले चुके हैं। इसलिए अबकी बार लोगों के पास मौका है कि जजपा की सरकार चुनने का काम करें। जजपा की सरकार आने के बाद जींद को राजधानी व गोहाना को जिला बनाने का काम किया जाएगा। डबवाली की विधायक नैना चौटाला ने महिलाओं से आह्वान करते हुए कहा कि 12 मई को चप्पल पहन कर झाडू से सभी विरोधियों का सफाया कर चप्पल के निशान का बटन दबाना है। राज्य सभा सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा में बदलाव लाने के लिए जजपा के साथ गठबंधन किया है। भाजपा ने व्यापारियों के व्यापार को खत्म किया तो कांग्रेस ने देश में भ्रष्टाचार फैलाने का काम किया। अब जजपा व आप मिलकर हरियाणा में शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर भ्रष्टाचार को खत्म करने का काम करेंगे। </div>
<div style="text-align: left;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgX166rQ9ktCdufA60mbB_gL6IWGvoo9SaYZU9XPsirQ-ZU-oYDQcmhrw1Fi0KDnHqAwEzUD1Y3X7etPUWfirmmO9jL1FOdW6jXm8mo_PfMkY673yGYT_t0xu4xkdcmEdO3Zy_zazVYfi4/s1600/10Jnd14.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" data-original-height="889" data-original-width="1600" height="177" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgX166rQ9ktCdufA60mbB_gL6IWGvoo9SaYZU9XPsirQ-ZU-oYDQcmhrw1Fi0KDnHqAwEzUD1Y3X7etPUWfirmmO9jL1FOdW6jXm8mo_PfMkY673yGYT_t0xu4xkdcmEdO3Zy_zazVYfi4/s320/10Jnd14.jpg" width="320" /></a></div>
<h4 style="text-align: justify;">
हुड्डा कहवै है दिग्विजय तो म्हारी कढ़ी बिगाडऩ आया है।</h4>
<div style="text-align: justify;">
दुष्यंत चौटाला ने सोनीपत से कांग्रेस प्रत्याशी भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा पर तंज कसते हुए कहा कि दिग्विजय के चुनाव मैदान में आने के बाद हुड्डा की नींद उड़ गई है। हुड्डा कहवै है के दिग्विजय तो म्हारी कढ़ी बिगाडऩ आया है। मैं कहूं हूं के कढ़ी तो म्हारे बागडिय़ां में बन्या करै, देशवालिया में कढ़ी कद तै बनन लाग गई। जै हुड्डा ने कढ़ी खानी थी तो कढ़ी तो रोहतक वाले भी खिला देते याड़े ससुराल में कढ़ी खान क्यों आया। </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="text-align: justify;">
6 माह पहले बनी पार्टी ने पीएम के छुड़ाए पसीने</h4>
<div style="text-align: justify;">
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 6 माह पहले जींद के इसी मैदान में जन्मी पार्टी ने सभी विरोधी दलों की नींद हराम कर दी है। आज हर विपक्षी दल की नजरें जजपा पर है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक की रैली में जजपा पार्टी पर अपनी टिप्पणी की। प्रधानमंत्री की जजपा पर टिप्पणी यह दर्शाती है कि जजपा दिन-प्रतिदिन मजबूत हो रही है। जजपा ने प्रधानमंत्री तक के पसीने छुड़ा दिए हैं। </div>
<h4 style="text-align: justify;">
हुड्डा ऐसा बादल जो पानी जींद-सोनीपत से लेता है लेकिन बरसता किलोई में जाकर है। </h4>
<div style="text-align: justify;">
दिग्विजय चौटाला ने कहा कि उनके परदादा चौधरी देवीलाल ने जींद के इस ग्राउंड से न्याय युद्ध की शुरूआत की थी और उन्हें सोनीपत से ही पहला चुनाव लड़ा था। यह उनका सौभग्य है कि उन्हें भी सोनीपत से चुनाव लडऩे का मौका मिला है। हुड्डा उन पर आरोप लगा रहा है कि उन्होंने भाजपा से करोड़ों रुपए लेकर सोनीपत से चुनाव लड़ा है जबकि सच्चाई यह है कि हुड्डा भाजपा के साथ सांठगांठ किए हुए है। जींद उपचुनाव में हुड्डा ने सुरजेवाला को नहीं बल्कि भाजपा को वोट डलवाए थे। हुड्डा बदला लेने की बात करता है जबकि हम बदलाव की बात करते हैं। दिग्विजय ने कहा कि हुड्डा तो ऐसा बादल है जब पानी लेने की बात आती है तो पानी जींद व सोनीपत से लेता है और जब बरसने की बात आती है तो किलोई में जाकर बरसता है। दिग्विजय ने कहा कि जजपा के सत्ता में आने के बाद हैबतपुर के पास विधानसभा होगी, पिंडारा के पास सचिवालय होगा और जींद रोड पर मुख्यमंत्री की कोठी बनेगी। दिग्विजय ने कहा कि एमपी दो तरह के होते हैं एक तालियां पीटने वाले और एक काम करने वाले। जब मैं एमपी बनुंगा तो तालियां नहीं पिटूंगा बल्कि संसद में जींद-जींद चिलाउंगा। </div>
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; margin-right: 1em; text-align: left;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhrQM9fuwtNLrROmyUEBB5wwuVbGwt6y4HNnfE6xt6vTTVsyVaO7-BFGRXH1tbrLUzZ6f3bWIYk5hnNPli7o7qPtf6YU2du8z6x2G9rkjiACdPST2f8wfras9WiXe0ITMEPz1rBBVPJiHo/s1600/10Jnd15.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="1600" height="180" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhrQM9fuwtNLrROmyUEBB5wwuVbGwt6y4HNnfE6xt6vTTVsyVaO7-BFGRXH1tbrLUzZ6f3bWIYk5hnNPli7o7qPtf6YU2du8z6x2G9rkjiACdPST2f8wfras9WiXe0ITMEPz1rBBVPJiHo/s320/10Jnd15.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">जनसभा को सम्बोधित करते दिग्विजय चौटाला। </td></tr>
</tbody></table>
<h4 style="text-align: justify;">
जब जाटों को हुड्डा की जरूरत थी तो हुड्डा ने जाटों को दिखाई पीठ</h4>
<div style="text-align: justify;">
दिग्विजय चौटाला ने कहा कि आज चुनाव में हुड्डा को जाटों की याद आई है जब जाटों को हुड्डा की जरूरत थी तो हुड्डा ने जाटों की मदद करने की बजाए जाटों को हमेशा पीठ दिखाने का काम किया। रोहतक में जब चौधरी छोटू राम के नाम से शिक्षण संस्थान बन रहा था तो हुड्डा ने उस शिक्षण संस्थान में भी कोई मदद नहीं की। </div>
<div style="text-align: justify;">
फोटो कैप्शन</div>
<br />
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-74352343589301673532019-05-09T22:09:00.000+05:302019-05-09T22:09:15.179+05:30मोदी ने अपने शासनकाल में ऐसा काम किया देश खुश और विरोधी परेशान : हेमा मालिनी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
--कांग्रेस के शासनकाल में देश के हालात हो गए थे खराब, मोदी ने देश को दी नई दिशा</div>
<div style="text-align: justify;">
--कांग्रेस ने आतंकवाद के खिलाफ नहीं की कार्रवाई, मोदी ने 13 दिन में लिया पुलवामा का बदला</div>
</h3>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<b>जींद, 9 मई (नरेंद्र कुंडू):- </b>मथुरा की सांसद एवं मशहूर वालीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पांच साल के कार्यकाल में देश हित में ऐसे काम किए हैं जिनसे देश की जनता खुश है और विरोधी परेशान। आज कोई भी विरोधी देश भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। देश में विकास का रथ चल रहा है। आज देश में मोदी लहर चल रही है। नरेंद्र मोदी के कार्यों को देखते हुए एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाना जरूरी है। हेमा मालिनी वीरवार को शहर के टाउन हाल पर सोनीपत लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक के पक्ष में प्रचार अभियान के दौरान जनसभा को सम्बोधित कर रही थी। हेमा मालिनी ने बृजवासी अंदाज में राधे-राधे बोलकर अपने भाषण की शुरूआत की। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
हेमा मालिनी ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में देश के हालात बिल्कुल खराब हो गए थे। देश में आतंकवाद, भ्रष्टाचार चर्म पर था। देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह से खराब हो चुकी थी लेकिन 2014 में देश में आई मोदी लहर ने देश को कांग्रेस के कुशासन से मुक्ति दिलाकर देश को नई दिशा देने का काम किया। कांग्रेस के शासनकाल में आतंकवाद ने देश में अपनी जड़े जमा ली थी। कांग्रेस के शासनकाल में मुंबई में इतना बड़ा हमला हुआ लेकिन कांग्रेस ने आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिन में ही सर्जिकल स्ट्राइक कर पुलवामा हमले का बदला ले लिया। हम भाजपा के साथ जुड़कर गर्व महसूस करते हैं। यह हमारा सौभग्य है कि हमें दिन-रात काम करने वाला प्रधानमंत्री मिला है। आज देश से आतंकवाद खत्म हो चुका है और देश विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। इसलिए हमारा फर्ज बनता है कि हम सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सांसद रमेश कौशिक को भारी मतों से विजयी बनाकर नरेंंद्र मोदी के हाथ मजबूत करें। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि विरोधी दलों के लोग उनके पास आएंगे और उन्हें बहलाने का प्रयास करें लेकिन वह उनकी बातों में नहीं आएं। तिरंगे के मान के लिए कमल के फूल के सामने का बटन दबाकर देश में फिर से भाजपा की सरकार लाएं। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
चल धन्नो आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है। </h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
हेमा मालिनी ने अपने भाषण के अंत में शोले फिल्म का डॉयलॉग बोलते हुए कहा 'चल धन्नो आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है और सोनीपत से रमेश कौशिक को जीता देना नहीं तो बसंती नाराज हो जाएगी।Ó हेमा ने मथुरा में अपनी जनसभा का जिक्र करते हुए कहा कि जब धर्मेंद्र मथुरा में उनके पक्ष में जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे तो उन्होंने वहां के लोगों से फिल्मी अंदाज में यही कहा था कि मथुरा से बसंती को जीता देना नहीं तो वीरु नाराज होकर टंकी पर चढ़ जाएगा। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
मोदी बन गया है ट्रेड मार्क</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि आज जब भी वह किसी भी जनसभा को सम्बोधित करने के लिए जाती हैं तो उन्हें भाषण देने की जरूरत नहीं पड़ती। वह माइक से बस मोदी-मोदी बोल देती हैं तो चारों तरफ मोदी-मोदी के नारे गुंजने लगते हैं। आज मोदी एक ट्रेड मार्क बन गया है। मोदी के नारे लगाने वाले लोगों के चेहरे पर एक अलग खुशी नजर आती है। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
हेमा के सभा स्थल पर पहुंचते ही फैली अव्यवस्था, 10 मिनट में निपटाया भाषण</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
सांसद हेमा मालिनी दोपहर 1:20 मिनट पर हेलीपैड से गाड़ी में सवार होकर सभा स्थल पर पहुंची। हेमा के यहां पहुंचते ही उनकी झलक पाने के लिए लोग मंच की तरफ उमड़ पड़े। इससे सभा स्थल पर काफी अव्यवस्था हो गई। पुलिस प्रशासन को व सुरक्षा व्यवस्था में लगे लेगों को व्यवस्था बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। सभा स्थल पर पहुंचने के बाद हेमा मालिनी महज 15 मिनट ही सभा स्थल पर रुकी। हेमा 10 मिनट में अपना भाषण निपटाकर वहां से वापिस रवाना हो गई। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
आज मेरी पहचान फिल्म अभिनेत्री नहीं भाजपा नेत्री के तौर पर है। </h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि उन्हें भाजपा के साथ अपने आप पर गर्व हो रहा है। उन्होंने काफी लंबे समय तक फिल्मों में काम किया इसलिए लोग उन्हें फिल्म अभिनेत्री के तौर पर जानते थे लेकिन अब उनकी पहचान फिल्म अभिनेत्री नहीं भाजपा नेत्री के तौर पर है। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
सेल्फी लेने वाले युवकों को हड़काया</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक के पक्ष में प्रचार के लिए आई वालीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी की नाक पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था। हेमा मालिनी जैसे ही हैलीकॉप्टर से नीचे उतरकर सभा स्थल की तरफ रवाना होने के लिए आई तो रास्ते में कुछ युवक उनके साथ सेल्फी लेने पहुंच गए। सेल्फी लेने वाले युवकों को हेमा मालिनी ने बुरी तरह से डांटा। इसके बाद जब हेमा मालिनी टाउन हाल पर जनसभा को सम्बोधित करने के लिए मंच पर पहुंची तो एक युवक यहां भी उनके साथ सेल्फी लेने लगा। हेमा ने यहां भी उस युवक को बुरी तरह से फटकार लगाई। इतना ही नहीं जब हेमा भाषण देने के लिए उठी तो हेमा ने माइक के पास खड़े सभी लोगों को वहां से हटने का इशारा किया। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
<br />
<div class="yj6qo" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
</div>
<br />
<div style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; font-style: normal; font-variant-caps: normal; font-variant-ligatures: normal; font-weight: 400; letter-spacing: normal; orphans: 2; text-align: justify; text-decoration-color: initial; text-decoration-style: initial; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;">
<br /><table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjMq96XyDolMADisTCLnXxZtmpmbLSWKpShWn9vkWh48VHZ5jrqjtOpqLc1b9TmWtZLHXQHeBlBV7p8Od4THaEP4A5vBSI1glUgDrnNbHafq7ZRm0JRJPiUDk3_BLMShWnJRbcKk-eEK6I/s1600/20Jnd01.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="778" data-original-width="1600" height="155" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjMq96XyDolMADisTCLnXxZtmpmbLSWKpShWn9vkWh48VHZ5jrqjtOpqLc1b9TmWtZLHXQHeBlBV7p8Od4THaEP4A5vBSI1glUgDrnNbHafq7ZRm0JRJPiUDk3_BLMShWnJRbcKk-eEK6I/s320/20Jnd01.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">मंच से लोगों का अभिवादन स्वीकार करती सांसद हेमा मालिनी।</td></tr>
</tbody></table>
<br />
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3NgZCD_VamqWN6HWRw-h2HbJLMgPKjRhiFLHa0VOU2Ed1iUuysefWdZ29tqdWCKovDW5OForChXyKAaSNeVIWbbkLZmia-8eJWUMCrXdq9qf3mBr505qO6VziNJr9Jv-VunlUoEz3nwU/s1600/20Jnd02.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="1200" data-original-width="1600" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3NgZCD_VamqWN6HWRw-h2HbJLMgPKjRhiFLHa0VOU2Ed1iUuysefWdZ29tqdWCKovDW5OForChXyKAaSNeVIWbbkLZmia-8eJWUMCrXdq9qf3mBr505qO6VziNJr9Jv-VunlUoEz3nwU/s320/20Jnd02.JPG" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">जनसभा को सम्बोधित करती हेमा मालिनी। </td></tr>
</tbody></table>
</div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-15081745745569076392019-05-09T22:02:00.000+05:302019-05-09T22:02:39.780+05:30बांगर व खादर के राजनीतिक समीकरणों की मझधार में फंसी उम्मीदवारों की नैया <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">सोनीपत लोकसभा हॉट सीट : </span></div>
<span style="font-size: 12.8px;"><div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">--सोनीपत लोस सीट पर हर उम्मीदवार की अपनी चुनौती</span></div>
</span><div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">--कांग्रेस व भाजपा में बना मुकाबला, अन्य उम्मीदवार जमानत बचाने के लिए कर रहे संघर्ष</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">--रमेश कौशिक मोदी के नाम पर, हुड्डा क्षेत्र की चौधर के नाम तो दिग्विजय जींद को राजधानी बनाने के नाम पर मांग रहे वोट </span></div>
</h3>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
जींद, 8 मई (नरेंद्र कुंडू):- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चुनावी रणक्षेत्र में आने के बाद सोनीपत लोकसभा सीट हॉट सीट बन गई है और पूरे हरियाणा की नजर सोनीपत लोस सीट पर टिकी हुई है। लेकिन सोनीपत लोकसभा क्षेत्र बांगर व खादर दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है। इसमें 6 विधानसभा क्षेत्र खादर (सोनीपत) व 3 विधानसभा क्षेत्र बांगर (जींद) के शामिल हैं। इसके चलते यहां बांगर व खादर क्षेत्र में बन रहे राजनीतिक समीकरणों की मझधार में उम्मीदवारों की नैया फंसी हुई है। यदि पिछले लोकसभा चुनाव परिणाम पर नजर डाली जाए तो मोदी लहर में सांसद रमेश कौशिक को जीत हासिल करवाने में सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के 9 विधानसभा क्षेत्रों में से खादर के तीन व बांगर के दो विधानसभा क्षेत्रों का अहम योगदान था लेकिन इस बार बांगर की धरती पर हो रहे सांसद रमेश कौशिक के विरोध ने सांसद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं जजपा व आप गठबंधन से दिग्विजय चौटाला के चुनाव मैदान में आने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। इस समय यदि चुनावी समीकरणों पर नजर डाली जाए तो मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है। अन्य उम्मीदवारों इस समय केवल अपनी जमानत बचाने के लिए जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। जींद जिले में हो रहे भारी विरोध के बावजूद सांसद रमेश कौशिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा क्षेत्र की चौधर के नाम पर वोट मांगते नजर आ रहे हैं। वहीं जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला जींद को राजधानी बनाने के मुद्दे को भुनाने के प्रयास में हैं। सोनीपत लोकसभा के बांगर व खादर दो अलग-अलग क्षेत्रों में बंटा होने के कारण यहां हर उम्मीदवार के लिए अपनी-अपनी चुनौतियां हैं। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
कांग्रेस के लिए अपना वोट बैंक बचाना भी एक चुनौती</h4>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग रहा है लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद भाजपा कांग्रेस के इस वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रही है। जींद उपचुनाव में इसका परिणाम देखने को मिला है। शहरी पार्टी माने जाने वाली भाजपा ने जींद उपचुनाव में ग्रामीण क्षेत्र से भी अच्छी वोट हासिल की थी। इस प्रकार यदि देखा जाए तो भाजपा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल रही है। इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हैं। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
कांग्रेस की गुटबाजी हुड्डा के लिए खड़ी कर सकती है परेशानी</h4>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
कांग्रेस की अंदरुनी कलह ही कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल है। हाल ही में हुए जींद उपचुनाव में कांग्रेस की गुटबाजी के परिणाम सामने आए थे, जिसके चलते कांग्रेस के दिग्गिज नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला बड़ी मुश्किल से अपनी जमानत बचा पाए थे। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आपसी गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है। कांग्रेस की अंदरुनी गुटबाजी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।</div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">हुड्डा ने देवीलाल को तीन बार किया पराजित, अब चौथी पीढ़ी हुड्डा को दे रही चुनौती </span></h4>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
हरियाणा ही नहीं देश की राजनीति में चौधरी देवीलाल का बड़ा कद रहा है। लेकिन यदि लोकसभा चुनाव के भूतकाल में देखा जाए तो चुनाव मैदान में चौधरी देवीलाल को तीन बार भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के सामने हार का मुंह देखना पड़ा था। रोहतक लोकसभा सीट पर 1991, 1996 व 1998 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीन बार चौधरी देवीलाल को पराजित किया था। अब सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से चौधरी देवीलाल की चौथी पीढ़ी दिग्विजय चौटाला का भूपेंद्र सिंह हुड्डा से आमना-सामना है। दिग्विजय चौटाला के चुनाव मैदान में आने से हुड्डा को नुकसान हो सकता है।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgAP_NWLZUmwgiUuTZZSNdNBYvkY-A_g8sT5eD6lnGvk4YyarOuoj6pCHrajKIVq5Zk92_rb67TW0alzexrRLmShAl3F9YUUCafMaWNmg9QPuxfJ13GL4yv7zNfqerxOp3bC0Hux4P4DHk/s1600/digi.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="225" data-original-width="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgAP_NWLZUmwgiUuTZZSNdNBYvkY-A_g8sT5eD6lnGvk4YyarOuoj6pCHrajKIVq5Zk92_rb67TW0alzexrRLmShAl3F9YUUCafMaWNmg9QPuxfJ13GL4yv7zNfqerxOp3bC0Hux4P4DHk/s1600/digi.jpg" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh3WVF9ICz7KTsXB-bX37cTmaeWFIliyDYx_beCM_khBHyABXmnilv9ybresMFcNNnqLCfgCIdU4_vPNfHnxvshvzJ-m3f2WWqtPgYCZ9x0S6wWnjyMoBvQcrKFGJfNqwy1zR6T6A_7Ohk/s1600/download.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="270" data-original-width="186" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh3WVF9ICz7KTsXB-bX37cTmaeWFIliyDYx_beCM_khBHyABXmnilv9ybresMFcNNnqLCfgCIdU4_vPNfHnxvshvzJ-m3f2WWqtPgYCZ9x0S6wWnjyMoBvQcrKFGJfNqwy1zR6T6A_7Ohk/s1600/download.jpg" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhucM-Yd6hE_-t7tLUeUyh8cJfVp-4wFRP1f04SB6MS-C_arcm8QKotHpRrjoMTLu7oSFmCfIOxZB7uL47tC0GUFTp7R0-Ej66EUY6vtYklAp5CV3dwkF2tUbejeBawJqysKemCezFJJdM/s1600/ramesh.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="259" data-original-width="195" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhucM-Yd6hE_-t7tLUeUyh8cJfVp-4wFRP1f04SB6MS-C_arcm8QKotHpRrjoMTLu7oSFmCfIOxZB7uL47tC0GUFTp7R0-Ej66EUY6vtYklAp5CV3dwkF2tUbejeBawJqysKemCezFJJdM/s1600/ramesh.jpg" /></a></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
कई प्रत्याशी जमानत बचाने के लिए कर रहे जद्दोजहद</h4>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
सोनीपत लोकसभा सीट पर इस समय मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच नजर आ रहा है। जींद उपचुनाव में 37 हजार वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहने वाले जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला के लिए इस बार राह आसान नहीं है। दिग्विजय चौटाला जींद को राजधानी बनाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं लेकिन सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में जींद जिले के केवल तीन व सोनीपत जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। सोनीपत जिले पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का प्रभाव ज्यादा है। इसके चलते जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला की राह आसान नहीं है। इनैलो, लोसपा सहित अन्य उम्मीदवार इस समय जीत के लिए नहीं बल्कि जमानत बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। </div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">शहीद की मां ने सांसद रमेश कौशिक से सवाल पूछे तो चढ़ा सांसद का पारा</span></h4>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
लोकसभा सोनीपत से बीजेपी प्रत्याशी रमेश कोशिश सोमवार देर सायं गांव मुआना में प्रचार अभियान के लिए पहुंचे तो इस दौरान शहीद राजेंद्र राणा की मां ने चौपाल में ही सांसद रमेश कौशिक से सवाल पूछने शुरू कर दिए। शहीद राजेंद्र राणा की मां ने सांसद रमेश कौशिक से कहा कि जब मेरा लड़का शहीद हुआ तो आप पांच लाख रुपए देने की घोषणा करके गए थे लेकिन आज तक वह राशि हमारे परिवार को नहीं मिली है। शहीद की मां के सवाल पूछे जाने के बाद सांसद रमेश कौशिक शहीद की मां पर भड़क गए। इससे नाराज होकर ग्रामीणों ने सांसद रमेश कौशिक के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए सांसद रमेश कौशिक बीच में ही कार्यक्रम छोड़कर चले गए। इसके अलावा भी कई गांवों में सांसद रमेश कौशिक का विरोध हो चुका है। </div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">सोनीपत सीट पर 11 चुनावों में से तीन बार कांग्रेस व तीन बार भाजपा का रहा है कब्जा </span></h4>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
हरियाणा गठन के बाद 1977 में सोनीपत लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था। सोनीपत लोकसभा सीट पर अब तक 11 बार चुनाव हो चुके हैं। इन 11 चुनाव में से सोनीपत सीट पर तीन बार कांग्रेस तो तीन बार भाजपा पार्टी का कब्जा रहा है। जबकि एक-एक बार जनता पार्टी व जनता पार्टी (एस), जनता दल, हरियाणा लोकदल व आजाद उम्मीदवार विजयी होकर लोकसभा पहुंचे हैं। 1984 में कांग्रेस उम्मीदवार धर्मपाल मलिक के सबसे कम 2941 वोटों के अंतराल से जीत हासिल करने तथा 1977 के चुनावों में जनता पार्टी उम्मीदवार मुखत्यार सिंह 280223 वोटों के अंतराल से जीत हासिल करने का रिकार्ड दर्ज है। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: justify;">
</div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-6887538542488251612019-04-23T21:23:00.001+05:302019-04-23T21:23:10.606+05:30डेरा व रामपाल अनुयायियों की नाराजगी भाजपा पर पड़ सकती है भारी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" class="Bs nH iY bAt" role="presentation" style="background-color: white; border-collapse: collapse; border-spacing: 0px; color: #202124; display: block; font-family: Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif; padding: 0px; position: static !important; width: 970.369px;"><tbody>
<tr><td class="Bu yM" style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: initial; background-repeat: initial; background-size: initial; margin: 0px; padding: 0px; vertical-align: top; width: 0px;"><h3>
<br /></h3>
</td><td class="Bu bAn" style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: initial; background-repeat: initial; background-size: initial; display: block; margin: 0px; padding: 0px; vertical-align: top;"><div class="nH if" style="margin: 0px 16px 0px 0px; padding: 0px;">
<div class="nH aHU" style="position: relative;">
<div class="nH hx" style="background-color: transparent; color: #222222; min-width: 502px; padding: 0px;">
<div class="nH" role="list">
<div class="h7 ie nH oy8Mbf" role="listitem" style="clear: both; max-width: 100000px; outline: none; padding-bottom: 0px;" tabindex="-1">
<div class="Bk" style="border-bottom-color: initial; border-bottom-style: initial; border-image: initial; border-left-color: initial; border-left-style: initial; border-radius: 0px; border-right-color: initial; border-right-style: initial; border-top-color: rgb(239, 239, 239); border-top-style: solid; border-width: 0px; float: none !important; margin-bottom: 0px; position: relative; width: 954.006px;">
<div class="G3 G2" style="background-color: transparent; border-bottom: 0px rgba(100, 121, 143, 0.12); border-image: initial; border-left: 0px; border-radius: 0px; border-right: 0px; border-top: none; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; padding-top: 0px;">
<div id=":13s">
<div class="adn ads" data-legacy-message-id="16a49f7ee47ab51d" data-message-id="#msg-a:r-7368611895924712635" style="border-left: none; display: flex; padding: 0px;">
<div class="gs" style="margin: 0px; padding: 0px 0px 20px; width: 890.028px;">
<div class="">
<div class="ii gt" id=":13p" style="direction: ltr; font-size: 12.8px; margin: 8px 0px 0px; padding: 0px; position: relative;">
<div class="a3s aXjCH " id=":13q" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; font-stretch: normal; font-variant-east-asian: normal; font-variant-numeric: normal; line-height: 1.5; overflow: hidden;">
<div dir="ltr">
<div dir="ltr">
<h3>
<span style="background-color: transparent;">--हैवीवेट उम्मीदवार आने से हॉट सीट बनी सोनीपत लोकसभा सीट </span>-- सोनीपत लोकसभा में आसान नहीं है भाजपा की डगर </h3>
<div>
<b>जींद, 23 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):-</b> सोनीपत लोकसभा सीट पर हैवीवेट उम्मीदवार आने के कारण सोनीपत लोकसभा हॉट सीट बन गई है। इसके चलते इस बार सोनीपत लोकसभा सीट पर भाजपा की डगर आसान नहीं होगी। डेरा व रामपाल अनुयायियों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है। क्योंकि सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में डेरा व रामपाल के अनुयायियों का अच्छा प्रभाव रहा है। यदि देखा जाए तो डेरा व रामपाल दोनों के अनुयायियों की संख्या लगभग डेढ़ लाख के करीब हैं। गुरमित राम रहीम व रामपाल के जेल में जाने के कारण दोनों के ही अनुयायी भाजपा से खाप चल रहे हैं और चुनाव नजदीक आते ही दोनों के अनुयायियों ने रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। </div>
<div>
काबिले-गौर है कि सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के चुनावी समर में इस बार राजनीति के दिग्गज उतरे हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस से और आम आदमी पार्टी व जननायक जनता पार्टी गठबंधन से दिग्विजय सिंह चौटाला की सोनीपत से उम्मीदवार के बाद यह पूरे एनसीआर की सबसे हॉट सीट हो गई है। यूं तो सोनीपत भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है क्योंकि 2005 से 2014 तक उनके मुख्यमंत्रित्व काल में उन पर यही आरोप लगता रहा कि उन्होंने प्रदेश की बजाए सिर्फ सोनीपत, रोहतक और झज्जर का ही विकास किया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहली बार सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, जब सोनीपत पुरानी रोहतक लोकसभा सीट में समाहित थी तब उनके पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से सांसद रह चुके हैं। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में कुल नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें सोनीपत जिले की सभी छह सोनीपत, गन्नौर, राई, खरखौदा, गोहना व बरोदा व जींद जिले की तीन जींद, जुलाना व सफीदों सीट शामिल हैं। इस लोस क्षेत्र में 1527895 मतदाता हैं। इनमें 829273 पुरुष व 698622 महिला मतदाता हैं। इसके अलावा 18 से 19 साल के बीच करीब 16180 मतदाता हैं, जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।</div>
<h4>
<span style="background-color: transparent;">डेरा अनुयायी 29 अप्रैल को सिरसा डेरा में स्थापना दिवस पर तैयार करेंगे रणनीति</span></h4>
<div>
सिरसा डेरा सच्चा सौदा के गुरमित राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में जेल होने के बाद से डेरा अनुयायी भाजपा से नाराज चल रहे हैं। इसके चलते भाजपा को इस चुनाव में डेरा अनुयायियों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। वहीं रामपाल के समर्थक भी भाजपा से नाराज चल रहे हैं। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में डेरा के अनुयायियों की संख्या लगभग एक लाख के करीब है, वहीं रामपाल के समर्थकों की संख्या लगभग 40 हजार के करीब है। डेरा के अनुयायी 29 अप्रैल को सिरसा डेरे में स्थापना दिवस के बहाने बड़े स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन कर चुनावी रणनीति तय करेंगे। <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjwZQPVatuy0rRff8narhSsAiHz5Iy3G8iS-WNKf3JD5nkUAI5iSyg7OjlKe7-bIlE_OQQKP9OpRzYz0rFGTF-IiF_1ztaDR1cgql9hzQyieRRgJhGsorNISTypgtwQvVpTWqSEig7F-Q/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="184" data-original-width="273" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjwZQPVatuy0rRff8narhSsAiHz5Iy3G8iS-WNKf3JD5nkUAI5iSyg7OjlKe7-bIlE_OQQKP9OpRzYz0rFGTF-IiF_1ztaDR1cgql9hzQyieRRgJhGsorNISTypgtwQvVpTWqSEig7F-Q/s1600/images.jpg" /></a></div>
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<span style="background-color: transparent;">सोनीपत लोकसभा में अभी तक 11 बार चुनाव</span></h4>
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सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से 1980,1984 में दो बार पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल भी चुनाव लड़ चुके हैं। देवीलाल सिर्फ 1980 में ही चुनाव जीते थे। इस बार ताऊ के परिवार से 35 साल बाद सोनीपत से उनके प्रपौत्र दिग्विजय चौटाला चुनाव लड़ेंगे। सोनीपत लोकसभा में अभी तक 11 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें 9 बार जाट उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, जबकि दो बार गैट जाट ब्राह्मण उम्मीदवार को कामयाबी मिली है। पहली बार 1996 में अरविंद शर्मा सोनीपत से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी, जबकि दूसरी बार 2014 में रमेश चंद्र कौशिक विजयी रहे। सोनीपत लोकसभा सीट पर पिछले पांच चुनाव से कांग्रेस हर बार अपना प्रत्याशी बदल देती है, यानी पुराने उम्मीदवार को दोबारा इस सीट से मौका नहीं मिलता है। 2014 में जगबीर मलिक को टिकट दिया गया था। इससे पहले 2009 में जितेंद्र मलिक को, जबकि 2004 में धर्मपाल मलिक, 1999 में चिरंजी लाल शर्मा और 1998 में बलबीर सिंह को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था। इस बार पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार बने हैं। वर्ष 1972 में सोनीपत जिला बना। इससे पहले सोनीपत रोहतक जिले की तहसील हुआ करती थी। यहां की 83 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है। </div>
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<span style="background-color: transparent;">100 वर्ष की आयु पूरी कर चुके 247 मतदाता</span></h4>
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सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में इस बार 247 मतदाता ऐसे हैं जो 100 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं। इसके अलावा 756007 मतदाता 70 वर्ष और 24831 मतदाता 80 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं। वर्ष 1977 में जब यहां पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए तो मात्र पांच प्रत्याशी ही मैदान में थे, जो कि अब तक का रिकार्ड है। इसके बाद वर्ष 1999 में यहां से छह उम्मीदवारों ने ही चुनाव लड़ा था, जबकि वर्ष 1996 में सबसे अधिक 28 उम्मीदवार मैदान में थे। यहां से पांच बार ऐसा मौका आया है जब 20 या उससे अधिक प्रत्याशी चुनााव मैदान में खड़े थे।</div>
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<span style="background-color: transparent;">सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से अब तक एक भी महिला संसद में नहीं पहुंच पाई है। </span></h4>
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1977 के पहले चुनाव के बाद किसी भी पार्टी ने यहां से किसी महिला को टिकट नहीं दिया है। वर्ष 1977 में कांग्रेस पार्टी की ओर से सुभाषिनी चुनाव मैदान में थी, लेकिन इमरजेंसी को लेकर लोगों के गुस्से का सामना उन्हें भी करना पड़ा और भारतीय लोकदल के मुखत्यार सिंह ने उन्हें करारी शिकस्त दी थी। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में अब तक दो बार ऐसा मौका आया है जब हार-जीत का अंतर दो लाख या उससे ज्यादा रहा है। पहली बार हुए चुनाव में मुखत्यार सिंह ने कांग्रेस के सुभाषिनी को 280233 मतों के अंतर से हराया था, जो कि अब तक का रिकार्ड है। इसके बाद किशन सिंह सांगवान ही वर्ष 1999 में कांग्रेस को चिरंजी लाल को 266138 वोटों से हराकर इसके करीब पहुंचने का प्रयास किया था। </div>
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<div class="gB xu" style="border-top: 0px; padding: 0px;">
<div class="ip iq" style="border-top: none; clear: both; margin: 0px; padding: 16px 0px;">
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<table class="cf wS" role="presentation" style="border-collapse: collapse;"><tbody>
<tr><td class="amq" style="margin: 0px; padding: 0px 16px; vertical-align: top; visibility: hidden; width: 44px;"><img class="ajn bofPge" data-hovercard-id="jinddainik@gmail.com" id=":lg_2" jid="jinddainik@gmail.com" name=":lg" src="https://ssl.gstatic.com/ui/v1/icons/mail/no_photo.png" style="border-radius: 50%; display: block; height: 32px; width: 32px;" /></td><td class="amr" style="margin: 0px; padding: 0px; width: 889.091px;"><div class="nr wR" style="border-radius: 1px; border: none !important; box-sizing: border-box; color: #222222; margin: 0px !important; padding: 0px; transition: none 0s ease 0s;">
<div class="amn" style="align-items: center; color: inherit; display: flex; height: auto; line-height: 20px; padding: 0px;">
<span class="ams bkH" id=":13v" role="link" style="-webkit-font-smoothing: antialiased; -webkit-user-drag: none; align-items: center; background: none; border-radius: 4px; border: none; box-shadow: rgb(218, 220, 224) 0px 0px 0px 1px inset; box-sizing: border-box; color: #5f6368; cursor: pointer; display: inline-flex; font-family: "Google Sans", Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 0.875rem; height: 36px; justify-content: center; letter-spacing: 0.25px; margin-right: 12px; min-width: 104px; outline: none; padding: 0px 16px 0px 12px; position: relative; user-select: none; z-index: 0;" tabindex="0">Reply</span><span class="ams bkI" id=":13u" role="link" style="-webkit-font-smoothing: antialiased; -webkit-user-drag: none; align-items: center; background: none; border-radius: 4px; border: none; box-shadow: rgb(218, 220, 224) 0px 0px 0px 1px inset; box-sizing: border-box; color: #5f6368; cursor: pointer; display: inline-flex; font-family: "Google Sans", Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 0.875rem; height: 36px; justify-content: center; letter-spacing: 0.25px; margin-right: 12px; min-width: 104px; outline: none; padding: 0px 16px 0px 12px; position: relative; user-select: none; z-index: 0;" tabindex="0">Reply to all</span><span class="ams bkG" id=":13t" role="link" style="-webkit-font-smoothing: antialiased; -webkit-user-drag: none; align-items: center; background: none; border-radius: 4px; border: none; box-shadow: rgb(218, 220, 224) 0px 0px 0px 1px inset; box-sizing: border-box; color: #5f6368; cursor: pointer; display: inline-flex; font-family: "Google Sans", Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 0.875rem; height: 36px; justify-content: center; letter-spacing: 0.25px; margin-right: 12px; min-width: 104px; outline: none; padding: 0px 16px 0px 12px; position: relative; user-select: none; z-index: 0;" tabindex="0">Forward</span></div>
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<div class="aeV" id=":143" style="float: left; text-align: left; width: 291.037px;">
<div class="md mj" style="-webkit-font-smoothing: auto; color: #5f6368; font-size: 0.75rem; letter-spacing: 0.3px; line-height: 20px; padding-top: 0px; text-shadow: none;">
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<span dir="ltr"></span><span dir="ltr"></span></div>
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<a class="l9" href="https://www.google.com/intl/en-GB/policies/terms/" style="color: #222222; text-decoration-line: none; text-shadow: none;" target="_blank"></a><a class="l9" href="https://www.google.com/intl/en-GB/policies/privacy/" style="color: #222222; text-decoration-line: none; text-shadow: none;" target="_blank"></a><a class="l9" href="https://www.google.com/gmail/about/policy/" style="color: #222222; text-decoration-line: none; text-shadow: none;" target="_blank"></a></div>
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<div class="l6" style="-webkit-font-smoothing: auto; color: #5f6368; font-size: 0.75rem; letter-spacing: 0.3px; line-height: 20px; padding-top: 0px; text-shadow: none;">
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</td></tr>
</tbody></table>
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nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-8018762927663496812019-04-23T21:19:00.001+05:302019-04-23T21:19:53.824+05:30सोनीपत में इस बार मुकाबला होगा कड़ा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: left;">
<span style="font-size: small;">बीजेपी ने रमेश कौशिक को मैदान में दोबारा उतारा</span><span style="font-size: small;">यहां हुए 12 चुनावों में से 10 बार जाट ही सांसद बने </span></h3>
<div id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5227" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px;">
<span style="font-size: small;"><b>जींद, 19 अप्रेल (नरेंद्र कुंडू) :</b> हरियाणा में इस बार लोकसभा चुनाव में सोनीपत लोकसभा की सीट कुछ खास रहने वाली है। इस सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है वहीं अन्य पार्टियां अभी इंतजार में हैं। बीजेपी ने आज ही मौजूदा सांसद रमेश कौशिक पर दोबारा विश्वास जताया है वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनावी मैदान में उतारने की चर्चाएं जोरों-शोरों से चल रही है। सोनीपत लोकसभा सीट पर बीजेपी ने पिछली लोकसभा चुनाव में बाजी मार ली थी। जाटलैंड की इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में कौशिक यानी ब्राह्मण नेता ने बाजी मार ली थी। इस बार मुकाबला इस सीट पर कड़ा होने की संभावना है। इधर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के सुप्रीमो राजकुमार सैनी ने भी सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के संकेत दिये हैं। हरियाणा का वह लोकसभा क्षेत्र है जो भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा से ही कुछ हद तक मजबूत रहा है। वरिष्ठ नेता स्वर्गीय किशन सिंह सांगवान यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीते जिनमें से दो बार वे भाजपा की टिकट पर लड़े थे। फरीदाबाद के अलावा यह इकलौती लोकसभा सीट है जहां भाजपा ने लगातार दो चुनाव जीते। दरअसल किशन सिंह सांगवान लोकदल के नेता थे और 1998 में यहां से हरियाणा लोकदल की टिकट पर सांसद बने थे लेकिन 1999 में भाजपा से गठबंधन के तहत यह सीट भाजपा को दे दी गई। चुनाव लडऩे के लिए किशन सिंह सांगवान भाजपा में चले गए और अगले दोनों चुनाव उन्होंने भाजपा की टिकट पर जीते। 2004 में चुनी गई लोकसभा में तो वे हरियाणा से भाजपा के अकेले सांसद थे। सोनीपत सीट जाट नेताओं के दबदबे वाली सीट रही है और सिर्फ 1996 में अरविंद शर्मा ही अन्य जाति से सांसद बने थे। 2014 में रमेश कौशिक ने एक बार फिर जाटलैंड की इस सीट में ब्राह्मण नेतृत्व की वापसी करवाई। इनके अलावा यहां हुए 12 चुनावों में से 10 बार जाट ही सांसद बने हैं। सोनीपत लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा झज्जर लोकसभा सीट में था जो 1951 से 1971 तक रही। झज्जर सीट से वरिष्ठ नेता और चै देवीलाल के साथी रहे प्रो शेर सिंह दो बार सांसद बने थे। बाद में चै देवीलाल भी 1980 में सोनीपत सीट से सांसद बने। देवीलाल को 1983 उपचुनाव और 1984 लोकसभा आम चुनाव में सोनीपत से हार का सामना भी करना पड़ा। चै भजनलाल के करीबी रहे धर्मपाल मलिक भी यहां से दो बार (1984, 1991) सांसद बने। मौजूदा समय में सोनीपत लोकसभा में पूरा सोनीपत जिला और जींद जिले के सफीदों, जींद और जुलाना विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2014 चुनाव के लिए भाजपा ने यहां से पूर्व विधायक रमेश कौशिक को टिकट दी जो कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। रमेश कौशिक 1996 में सोनीपत जिले की कैलाना सीट से हविपा के और 2005 में सोनीपत जिले की ही राई सीट से कांग्रेस के विधायक बने थे। रमेश कौशिक को लोकसभा की टिकट मिलना यहां के पुराने भाजपाईयों को लिए हैरानी का विषय था लेकिन कौशिक ने जल्द ही ज्यादातर को राजी कर लिया। मोदी लहर के सहारे कौशिक ने यहां के गन्नौर, राई, सोनीपत, सफीदों और जींद विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोट लिए जबकि खरखौदा और बरोदा में उन्हें कांग्रेस और इनेलो के मुकाबले कम वोट मिले। सोनीपत विधानसभा क्षेत्र ने तो उन्हें लगभग 30 हजार वोटों की बढ़त दी। विशेष बात यह रही कि चुनाव के वक्त भी इस क्षेत्र में सिर्फ सोनीपत सीट से ही भाजपा का विधायक था और 5 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ सोनीपत से ही भाजपा जीती। इस लिहाज से देखें तो विधानसभा के स्तर पर यह भाजपा के लिए न्यूनतम सुधार वाला क्षेत्र रहा। रमेश कौशिक को कुल 35.23 प्रतिशत वोट मिले जबकि 2009 में भाजपा की टिकट पर लड़े किशन सिंह सांगवान को करीब 25: वोट ही मिले थे। उनकी जीत करीब 77 हजार वोटों यानी लगभग 8: की रही जो हरियाणा में जीते भाजपा उम्मीदवारों में सबसे कम थी। कांग्रेस के गढ़ और इनेलो के मजबूत कार्यकर्ताओं वाले इस क्षेत्र में रमेश कौशिक की जीत एक महत्वपूर्ण घटना रही।कांग्रेस पार्टी ने गोहाना से विधायक जगबीर मलिक को लोकसभा की टिकट दी थी। जगबीर मलिक पहली बार 1996 में गोहाना से ही विधायक बने थे और उन्होंने समता पार्टी के किशन सिंह सांगवान को हराया था। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में मलिक को गोहाना में इनेलो के राजकुमार सैणी से हार देखनी पड़ी थी। जगबीर मलिक दोबारा 2008 में उस वक्त विधायक बने जब धर्मपाल मलिक कांग्रेस छोड़ हजका में चले गए थे और गोहाना में उपचुनाव हुआ था। इसके बाद 2009 में वे फिर से गोहाना से ही विधायक बने।2009 में सोनीपत से सांसद बने जितेंद्र मलिक के इस बार चुनाव लडऩे से मना कर देने और गन्नौर से विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए पार्टी ही छोड़ देने के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी जगबीर मलिक को टिकट थमा दी। चुनाव के समय सोनीपत शहर को छोड़कर जिले की पांच सीटों पर कांग्रेस के विधायक थे और यही स्थिति 5 माह बाद हुए विधानसभा चुनावों में भी बनी रही। इन्हीं 5 सीटों पर कांग्रेस दोबारा जीती। इस पैमाने पर यह लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस पार्टी के लिए विधानसभा स्तर पर सबसे ज्यादा संतोषजनक रहा।रोहतक क्षेत्र में भी कांग्रेस अपनी सभी सीटें नहीं बचा सकी थी। जगबीर मलिक को खरखौदा, गोहाना और बरोदा विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोट मिले जबकि गन्नौर, राई और सोनीपत में वे दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें जींद, जुलाना और सफीदों में काफी कम वोट मिले। चुनाव में जगबीर मलिक ने 27.37: वोट लिए जबकि 2009 में पार्टी उम्मीदवार जितेंद्र मलिक को 47.57: वोट मिले थे। वोटों की संख्या में लगभग 40 फीसदी की यह कमी कांग्रेस के लिए चुनौती वाला पहलू थी। इनेलो की तरफ से सोनीपत सीट पर लोकसभा उम्मीदवार थे पदम सिंह दहिया जो काफी समय से सोनीपत जिले के पार्टी प्रधान थे। पदम दहिया 2000 में रोहट सीट से विधायक बने थे जिसे बाद में खत्म कर खरखौदा आरक्षित सीट बना दी गई। पदम सिंह ने रोहट से 1996 और 2005 के चुनाव भी लड़े थे और हार गए थे। लोकसभा चुनाव के समय इस क्षेत्र में जींद जिले की तीनों सीटों सफीदों, जींद और जुलाना में इनेलो के विधायक थे जिनमें से जींद और जुलाना सीटें पार्टी ने अक्तूबर 2014 के चुनाव में फिर से जीती। पदम दहिया को जुलाना सीट पर सबसे ज्यादा वोट मिले जबकि सफीदों, बरोदा, खरखौदा सीटों पर वे दूसरे नंबर पर रहे। दहिया को सोनीपत और गोहाना सीटों पर काफी कम वोट मिले। उन्हें मिले वोट कुल मतदान का 26.83: था और वे जगबीर मलिक से कुछ वोट कम मिलने की वजह से तीसरे स्थान पर खिसक गए थे। इस चुनाव में इनेलो के लिए संतोष की बात यह रही कि उनका उम्मीदवार कहीं भी तीसरे स्थान पर नहीं खिसका। पदम दहिया को सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में पहले या दूसरे नंबर के वोट मिले। 2009 में इनेलो ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था और इनेलो-भाजपा गठबंधन के यहां उम्मीदवार किशन सिंह सांगवान थे। अब 2014 में इनेलो के लोकसभा उम्मीदवार रहे पदम सिंह दहिया ने अपना पाला बदलकर जेजेपी का दामन थाम लिया है।सोनीपत सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जय सिंह ठेकेदार थे जिन्होंने करीब 50 हजार वोट लिए और वे चौथे स्थान पर रहे। जय सिंह को सर्वाधिक 8666 वोट सोनीपत विधानसभा क्षेत्र से मिले। सोनीपत लोकसभा सीट पर 2014 में विशेष बात यह रही कि सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा के रमेश कौशिक, कांग्रेस के जगबीर मलिक और इनेलो के पदम सिंह दहिया का यह पहला लोकसभा चुनाव था। खास बात यह भी है कि तीनों ही हरियाणा विधानसभा के सदस्य रह चुके थे। यह बात भी दिलचस्प रही कि सोनीपत जिले में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के वोट काफी घटे जबकि विधानसभा चुनाव आते ही यहां के लोगों ने कांग्रेस को फिर से 5 सीटें दी। इस बार के लोकसभा चुनाव में यहां पर मुकाबला इसलिए भी रोचक होने की संभावना है क्योंकि इस सीट पर हरियाणा के दिग्गज नेताओं के चुनावी दंगल में उतरने की संभावना है। ऐसे में इस सीट पर चुनावी मुकाबले के बीच हरियाणा में नई पार्टी आई जेजेपी भी जोर-शोर से तैयारी कर रही है। यहां पर जेजेपी के दिग्गज नेता इस जाटलैंड में अपनी छाप छोडऩे के लिए मेहनत कर रहे हैं।</span></div>
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nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-12461537469734400532019-04-23T21:19:00.000+05:302019-04-23T21:19:09.948+05:30रोचक होगा सोनीपत लोकसभा का मुकाबला <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<div class="gA gt acV" style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background: rgb(255, 255, 255); border-bottom-left-radius: 0px; border-bottom-right-radius: 0px; border-top: none; color: #222222; font-family: Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 12.8px; font-style: normal; font-variant-caps: normal; font-variant-ligatures: normal; font-weight: 400; letter-spacing: normal; margin: 0px; orphans: 2; padding: 0px; text-align: start; text-decoration-color: initial; text-decoration-style: initial; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; width: auto; word-spacing: 0px;">
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<h3 style="border-top: none; clear: both; margin: 0px; padding: 16px 0px; text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small; font-weight: 400;">कांग्रेस व जजपा प्रत्याशियों की घोषणा से बढ़ी भाजपा की मुश्किलें</span></div>
<span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"><div style="text-align: justify;">
<span style="font-weight: 400;">मोदी लहर में भी रमेश कौशिक 9 विधानसभा में से महज पांच विधानसभा क्षेत्रों में ही बना पाए थे बढ़त </span></div>
</span></h3>
</div>
</div>
<br />
<div class="adn ads" data-legacy-message-id="16a452ab106bd606" data-message-id="#msg-a:r126880484406669401" style="-webkit-text-stroke-width: 0px; border-left: none; color: #222222; display: flex; font-family: Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: medium; font-style: normal; font-variant-caps: normal; font-variant-ligatures: normal; letter-spacing: normal; orphans: 2; padding: 0px; text-align: start; text-decoration-color: initial; text-decoration-style: initial; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;">
<div class="gs" style="margin: 0px; padding: 0px 0px 20px; width: 890.028px;">
<div class="">
<div class="ii gt" id=":14s" style="direction: ltr; font-size: 12.8px; margin: 8px 0px 0px; padding: 0px; position: relative;">
<div class="a3s aXjCH " id=":14r" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; font-stretch: normal; font-style: normal; font-variant: normal; line-height: 1.5; overflow: hidden;">
<div dir="ltr">
<div dir="ltr">
<div style="background-color: white; text-align: justify;">
<b>जींद, 22 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):</b>- सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में इस बार मुकाबला काफी रौचक होगा। कांग्रेस व जजपा द्वारा अपने प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व जजपा से दिग्विजय चौटाला को टिकट दिए जाने के बाद सोनीपत लोकसभा क्षेत्र हॉट सीट बन गई है। क्योंकि सोनीपत जिले में कांग्रेस तथा जींद जिले में जजपा काफी मजबूत स्थित में है। वहीं जींद जिले के कई गांवों में ग्रामीणों द्वारा सांसद रमेश कौशिक का विरोध होने तथा कांग्रेस की टिकट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चुनाव मैदान में आने से भाजपा की मुश्किलें ओर बढ़ गई हैं। इसका दूसरा मुख्य कारण यह भी है कि 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भी रमेश कौशिक 9 विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ सोनीपत, गन्नोर, राई, सफीदों व जींद पांच विधानसभा क्षेत्रों में ही बढ़त बना पाए थे। इसके अलावा अगर देखा जाए तो 2014 के लोकसभा चुनाव के पांच माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में सोनीपत शहर को छोड़कर सोनीपत जिले की पांच सीटों पर कांग्रेस ने दोबारा जीती हासिल की। जींद जिले के गांवों में सांसद का विरोध होने तथा सोनीपत क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभाव होने के कारण भी इस बार सोनीपत लोकसभा क्षेत्र का रण भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। उधर से जजपा ने भी युवा चेहरे पर दांव खेला है। सोनीपत लोकसभा से जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला जींद उपचुनाव में 37 हजार वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। <div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjwZQPVatuy0rRff8narhSsAiHz5Iy3G8iS-WNKf3JD5nkUAI5iSyg7OjlKe7-bIlE_OQQKP9OpRzYz0rFGTF-IiF_1ztaDR1cgql9hzQyieRRgJhGsorNISTypgtwQvVpTWqSEig7F-Q/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="184" data-original-width="273" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjwZQPVatuy0rRff8narhSsAiHz5Iy3G8iS-WNKf3JD5nkUAI5iSyg7OjlKe7-bIlE_OQQKP9OpRzYz0rFGTF-IiF_1ztaDR1cgql9hzQyieRRgJhGsorNISTypgtwQvVpTWqSEig7F-Q/s1600/images.jpg" /></a></div>
</div>
<h4 style="background-color: white; font-weight: normal; text-align: justify;">
मोदी लहर में भाजपा को पांच विधानसभा सीटों पर ही मिल पाई थी बढ़त </h4>
<div style="background-color: white; font-weight: normal; text-align: justify;">
मोदी लहर के सहारे रमेश कौशिक ने सोनीपत लोकसभा के गन्नौर, राई, सोनीपत, सफीदों और जींद विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोट लिए जबकि खरखौदा और बरोदा में उन्हें कांग्रेस और इनेलो के मुकाबले कम वोट मिले। सोनीपत विधानसभा क्षेत्र ने तो उन्हें लगभग 30 हजार वोटों की बढ़त दी। विशेष बात यह रही कि चुनाव के वक्त भी इस क्षेत्र में सिर्फ सोनीपत सीट से ही भाजपा का विधायक था और 5 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ सोनीपत से ही भाजपा जीती। सोनीपत के बाकि पांच विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने दोबारा से जीत हासिल की थी। इस लिहाज से देखें तो विधानसभा के स्तर पर यह भाजपा के लिए न्यूनतम सुधार वाला क्षेत्र रहा। रमेश कौशिक की जीत करीब 77 हजार वोटों यानी लगभग 8 प्रतिशत की रही जो हरियाणा में जीते भाजपा उम्मीदवारों में सबसे कम थी। वहीं लोकसभा चुनाव के समय इस क्षेत्र में जींद जिले की तीनों सीटों सफीदों, जींद और जुलाना में इनेलो के विधायक थे जिनमें से जींद और जुलाना सीटें पर इनैलो पार्टी ने अक्तूबर 2014 के चुनाव में फिर से जीती। </div>
<div style="background-color: white; font-weight: normal; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="background-color: white; font-weight: normal; text-align: justify;">
सोनीपत लोकसभा में 11 चुनाव में तीन बार कांग्रेस व तीन बार भाजपा का रहा है कब्जा</h4>
<div style="background-color: white; font-weight: normal; text-align: justify;">
सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक हुए 11 चुनावों में तीन बार कांग्रेस व तीन बार भाजपा का कब्जा रहा है। जबकि एक-एक बार जनता पार्टी, जनता पार्टी (एस), जनता दल, हरियाणा लोकदल व आजाद उम्मीदवार विजयी होकर लोकसभा पहुंचे हैं। 1984 में कांग्रेस उम्मीदवार धर्मपाल मलिक 2941 सबसे कम वोटों से व 1977 के चुनाव में जनता पार्टी उम्मीदवार मुख्यत्यार सिंह 280223 सबसे ज्यादा वोटों के अंतराल से विजयी घोषित हुए हैं। इस लोकसभा क्षेत्र से किशन सिंह सांगवान लगातार तीन बार व धर्मपाल मलिक दो बार जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। मुख्यत्यार सिंह, देवीलाल, कपिल देव शास्त्री, अरविंद कुमार, जितेंद्र मलिक व रमेश कौशिक ने एक-एक बार प्रतिनिधित्व किया है। </div>
<div style="background-color: white; font-weight: normal; text-align: justify;">
बॉक्स</div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">विधानसभा क्षेत्र<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>भाजपा<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>कांग्रेस<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>इनैलो<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>बसापा<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> आप<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> नोटा</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">गनौर<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>37218<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 33180<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>29077<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>1883<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>3777<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>180</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">राई<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>34932<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 29978<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>29610<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>2344<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>5740<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>238</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">खरखौदा<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>24426<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 32912<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>28081<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>1770<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>3651<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>182</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">सोनीपत<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>57832<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 28559<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>15480<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>2449<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>8666<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>769</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">गोहाना<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>33726<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 35466<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>28395 2183<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>5300<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>224</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">बरोदा<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>26110<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 43439<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>29817<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>2811<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>4269<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>171</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">जुलाना<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>33960<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 23632<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>41895<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>3172<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>6093<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>156</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">सफीदों<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>47986<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 25770<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>32067<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>4277<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>4011<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>183</span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">जींद<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>50789<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 16791<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>29862<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>3213<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>7058<span style="white-space: pre-wrap;"> </span><span> </span>298<span style="white-space: pre-wrap;"> </span></span></div>
<div style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">पोस्टल मत<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 224<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 62<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 120<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 1<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 32 2</span></div>
<div style="font-weight: normal;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;">कुल<span style="white-space: pre-wrap;"> </span>347203 269789<span style="white-space: pre-wrap;"> </span> 264404 24103 58597 2403</span></div>
<div class="yj6qo">
</div>
<div class="adL" style="text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc; white-space: pre-wrap;"> </span></div>
</div>
<div class="adL" style="font-weight: normal; text-align: justify;">
<span style="background-color: #f4cccc;"><br /></span></div>
<div class="adL" style="background-color: white; font-weight: normal; text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
</div>
<div class="adL" style="background-color: white; font-weight: normal;">
</div>
</div>
</div>
<div class="hq gt a10" id=":16i" style="background-color: white; clear: both; font-size: 12.8px; font-weight: 400; margin: 15px 0px;">
<div class="hp" style="border-top: 1px dotted rgb(216, 216, 216); text-align: justify; width: 890.028px;">
</div>
<div class="a3I" style="height: 1px; left: -10000px; overflow: hidden; position: absolute; text-align: justify; top: -10000px; width: 1px;">
Attachments area</div>
<div id=":16l">
</div>
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<div class="aZK" style="clear: both; height: 0px; overflow: hidden;">
</div>
</div>
</div>
<div class="hi" style="background: rgb(242, 242, 242); border-bottom-left-radius: 1px; border-bottom-right-radius: 1px; font-weight: 400; margin: 0px; padding: 0px; width: auto;">
</div>
</div>
</div>
<div class="ajx" style="background-color: white; clear: both; font-weight: 400; text-align: justify;">
</div>
</div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-20259875893411199182019-04-19T08:49:00.000+05:302019-04-19T08:49:04.733+05:30सोनीपत में इस बार मुकाबला होगा कड़ा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small;">बीजेपी ने रमेश कौशिक को मैदान में दोबारा उतारा</span></div>
<span style="font-size: small;"><div style="text-align: justify;">
यहां हुए 12 चुनावों में से 10 बार जाट ही सांसद बने </div>
</span></h3>
<div id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5227" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<span style="font-size: small;"><b>जींद, 19 अप्रेल (नरेंद्र कुंडू) :</b> हरियाणा में इस बार लोकसभा चुनाव में सोनीपत लोकसभा की सीट कुछ खास रहने वाली है। इस सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है वहीं अन्य पार्टियां अभी इंतजार में हैं। बीजेपी ने आज ही मौजूदा सांसद रमेश कौशिक पर दोबारा विश्वास जताया है वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनावी मैदान में उतारने की चर्चाएं जोरों-शोरों से चल रही है। सोनीपत लोकसभा सीट पर बीजेपी ने पिछली लोकसभा चुनाव में बाजी मार ली थी। जाटलैंड की इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में कौशिक यानी ब्राह्मण नेता ने बाजी मार ली थी। इस बार मुकाबला इस सीट पर कड़ा होने की संभावना है। इधर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के सुप्रीमो राजकुमार सैनी ने भी सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के संकेत दिये हैं। हरियाणा का वह लोकसभा क्षेत्र है जो भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा से ही कुछ हद तक मजबूत रहा है। वरिष्ठ नेता स्वर्गीय किशन सिंह सांगवान यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीते जिनमें से दो बार वे भाजपा की टिकट पर लड़े थे। फरीदाबाद के अलावा यह इकलौती लोकसभा सीट है जहां भाजपा ने लगातार दो चुनाव जीते। दरअसल किशन सिंह सांगवान लोकदल के नेता थे और 1998 में यहां से हरियाणा लोकदल की टिकट पर सांसद बने थे लेकिन 1999 में भाजपा से गठबंधन के तहत यह सीट भाजपा को दे दी गई। चुनाव लडऩे के लिए किशन सिंह सांगवान भाजपा में चले गए और अगले दोनों चुनाव उन्होंने भाजपा की टिकट पर जीते। 2004 में चुनी गई लोकसभा में तो वे हरियाणा से भाजपा के अकेले सांसद थे। सोनीपत सीट जाट नेताओं के दबदबे वाली सीट रही है और सिर्फ 1996 में अरविंद शर्मा ही अन्य जाति से सांसद बने थे। 2014 में रमेश कौशिक ने एक बार फिर जाटलैंड की इस सीट में ब्राह्मण नेतृत्व की वापसी करवाई। इनके अलावा यहां हुए 12 चुनावों में से 10 बार जाट ही सांसद बने हैं। सोनीपत लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा झज्जर लोकसभा सीट में था जो 1951 से 1971 तक रही। झज्जर सीट से वरिष्ठ नेता और चै देवीलाल के साथी रहे प्रो शेर सिंह दो बार सांसद बने थे। बाद में चै देवीलाल भी 1980 में सोनीपत सीट से सांसद बने। देवीलाल को 1983 उपचुनाव और 1984 लोकसभा आम चुनाव में सोनीपत से हार का सामना भी करना पड़ा। चै भजनलाल के करीबी रहे धर्मपाल मलिक भी यहां से दो बार (1984, 1991) सांसद बने। मौजूदा समय में सोनीपत लोकसभा में पूरा सोनीपत जिला और जींद जिले के सफीदों, जींद और जुलाना विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2014 चुनाव के लिए भाजपा ने यहां से पूर्व विधायक रमेश कौशिक को टिकट दी जो कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। रमेश कौशिक 1996 में सोनीपत जिले की कैलाना सीट से हविपा के और 2005 में सोनीपत जिले की ही राई सीट से कांग्रेस के विधायक बने थे। रमेश कौशिक को लोकसभा की टिकट मिलना यहां के पुराने भाजपाईयों को लिए हैरानी का विषय था लेकिन कौशिक ने जल्द ही ज्यादातर को राजी कर लिया। मोदी लहर के सहारे कौशिक ने यहां के गन्नौर, राई, सोनीपत, सफीदों और जींद विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोट लिए जबकि खरखौदा और बरोदा में उन्हें कांग्रेस और इनेलो के मुकाबले कम वोट मिले। सोनीपत विधानसभा क्षेत्र ने तो उन्हें लगभग 30 हजार वोटों की बढ़त दी। विशेष बात यह रही कि चुनाव के वक्त भी इस क्षेत्र में सिर्फ सोनीपत सीट से ही भाजपा का विधायक था और 5 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ सोनीपत से ही भाजपा जीती। इस लिहाज से देखें तो विधानसभा के स्तर पर यह भाजपा के लिए न्यूनतम सुधार वाला क्षेत्र रहा। रमेश कौशिक को कुल 35.23 प्रतिशत वोट मिले जबकि 2009 में भाजपा की टिकट पर लड़े किशन सिंह सांगवान को करीब 25: वोट ही मिले थे। उनकी जीत करीब 77 हजार वोटों यानी लगभग 8: की रही जो हरियाणा में जीते भाजपा उम्मीदवारों में सबसे कम थी। कांग्रेस के गढ़ और इनेलो के मजबूत कार्यकर्ताओं वाले इस क्षेत्र में रमेश कौशिक की जीत एक महत्वपूर्ण घटना रही।कांग्रेस पार्टी ने गोहाना से विधायक जगबीर मलिक को लोकसभा की टिकट दी थी। जगबीर मलिक पहली बार 1996 में गोहाना से ही विधायक बने थे और उन्होंने समता पार्टी के किशन सिंह सांगवान को हराया था। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में मलिक को गोहाना में इनेलो के राजकुमार सैणी से हार देखनी पड़ी थी। जगबीर मलिक दोबारा 2008 में उस वक्त विधायक बने जब धर्मपाल मलिक कांग्रेस छोड़ हजका में चले गए थे और गोहाना में उपचुनाव हुआ था। इसके बाद 2009 में वे फिर से गोहाना से ही विधायक बने।2009 में सोनीपत से सांसद बने जितेंद्र मलिक के इस बार चुनाव लडऩे से मना कर देने और गन्नौर से विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए पार्टी ही छोड़ देने के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी जगबीर मलिक को टिकट थमा दी। चुनाव के समय सोनीपत शहर को छोड़कर जिले की पांच सीटों पर कांग्रेस के विधायक थे और यही स्थिति 5 माह बाद हुए विधानसभा चुनावों में भी बनी रही। इन्हीं 5 सीटों पर कांग्रेस दोबारा जीती। इस पैमाने पर यह लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस पार्टी के लिए विधानसभा स्तर पर सबसे ज्यादा संतोषजनक रहा।रोहतक क्षेत्र में भी कांग्रेस अपनी सभी सीटें नहीं बचा सकी थी। जगबीर मलिक को खरखौदा, गोहाना और बरोदा विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोट मिले जबकि गन्नौर, राई और सोनीपत में वे दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें जींद, जुलाना और सफीदों में काफी कम वोट मिले। चुनाव में जगबीर मलिक ने 27.37: वोट लिए जबकि 2009 में पार्टी उम्मीदवार जितेंद्र मलिक को 47.57: वोट मिले थे। वोटों की संख्या में लगभग 40 फीसदी की यह कमी कांग्रेस के लिए चुनौती वाला पहलू थी। इनेलो की तरफ से सोनीपत सीट पर लोकसभा उम्मीदवार थे पदम सिंह दहिया जो काफी समय से सोनीपत जिले के पार्टी प्रधान थे। पदम दहिया 2000 में रोहट सीट से विधायक बने थे जिसे बाद में खत्म कर खरखौदा आरक्षित सीट बना दी गई। पदम सिंह ने रोहट से 1996 और 2005 के चुनाव भी लड़े थे और हार गए थे। लोकसभा चुनाव के समय इस क्षेत्र में जींद जिले की तीनों सीटों सफीदों, जींद और जुलाना में इनेलो के विधायक थे जिनमें से जींद और जुलाना सीटें पार्टी ने अक्तूबर 2014 के चुनाव में फिर से जीती। पदम दहिया को जुलाना सीट पर सबसे ज्यादा वोट मिले जबकि सफीदों, बरोदा, खरखौदा सीटों पर वे दूसरे नंबर पर रहे। दहिया को सोनीपत और गोहाना सीटों पर काफी कम वोट मिले। उन्हें मिले वोट कुल मतदान का 26.83: था और वे जगबीर मलिक से कुछ वोट कम मिलने की वजह से तीसरे स्थान पर खिसक गए थे। इस चुनाव में इनेलो के लिए संतोष की बात यह रही कि उनका उम्मीदवार कहीं भी तीसरे स्थान पर नहीं खिसका। पदम दहिया को सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में पहले या दूसरे नंबर के वोट मिले। 2009 में इनेलो ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था और इनेलो-भाजपा गठबंधन के यहां उम्मीदवार किशन सिंह सांगवान थे। अब 2014 में इनेलो के लोकसभा उम्मीदवार रहे पदम सिंह दहिया ने अपना पाला बदलकर जेजेपी का दामन थाम लिया है।सोनीपत सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जय सिंह ठेकेदार थे जिन्होंने करीब 50 हजार वोट लिए और वे चौथे स्थान पर रहे। जय सिंह को सर्वाधिक 8666 वोट सोनीपत विधानसभा क्षेत्र से मिले। सोनीपत लोकसभा सीट पर 2014 में विशेष बात यह रही कि सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा के रमेश कौशिक, कांग्रेस के जगबीर मलिक और इनेलो के पदम सिंह दहिया का यह पहला लोकसभा चुनाव था। खास बात यह भी है कि तीनों ही हरियाणा विधानसभा के सदस्य रह चुके थे। यह बात भी दिलचस्प रही कि सोनीपत जिले में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के वोट काफी घटे जबकि विधानसभा चुनाव आते ही यहां के लोगों ने कांग्रेस को फिर से 5 सीटें दी। इस बार के लोकसभा चुनाव में यहां पर मुकाबला इसलिए भी रोचक होने की संभावना है क्योंकि इस सीट पर हरियाणा के दिग्गज नेताओं के चुनावी दंगल में उतरने की संभावना है। ऐसे में इस सीट पर चुनावी मुकाबले के बीच हरियाणा में नई पार्टी आई जेजेपी भी जोर-शोर से तैयारी कर रही है। यहां पर जेजेपी के दिग्गज नेता इस जाटलैंड में अपनी छाप छोडऩे के लिए मेहनत कर रहे हैं।</span></div>
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<div id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5224" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px;">
<span style="font-size: small;">सोनीपत में इस बार मुकाबला होगा कड़ा</span></div>
<div id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5225" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px;">
<span style="font-size: small;">बीजेपी ने रमेश कौशिक को मैदान में दोबारा उतारा</span></div>
<div id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5226" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px;">
<span style="font-size: small;">यहां हुए 12 चुनावों में से 10 बार जाट ही सांसद बने </span></div>
<div id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5227" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px;">
<span style="font-size: small;">-अशोक छाबड़ा-</span></div>
<div id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5228" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px;">
<span id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5374"><span id="m_3854310020862290390yui_3_16_0_ym19_1_1554636714419_5373" style="font-size: small;">जींद। हरियाणा में इस बार लोकसभा चुनाव में सोनीपत लोकसभा की सीट कुछ खास रहने वाली है। इस सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है वहीं अन्य पार्टियां अभी इंतजार में हैं। बीजेपी ने आज ही मौजूदा सांसद रमेश कौशिक पर दोबारा विश्वास जताया है वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनावी मैदान में उतारने की चर्चाएं जोरों-शोरों से चल रही है। सोनीपत लोकसभा सीट पर बीजेपी ने पिछली लोकसभा चुनाव में बाजी मार ली थी। जाटलैंड की इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में कौशिक यानी ब्राह्मण नेता ने बाजी मार ली थी। इस बार मुकाबला इस सीट पर कड़ा होने की संभावना है। इधर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के सुप्रीमो राजकुमार सैनी ने भी सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के संकेत दिये हैं। हरियाणा का वह लोकसभा क्षेत्र है जो भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा से ही कुछ हद तक मजबूत रहा है। वरिष्ठ नेता स्वर्गीय किशन सिंह सांगवान यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीते जिनमें से दो बार वे भाजपा की टिकट पर लड़े थे। फरीदाबाद के अलावा यह इकलौती लोकसभा सीट है जहां भाजपा ने लगातार दो चुनाव जीते। दरअसल किशन सिंह सांगवान लोकदल के नेता थे और 1998 में यहां से हरियाणा लोकदल की टिकट पर सांसद बने थे लेकिन 1999 में भाजपा से गठबंधन के तहत यह सीट भाजपा को दे दी गई। चुनाव लडऩे के लिए किशन सिंह सांगवान भाजपा में चले गए और अगले दोनों चुनाव उन्होंने भाजपा की टिकट पर जीते। 2004 में चुनी गई लोकसभा में तो वे हरियाणा से भाजपा के अकेले सांसद थे। सोनीपत सीट जाट नेताओं के दबदबे वाली सीट रही है और सिर्फ 1996 में अरविंद शर्मा ही अन्य जाति से सांसद बने थे। 2014 में रमेश कौशिक ने एक बार फिर जाटलैंड की इस सीट में ब्राह्मण नेतृत्व की वापसी करवाई। इनके अलावा यहां हुए 12 चुनावों में से 10 बार जाट ही सांसद बने हैं। सोनीपत लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा झज्जर लोकसभा सीट में था जो 1951 से 1971 तक रही। झज्जर सीट से वरिष्ठ नेता और चै देवीलाल के साथी रहे प्रो शेर सिंह दो बार सांसद बने थे। बाद में चै देवीलाल भी 1980 में सोनीपत सीट से सांसद बने। देवीलाल को 1983 उपचुनाव और 1984 लोकसभा आम चुनाव में सोनीपत से हार का सामना भी करना पड़ा। चै भजनलाल के करीबी रहे धर्मपाल मलिक भी यहां से दो बार (1984, 1991) सांसद बने। मौजूदा समय में सोनीपत लोकसभा में पूरा सोनीपत जिला और जींद जिले के सफीदों, जींद और जुलाना विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2014 चुनाव के लिए भाजपा ने यहां से पूर्व विधायक रमेश कौशिक को टिकट दी जो कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। रमेश कौशिक 1996 में सोनीपत जिले की कैलाना सीट से हविपा के और 2005 में सोनीपत जिले की ही राई सीट से कांग्रेस के विधायक बने थे। रमेश कौशिक को लोकसभा की टिकट मिलना यहां के पुराने भाजपाईयों को लिए हैरानी का विषय था लेकिन कौशिक ने जल्द ही ज्यादातर को राजी कर लिया। मोदी लहर के सहारे कौशिक ने यहां के गन्नौर, राई, सोनीपत, सफीदों और जींद विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोट लिए जबकि खरखौदा और बरोदा में उन्हें कांग्रेस और इनेलो के मुकाबले कम वोट मिले। सोनीपत विधानसभा क्षेत्र ने तो उन्हें लगभग 30 हजार वोटों की बढ़त दी। विशेष बात यह रही कि चुनाव के वक्त भी इस क्षेत्र में सिर्फ सोनीपत सीट से ही भाजपा का विधायक था और 5 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ सोनीपत से ही भाजपा जीती। इस लिहाज से देखें तो विधानसभा के स्तर पर यह भाजपा के लिए न्यूनतम सुधार वाला क्षेत्र रहा। रमेश कौशिक को कुल 35.23 प्रतिशत वोट मिले जबकि 2009 में भाजपा की टिकट पर लड़े किशन सिंह सांगवान को करीब 25: वोट ही मिले थे। उनकी जीत करीब 77 हजार वोटों यानी लगभग 8: की रही जो हरियाणा में जीते भाजपा उम्मीदवारों में सबसे कम थी। कांग्रेस के गढ़ और इनेलो के मजबूत कार्यकर्ताओं वाले इस क्षेत्र में रमेश कौशिक की जीत एक महत्वपूर्ण घटना रही।कांग्रेस पार्टी ने गोहाना से विधायक जगबीर मलिक को लोकसभा की टिकट दी थी। जगबीर मलिक पहली बार 1996 में गोहाना से ही विधायक बने थे और उन्होंने समता पार्टी के किशन सिंह सांगवान को हराया था। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में मलिक को गोहाना में इनेलो के राजकुमार सैणी से हार देखनी पड़ी थी। जगबीर मलिक दोबारा 2008 में उस वक्त विधायक बने जब धर्मपाल मलिक कांग्रेस छोड़ हजका में चले गए थे और गोहाना में उपचुनाव हुआ था। इसके बाद 2009 में वे फिर से गोहाना से ही विधायक बने।2009 में सोनीपत से सांसद बने जितेंद्र मलिक के इस बार चुनाव लडऩे से मना कर देने और गन्नौर से विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए पार्टी ही छोड़ देने के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी जगबीर मलिक को टिकट थमा दी। चुनाव के समय सोनीपत शहर को छोड़कर जिले की पांच सीटों पर कांग्रेस के विधायक थे और यही स्थिति 5 माह बाद हुए विधानसभा चुनावों में भी बनी रही। इन्हीं 5 सीटों पर कांग्रेस दोबारा जीती। इस पैमाने पर यह लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस पार्टी के लिए विधानसभा स्तर पर सबसे ज्यादा संतोषजनक रहा।रोहतक क्षेत्र में भी कांग्रेस अपनी सभी सीटें नहीं बचा सकी थी। जगबीर मलिक को खरखौदा, गोहाना और बरोदा विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोट मिले जबकि गन्नौर, राई और सोनीपत में वे दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें जींद, जुलाना और सफीदों में काफी कम वोट मिले। चुनाव में जगबीर मलिक ने 27.37: वोट लिए जबकि 2009 में पार्टी उम्मीदवार जितेंद्र मलिक को 47.57: वोट मिले थे। वोटों की संख्या में लगभग 40 फीसदी की यह कमी कांग्रेस के लिए चुनौती वाला पहलू थी। इनेलो की तरफ से सोनीपत सीट पर लोकसभा उम्मीदवार थे पदम सिंह दहिया जो काफी समय से सोनीपत जिले के पार्टी प्रधान थे। पदम दहिया 2000 में रोहट सीट से विधायक बने थे जिसे बाद में खत्म कर खरखौदा आरक्षित सीट बना दी गई। पदम सिंह ने रोहट से 1996 और 2005 के चुनाव भी लड़े थे और हार गए थे। लोकसभा चुनाव के समय इस क्षेत्र में जींद जिले की तीनों सीटों सफीदों, जींद और जुलाना में इनेलो के विधायक थे जिनमें से जींद और जुलाना सीटें पार्टी ने अक्तूबर 2014 के चुनाव में फिर से जीती। पदम दहिया को जुलाना सीट पर सबसे ज्यादा वोट मिले जबकि सफीदों, बरोदा, खरखौदा सीटों पर वे दूसरे नंबर पर रहे। दहिया को सोनीपत और गोहाना सीटों पर काफी कम वोट मिले। उन्हें मिले वोट कुल मतदान का 26.83: था और वे जगबीर मलिक से कुछ वोट कम मिलने की वजह से तीसरे स्थान पर खिसक गए थे। इस चुनाव में इनेलो के लिए संतोष की बात यह रही कि उनका उम्मीदवार कहीं भी तीसरे स्थान पर नहीं खिसका। पदम दहिया को सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में पहले या दूसरे नंबर के वोट मिले। 2009 में इनेलो ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था और इनेलो-भाजपा गठबंधन के यहां उम्मीदवार किशन सिंह सांगवान थे। अब 2014 में इनेलो के लोकसभा उम्मीदवार रहे पदम सिंह दहिया ने अपना पाला बदलकर जेजेपी का दामन थाम लिया है।सोनीपत सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जय सिंह ठेकेदार थे जिन्होंने करीब 50 हजार वोट लिए और वे चौथे स्थान पर रहे। जय सिंह को सर्वाधिक 8666 वोट सोनीपत विधानसभा क्षेत्र से मिले। सोनीपत लोकसभा सीट पर 2014 में विशेष बात यह रही कि सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा के रमेश कौशिक, कांग्रेस के जगबीर मलिक और इनेलो के पदम सिंह दहिया का यह पहला लोकसभा चुनाव था। खास बात यह भी है कि तीनों ही हरियाणा विधानसभा के सदस्य रह चुके थे। यह बात भी दिलचस्प रही कि सोनीपत जिले में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के वोट काफी घटे जबकि विधानसभा चुनाव आते ही यहां के लोगों ने कांग्रेस को फिर से 5 सीटें दी। इस बार के लोकसभा चुनाव में यहां पर मुकाबला इसलिए भी रोचक होने की संभावना है क्योंकि इस सीट पर हरियाणा के दिग्गज नेताओं के चुनावी दंगल में उतरने की संभावना है। ऐसे में इस सीट पर चुनावी मुकाबले के बीच हरियाणा में नई पार्टी आई जेजेपी भी जोर-शोर से तैयारी कर रही है। यहां पर जेजेपी के दिग्गज नेता इस जाटलैंड में अपनी छाप छोडऩे के लिए मेहनत कर रहे हैं।</span></span></div>
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<div id="m_-5420535474546747900yui_3_16_0_ym19_1_1555414944408_8801" style="text-align: justify;">
<span style="font-family: Georgia, Utopia, Palatino Linotype, Palatino, serif;"><span style="background-color: #fce5cd; font-size: 15.456px;"><b>आइएएस बेटे बृजेन्द्र सिंह को टिकट मिलने के बाद बीरेन्द्र सिंह की प्रतिष्ठा दाव पर </b></span></span></div>
<div id="m_-5420535474546747900yui_3_16_0_ym19_1_1555414944408_8801" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<b style="background-color: #fce5cd; font-family: Georgia, Utopia, "Palatino Linotype", Palatino, serif; font-size: 15.456px;">जींद, 18 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):-</b><span style="font-size: small; text-align: left;"><b> </b>2019 में हरियाणा में माहौल कुछ अलग है। सियासी गतिविधियों के चलते हरियाणा राष्ट्रीय फलक पर सुर्खियों में है। इस सबके बीच केंद्रीय मंत्री पद से बेटे के लिए बीरेंद्र सिंह के इस्तीफे से सियासी माहौल गर्मा गया है। भाजपा को छोड़कर अभी तक किसी भी दल ने राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की, बावजूद इसके यहां का सियासी पारा पूरी तरह से चढ़ा हुआ है। केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह अपने आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह की राजनीति में एंट्री कराने के लिए पद से इस्तीफा देकर सुर्खियों में आए तो ताऊ देवीलाल के खानदान के दो बड़े चिराग अजय सिंह चौटाला व अभय सिंह चौटाला के आमने-सामने डटने से यहां की सियासी जमीन एकाएक गरम हो गई है। हरियाणा में देवीलाल,बंसीलाल और भजनलाल के राजनीतिक वारिस एकदूसरे के खिलाफ ताल ठोंकने को तैयार हैं। राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान होगा। भाजपा ने सभी और कांग्रेस ने छह लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।</span></div>
<div id="m_-5420535474546747900yui_3_16_0_ym19_1_1555414944408_8804" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<span style="font-size: small;">राज्य में आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी का गठजोड़ हो चुका है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप तीन तथा देवीलाल के पड़पोते सांसद दुष्यंत चौटाला की अगुवाई वाली जननायक जनता पार्टी सात लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। इस गठबंधन की कोशिश है कि किसी तरह भाजपा के विरुद्ध महागठबंधन तैयार कर कांग्रेस को भी इसमें शामिल कर लिया जाए। इस प्रयास के चलते न तो कांग्रेस अभी अपनी चार लोकसभा सीटें घोषित कर पा रही और न ही आप व जेजेपी के गठबंधन ने सीटों का बंटवारा किया है।</span></div>
<div id="m_-5420535474546747900yui_3_16_0_ym19_1_1555414944408_8805" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<span style="font-size: small;">राज्य में बसपा और भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी के नेतृत्व वाली लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के बीच पहले ही गठजोड़ है। दलित व ओबीसी का यह गठजोड़ दूसरे दलों की चिंता बढ़ाने वाला हो सकता है,लेकिन बसपा के हाथी की चाल टेढ़ी होने से इसके जेजेपी के साथ जाने की संभावना बनी हुई है। भाजपा ने दो केंद्रीय मंत्रियों कृष्णपाल गुर्जर पर फरीदाबाद में और राव इंद्रजीत पर गुरुग्राम में फिर से दांव खेला है। कांग्रेस की पृष्ठभूमि वाले पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को भाजपा ने रोहतक में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के विरुद्ध प्रत्याशी बनाया है। बीरेंद्र सिंह के आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार में टिकट दिया गया है। हरियाणा के रण की अभी तक खास बात यह है कि देवीलाल,भजनलाल और बंसीलाल के खानदान के राजनीतिक वारिस चुनाव लड़ रहे हैं। देवीलाल के परिवार की जंग किसी से छिपी नहीं है। देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने अपनी राजनीतिक विरासत छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला को सौंप रखी है। चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह और पोते दुष्यंत चौटाला अलग जननायक जनता पार्टी बना चुके हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती पूर्व सांसद श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ में कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोंक रही हैं। उनकी मां किरण चौधरी कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं। बंसीलाल के परिवार की राजनीतिक लड़ाई भी किसी से छिपी नहीं है, लेकिन लंबे अरसे बाद यह पहला मौका आने वाला है, जब श्रुति चौधरी को अपने ताऊ रणबीर महेंद्रा और फूफा सोमवार सिंह का साथ मिलने वाला है। इसी तरह भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई हिसार संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हैं। गैर जाटों की राजनीति करने वाले कुलदीप बिश्नोई ने पिछले दिनों जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नेतृत्व स्वीकार करने से साफ इन्कार कर दिया था। कुलदीप अपने बेटे भव्य बिश्नोई की लांचिंग कराने की तैयारी में हैं। वह पिछले दिनों विदेश में अपना इलाज कराकर लौटे हैं। लिहाजा वह हिसार में अपने बेटे भव्य के लिए कांग्रेस की टिकट की पैरवी कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा अंबाला से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं, तो दूसरी ओर नवीन जिंदल किसी 'अनजाने दबाव' में कुरुक्षेत्र से चुनाव लडऩे से इन्कार कर रहे हैं। बीरेंद्र सिंह के चौंकाने वाले फैसले के साथ ही हरियाणा की सियासत में काफी कुछ चौंकाने वाला चल रहा है हरियाणा का यह चुनाव देवीलाल के पड़पोते दुष्यंत चौटाला,पोते अभय चौटाला, बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी, छोटू राम के नाती बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह और भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई का राजनीतिक भविष्य तय करेगा।</span></div>
<div id="m_-5420535474546747900yui_3_16_0_ym19_1_1555414944408_8806" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<br /></div>
<h4 style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<span style="font-size: small;">हिसार से ही पहला चुनाव लड़ा था पिता ने अब बेटे के राजनीतिक भविष्य का इंतजार</span></h4>
<div id="m_-5420535474546747900yui_3_16_0_ym19_1_1555414944408_8808" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<span style="font-size: small;"> केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह व उचाना से भाजपा विधायक प्रेमलता के आई.ए.एस. बेटे बृजेंद्र सिंह को भाजपा द्वारा हिसार से लोकसभा चुनावों के लिए प्रत्याशी बनाए जाने के साथ ही यह अजीब संयोग जुड़ गया है कि वह लोकसभा का पहला चुनाव उसी हिसार संसदीय क्षेत्र से लडऩे जा रहे हैं, जिससे उनके पिता बीरेंद्र सिंह ने 1984 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था तब उनका मुकाबला ओमप्रकाश चौटाला से हुआ था जिसमें बीरेंद्र सिंह विजयी हुए थे। बाद में बीरेंद्र सिंह ने 1989 में जनता दल के जयप्रकाश के हाथों हिसार से लोकसभा चुनाव हार गए थे। 1999 में भी उन्हें कांग्रेस ने हिसार से प्रत्याशी बनाया था लेकिन वह तब भी चुनाव हार गए थे। हिसार में अब बृजेंद्र सिंह से ज्यादा उनके पिता केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह एवं उनकी विधायक माता प्रेमलता की प्रतिष्ठा दाव पर रहेगी। 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद हुए परिसीमन के बाद यह पहला मौका है,जब जींद जिले के किसी नेता को किसी प्रमुख दल ने हिसार से प्रत्याशी बनाने की हिम्मत दिखाई है। बृजेंद्र सिंह की राजनीति में यह पहली पारी है व पहली पारी में ही वह लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। बृजेंद्र सिंह की जीत को बीरेंद्र सिंह की जीत माना जाएगा तो उनकी हार सीधे बीरेंद्र सिंह की हार होगी। बीरेंद्र सिंह प्रदेश की राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। 42 साल उन्होंने कांग्रेस की राजनीति की। अब 2014 से वह भाजपा में हैं। </span></div>
<div id="m_-5420535474546747900yui_3_16_0_ym19_1_1555414944408_8809" style="font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, "Lucida Grande", sans-serif; font-size: 13px; text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-37295921404131054012019-04-19T08:32:00.005+05:302019-04-19T08:32:50.497+05:30पिता के ‘बलिदान’ से बेटे के राजनीतिक सफर की शुरूआत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
दीनबंधु छोटू राम व बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत संभालेंगे बृजेंद्र सिंह</div>
<div style="text-align: justify;">
21 साल की सेवाओं के बाद 13 साल पहले ही सरकारी सेवाओं को कहा अलविदा</div>
</h3>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<b>जींद, 14 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):-</b> हरियाणा के वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह की अगली पीढ़ी ने परिवार की राजनीतिक विरासत संभाली है। बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेेटे बृजेंद्र सिंह हिसार सीट से लोकसभा चुनाव में उतर कर अपना राजनीतिक सफर शुरू करेंगे। उनका यह सफर पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह के केंद्रीय मंत्री पद और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफे के ‘बलिदान’ से शुरू हुआ है। अब हिसार की जनता बृजेंद्र के राजनीतिक तकदीर का फैसला करेगी, लेकिन वह दीनबंधु सर छोटूराम की राजनीति विरासत की अगली कड़ी बन गए हैं। आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह रिटायरमेंट से करीब 13 साल पहले ही नौकरी छोडक़र सक्रिय राजनीति में आए हैं। वह चंडीगढ़, फरीदाबाद और पंचकूला में जिला उपायुक्त (डीसी) रह चुके बृजेंद्र सिंह ने 21 साल की सेवाओं के बाद वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन कर दिया है। 73 साल के हो चुके चौधरी बीरेंद्र सिंह भाजपा में किसी पद पर नहीं रहेंगे, लेकिन सक्रिय राजनीति करते रहेंगे। वैसे उनकी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा अब भी जवान है। वह कहते हैैं कि सिर्फ विधायक या मंत्री बनकर रह जाने से काम नहीं चलता। राजनीति में इच्छाएं होना जरूरी है। राजनीति का यही पाठ वह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को पढ़ा रहे हैैं। बृजेंद्र सिंह ने कुछ समय पहले कहा था कि वह आईएएस की नौकरी में सिर्फ इसलिए आए थे, ताकि कोई यह न कह सके कि नेता के बेटे को कुछ नहीं आता। राजनीति उनके खून में बसी है और अब वह आईएएस की नौकरी छोडक़र सक्रिय राजनीति करेंगे। उनकी मां प्रेमलता भी उचाना से भाजपा की विधायक हैैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह के अनुसार जिस तरह से उन्होंने अपने नाना दीनबंधू सर छोटू राम की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है, अब बृजेंद्र सिंह मेरी<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfMd6Jbc0kcfeEIzX7_kLJcv_H1TTNp_0J5T2FGXKjgHb3UCNJOVggxcd_hul0sLkurCaXW8fpReX08GKMCJkQFoPtXBtpnftgYZ8b9Bx42nj5ukuAgqWr9YG-wRRC3lIjMaW-DT7Mt1o/s1600/14Uchana1.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" data-original-height="877" data-original-width="1196" height="234" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfMd6Jbc0kcfeEIzX7_kLJcv_H1TTNp_0J5T2FGXKjgHb3UCNJOVggxcd_hul0sLkurCaXW8fpReX08GKMCJkQFoPtXBtpnftgYZ8b9Bx42nj5ukuAgqWr9YG-wRRC3lIjMaW-DT7Mt1o/s320/14Uchana1.jpg" width="320" /></a></div>
राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएगा।</div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
विदेश टूर की राशि जमा करानी पड़ेगी</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
आईएएस बृजेंद्र सिंह को तमाम क्लीयरेंस के बाद ही केंद्र व राज्य सरकार से वीआरएस मिलेगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों बृजेंद्र सिंह विदेश में एक साल के एजुकेशन टूर पर गए थे। अब चूंकि बृजेंद्र सिंह वीआरएस ले रहे हैैं तो इस पूरे टूर की खर्च राशि उन्हें जमा करानी पड़ सकती है।</div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
21 साल दी सेवाएं, 13 साल की सर्विस अभी बाकी</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
बृजेंद्र सिंह हरियाणा काडर के 1998 बैच के आईएएस हैं। वर्ष 1972 में जन्मे बृजेंद्र सिंह चंडीगढ़, पंचकूला और फरीदाबाद में डीसी रहे और फिलहाल हैफेड के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। चौधरी बीरेंद्र सिंह उन्हें एक दशक से राजनीति में लाने के लिए प्रयासरत रहे थे। पिछले लोकसभा चुनावों में भी दोनों पिता-पुत्र कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिले थे, लेकिन टिकट नहीं मिला। इसके बाद चौधरी बीरेंद्र सिंह भाजपा में शामिल हो गए थे और राज्यसभा सदस्य तथा केंद्रीय मंत्री बने। दो बच्चों के पिता बृजेंद्र सिंह अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर भाजपा के टिकट पर राजनीतिक पारी का आगाज करेंगे। उनकी रिटायरमेंट वर्ष 2032 में होनी थी।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
</div>
<div class="yj6qo" style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; font-style: normal; font-variant-caps: normal; font-variant-ligatures: normal; font-weight: 400; letter-spacing: normal; orphans: 2; text-align: start; text-decoration-color: initial; text-decoration-style: initial; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;">
</div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-85776694970091019412019-04-19T08:31:00.001+05:302019-04-19T08:31:17.087+05:30पिता के बाद अब बेटे पर हिसार जीतने की जिम्मेदारी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
भाजपा ने हिसार में पहली बार कमल खिलाने के लिए बृजेंद्र सिंह को उतारा मैदान में </div>
<div style="text-align: justify;">
केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार से की राजनीति पारी की शुरूआत</div>
</h3>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<b>जींद, 14 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):-</b> हिसार में पहली बार कमल खिलाने के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार लोकसभा से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। उचाना हलका हिसार लोकसभा में आता है। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी हिसार से सांसद रह चुके हैं। 1984 में ओमप्रकाश चौटाला को हरा कर वो कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने थे। बृजेंद्र सिंह के राजनीति में आने के कई महीनों से कयास लगाए जा रहे थे। अब भाजपा द्वारा हिसार से उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पकड़ को भी साबित करना का काम किया है। </div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
परीक्षा में ऑल इंडिया में पाया था 9वां स्थान</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
बृजेंद्र सिंह ने ऑल इंडिया में आईएएस परीक्षा में 9वां स्थान प्राप्त किया था। 26 साल की उम्र में आईएएस बनने के बाद पहली ज्वाइनिंग नारनौल एसडीएम के तौर पर हुई थी। सिरसा एडीसी पद पर रहे। पंचकूला, फरीदाबाद, चंडीगढ़ में डीसी रहे। हुडा के एडमिनिस्ट्रेटर भी रहे और अब हैफेड में एमडी है। </div>
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfMd6Jbc0kcfeEIzX7_kLJcv_H1TTNp_0J5T2FGXKjgHb3UCNJOVggxcd_hul0sLkurCaXW8fpReX08GKMCJkQFoPtXBtpnftgYZ8b9Bx42nj5ukuAgqWr9YG-wRRC3lIjMaW-DT7Mt1o/s1600/14Uchana1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="877" data-original-width="1196" height="234" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfMd6Jbc0kcfeEIzX7_kLJcv_H1TTNp_0J5T2FGXKjgHb3UCNJOVggxcd_hul0sLkurCaXW8fpReX08GKMCJkQFoPtXBtpnftgYZ8b9Bx42nj5ukuAgqWr9YG-wRRC3lIjMaW-DT7Mt1o/s320/14Uchana1.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">भाजपा से टिकट मिलने के बाद बेटे बृजेंद्र सिंह के साथ केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह।</td></tr>
</tbody></table>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
बृजेंद्र हरियाणा कैडर 1998 के आईएएस हैं। दिल्ली में पढ़ाई करने वाले बृजेंद्र सिंह का जन्म 13 मई 1972 को हुआ था। चार साल दादी के पास रोहतक में, छठी से आठवीं तक चंडीगढ़, नौंवी से बारहवीं तक दिल्ली के 12 खंबा रोड पर मॉर्डन स्कूल, एमए हिस्ट्री जेएनयू दिल्ली से की। बृजेंद्र सिंह ने बीए ऑनर्स (हिस्ट्री) एसटी स्टेफन कॉलेज दिल्ली से की। इस कॉलेज से सर छोटूराम एवं बृजेंद्र सिंह के दादा नेकी राम ने शिक्षा ग्रहण की थी। </div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
पत्नी एचडीएफसी बैंक में अधिकारी</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
बृजेंद्र सिंह की पत्नी जसमित सिंह एचडीएफसी बैंक चंडीगढ़ में अधिकारी के पद पर कार्यरत है। दो बच्चे हंै। समरवीर आठवीं कक्षा का छात्र है तो बेटी कुदरत सिंह 12वीं कक्षा की छात्रा है। हरियाणा 1998 आईएएस बृजेंद्र सिंह का कार्यकाल 2032 तक है। अब वो स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर अपनी राजनीति पारी की शुरूआत भाजपा से करेंगे। </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-22245568223088257122019-03-19T16:34:00.003+05:302019-03-19T16:34:44.533+05:30देश की सबसे बड़ी पंचायत में महिलाओं की नहीं हो पा रही भागीदारी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="text-align: justify;">
50 साल में लोकसभा तक पहुंच पाई केवल पांच महिलाएं </h3>
<div style="text-align: justify;">
<b>जींद, 18 मार्च (नरेंद्र कुंडू):-</b> हरियाणा में नारी सशक्तीकरण के दावों के बीच लोकसभा चुनावों का इतिहास करारा झटका देने वाला है। देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में महिलाओं को भेजने के लिए न तो सियासी दलों ने कोई खास तवज्जो दी और न ही मतदाताओं ने दरियादिली दिखाई। यहां पिछले 50 वर्षों में केवल पांच महिलाएं ही लोकसभा तक पहुंच पाई हैं। वह भी पारिवारिक सियासी रसूख और राष्ट्रीय दलों के टिकट के बल पर।</div>
<div style="text-align: justify;">
निर्दलीय कोई महिला आज तक हरियाणा से संसद नहीं पहुंची है। कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा की सुधा यादव और इनेलो की कैलाशो सैनी ही हरियाणा गठन (एक नवंबर 1966) के बाद इस दौरान लोकसभा में पहुंच पाईं। प्रदेश से पहली महिला सांसद बनने का गौरव जनता पार्टी की चंद्रावती के नाम है। उन्होंने 1977 में चौधरी बंसीलाल को हराया था। इस दौरान प्रदेश से चुने गए 151 सांसदों में (जब यह पंजाब का हिस्सा था, तब से) महिलाओं को केवल आठ बार ही चुना गया। करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत ने आज तक एक बार भी किसी महिला को संसद में नहीं भेजा है। सबसे ज्यादा तीन बार कांग्रेस की कुमारी सैलजा संसद पहुंची। वह दो बार अंबाला और एक बार सिरसा आरक्षित सीट पर चुनी गईं। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टिकट पर कैलाशो सैनी दो बार कुरुक्षेत्र से जीती तो पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पौत्री श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ और भाजपा की सुधा यादव महेंद्रगढ़ से एक-एक बार लोकसभा पहुंचने में सफल रही। कैलाशो अब कांग्रेस में हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
1951 में पहले आम चुनाव के दौरान भी संयुक्त पंजाब में करनाल, रोहतक और हिसार सीटें मौजूद थी। जबकि फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत की सीटें 1977 में अस्तित्व में आईं। 1999 में हरियाणा की जनता ने पहली बार दो महिलाओं महेंद्रगढ़ से भाजपा की सुधा यादव और कुरुक्षेत्र से इनेलो की कैलाशो सैनी को लोकसभा भेजा। महिलाओं के लिए 2014 सबसे निराशाजनक रहा, जब एक भी महिला प्रदेश से संसद नहीं पहुंच पाई। पिछले आम चुनाव में भाजपा ने एक भी महिला उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
इसलिए महिलाओं पर दांव नहीं खेलते सियासी दल</h4>
<div style="text-align: justify;">
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महिलाओं की जीत की संभााना काफी कम होती है। इसीलिए दल उनसे परहेज करते हैं। यही वजह है कि सियासी गलियारों में महिला सशक्तीकरण एक दूर का सपना है। 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओÓ के नारे के फलीभूत होने के बाद अब हरियाणा में जरूरत राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
ग्राम पंचायतों में 42 फीसद महिलओं की ताजपोशी से बढ़ी उम्मीदें </h4>
<div style="text-align: justify;">
पहली बार ग्राम पंचायतों में महिलाओं को निर्धारित कोटे से कहीं अधिक पंच-सरपंच बना कर उन्हें पलकों पर बैठाने वाले हरियाणा में अब सभी की नजरें लोकसभा चुनावों पर हैं। प्रदेश में पहली बार लोगों ने जिस तरह पंचायतों में 33 फीसद आरक्षित सीटों के बदले 42 फीसद पर महिलाओं की ताजपोशी की, उससे देश की सबसे बड़ी पंचायत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढऩे की उम्मीद जगी है। मौजूदा समय में प्रदेश की कुल मतदाताओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 46.35 फीसद तक पहुंच गई है जिसके चलते सियासी दलों के लिए उनकी अनदेखी करना मुमकिन नहीं होगा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
विधानसभा में पहली बार पहुंची रिकॉर्ड 13 महिलाएं </h4>
<div style="text-align: justify;">
2014 के लोकसभा चुनावों में भले ही प्रदेश से महिला सांसद नहीं बन पाई, लेकिन विधानसभा में पहली बार महिलाएं पहुंची। हालांकि विधानसभा की 90 सीटों के लिए मैदान में उतरी 116 महिलाओं में से 93 को हार का मुंह देखना पड़ा। विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा से सर्वाधिक आठ विधायक जीती, जबकि कांग्रेस की तीन और इनेलो व हजकां की एक-एक महिलाओं को विधायक चुना गया।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEji4sbDjLRtG35CyMhIuuNlgKvgMzn-_hiLzG2YW1NZRe_hL64vTizGZIT9TzLC4EjJQxJkU-lnB9gX_VoJWeVPu3-y5sLQfYsQ9SP-qQucc6lU1eYp84cLs7ZrchYklYF5yhnNMWdaVzc/s1600/2019_3%2524largeimg18_Mar_2019_080728604.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="400" data-original-width="650" height="196" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEji4sbDjLRtG35CyMhIuuNlgKvgMzn-_hiLzG2YW1NZRe_hL64vTizGZIT9TzLC4EjJQxJkU-lnB9gX_VoJWeVPu3-y5sLQfYsQ9SP-qQucc6lU1eYp84cLs7ZrchYklYF5yhnNMWdaVzc/s320/2019_3%2524largeimg18_Mar_2019_080728604.jpg" width="320" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-5691691315547780722019-03-19T16:32:00.000+05:302019-03-19T16:32:02.330+05:30देश में सत्ता परिवर्तन की धुरी बना था हरियाणा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
1989 में कांग्रेस के किले को तोड़ तत्कालीन सीएम चौ. देवीलाल ने देश में किया था सत्ता परिवर्तन </div>
<div style="text-align: justify;">
चौधरी देवीलाल ने विपक्षी दलों को एकजुट कर कांग्रेस को किया था सत्ता से बाहर</div>
</h3>
<div style="text-align: justify;">
<b>जींद, 18 मार्च (नरेंद्र कुंडू):-</b> 10 लोकसभा सीटों वाला छोटा सा प्रदेश हरियाणा राजनीति में अपना एक विशेष स्थान रखता है। जब भी देश में सत्ता परिवर्तन हुआ है उसमें हरियाणा का विशेष योगदान रहा है। राजनीति के इतिहास में 1989 में देश में हुए सत्ता परिवर्तन की धुरी महज 10 लोकसभा सीटों वाला हरियाणा प्रदेश बना था। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने देश में पूरे विपक्ष को एकजुट कर केंद्र से राजीव गांधी और कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी। </div>
<div style="text-align: justify;">
यहां बताते चलें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने पूरे देश में क्लीन स्वीप करते हुए भारत के संसदीय चुनावों की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे और 5 साल बाद 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी और राजीव गांधी को संयुक्त विपक्ष के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके लिए जमीन हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. देवीलाल ने तैयार की थी। चौ. देवीलाल ने तब एक-एक कर विपक्ष के तमाम नेताओं को तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के खिलाफ एकजुट किया था। विपक्ष को एकता के सूत्र में पिरोने वाले केवल चौ. देवीलाल ही थे और इसके लिए उन्होंने तब हरियाणा में अपने मुख्यमंत्री होने का पूरा फायदा उठाया था। दिल्ली स्थित हरियाणा भवन तब विपक्षी नेताओं के जमावड़े का सबसे बड़ा केंद्र बना था। विपक्ष की तमाम अहम बैठक हरियाणा भवन में ही होती थी। भाजपा से लेकर लोकदल और दूसरे तमाम विपक्षी दलों को चौधरी देवीलाल ने एक मंच पर लाने का काम किया था। कई विपक्षी दलों को मिलाकर चौ. देवीलाल ने जनता दल बनाया और 1989 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो जनता दल ने कांग्रेस और राजीव गांधी को केंद्र की सत्ता से बाहर कर दिया। 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में केंद्र में इतना बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ तो इसकी धुरी हरियाणा बना था। हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. देवीलाल ने हरियाणा समेत उत्तर भारत में अपनी जबरदस्त लोकप्रियता और इसके दम पर पूरे विपक्ष को कांग्रेस के खिलाफ एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी। प्रदेश के भूगोल ने इसमें चौ. देवीलाल की भरपूर मदद की। देश की राजधानी दिल्ली को हरियाणा तीन तरफ से घेरता है। जब भी तत्कालीन विपक्ष को दिल्ली में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार और उसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी को घेरने के लिए बड़े शक्ति प्रदर्शन की जरूरत पड़ी तो चौ. देवीलाल ने हरियाणा से लाखों लोगों को दिल्ली ले जाकर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के पैर उखाडऩे का काम किया था। <span id="goog_290507168"></span><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<h3 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: left;">
--कभी लाखों में तो कभी कड़े मुकाबले में हुआ है जीत का फैसला<br />--सन् 1967 से 2014 तक 4 बार जीत का फासला रहा लाख से ज्यादा</h3>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<b>जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- </b>हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी एक तरफा चुनावी जीत की ईबारत लिखी तो कभी इतने कड़े मुकाबले बना दिए कि मतगणना के अंतिम दौर में जाकर जीत तय हो पाई। इस संसदीय क्षेत्र में 1967 से 2014 तक हुए चुनावों में 4 बार जीत का फासला एक लाख मतों से ज्यादा रहा तो कई बार जीत का फासला 10 हजार से भी कम मतों का रहा। इस संसदीय क्षेत्र के मतदाता कभी राजनीतिक आंधी के साथ चलते नजर आए तो कभी उन्होंने मुकाबले को इतना फंसा दिया कि सब चुनावी नतीजे देखकर हैरान रह गए। जब हिसार के मतदाता राजनीतिक आंधी के साथ चले तो यहां जीत का फासला लाखों मतों तक पहुंच गया और जब उन्होंने चुनाव को फंसाया तो ऐसा फंसाया कि जीत का फासला विधानसभा चुनावों की तरह महज कुछ हजार मतों पर आकर सिमट गया। हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की यही तासीर अब 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों में यहां के चुनावी दंगल में उतरने वाले प्रत्याशियों और उनके दलों की धड़कनें बढ़ाने का काम अभी से कर रही है।</div>
<h4 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: left;">
1977 में सबसे बड़ी जीत इंद्र सिंह श्योकंद के नाम</h4>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
हिसार संसदीय क्षेत्र के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी जीत जनता पार्टी के प्रत्याशी इंद्र सिंह श्योकंद के नाम है। इंद्र सिंह श्योकंद 1977 में हिसार से जनता पार्टी के प्रत्याशी थे। वह जींद जिले के डूमरखां गांव के थे। उनका मुकाबला कांग्रेस के जसवंत सिंह से हुआ था और तब इंद्र सिंह श्योकंद ने कांग्रेस के जसवंत सिंह को 2,43,384 मतों के अंतर से पराजित किया था। यह हिसार संसदीय क्षेत्र के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है और इस रिकार्ड को बाद में किसी भी दल का कोई भी प्रत्याशी नहीं तोड़ पाया। 1977 में हुए इस चुनाव में इंद्र सिंह श्योकंद को 80.31 प्रतिशत और कांग्रेस के जसवंत सिंह को 19.69 प्रतिशत वोट मिले थे। तब जनता पार्टी के प्रत्याशी इंद्र सिंह श्योकंद और कांग्रेस के जसवंत सिंह के बीच मुकाबला आमने-सामने का था। चुनावी दंगल में केवल यही 2 प्रत्याशी थे। हिसार संसदीय क्षेत्र के चुनावी इतिहास में यह पहला और अंतिम चुनाव था, जिसमें चुनावी दंगल में केवल 2 ही प्रत्याशी थे। इस संसदीय क्षेत्र में इंद्र सिंह श्योकंद के अलावा किसी और प्रत्याशी को 80.31 प्रतिशत वोट नहीं मिले हैं।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<h3 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: left;">
<br />सोनीपत संसदीय क्षेत्र की जनता ने 9 बार जाट तो 2 बार गैर जाट नेताओं को दिया मौका<br />सोनीपत लोकसभा सीट पर निर्दलिय उम्मीदवार के तौर पर अरविंद्र शर्मा के नाम है जीत का रिकार्ड</h3>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<b>जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- </b>लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक बार फिर 'अपने' और 'पराये' की चर्चा तेज हो चली है। जाट बहुल सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक ज्यादातर जाट उम्मीदवार ही सांसद बने हैं लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज करने वाले अरविंद शर्मा और निवर्तमान सांसद रमेश कौशिक के रूप में दो सांसद ऐसे भी हैं जो गैर-जाट होते हुए भी जीत दर्ज कर पाए। ऐसी बात भी नहीं है कि केवल जातिवाद के दम पर ही यहां पर कोई उम्मीदवार सांसद बन गया, लेकिन काफी हद तक यह फैक्टर अपना असर जरूर दिखाता है। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक 11 बार चुनाव हुए हैं जिसमें से 9 बार जाट उम्मीदवार को ही जीत मिली है। 1996 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद शर्मा को जीत मिली थी। इस चुनाव में अरविंद शर्मा को 2 लाख 31 हजार 552 और रिजक राम को 1 लाख 82 हजार 201 वोट मिले थे। 1998 में यहां से हरियाणा लोकदल के किशन सिंह सांगवान को 2 लाख 90 हजार 299 वोट और एच.वी.पा. के अभय राम दहिया के पक्ष में 1 लाख 52 हजार 975 वोट मिले थे। 1999 में हुए चुनाव में भाजपा के किशन सिंह सांगवान को 4 लाख 57 हजार 056 वोट और कांग्रेस के चिरंजी लाल को 1 लाख 90 हजार 918 वोट हासिल हुए थे। 2004 में सोनीपत से भाजपा के किशन सिंह सांगवान को 2 लाख 33 हजार 477 और कांग्रेस के धर्मपाल मलिक को 2 लाख 25 हजार 908 वोट हासिल हुए थे, वहीं 2009 की बात करें तो कांग्रेस के जितेंद्र मलिक को 3 लाख 38 हजार 795 और भाजपा के किशन सिंह सांगवान को 1 लाख 77 हजार 511 वोट मिले थे। सोनीपत लोकसभा सीट से ताऊ देवीलाल भी दो बार चुनाव लड़े थे जिसमें एक बार उन्हें जीत मिली थी जबकि दोबारा हार का सामना करना पड़ा था। <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<h3 style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल के लिए जेल की हवा</h3>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small; text-align: justify;">
<b>जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- </b>हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और डेरा सच्चा सौदा प्रकरण को लोकसभा चुनाव में भुनाने की रणनीति पर चल रहे सियासी दलों पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी हो गई है। आम चुनाव में अगर किसी भी प्रत्याशी ने जाट बनाम गैर जाट या फिर जातिवाद और धर्म का कार्ड खेला तो उसकी उम्मीदवारी खत्म हो सकती है। दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल तक के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। प्रदेश की सियासत में जब-तब जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा का मामला तूल पकड़ता रहा है। लोकसभा चुनाव का शेड्यूल जारी होते ही एक बार फिर से विभिन्न सियासी दलों से जुड़े दिग्गज एक-दूसरे पर हिंसा का ठीकरा फोड़ते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने ऐसे नेताओं पर निगरानी बढ़ा दी है। कहीं भी जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर कोई प्रत्याशी या राजनेता मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) के तहत किसी उम्मीदवार का दोष साबित होने पर निर्वाचन आयोग चुनाव तक रद्द कर सकता है। इसके अलावा आयोग संबंधित उम्मीदवार पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत आपराधिक मामला भी दर्ज कराएगा जिसके तहत दो साल तक की सजा का प्रावधान है। अगर कोई उम्मीदवार किसी धर्म गुरु को अपने पक्ष में धर्म, भाषा, जाति इत्यादि के आधार पर वोट मांगने के लिए सहमति देता है तो चुनाव आयोग उस पर एक्शन ले सकता है। उम्मीदवार का दोष साबित होने पर आयोग को चुनाव तक रद्द करने का अधिकार है। वहीं, आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को फॉर्म-26 भरते हुए सारी जानकारी इंटरनेट पर डालनी होगी। साथ ही तीन बार अखबार और टीवी पर विज्ञापन जारी कर अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी सार्वजनिक करनी पड़ेगी। नियम तोडऩे वाले दलों पर मान्यता खत्म होने का खतरा रहेगा। अगर कोई उम्मीदवार जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगता है तो कोई भी व्यक्ति इसका वीडियो बनाकर सी-विजिल एप पर डाल सकता है। शिकायत के 20 मिनट के भीतर चुनाव आयोग की टीम मौके पर पहुंचकर मामले की पड़ताल कर एक्शन लेगी। इसके अलावा जिला निर्वाचन अधिकारियों के पास भी आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की जा सकती है।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<h3 style="text-align: justify;">
खेल जगत, फिल्मी सितारे व केंद्रीयी मंत्री चुनावी रण के लिए तैयार </h3>
<div style="text-align: justify;">
<b>जींद, 15 मार्च (नरेंद्र कुंडू): - </b>राष्ट्रीय राजनीति में अपना पूरा दखल रखने वाले हरियाणा में इस बार रोचक चुनावी मुकाबले होने के आसार हैैं। छठे चरण में चुनाव की वजह से हालांकि राजनीतिक दल अपनी-अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों का ऐलान देर से कर सकते हैैं, लेकिन टिकट के तलबगारों ने अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ रखी है। इस बार के चुनाव में कई बड़े चेहरे हरियाणा में वोट मांगते दिखाई दे सकते हैैं। इनमें खेल जगत और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हस्तियां भी शामिल हैैं। राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर 12 मई को वोट पड़ेंगे। नामांकन भरने की आखिरी तारीख 23 अप्रैल है। फिलहाल सात लोकसभा सीटों पर भाजपा, एक पर कांग्रेस, एक इनेलो और एक सीट पर जननायक जनता पार्टी (पूर्व में इनेलो) का कब्जा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और हजकां के बीच राजनीतिक गठजोड़ था, जो विधानसभा चुनाव में टूट गया था। भाजपा के हिस्से में तब आठ लोकसभा सीटें आई थी, जिनमें से वह रोहतक छोड़कर बाकी सात सीटें जीत गई थी और हजकां अपने हिस्से की हिसार व सिरसा लोकसभा सीटें हार गई थी। रोहतक में कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाजी मारी। हिसार में जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और सिरसा में इनेलो के चरणजीत सिंह रोड़ी सांसद हैैं। भाजपा इस बार किसी भी दल के साथ गठबंधन के मूड में नहीं है। मिशन 2019 फतेह करने के लिए वह 10 में से आठ सीटों पर नए चेहरे उतारेगी। गुरुग्राम से केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत और फरीदाबाद से केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का चुनाव लडऩा तय है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की निगाह इस बार करनाल लोकसभा सीट पर है। कुरुक्षेत्र में अपनी पार्टी के सांसद राजकुमार सैनी के बागी हो जाने की वजह से भाजपा उन्हें यहां से चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है, लेकिन मेनका की पसंद करनाल है। पूर्व में सुषमा स्वराज भी करनाल से चुनाव लड़ चुकी हैैं, मगर जीती नहीं। यहां भाजपा नेता चंद्रप्रकाश कथूरिया, शशिपाल मेहता और संजय भाटिया के नाम भी प्रमुख हैैं। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह अपने आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को सोनीपत लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ाना चाहते हैैं। पहलवान योगेश्वर दत्त भाजपा और कांग्रेस दोनों के संपर्क में हैैं, जबकि कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अथवा उनकी धर्मपत्नी आशा हुड्डा के भी चुनाव लडऩे की चर्चाएं चल रही हैैं। सीएम के मीडिया सलाहकार राजीव जैन भी सोनीपत लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। </div>
<h4 style="text-align: justify;">
रोहतक में दीपेंद्र हुड्डा को घेरने के लिए भाजपा रच रही चक्रव्यूह</h4>
<div style="text-align: justify;">
रोहतक लोकसभा सीट सभी दलों के लिए काफी अहम हैैं। यहां से कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा मोदी लहर में भी दूसरी बार सांसद बने। भाजपा में पूर्व सेना प्रमुख दलबीर सुहाग, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग और अभिनेता रणदीप हुड्डा के नाम चल रहे हैैं। सहवाग चुनाव नहीं लडऩे का संकेत दे चुके हैैं। कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के मुकाबले भाजपा राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर, ओमप्रकाश धनखड़ अथवा वीर कुमार यादव में से किसी एक को उतार सकती है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
भिवानी में जनरल वीके सिंह और गीता फौगाट के नाम</h4>
<div style="text-align: justify;">
भिवानी लोकसभा सीट पर भाजपा केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह के नाम पर विचार कर रही है। जननायक जनता पार्टी की ओर से खेल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष महावीर फौगाट की बेटी गीता फौगाट को भिवानी के रण में उतारा जा सकता है। कांग्रेस यहां पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के साथ-साथ उनकी मां विधायक दल की नेता किरण चौधरी के नाम पर भी विचार कर रही है। हिसार के चुनावी रण में हालांकि जेजेपी से दुष्यंत चौटाला के लडऩे की संभावनाएं जताई जा रही हैैं, मगर दुष्यंत या दिग्विजय की बजाय उनकी विधायक मां नैना सिंह चौटाला के यहां दस्तक देने की अधिक चर्चाएं चल रही हैैं। कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार कुलदीप बिश्नोई के मुकाबले नैना काफी मजबूत स्थिति में होंगे। हालांकि कुलदीप चाहते हैैं कि उनके बेटे भव्य बिश्नोई हिसार से चुनाव लड़ें।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
सिरसा व अंबाला में हंसराज हंस, सैलजा और तंवर के नाम</h4>
<div style="text-align: justify;">
सिरसा सुरक्षित लोकसभा पर भाजपा में कृष्ण बेदी, सुनीता दुग्गल और सूफी गायक हंसराज हंस के नाम चल रहे हैैं, जबकि अंबाला में मौजूदा सांसद रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया का नाम है। यहां से कांग्रेस कुमारी सैलजा को मैदान में उतार सकती है, जबकि सिरसा में अशोक तंवर पर दांव खेला जा सकता है।</div>
</div>
nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-1617325210088805702019-03-15T18:47:00.000+05:302019-03-15T18:47:11.278+05:30हिसार संसदीय क्षेत्र में आज तक नहीं खिला 'कमल'<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
भाजपा के लिए बंजर जमीन रहा है हिसार संसदीय क्षेत्र </div>
<div style="text-align: justify;">
7-7 बार कांग्रेस और देवीलाल के परिवार वाली पार्टी को जीत हुई हासिल </div>
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<b>जींद, 15 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- </b>प्रदेश में सिरसा के बाद हिसार ऐसा संसदीय क्षेत्र है जिसमें आज तक कमल का फूल कभी नहीं खिला है। इस संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में 7 बार कांग्रेस और 7 बार चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पार्टी को जीत हासिल हुई है। बीच में हरियाणा विकास पार्टी और जनहित कांग्रेस को भी हिसार के मतदाताओं ने मौका देने का काम किया लेकिन इस सीट पर भाजपा एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। हिसार, भिवानी और जींद जिले में फैला हिसार संसदीय क्षेत्र कांग्रेस तथा चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पाॢटयों का ही मजबूत राजनीतिक गढ़ रहा है। इस संसदीय क्षेत्र में 1952 से 2014 तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में ज्यादातर में मुकाबले कांग्रेस पार्टी तथा चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पाॢटयों के बीच ही हुए हैं। पहले जनसंघ और उसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी इस संसदीय क्षेत्र में कभी भी खुद को साबित नहीं कर पाई और इस संसदीय क्षेत्र में कभी जनसंघ का दीपक नहीं जल पाया और बाद में भारतीय जनता पार्टी का कमल का फूल भी नहीं खिल पाया। यह संसदीय क्षेत्र अब तक हुए 16 चुनावों में भाजपा के लिए एक तरह से राजनीति की बंजर जमीन ही साबित हुआ है। 2014 में भाजपा ने हजकां के साथ गठबंधन भी किया लेकिन तब भी उसके गठबंधन में हजकां प्रत्याशी के रूप में हिसार से चुनावी दंगल में उतरे कुलदीप बिश्रोई लोकसभा में नहीं पहुंच पाए थे। इस नाते हिसार संसदीय क्षेत्र अब 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों मेें प्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए बहुत बड़ी राजनीतिक चुनौती साबित होगा। सत्तारूढ़ दल भाजपा के सामने हिसार में 16 संसदीय चुनावों के लगातार चले आ रहे सूखे को समाप्त करने की चुनौती होगी। </div>
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हिसार संसदीय क्षेत्र में भले ही ज्यादातर चुनावी मुकाबले कांग्रेस पार्टी और चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पार्टियों के बीच हुए हैं और इन दोनों को 7-7 बार हिसार में जीत मिली है लेकिन बीच में हिसार के मतदाताओं ने इन दोनों दलों को नकार कर तीसरों पर भी भरोसा जताया है। 1996 में हुए संसदीय चुनावों में हिसार से हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) के जयप्रकाश उर्फ जे.पी. तथा 2009 में हुए संसदीय चुनावों में कांग्रेस से अलग होकर अपना अलग दल बनाने वाले पूर्व सी.एम. भजनलाल की हजकां (हरियाणा जनहित कांग्रेस) ने भी जीत का स्वाद चखा है। जयप्रकाश उर्फ जे.पी. ने हलोदरा के लाला गौरी शंकर को पराजित कर लोकसभा में दस्तक दी थी तो पूर्व सी.एम. भजनलाल ने इनैलो के डॉ. अजय सिंह चौटाला को पराजित किया था।</div>
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क्या इस बार मतदान में टूटेगा 1977 का रिकॉर्ड!</h4>
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हरियाणा में इस बार मतदान के पुराने रिकॉर्ड टूटने के आसार हैं। 10 संसदीय सीटों वाले हरियाणा में इस बार सात प्रमुख दल चुनावी ताल ठोक रहे हैं। इसके अलावा पिछले चुनाव की तुलना में इस बार लोकसभा चुनाव एक माह देरी से हैं। हरियाणा में 1967 से लेकर 2014 तक 13 चुनावों में सर्वाधिक मतदान 1977 में 73.26 फीसदी मतदान हुआ था। हरियाणा में इस बार के चुनाव में करीब 1 करोड़ 74 लाख 48 हजार 293 वोटर्स हैं। इनमें से करीब 93 लाख 97 हजार 153 पुरुष जबकि 80 लाख 51 हजार 140 महिला मतदाता हैं। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस बार सत्तासीन भाजपा, मुख्य विपक्षी दल इनैलो के अलावा कांग्रेस, जजपा, लोसुपा-बसपा, शिरोमणि अकाली दल सक्रिय हैं। सभी दलों ने लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी की हुई है। आमतौर पर हरियाणा में अतीत के चुनाव में तीन बड़े दल ही चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार चूंकि सात दल चुनाव लड़ रहे हैं तो तमाम लोकसभा क्षेत्रों में सघन प्रचार अभियान चलेगा। चुनाव को भी करीब दो माह का समय है। इसके अलावा आम मतदाता अब पहले से जागरूक भी हुआ है। ऐसे में सियासी पंडितों का आंकलन है कि इन सब पहलुओं के चलते इस बार मतदान का नया रिकॉर्ड कायम हो सकता है।</div>
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nkundu.blogpost.comhttp://www.blogger.com/profile/10323734069067100852noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3522449238919377847.post-83427994963331732552019-03-14T18:49:00.005+05:302019-03-14T18:49:49.198+05:30हिसार लोकसभा सीट पर इस बार राजनेताओं की होगी अग्निपरीक्षा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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इस बार हिसार लोकसभा में बदले राजनीतिक समीकरण </div>
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हजकां-कांग्रेस एक साथ तो इनेलो दो टुकड़ों में बंटी, भाजपा भी कमल खिलाने के लिए लगाएगी एडी-चोटी का जोर</div>
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2014 में भजन लाल व देवीलाल परिवारों की प्रतिष्ठा थी दाव पर, भजन लाल परिवार को हार का करना पड़ा था सामना</div>
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<b>जींद, 14 मार्च (नरेंद्र कुंडू):-</b> हरियाणा में लोकसभा चुनाव में रोहतक के बाद सबसे ज्यादा हॉट सीट हिसार की है। हालांकि पिछले लोकसभा चुुनाव में हिसार संसदीय सीट सबसे ज्यादा हॉट सीट थी और यहां पर कई राजनीतिक परिवारों की प्रतिष्ठा दांंव पर लग गई थी। यहां पर इनेलो के दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज की थी, दुष्यंत चौटाला ने हाल ही में अपनी नई पार्टी जेजेपी बनाई है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो हिसार में चौटाला परिवार और भजनलाल परिवार के बीच सीधी टक्कर थी। इस बार फिर से यहां पर टक्कर कांटे की होने की संभावना है। पिछले चुनाव में हिसार में चुनावी दंगल में कांग्रेस सांसद की दौड़ से बाहर हो गई थी और जमानत भी नहीं बचा पाई थी। दरअसल 2004 के परिसीमन के बाद हिसार लोकसभा का स्वरुप बहुत बदल गया था। पहले पूरा जींद जिला इस लोकसभा में था जिसमें से अब सिर्फ उचाना ही रह गया था। कैथल जिले की कलायत विधानसभा सीट भी पहले हिसार लोकसभा का हिस्सा थी जिससे कुरुक्षेत्र से जोड़ दिया गया था। भिवानी जिले का बवानीखेड़ा इसमें जोड़ा गया और आदमपुर भी हिसार लोकसभा का हिस्सा बन गया। कुल मिलाकर हिसार सीट पर जींद क्षेत्र से मजबूत जयप्रकाश और सुरेंद्र बरवाला जैसे नेताओं की पकड़ ढीली पड़ गई और भजनलाल परिवार का दबदबा इस सीट पर बढ़ गया। इस बात को चौटाला परिवार ने जल्दी ही समझ लिया था और चौटाला परिवार से दुष्यंत चौटाला को मैदान में उतार दिया गया था, लेकिन कांग्रेस कहीं न कहीं चूक कर गई। हिसार लोकसभा सीट जाट बहुल सीट रही है और यहां पर 1977 से 2004 तक जाट नेता ही सांसद रहे हैं जिसमें मनीराम बागड़ी, चौ. बीरेंद्र सिंह, जयप्रकाश, सुरेंद्र बरवाला जैसे नेता रहे हैं। सबसे ज्यादा तीन बार सांसद जयप्रकाश यहां पर रहे हैं और 1989 में यहीं से जीतकर वो केंद्रीय मंत्री बने थे। भजनलाल परिवार से खुद भजनलाल 2009 में और उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई 2011 में यहां से उपचुनाव में सांसद चुने गए थे। ओमप्रकाश चौटाला, ओपी जिंदल, संपत सिंह और अजय सिंह चौटाला ने भी यहां पर किस्मत आजमाई लेकिन हिसार ने उन्हें लोकसभा नहीं भेजा। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने तो यहां पर एकमात्र लोकसभा चुनाव हिसार से ही 1984 में लड़ा था और उसी में वो कांग्रेस के चौधरी बीरेंद्र सिंह से हार गए थे। राजनीतिक परिदृश्य से हिसार की सीट हमेशा से ही हॉट सीट रही है और 2014 में यहां की सरगर्मी अपने चरम पर थी। राज्य के दो बड़े राजनीतिक परिवारों के युवराज अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए यहां पर चुनाणी रण में उतरे हुए थे। यह दूसरा मौका था जब चौटाला परिवार और भजनलाल परिवार दूसरी बार आमने-सामने थे। 2011 में भजनलाल के निधन के बाद उपचुनाव में चौटाला परिवार की तरफ से अजय सिंह चौटाला और भजनलाल परिवार की तरफ से कुलदीप बिशनोई मैदान में थे। जिसमें कुलदीप बिश्नोई ने अजय सिंह को करीब 6300 वोटों से हरा दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट हजकां और बीजेपी के गठबंधन के तहत हजकां के पाले में थी। लोकसभा चुनाव में हजकां की तरफ से कुलदीप बिश्नोई का चुनाव लडऩा तय था, क्योंकि वो 2011 में सांसद चुनकर आए थे। कुलदीप बिश्नोई 2004 में भिवानी लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए थे तब उन्होंने हविपा के सुरेंद्र सिंह और इनेलो के अजय सिंह चौटाला को हराया था। वे 1998 उपचुनाव और 2009 के आदपुर से चुनाव जीतकर विधानसभा के सदस्य बने थे। कुलदीप बिश्नोई हरियाणा जनहित के सुप्रीमो थे। चौधरी भजनलाल के स्वर्गवास के बाद वो ही चुनाव लड़ रहे थे। 2014 के चुनाव में हजकां और भाजपा का गठबंधन था और भाजपा 8 सीटों पर और हजकां दो सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। हजकां के हिस्से में हिसार और सिरसा लोकसभा क्षेत्र थे। नरेंद्र मोदी की उस वक्त लहर थी लेकिन नरेंद्र मोदी उस वक्त हिसार और सिरसा के लिए वक्त नहीं निकाल पाए थे, हालांकि हरियाणा की अन्य लोकसभा सीटों पर उन्होंने रैलियां की थी। फतेहाबाद में हजकां-भाजपा की नरेंद्र मोदी की रैली रखी गई थी लेकिन वो रद्द कर दी गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई करीब 30 हजार वोटों से पिछड़ गए थे। कुलदीप बिश्नोई को आदमपुर, हिसार, बरवाला और हांसी विधानसभा क्षेत्रों से बढ़त मिली थी लेकिन उचाना, नारनौंद और उकलाना की सीटों पर काफी नुक्सान हुआ था और इनेलो ने यहां पर बड़ी बढ़त बनाई थी। इन तीन हलकों को मिली इनेलो को बढ़त को वो छह हलकों में भी तोड़ नहीं पाए थे। कुलदीप बिश्नोई को इस मतदान में 40 फीसदी वोट मिले थे जबकि 2009 में भजनलाल को यहां पर 30 फीसदी वोट ही मिले थे। 2009 से पहले हिसार लोकसभा सीट पर भजनलाल परिवार चुनाव नहीं लड़ता था। क्योंकि तब इस सीट में पूरा जींद जिला आता था और भजनलाल का पैतृक इलाका आदमपुर इसका हिस्सा नहीं था लेकिन परिसीमन के बाद इस लोकसभा क्षेत्र का स्वरुप ही बदल गया था और भजनलाल परिवार की इस लोकसभा सीट पर भागीदारी बढ़ गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में चौधरी देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी चुनावी दंगल में थी। यहां पर युवा चेहरे दुष्यंत चौटाला को चुनाव में उतारा गया था। विदेश से पढ़कर आए दुष्यंत चौटाला ने विकट परिस्थितियों में राजनीति में कदम रखा था उनके पिता अजय सिंह चौटाला और दादा ओमप्रकाश चौटाला के जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में जेल हो चुकी थी, ऐसे में महज 25 साल की उम्र में ही दुष्यंत चौटाला राजनीति में कूद गए थे। दुष्यंत चौटाला का यहां पर कदम मजबूती के साथ रखा और जीत के साथ आगे बढ़े। 2014 लोकसभा चुनाव में हिसार को जीतना इनेलो के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी क्योंकि साल 2011 के उपचुनाव में अजय सिंह की हार हुई थी। अजय सिंह चौटाला यहां पर 6223 वोटों से कुलदीप बिश्नोई से हारे हुए थे। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने उचाना, नारनौंद और उकलाना विधानसभा सीटों पर जबरदस्त जीत दर्ज की, हालांकि वो छह विधानसभा क्षेत्रों में कुलदीप बिश्नोई से पिछड़ गए थे लेकिन फिर भी कुलदीप बिश्नोई उनकी जीत को नहीं रोक पाए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने कुल 4 लाख 94 हजार 478 वोट हासिल किये थे जोकि मतदान का कुल 42 फीसदी से ज्यादा था, जबकि 2009 में यहां पर इनेलो के उम्मीदवार संपत सिंह ने 29 फीसदी वोट ही हासिल किए थे। इस चुनाव में इनेलो कार्यकर्ताओं ने दुष्यंत के पक्ष में पूरी ताकत झोंक दी थी। लोकसभा चुनाव के वक्त उचाना और नारनौंद में ही इनेलो के विधायक थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनावों में इनेलो ने नलवा, बरवाला और उकलाना सीट पर जीत दर्ज की। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संपत्त सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था। संपत्त सिंह उस वक्त नलवा से विधायक थे और उन्ही को कांग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में उतारा गया था। संपत्त सिंह का ज्यादा लंबा राजनीतिक सफर लोकदल के साथ ही रहा था वो चौधरी देवीलाल के निजी सचिव के रुप में राजनीति में आए थे और संपत्त सिंह ने पहला चुनाव 1980 में लड़ा था जब ताऊ देवीलाल के संसद चले जाने पर भट्टू विधानसभा सीट खाली हो गई थी। 1982 में वे पहली बार विधानसभा पहुंचे थे और 1987 में दोबारा चुने गए और कई विभागों के मंत्री भी उस वक्त रहे। साल 1991 में भट्टू सीट से ही चुनाव जीतकर भजनलाल सरकार के सामने नेता प्रतिपक्ष के रुप में रहे। इसके बाद संपत्त सिहं ने 1998 में उपचुनाव में जीतकर फिर से विधानसभा पहुंचे। 2000 में फिर से वो भट्टू से जीते और चौटाला सरकार में वित्तमंत्री रहे। संपत्त सिंह ने एक चुनाव फतेहाबाद और एक उपचुनाव आदमपुर से भी लड़ा था लेकिन वो यहां पर जीत नहीं पाए थे। 2009 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद संपत्त सिंह का चौटाला परिवार के साथ मनमुटाव हो गया था और उन्होने इनेलो छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। कांग्रेस ने संपत्त सिंह को नलवा से प्रत्याशी बनाया जहां पर वो जीतकर छठी बार विधानसभा पहुंचे। 2009 के विधानसभा चुनाव में संपत्त सिंह ने स्वं. भजनलाल की पत्नी जस्मा देवी को हराया था। यह भजनलाल परिवार के लिए हरियाणा विधानसभा के चुनावों में पहली हार थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में 1999 में भजनलाल खुद करनाल लोकसभा सीट से हारे थे। इसके अलावा 2014 के विधानसभा चुनाव में भी जस्मा देवी, चंद्र मोहन बिश्नोई और 2014 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई को हार का सामना करना पड़ा था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जयप्रकाश के कांग्रेस की टिकट पर मना करने के बाद कांग्रेस ने संपत्त सिंह को टिकट थमा दी थी। संपत्त सिंह अपनी राजनीतिक पारी का दूसरा लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। इससे पहले 2009 में इनेलो की तरफ से वो हिसार में ही चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे अब कांग्रेस ने उन पर दांव खेला था। 2014 के लोकसभा चुनाव में हिसार में चौटाला परिवार और भजनलाल परिवार के आमने-सामने आने के बाद टक्कर में हो गया और कांग्रेस के संपत्त सिंह पिछड़ गए। संपत सिंह ने अपना प्रयास जारी रखा था लेकिन फिर भी वो अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे। उनको करीब एक लाख वोट मिले थे लेकिन उस वक्त लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी का यह सबसे खराब प्रदर्शन रहा था। इस बार के लोकसभा चुनाव में अब सभी राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं। हजकां और कांग्रेस एक साथ हो चुकी है तो इनेलो से एक नई पार्टी जेजेपी निकल चुकी है वहीं इस बार लोकसभा चुनाव में हिसार से बीजेपी भी ऐडी चोटी का जोर लगा रही है।</div>
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