रविवार, 13 दिसंबर 2015

देश को कीट ज्ञान के मॉडल की सख्त जरूरत : डॉ. जेसी कत्याल

म्हारे किसानों के कीट ज्ञान का कायल हुआ किसान आयोग  
निडाना में आयोजित हुई किसान संगोष्ठी 

नरेंद्र कुंडू
जींद। किसान आयोग के चेयरमैन एवं हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी डॉ. जेसी कत्याल ने जींद जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यदि हमें अपनी आने वाली पुस्तों को बचाना है तो कीट ज्ञान के इस मॉडल को प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू करना होगा। आज देश के किसानों को कीट ज्ञान के इस मॉडल की सख्त जरूरत है। आज प्रकृति के साथ जिस तरह से खिलवाड़ हो रही है, वह हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है। डॉ. जेसी कत्याल बृहस्पतिवार को निडाना गांव के डैफोडिल्स स्कूल में आयोजित किसान संगोष्ठी में कीटाचार्य महिला एवं पुरुष किसानों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ किसान आयोग के सचिव डॉ. आरएस दलाल, डॉ. एएम नरूला, डॉ. आरबी श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में पहुंचने पर कीटाचार्य किसानों, किसाल क्लब के प्रधान राजबीर कटारिया, राममेहर नंबरदार, स्कूल के प्रिंसीपल ने किसान आयोग के सदस्यों का स्वागत किया।
किसान आयोग के चेयरमैन डॉ कत्याल को पगड़ी पहना कर स्वागत करते राममेहर नंबरदार
किसानों को सम्बोधित करते किसान आयोग के चेयरमैन डॉ कत्याल
कार्यक्रम में मौजूद कीटाचार्या महिलाऐं
डॉ. कत्याल ने कहा कि जींद जिले के किसानों के अनुभव के सामने उनका 40-45 का अनुभव बिल्कुल नहीं के बराबर है। यहां के किसानों ने डॉ. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में बड़े कठिन परिश्रम के बाद यह ज्ञान हासिल किया है और अब वह निस्वार्थ भाव से जींद व दूसरे जिलों के किसानों को जागरूक करने का बीड़ा उठाये हुए हैं। डॉ. कत्यान ने कहा कि किसानों द्वारा अधिक उत्पादन की चाह में फसल में जिस पेस्टीसाइड का प्रयोग किया जाता है, उसका महज एक प्रतिशत ही पौधों पर प्रयोग होता है। बाकि 99 प्रतिशत पेस्टीसाइड जमीन, हवा व पानी में घुलकर हमारे वातावरण को दूषित करता है। आज देश में 90 हजार करोड़ रुपये फर्टीलाइजर पर खर्च होते हैं। उन्होंने कहा कि जींद जिले के जो किसान अपने खर्च पर कीट ज्ञान की मुहिम को चलाए हुए हैं, वह इन किसानों के लिए आयोग की मार्फत सरकार को मानदेय देने तथा जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देने वाले किसानों को अवार्ड देने की सिफारिश करेंगे। कीट ज्ञान की इस मुहिम को पूरे देश के किसानों तक पहुंचाने के लिए इसे एक कैंपेन बनाने की जरूरत है। इस दौरान कीटाचार्या महिला किसानों ने 'हो पिया तेरा हाल देख कै मेरा कालजा धड़कै हो, कांधे ऊपर जहर की टंकी मेरै कसुती रड़कै हो' गीत के माध्यम से फसलों में बढ़ रहे जहर तथा 'हे बीटल म्हारी मदद करो तेरा एक सहारा सै, जमींदार का खेत खा लिया आकै तनै बचाना है' गीत के माध्यम से फसल में कीट के महत्व के बारे में बताया। वहीं 'खेत में खड़ी ललकारूं देखे हो तू जहर ना लाइये' गीत के माध्यम से फसल में कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करने का आह्वान किया।

कीटों का पौधे के साथ होता है गहरा संबंध

महिला किसान सविता, अंग्रेजो, शकुंतला ने बताया कि कीटों और पौधों का गहरा रिश्ता होता है। उन्होंने 43 किस्म के शाकाहारी कीटों की पहचान की है। शाकाहारी कीट पौधों के अतिरिक्त भोजन को बाहर निकालने का काम करते हैं, वहीं मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर फसल में कूदरती कीटनाशी का काम करते हैं। रणबीर मलिक ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष लगभग छह करोड़ लोगों की मौत होती है। इनमें से अकेले 76 लाख लोगों की मौत कैंसर के कारण तथा दो लाख 20 हजार लोगों की मौत प्रति वर्ष जहर के सेवन से होती है। देश में फसलों पर हर वर्ष 25 लाख टन पेस्टीसाइड का प्रयोग होता है। इस प्रकार हर वर्ष 10 हजार करोड़ रुपये खेती में इस्तेमाल होने वाले पेस्टीसाइडों पर खर्च हो जाते हैं। मलिक ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कीट से फसल को 22 प्रतिशत नुकसान होता है और कीटनाशकों से 22 प्रतिशत में से महज सात प्रतिशत नुकसान की रिकवरी ही की जा सकती है। इस सात प्रतिशत रिकवरी के चक्कर में किसान का इससे ज्यादा खर्च कीटनाशक पर हो जाता है।  

अकेले ईगराह में प्रति वर्ष होती है साढ़े चार करोड़ के कीटनाशकों की बिक्री 

ईगराह गांव निवासी मनबीर रेढ़ू ने मांसाहारी कीटों पर चर्चा करते हुए बताया उनके द्वारा अभी तक 161 किस्म के मांसाहारी कीटों की पहचान की जा चुकी है। उन्होंने सभी कीटों के नाम उनके क्रियाकलापों व शारीरिक बनावट के आधार पर रखे हुए हैं। रेढू ने बताया कि उनके गांव में कुल १९ हजार बीघे जमीन है और अकेले उनके गांव में साढ़े चार करोड़ रुपये का जहर बिकता है। कीड़े द्वारा फसल में किए गए 22 प्रतिशत नुकसान में से सात प्रतिशत की रिकवरी के लिए अकेले उनके गांव में 13 लाख 30 हजार रुपये के कीटनाशकों का प्रयोग होता है। 

500 में से 150 के लग चुके हैं चश्में

डैफोडिल्स स्कूल की छात्रा अंजू ने आयोग के सदस्यों को बताया कि उनके स्कूल में 500 विद्यार्थी हैं और आज दूषित खान-पान के कारण इन 500 में से 150 विद्यार्थियों को चश्में लग चुके हैं। छात्रा ने कहा कि आज दूषित खान-पान के कारण उनका भविष्य खतरे में है। 

 

सोमवार, 7 दिसंबर 2015

केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने फिर उठाए मैरिट की भर्ती पर सवाल

कहा जींद के युवा नौकरी की उम्मीद छोड़ लोन लेकर शुरू करें स्वरोजगार

कोई मैनेजर लोन से इंकार करे तो बताएं, करूंगी सीधा 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बाद अब उनकी पत्नी एवं उचाना कलां से विधायक प्रेमलता ने भी लोगों के काम नहीं करने वाले अधिकाररियों को खुली चेतावनी दी है। वहीं उन्होंने एक बार फिर सरकार की मैरिट लिस्ट के आधार पर नौकरी देने की प्रक्रिया पर फिर सवाल उठाए हैं। प्रेमलता का कहना है कि मैरिट के आधार पर नौकरियां मिली तो जींद के युवा पिछड़ जाएंगे। विधायक प्रेमलता का कहना है कि जींद शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। यहां पर शिक्षा के प्रर्याप्त संसाधन व अच्छे शिक्षण संस्थान नहीं है। इसलिए मैरिट सूची के आधार पर नौकरी देने से जींद के युवा नौकरी से वंचित रह जाएंगे। प्रेमलता शनिवार को विश्व मृदा दिवस पर जाट धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने पहुंची थी।   
कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद विधायक प्रेमलता।
प्रेमलता ने कहा कि मैरिट के आधार पर तो जींद के युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाएगी। इसलिए जींद के युवाओं को नौकरी की उम्मीद छोड़कर अपना स्वरोजगार स्थापित करना चाहिए। स्वरोजगार स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा बहुत ही रियायती ब्याज दरों पर युवाओं को लोन देने के लिए योजनाएं शुरू की गई हैं। युवा सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाकर बैंक से लोन लेकर अपना स्वारोजगार स्थापित कर सकते हैं। प्रेमलता ने कहा कि यदि कोई बैंक मैनेजर उन्हें लोन देने से मना करता है और वह लोन के लिए पात्र हैं तो वह इसकी शिकायत सीधे मुझे करें। मैं खुद ऐसे बैंक मैनेजरों को सीधा करुंगी। उन्होंने किसानों से भी आह्वान किया कि बैंक से लोन लेने के बाद वह नियमित रूप से लोन को चुकता करते रहें। ताकि बैंकों के साथ किसानों का लेन-देन बना रहे। 

पीएम मोदी के विदेशी दौरों को लेकर विपक्ष पर साधा निशाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों को लेकर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए विधायक प्रेमलता ने कहा कि विश्व मृदा दिवस प्रधानमंत्री की सोच की ही देन है। प्रधानमंत्री विदेशों में घुमने के लिए नहीं बल्कि देश के किसानों के लिए नई-नई तकनीकों की खोज के लिए जाते हैं। विदेशों से नई-नई तकनीक की जानकारी लेकर वह उन तकनीकों को देश में लागू करवा रहे हैं। ताकि हमारा देश हर क्षेत्र में तरक्की कर सकें।  
  

किसानों के साथ बीज व दवाइयों के नाम पर हो रहे धोखे के लिए विभाग जिम्मेदार : प्रेमलता

अंग्रेजी भाषा में जारी किए गए सॉयल हैल्थ कार्ड पर भी उठाए सवाल
किसानों से किया प्राकृतिक पद्धति से खेती करने का आह्वान
अनाज मंडी में धान की बिक्री के दौरान किसानों के साथ हुई लूट का मुद्दा भी उठाया
कृषि विभाग द्वारा जाट धर्मशाला में विश्व मृदा दिवस पर किया गया जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

नरेंद्र कुंडू 
जींद। विधायक प्रेमलता ने कहा कि फसलों में साल दर साल बढ़ रही बीमारियों व कीटों के प्रकोप का मुख्य कारण बाजार में बिक रहे निम्र श्रेणी के बीज व घटिया क्वालिटी की दवाइयां हैं। बीज व दवाइयों के नाम पर किसानों के साथ जो धोखा हो रहा है उसके लिए विभाग जिम्मेदार है। जींद के बिल्कुल साथ लगते हिसार जिले में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी है। विभाग के अधिकारियों व कृषि विशेषज्ञों को चाहिए कि वह इस यूनिवर्सिटी से किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज व दवाइयां मुहैया करवाएं। ताकि किसानों को फसल की अच्छी पैदावार मिल सके और फसलों में आने वाली बीमारियों व कीटों को नियंत्रित किया जा सके। विधायक प्रेमलता शनिवार को कृषि विभाग द्वारा जाट धर्मशाला में विश्व मृदा दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने पहुंची थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता उपायुक्त विनय ङ्क्षसह ने की। इस अवसर पर कृषि उपनिदेशक आत्मराम गौदारा समेत कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिंडारा के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
मंच पर मौजूद विधायक प्रेमलता व डीसी विनय सिंह
प्रेमलता ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि जमीन व मनुष्य की सेहत एक तरह की होती हैं। जिस तरह हम अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं वैसे ही हमें जमीन की सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर किसान फसलों में सही मात्र में खाद एवं दवाइयों का प्रयोग करें तो खेती मुनाफे का सौदा बन सकती है। उन्होनें किसानों से अपील की वे फसलों में अधिक खाद एवं दवाइयों का प्रयोग न करें। खाद एवं दवाइयों का अधिक मात्र में प्रयोग करने से खेती की लागत तो बढ़ती ही है, साथ ही अनेक बीमारी भी पैदा होती हैं। उन्होनें फसलों में देशी खाद के प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि ऐसा करने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और पैदावारी में भी खासी बढ़ौतरी होगी। उन्होंने किसानों को आह्वान करते हुए कहा कि किसान कृषि में नवीन तकनीकों का प्रयोग करें। कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे किसानों को नई-नई तकनीकों के बारे में जागरूक करने के लिए समय-समय पर जागरूकता शिवरों का आयोजन करें और किसानों को साधारण भाषा में पूरी जानकारी दें। डीसी विनय सिंह ने कहा कि पूरे जिले की मिट्टी जांच कर रिकोर्ड तैयार करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है। राष्ट्रीय कृषि मिशन योजना के तहत फिलहाल जींद तथा जुलाना खंड में मिट्टी जांच के लिए सैंपल लिए जा रहे हैं। आगामी एक अप्रैल से उचाना तथा नरवाना खंडों में मिट्टी जांच का कार्य शुरू करवाया अलेवा, सफीदों तथा पिल्लूखेड़ा खंडों में मिट्टी जांच का कार्र्य प्रारम्भ होगा। इस अवसर पर विधायक प्रेमलता तथा डीसी विनय सिंह ने किसानों को सॉयल हैल्थ कार्ड भी वितरित किए। कार्यक्रम में जाट धर्मार्थ सभा के प्रधान आजाद पवार, संजीव डूमरखां, हरेंद्र डूमरखां भी मौजूद रहे। इस अवसर पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने विधायक व डीसी से शहर के रोहतक रोड पर स्थित हमेटी में बॉयो फर्टीलाइजर लैब स्थापित करने की मांग भी की।

सॉयल हैल्थ कार्ड की भाषा पर उठाए सवाल 

कृषि विभाग द्वारा कार्यक्रम के दौरान किसानों को सॉयल हैल्थ कार्ड वितरित किए गए। कृषि विभाग द्वारा जारी इन सॉयल हैल्थ कार्ड को अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित करवाया गया था। विधायक प्रेमलता ने कृषि विभाग द्वारा जारी किए गए सॉयल हैल्थ कार्ड की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमारे किसान ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं और इन्हें अंग्रेजी भाषा की जानकारी भी नहीं है। ऐसे में कृषि विभाग द्वारा किसानों को अंग्रेजी भाषा में छपे सॉयल हैल्थ कार्ड जारी किए जाने से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। क्योंकि किसान इस कार्ड पर दी गई जानकारी को समझ नहीं पाएंगे।

डीसी की थपथपाई पीठ

विधायक प्रेमलता ने डीसी विनय ङ्क्षसह की पीठ थपथपाते हुए कहा कि उनकी आधी से ज्यादा चिंता तो इसलिए दूर हो गई है कि विनय ङ्क्षसह जैसे ईमानदार अधिकारी ने उनके जिले की कमान संभाल ली है। विधायक ने कहा कि डीसी विनय ङ्क्षसह जिले से भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म कर जिले के विकास को नई गति देेंगे। क्योंकि वह एक ईमानदार व धरातल से जुड़े हुए अधिकारी हैं।

धान के भाव बढऩे से किसानों को नहीं हुआ फायदा

विधायक प्रेमलता ने कहा कि उन्होंने इस बार विधानसभा में सीजन के अंत में बढ़े धान के भाव को लेकर अपना सवाल उठाया था लेकिन विधानसभा में किसी के पास भी उनके इस सवाल का जवाब नहीं था। उन्होंने कहा कि धान के भाव उस समय बढ़े जब किसानों की ज्यादातर धान मंडियों में बिक चुकी थी। इसलिए इसका फायदा किसान को नहीं आढ़तियों को सबसे ज्यादा हुआ है।
कार्यक्रम में मौजूद किसान।

जींद को बना रखा है रैली स्थल

विधायक प्रेमलता ने कहा कि जिले के विकास में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाएगी। जिले के सभी हलकों में सम्मान रूप से विकास कार्य करवाये जाएंगें। उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने 22 मांगें रखी थी और मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांगें पूरी कर दी हैं। जींद के बाईपास के निर्माण को लेकर भी मुख्यमंत्री से बातचीत की गई है। मुख्यमंत्री ने जल्द ही बाईपास का निर्माण करवाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं ने तो जींद को रैली स्थल बनाकर रख दिया है। रैली करने के लिए तो यहां आ जाते हैं लेकिन विकास के नाम पर कोई भी यहां एक ईंट तक नहीं लगवाता। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश ने चौटाला नरवाना से विधायक बनने के बाद भी यहां कोई विकास नहीं करवाया, वहीं हुड्डा सरकार के शासन काल में भी पूरी तरह से जींद की अनदेखी हुई। विधायक ने कहा कि यहां तो गोपाल कांडा जैसे लोग भी रैली करके चले गए जिनका जींद के साथ कोई लेना देना नहीं है। इसलिए यहां के लोगों को जागरूक होना चाहिए और किसी राजनेता के रैली, जलसों में नहीं जाना चाहिए।
 किसानों का पंजीकरण करते कृषि विभाग के अधिकारी।

'डीएपी और स्प्रे करकै मेरी काढ़ ली जान तनै'

कार्यक्रम के दौरान खेड़ी निवासी लीला कवि ने धरती पर आधारित अपनी कविता 'डीएपी और स्प्रे करकै मेरी काढ़ ली जान तनै' तथा 'आज छिड़क कै जहर जमीन-जीवाणु सारे मार दिए हैं' के माध्यम से फसलों में प्रयोग हो रहे अंधाधुंध स्प्रे के बारे में किसानों को जागरूक किया।







विश्व मृदा दिवस के लिए विशेष

न मशीन, न स्टाफ कैसे होगी सैंपलों की जांच
कृषि विभाग की मिट्टी-पानी की जांच के जागरूकता अभियान को झटका
16 हजार में से महज 400  सैंपलों की ही हो पाएगी जांच 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। कृषि विभाग आज विश्व मृदा दिवस मना रहा है और किसानों को मिट्टी-पानी की जांच करवाने के लिए जागरूक करने का काम कर रहा है लेकिन हकीकत यह है कि कृषि विभाग की प्रयोगशाला में मिट्टी-पानी की जांच के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही पूरा स्टाफ है। ऐसे में विभाग के इस जागरूकता अभियान को करारा झटका लग रहा है। क्योंकि विभाग की लैब में किसान जांच के लिए अपने खेत से मिट्टी-पानी तो लेकर आ रहे हैं लेकिन यहां पर किसानों के सैंपलों की जांच नहीं हो पा रही है। क्योंकि जिला कृषि विभाग की
कृषि विभाग की प्रयोगशाला में जांच के लिए आए मिट्टी के सैंपल।   
प्रयोगशाला में मिट्टी-पानी के सूक्ष्म तत्व की जांच के लिए रखी गई मशीन पिछले काफी लंबे अर्से से खराब पड़ी है। ऐसे में यहां जांच के लिए आने वाले सैंपलों की सूक्ष्म तत्वों की जांच नहीं हो पा रही है। वहीं प्रयोगशाला को संभालने के लिए विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है। लैब में न तो अधिकार है और न ही सैंपलों की जांच करने वाले एक्सपर्ट। महज एक कर्मचारी के सहारे विभाग की लैब चल रही है।

16 हजार सैंपल में से जांच के लिए भेजे गए सिर्फ 400

कृषि विभाग की प्रयोगशाला में जिले के विभिन्न गांवों से किसानों द्वारा लगभग १६ हजार सैंपल मिट्टी-पानी की जांच के लिए भेजे गए हैं लेकिन प्रयोगशाला में सैंपलों की जांच के लिए कोई सुविधा नहीं है। यहां पर सिर्फ न तो सैंपलों की जांच के लिए मशीन की सुविधा है और न ही सैंपलों की जांच करने वाले अधिकारी। विभाग की प्रयोगशाला में आए १६ हजार सैंपलों में से महज 400 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। यहां पर जांच के लिए सुविधा नहीं होने के कारण इन 400 सैंपलों को भी दूसरे जिलों की प्रयोगशाला में भेजा गया है।

फसल की अच्छी पैदावार के लिए 16 पोषक तत्व की होती है जरूरत 

फसलों की उचित पैदावार के लिए जमीन में 16 पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। इनमें जिंक, आयरन, मैगनीज व तांबा जो सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। इसके अलावा दूसरे पोषक तत्व नाइट्रोजन, पोटास, फासफोर्स, पोटाश, कैलशियम, मैगनिशियम, सल्फर, बोरोन, मोलीबिडनम व क्लोरीन शामिल हैं। इनमें से कार्बन, हाईट्रोजन, ऑक्सीजन को पौधा हवा व पानी से प्राप्त कर लेता है तथा अन्य पोषक तत्वों को जमीन से ग्रहण करता है। किस पोषक तत्व की जमीन में कमी यह जानने के लिए मिट्टी की जांच करवाई जाती है।

खेत में जिंक की कमी के लक्षण 

खेत में पोषक तत्व की कमी के कारण फसल पर अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में यदि खेत में जिंक की कमी है तो फसल के पत्तों के नीचे लाल चितके जंग के रूप के निशान हो जाते हैं।

खेत में बढ़ रही ऑर्गेनिक कार्बन की कमी 

किसानों द्वारा खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेषों को जला दिया जाता है। फसल के बचे हुए अवशेष ऑर्गेनिक कार्बन का सबसे बड़ा स्त्रोत हैं लेकिन किसानों द्वारा यह अवशेष जला देने के कारण ऑर्गेनिक कार्बन भी नष्ट हो जाती है। इससे जमीन की पानी रोकने की क्षमता कम हो जाती है और जमीन के अंदर के सूक्ष्म पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। जमीन की विद्युत चालकता भी कम होती है। इससे जमीन में नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है।

खेत में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाने की विधि 

जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाने के लिए किसान गोबर की खाद, बॉयोगैस की खाद, हरी खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करें। इन खादों के प्रयोग से जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।

नमूना लेने की विधि 

भूमि परीक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी का सही प्रकार से नमूना लेना होता है। नमूना लेने की सही विधि निम्न प्रकार है।
1. जिस खेत का नमूना लेना हो उसमें 5-6 अलग-अलग स्थानों से 15 सैंटीमीटर  का गड्ढ़ा खोदकर खुरपे या कस्सी से नीचे तक की मिट्टी लें।
2. इस मिट्टी को कागज या ट्रे में अच्छी तरह से मिला कर इकठा कर लें। अब मिट्टी को चार भागों में बांटकर आमने-सामने के दो भाग की मिट्टी रख कर बाकी मिट्टी फैंक दें।
3 . आमने-सामने की मिट्टी के दो भागों की मिट्टी को अच्छी तरह मिला कर उसमें से लगभग 250  ग्राम मिट्टी का नमूना थैली में भरकर उस पर अपना नाम, पूरा पता खेत का नंबर व मोबाइल नंबर लिखकर प्रयोगशाला में भेजें।

नमूना लेने में यह रखें सावधानी 

1. नमूना रूढ़ी या कंपोस्ट खाद व खेत की मेढ़ के पास से बिल्कुल न लें।
2. नमूना खेत में उगे किसी पेड़ की जड़ के पास व खड़ी फसलों वाले खेत से नहीं लें।
3. नमूना ऊंची-नीची जगह से न लेकर समतल स्थान से लें।
4. यदि खेत कल्लर से प्रभावित हो तो नमूना तीन फुट गहराई तक, पहले दो नमूनें छह-छह इंच की गहराई से व अगले दो नमूने एक-एक फुट की गहराई से लें
5. बागवानी के लिएखेत से नमूने छह फुट की गहराई तक के गड्ढ़े से सात नमूने इकठा करें।
6. मिट्टी के साथ अपने खेत के पानी के नमूने की जांच भी करवाएं। ट्यूबवैल को आधा घंटा चलाकर प्लास्टिक या कांच की साफ बोतल में नमूना भरें।
बॉक्स
किसान एक-दूसरे की देखादेखी फसल में जरूरत से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं। जबकि किसान को जमीन की जरूरत के अनुसार ही रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। विश्व मृदा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में किसानों को इस बारे में ही जागरूक किया जाएगा और किसानों को मिट्टी हैल्थ कार्ड भी दिए जाएंगे। ताकि किसान अपनी जमीन की आवश्यकता अनुसार ही उसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर सकें। जींद की लैब में सूक्ष्म पोषक तत्व की जांच की मशीन खराब है। इसके लिए विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखित में शिकायत दी गई है। सरकार द्वारा मिट्टी-पानी की जांच के लिए चलाए गए अभियान को देखते हुए यहां तैनात स्टाफ को उन लैबों में भेज दिया गया जहां पर सूक्ष्म पोषक तत्व की जांच की सुविधा है। ताकि उन लैबों में आ रहे सैंपलों की समय पर जांच की जा सके।
डॉ. धर्मपाल बजाज, सहायक मृदा परीक्षण अधिकारी
मिट्टी-पानी जांच प्रयोगशाला, जींद 



कृषि विभाग की प्रयोगशाला में जांच के लिए आए मिट्टी के सैंपल।   


जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनने का रास्ता साफ

12 करोड़ ३९ लाख से बनेगा अंडर पास
अंडर पास बनाने के लिए रेलवे ने जिला प्रशासन को भेजा एस्टीमेट
अंडर पास की प्रथम प्रक्रिया के लिए जिला प्रशासन को जमा करवाने होंगे 19 लाख
अंडर पास बनने से शहरवासियों को जाम से मिलेगी निजात

नरेंद्र कुंडू 
जींद। शहर के मिनी बाईपास पर जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनने का रास्ता साफ हो गया है। रेलवे ने अंडर पास बनाने का एस्टीमेट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंप दिया है। अंडर पास के निर्माण पर लगभग 12 करोड़ 39 लाख रुपये का खर्च आएगा। अंडर पास के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करवाने के लिए जिला प्रशासन को रेलवे को 19 लाख रुपये जमा करवाने होंगे। इसके बाद रेलवे द्वारा अंडर पास के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अंडर पास का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद शहर के लोगों को जाम से निजात मिलेगी और पिछले दो वर्षों से अंडर पास का निर्माण नहीं होने के कारण रद्द पड़े मिनी बाईपास पर वाहनों का आवागमन शुरू हो पाएगा।

यह है पूरा मामला 

जींद शहर के लोगों को जाम से निजात दिलवाने के लिए तीन जून 2012 को जींद की नई अनाज मंडी में हुई कांग्रेस की विकास रैली में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा ने मिनी बाईपास के निर्माण की घोषणा की थी। शहर के सफीदों रोड से बस स्टैंड के पास से रजवाहे के ऊपर से होते हुए यह मिनी बाईपास भिवानी रोड पर निकाला गया है। मार्च २०१३ में इस मिनी बाईपास का निर्माण कार्य पूरा हो गया था लेकिन मिनी बाईपास के बीच में पडऩे वाली जींद-पानीपत तथा दिल्ली-जींद रेलवे लाइन पर अंडर पास या ओवर ब्रिज नहीं बनाए जाने के कारण यह आज तक शुरू नहीं हो पाया है। मिनी बाईपास पर अंडर पास बनवाकर इसे शुरू करवाना शहर के लोगों की मुख्य मांग थी।

अब ऐसे चलेगी आगामी कार्रवाई  

रेलवे द्वारा जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनाने के लिए प्रोजैक्ट तैयार कर जिला प्रशासन को भेज दिया गया है। रेलवे द्वारा अंडर पास बनाने के लिए 12 करोड़ 39 लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार किया गया है। जिला प्रशासन को रेलवे के पास अभी 19 लाख रुपये जमा करवाने है। अब जिला प्रशासन द्वारा सरकार से 19 लाख रुपये की ग्रांट लेने के लिए प्रोजैक्ट को बीएंडआर के एसई को भेजा जाएगा। यहां से इस प्रोजैक्ट को चंडीगढ़ भेजा जाएगा। इसके बाद सरकार द्वारा इस प्रोजैक्ट को मंजूर कर रेलवे को ग्रांट भेजी जाएगी।

प्रदेश सरकार को ही उठाना होगा अंडर पास का पूरा खर्च

रेलवे के नियमों के अनुसार यदि रेलवे ट्रैक पर कोई फाटक हो तो वहां पर अंडर पास या ओवर ब्रिज बनाने का आधा खर्च सरकार को देना पड़ता है और आधा खर्च रेलवे उठाता है लेकिन मिनी बाईपास पर कोई फाटक नहीं लगती और यहां पर अंडर पास बनाने का प्रोजैक्ट प्रदेश सरकार का है। इसलिए इस अंडर पास के निर्माण पर आने वाला पूरा खर्च प्रदेश सरकार को ही उठाना पड़ेगा।

जल्द से जल्द अंडर पास का निर्माण करवाना हमारी प्राथमिकता 

जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनाने के लिए रेलवे द्वारा प्रोजैक्ट तैयार कर भेजा गया है। अंडर पास के निर्माण पर 12 करोड़ 39 लाख रुपये का खर्च आएगा। इसके निर्माण की प्रथम चरण की प्रक्रिया शुरू करवाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से रेलवे को 19 लाख रुपये जमा करवाए जाने हैं। इसके लिए प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जल्द ही सरकार से यह ग्रांट मंजूर करवाकर रेलवे को भेज दी जाएगी और अंडर पास का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा। अंडर पास पर जल्द से जल्द निर्माण कार्य शुरू करवाना हमारी प्राथमिकता है।
विनय कुमार, डीसी
जींद

अन्ना टीम के प्रयास लाए रंग 

मिनी बाईपास पर अंडर पास बनवाने के मामले को अन्ना टीम काफी प्रमुखता से उठा रही थी। अन्ना टीम द्वारा इस मांग को लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से लेकर प्रदेश के मंत्रियों से लेकर रेलवे मंत्री तथा रेलवे विभाग के आला अधिकारियों तक को कई बार ज्ञापन दिए गए थे। वहीं अन्ना टीम द्वारा अंडर पास के निर्माण के लिए मिनी बाईपास पर धरना भी दिया गया था। अन्ना टीम व शहर के लोगों के कड़े प्रयासों के बावजूद अंडर पास का प्रोजैक्ट तैयार हो पाया है।
हितेश, हिंदुस्तानी, कार्यकत्र्ता
अन्ना टीम

 जींद-पानीपत रेलवे लाइन से होकर गुजरते वाहन चालक।
 डीसी विनय ङ्क्षसह का फोटो।
 अन्ना टीम के कार्यकत्र्ता हितेश हिंदुस्तानी का फोटो।
स्थानीय निवासी अमित का फोटो।

रविवार, 25 अक्तूबर 2015

उम्र 19 और 50 से ज्यादा प्रतियोगिताओं में मनवा चुकी है लोहा

हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी की कनिष्का ने पेंटिंग में हासिल किया गवर्नर अवार्ड
कन्या भ्रूण हत्या व नशाखोरी है मुख्य विषय 
माता-पिता को भी है अपनी बेटियों पर नाज

नरेंद्र कुंडू
जींद। कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इस कहावत को सिद्ध कर रही है शहर की हाऊङ्क्षसग बोर्ड कॉलोनी निवासी कनिष्का। कनिष्का बहुमुखी प्रतिभा की धनी है और पेटिंग के क्षेत्र में काफी महारत हासिल कर चुकी है। राजकीय प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी महिला महाविद्यालय की बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा कनिष्का महज 19 वर्ष की उम्र में 50 के करीब प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता कर चुकी है। तीसरी कक्षा से ही कनिष्का ने प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता शुरू कर दी थी। अपनी प्रतिभा के दम पर कनिष्का ने वर्ष 2014 में राज्य स्तर पर आयोजित हुई पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर गवर्नर अवार्ड भी हासिल किया था। पेंटिंग के साथ-साथ पढ़ाई के क्षेत्र में भी कनिष्का काफी रुचि है। कनिष्का की एक खास बात यह भी है कि पेंटिंग प्रतियोगिताओं में उसका सबसे खास विषय कन्या भ्रूण हत्या तथा नशाखोरी रही है। कनिष्का अपनी पेंटिंग के माध्यम से  कन्या भ्रूण हत्या तथा नशाखोरी पर कटाक्ष करती रहती है। कनिष्का के परिवार में माता-पिता के साथ-साथ उसकी एक छोटी बहन राधिका भी है। कनिष्का के पिता नरेश तायल शहर में एक कॉरियर कंपनी चलाते हैं, वहीं इसकी मम्मी मीनू तायल शहर के ही गोपाल स्कूल में साइंर्स टीचर है। 

तीसरी कक्षा से ही शुरू हो गया था प्रतियोगिताओं में शामिल होने का सफर

कनिष्का का कहना है कि बचपन से ही उसकी पेंटिंग के प्रति काफी रुचि रही है। जब वह गोपाल स्कूल में तीसरी कक्षा की छात्रा थी तो उस समय जिला स्तर पर आयोजित हुई पेंटिंग प्रतियोगिता में उसने पहली बार भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में उसने जिलेभर में प्रथम स्थान हासिल किया था। इसके बाद पांचवीं कक्षा में उसने क्वीज प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर प्रथम, सातवीं कक्षा में साईंस प्रतियोगिता में जोन स्तर पर तीसरा, योग प्रतियोगिता में प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया था। इसके बाद तो कनिष्का की सफलता का सफर शुरू हो गया। कनिष्का ने बताया कि प्रतियोगिताओं में भाग लेना उसे काफी पसंद है और वह अभी तक पेंटिंग, डिबेट, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन, साइंर्स, क्वीज, योग जैसे इवेंट में 50 के करीब प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुकी है। प्रत्येक प्रतियोगिता में उसे कोई ने कोई स्थान जरुर मिला है। कॉलेज में भी वह समय-समय पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेती रहती है। 
  कन्या भ्रूण हत्या पर पेंटिंग तैयार करती छात्रा कनिष्का।

पेंटिंग के बल पर हासिल किया गवर्नर अवार्ड 

इलेक्शन कमीशन द्वारा वर्ष 2014 में राज्य स्तर पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। कनिष्का ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में कनिष्का ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और इलेक्शन कमीशन द्वारा कनिष्का की पेंटिंग को गवर्नर अवार्ड के लिए चुना गया। तत्कालीन राज्यपाल महामहिम जगननाथ पहाडिया द्वारा कनिष्का को गवर्नर अवार्ड से सम्मानित किया गया था। कनिष्का ने बताया कि उसकी सफलता का श्रेय उसके माता-पिता तथा उसके ड्राइंर्ग अध्यापक दीपक कौशिक को जाता है। दीपक कौशिक ने उसकी प्रतिभा को पहचान कर निखारने का काम किया है। 

माता-पिता को है बेटियों पर है नाज 

कनिष्का की मां मीनू तायल व पिता नरेश तायल का कहना है कि उन्हें दो बेटियां हैं। उन्हें इस बात का भी कतई मलाल नहीं है कि उनके पास बेटा नहीं है। क्योंकि उन्हें अपनी बेटियों पर गर्व है। उनकी बेटियों ने कभी उन्हेें बेटे की कमी महशूस नहीं होने दी। वे अपनी दोनों बेटियों को बेटों से भी बढ़कर प्यार करते हैं तथा दोनों बेटियों का पालन-पोषण बिल्कुल बेटों की तरह कर रहे हैं। नरेश तायल व मीनू तायल ने बताया कि आज उनकी दोनों ही बेटियां उनका नाम रोशन कर रही है। बड़ी बेटी कनिष्का जहां गवर्नर अवार्ड हासिल कर चुकी है, वहीं उनकी छोटी बेटी राधिका भी बड़ी बहन के पदचिह्नों पर चलते हुए राष्ट्रपति को पेंटिंग भेंट कर चुकी है।  



ममता सोधा ने जिद्द से फतेह किया एवरेस्ट

लोगों के ताने सुन कर किया एवरेस्ट फतेह करने का इरादा
चिकित्सकों की सलाह की परवाह किए बिना लहराया एवरेस्ट पर तिरंगा

नरेंद्र कुंडू
 डीएसपी ममता सौदा का फोटो।
जींद। 'सपने उनके ही पूरे होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है, अकेले पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से ही उडान होती है।" इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है एवरेस्ट विजेता डीएसपी ममता सोधा ने। समाज से मिल रहे ताने व परिवार की आर्थिक कमजोरी भी उसकी राह का रोड़ा नहीं बन पाई। 2003 में पर्वतारोहण के दौरान हुए हादसे में बुरी तरह से घायल होने के बाद भी ममता ने अपनी जिद्द नहीं छोड़ी और चिकित्सकों की सलाह को नजरअंदाज कर जान पर खेलते हुए एवरेस्ट फतेह करने का काम किया। एवरेस्ट पर तिरंगा लहरा कर पर्वतारोही ममता सोधा ने यह साबित कर दिया है कि नारी अबला नहीं सबला है। इतना ही नहीं ममता सोधा ने पिता की मौत के बाद अपना लक्ष्य पूरा करने के साथ-साथ परिवार के मुखिया का भी फर्ज अदा किया। परिवार में सभी भाई-बहनों में बड़ी होने के कारण पिता की मौत के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी ममता के कंधों पर आ गई थी। परिवार के पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं होने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी। परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए ममता सोधा ने बीच में ही अपना प्रशिक्षण छोड़ अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाई। परिवार के सिर से दुख के बादल छटने के बाद दोबारा से ममता ने अपना प्रशिक्षण शुरू कर देश की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतेह कर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर देश का नाम रोशन किया। एवरेस्ट फ़तहे करने के बाद सरकार ने ममता सोधा को हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर नौकरी दी।

बचपन में ही दिमाग में घर कर गई थी माउंटेन की पिक्चर

डीएसपी ममता सोधा ने बताया कि जब वह छोटी थी तो उसी समय माउंटेन के प्रति उसकी रुचि पैदा हो गई थी। उसके घर में लगी पहाड़ों की एक तस्वीर ने पहाड़ों के प्रति उसकी उत्सुकता को बढ़ा दिया था। आठवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान जब वह परिवार के साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए कटरा गई तो वहां पहली बार उसने पहाड़ों को देखा था। इसके बाद तो पहाड़ों के प्रति उसकी उत्सकता ओर भी बढ़ गई। 

बीए की पढ़ाई के दौरान लिया पर्वतारोहण का प्रशिक्षण

कैथल के आरकेएसडी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही ममता ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसके बाद कुरुक्षेत्र से एमफील की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान ममता ने पैराग्राइडिंग, पैरा सैलिंग, माउंटेनिंग, सरवाइवर, साइकिलिंग, रिवर राफ्टिंग, माउंटेनिंग का बेसिक व एडवांस कोर्स ए ग्रेड के साथ पूरा किया। ममता ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ  माउंटेनियरिंग से लिया। 

मां छिपाकर खिलाती थी घी, दूध

डीएसपी ममता सोधा ने बताया कि उसके माता-पिता ने बड़े नाज से उसका पालन-पोषण किया है। घर में उसका पालन-पोषण बिल्कुल लड़कों की तरह हुआ है। उसके माता-पिता ने बेटा व बेटी में कोई फर्क नहीं किया लेकिन उसकी दादी थोड़ी पुराने विचारों की थी। इसलिए वह उसकी बजाए उसके भाई को खाने के लिए घी-दूध ज्यादा देती थी लेकिन उसकी मां उसकी दादी से छिपाकर उसे भी घी-दूध खाने के लिए देती थी।

समाज ने उड़ाया था मजाक और चिकित्सकों ने दी थी माउंटेनिंग छोड़ने की सलाह 

वर्ष 2003 में ममता अपनी सहेलियों के साथ मनाली में पर्वतारोहण के लिए गई थी। पर्वतारोहण के दौरान वहां हुए हादसे में उसका पैर टूट गया और उसे उपचार के लिए चंडीगढ़ ले जाया गया। इस हादसे के बाद वह दो साल तक बैड पर रही। चिकित्सकों ने उसे माउंटेनिंग छोड़ने की सलाह दी। दूसरे लोग भी उसे ताने कसने लगे थे और उसका मजाक उड़ाते थे  लेकिन उसकी मां मेवा देवी ने उसकी पूरी सहायता की और उसका हौंसला बढ़ाया। समाज से मिले तानों ने उसे झकझोर कर रख दिया और उसने हर हाल में अपना लक्ष्य पूरा करने का संकल्प लिया और 2010 में एवरेस्ट फतेह कर अपना सपना पूरा किया।  

पिता की मौत के बाद टूट गया था परिवार

ममता सोधा ने बताया कि उसके पिता लक्ष्मण दास सोधा खाद्य एवं पूर्ति विभाग में इंस्पेक्टर थे और 2004 में बीमारी के कारण उसके पिता की मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद एक वर्ष तक विभाग या सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिली। परिवार पूरी तरह से आर्थिक संकट से जूझ रहा था। वह एकदम से निराश हो चुकी थी। इसके बाद ममता सोधा ने हरियाणा टूरिज्म में नौकरी शुरू की। पांच साल यहां नौकरी करने के बाद फतेहाबाद कॉलेज में तीन वर्षों तक प्राध्यापिका के पद पर नौकरी की। 

2010 में एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा

पिता की मौत के बाद नौकरी के साथ-साथ 2007 में दोबारा से ममता ने प्रशिक्षण शुरू किया। बिना कोच के ही वह अकेली अभ्यास करती थी। ममता का कहना है कि हरियाणा टूरिज्म के तत्कालीन इंचार्ज राजीव मिढ़ा ने उनकी बहुत सहायता की। 2009 में एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए आवदेन किया और इसमें उसका चयन हुआ। चयन के बाद परिवार के सामने सबसे बड़ी चिंता थी कैंप के लिए रुपयों की व्यवस्था की। इसके लिए उसे 21 लाख रुपये की जरूरत थी लेकिन परिवार के पास एक पैसा भी नहीं था। इसके बाद उसने कैथल की तत्कालीन डीसी अमित पी कुमार से संर्पक किया। ममता सौदा ने बताया कि प्रशासन, सामाजिक लोगों तथा मीडिया ने उसकी काफी मदद की। इसके बाद उसकी फीस के लिए रुपयों का इंतजाम हो पाया था। 

कदम-कदम पर खड़ी थी मौत

डीएसपी ममता सोधा ने बताया कि एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बीच-बीच में कई शव भी मिले, जिन्हें देखकर कई बार उसका मनोबल कमजोर पड़ा। पैर में दर्द होने के कारण उसके लिए यह सफर ओर भी कठिन हो गया था। सफर के दौरान कई बार शरीर भी जवाब दे गया लेकिन उसने हिम्मत नहीं जारी। ममता ने बताया कि एवरेस्ट से चंद किलोमीटर पहले हिलरी स्टेप को देखकर वह बुरी तरह से डर गई थी। क्योंकि इस रास्ते के दोनों तरफ गहरी खाई थी और उस खाई में कई शव भी पड़े हुए थे। इसके बाद जब उसने एवरेस्ट की चोटी को सामने देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एक पल के लिए उसे लगा कि वक्त उसके लिए ठहर सा गया है। इसके बाद उसने एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया और आधे घंटे वहां रूककर वापस नीचे लौट आई।