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गुरुवार, 16 अगस्त 2012

किताबों से नहीं बुनियाद से सीखकर खुद का ज्ञान पैदा करें किसान : दलाल

पंजाब के किसानों ने निडाना के किसानों से सीखे कीट प्रबंधन के गुर

नरेंद्र कुंडू
जींद।
जिस तरह शहीदे आजम भगत सिंह ने मात्र 23 वर्ष की अल्प आयु में ही फांसी के फंदे को चुमकर देश में क्रांति का तूफान खड़ा कर अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत में कील ठोकने का काम किया था, ठीक उसी तरह निडाना गांव के किसानों ने भी कीट प्रबंधन की यह मुहिम शुरू कर एक नई क्रांति को जन्म दिया है। निडाना गांव के खेतों से उठी क्रांति की यह लहर भोले-भाले किसानों को गुमराह कर उनकी जेबें तरासने वाले फरेबियों के ताबूत में आखरी कील साबित होगी। यह बात बरहा कलां बाराह खाप के प्रधान एवं खाप पंचायत के संयोजक कुलदीप ढांडा ने मंगलवार को निडाना गांव की किसान खेत पाठशाला में शहीद भगत सिंह के जिला नवां शहर (पंजाब) से आए किसानों को संबोधित करते हुए कही। पंजाब के कृषि विभाग द्वारा आत्मा स्कीम के प्रोजैक्ट डायरेक्टर सुखजींद्र पाल के नेतृत्व में जिला नवां शहर से 38 किसान व 6 कृषि अधिकारियों के एक दल को कीट प्रबंधन के गुर सीखने के लिए निडाना में दो दिन की अनावरण यात्रा पर भेजा गया था। इस अवसर पर कीट-किसान मुकदमे की सुनवाई के लिए खाप पंचायत की तरफ बेनिवाल खाप के प्रधान जिले सिंह बेनिवाल, अखिल भारतीय क्षेत्रीय महासभा के कार्यकारी सदस्य महेंद्र सिंह तंवर, अमरपाल राणा व कृष्ण कुमार भी मौजूद थे।
ढांडा ने कहा कि भगत सिंह के जिले के लोगों द्वारा निडाना गांव के किसानों की इस मुहिम में शामिल होने से यह साफ हो गया है कि अब देश में यह क्रांति पूरी रफ्तार से फैलेगी, क्योंकि पंजाब के किसान कृषि क्षेत्र में हरियाणा से आगे हैं और यहां पर कीटनाशकों का प्रयोग भी सबसे ज्यादा होता है। पाठशाला के संचालक डा. सुरेंद्र दलाल ने कहा कि किसानों को किताबों में लिखी हुई बातों पर यकीन करने की बजाए बुनियाद से सीखने की जरुरत है। जब तक किसान खुद का ज्ञान पैदा नहीं करेगा और घर पर ही बीज तैयार कर फसल की बिजाई करनी शुरू नहीं करेगा तब तक किसान को खेती से लाभ प्राप्त नहीं होगा। डा. दलाल ने कहा कि जिस ज्ञान को परखने के लिए पंजाब से किसान यहां आए हैं, वह ज्ञान किताबी नहीं है, बल्कि निडाना के किसानों द्वारा यह ज्ञान खेत में प्रयोग कर खुद पैदा किया गया है। बीटी पर चुटकी लेते हुए डा. दलाल ने कहा कि कीटों को कंट्रोल करने में बीटी-सीटी का कोई महत्व नहीं है और न ही किसानों को कीटों को कंट्रोल करने की जरुरत है। यहां के बाद इन किसानों ने निडानी गांव में लंच किया और यहां महाबीर व जयभगवान के खेत में कपास व मूंग की मिश्रित खेती का अवलोकन किया। इसके बाद अलेवा गांव में जाकर प्रगतिशील किसान जोगेंद्र सिंह लोहान के खेत में कीटनाशक रहित व कीटनाशक के प्रयोग वाली धान की फसल में आई पत्ता लपेट की तुलाना की। यहां से जलपान कर वापिस पंजाब के लिए रवाना हुए।

खाद डालने की विधि सीखें किसान

किसानों को फसल में खाद की अवश्यकता व डालने की विधि भी सीखने की जरुरत है। क्योंकि किसान फसल में जो यूरिया खाद डालता है,उसका 11 से 28 प्रतिशत ही पौधों को मिलता है। बाकि का खाद वेस्ट ही जाता है। इसके अलावा डीएपी खाद में से सिर्फ 5 से 20 प्रतिशत ही खाद पौधों को मिलता है। बाकि की खाद की मात्रा जमीन में चली जाती है। इस तरह बिना जानकारी के व्यर्थ होने वाले खाद को बचाने के लिए खाद जमीन में डालने की बजाए सीधा पौधों को ही दिया जाए।

बोकी तोड़ कर शुरू किया प्रयोग

किसानों द्वारा पाठशाला में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां पौधों के पत्तों की कटाई का प्रयोग चल रहा है तो दूसरी तरफ किसानों ने कपास के पांच पौधों से पौधे की 25 प्रतिशत बोकी तोड़ने का प्रयोग भी शुरू कर दिया है। इस प्रयोग से किसान यह देखाना चाहते हैं कि कपास की फसल में बोकी खाने वाले कीटों से उत्पादन पर कोई प्रभाव होता है या नहीं। इस पाठशाला में 28 दिन बाद पांच पौधों की 25 प्रतिशत बोकी तोड़ी जाती हैं। वही बोकी बार-बार न टूटें इसलिए 28 दिन बाद पौधे की बोकी तोड़ी जाती हैं, क्योकि बोकी से फूल बनने में 28 दिन का समय लगता है।

समस्याओं का किया समाधान

 पंजाब के किसानों को कीटों की पहचान करवाते निडाना के किसान।

 खेत पाठशाला में कीट बही खाता तैयार करते डा. सुरेंद्र दलाल।

खेत में पौधे की बोकी तोड़ते खाप प्रतिनिधि।
पंजाब से आए किसानों ने निडाना के किसानों से खूब सवाल-जवाब किए और धान, गन्ना, मक्की व सब्जी की फसल में पत्ता लपेट, तना छेदक, टिड्डे व फुदका कीटों से होने वाले नुकसान का समाधान भी पूछा। निडाना के किसानों ने पंजाब के किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए बताया कि इन कीटों को कीटनाशकों से काबू करने की जरुरत नहीं है। क्योंकि इनको काबू करने के लिए फसल में मासाहारी कीट काफी तादाद में मौजूद होते हैं।