गुरुवार, 31 जनवरी 2019

बड़ा चेहरा होने के बावजूद जींद के लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को नकारा

कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर गया उपचुनाव

जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार का कारण कहीं न कहीं कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़े कर गया। उपचुनाव में जितने भी उम्मीदवार थे, रणदीप सिंह सुरजेवाला का कद उन सबसे बड़ा था। इसके बावजूद उनका तीसरे नंबर पर आना यह साबित करता है कि विधायक होने के बावजूद दोबारा चुनाव लडऩे के कारण लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को नकार दिया। सभी कांग्रेसी नेताओं के एक मंच पर आने के कारण भी कांग्रेस कार्यकर्ता ज्यादा उत्साह में आ गए थे और अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे, यह भी हार का बड़ा कारण माना जा रहा है।

जिस समय रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम कांग्रेस ने जींद उपचुनाव में घोषित किया तो सभी तरफ यह बात थी कि इतने बड़े चेहरे को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारकर यह उपचुनाव जीतना सुनिश्चित कर लिया है। उसके बाद उनके नामांकन के समय सभी कांग्रेसी नेताओं का एक साथ आने से भी यह तय हो गया था कि अब कांग्रेस इस रण को जीत लेगी। रणदीप सिंह सुरजेवाला का बाकी नेताओं के मुकाबले राजनीतिक प्रोफाइल बड़ा है। इस कारण भी कांगे्रस कार्यकर्ता ज्यादा उत्साहित थे। अब चुनाव में हुई करारी हार के कारण यह बात साबित हो गई है कि कांग्रेस नेता केवल चेहरा दिखाने के लिए रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ खड़े थे। २०१४ के चुनाव में कांग्रेस के प्रमोद सहवाग को १५२६७ वोट मिले थे। हालांकि प्रमोद सहवाग के राजनीतिक प्रोफाइल के हिसाब से रणदीप सिंह सुरजेवाला का प्रोफाइल बहुत बड़ा है। इसके बावजूद रणदीप सिंह सुरजेवाला इस चुनाव में केवल २२७४२ वोट ही हासिल कर पाए। रणदीप सिंह सुरजेवाला के चुनाव में सभी दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के जोर लगाने के बावजूद पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में ७४७५ वोट ही ज्यादा हासिल हुए। इससे साफ है कि जींद के लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को सिरे से नकार दिया। उपचुनाव की १३ राउंडों में गिनती हुई। एक भी राउंड में रणदीप सिंह सुरजेवाला कहीं आगे नहीं निकले। उससे कहीं आगे भाजपा रही तो कहीं जननायक जनता पार्टी रही।

धवस्त हुआ इनेलो का किला 

लगतार दो बार विजयी रहने वाली इनेलो का किला उपचुनाव में इस बार धवस्त हो गया। १३०८५९ वोटों में से इनेलो के उमेद सिंह रेढू को मात्र ३४५४ वोट ही मिले। इससे साफ है कि जींद के लोगों ने इनेलो को पूरी तरह से नकार दिया है। २००९ तथा २०१४ में हुए जींद विधानसभा चुनाव में दोनों पर इनेलो के डॉ. हरिचंद मिढ़ा चुनाव में जीते हैं। अब तीसरी बार इनेलो में टूट के कारण इनेलो का जींद से वोटबैंक लगभग समाप्त हो गया।

जींद की जनता ने बाहरी प्रत्याशी को नकारा

जींद विधानसभा उपचुनाव में जींद की जनता ने भाजपा को दिए बहुमत से यह साफ कर दिया है कि जींद की जनता अब बाहरी उम्मीदवार को स्वीकार नहीं करेगी। जींद उपचुनाव में कांग्रेस से रणदीप सिंह सुरजेवाला जो जींद जिले के ही सुरजेवाला गांव से हैं लेकिन मौजूदा कैथल से विधायक होने के कारण जींद की जनता ने उन्हें बाहरी प्रत्याशी माना वहीं दिग्विजय चौटाला सिरसा जिले से हैं इसलिए दिग्विजय को भी जींद की जनता ने बाहरी प्रत्याशी माना। इसके चलते जींद की जनता ने इस बार भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा को स्थानीय होने के कारण जीत दिलवाई है। 

जींद के विकास के लिए सरकार के खाते में डाली सीट

जींद जिला राजनीति का गढ़ है और जींद का इतिहास रहा है कि यहां से ज्यादातर सत्तासीन पार्टी के विपक्ष का विधायक रहा है। लेकिन इस बार जींद की जनता ने जींद के विकास के लिए सरकार के प्रतिनिधि को विजयी बनाने का काम किया है ताकि सरकार के साथ मिलकर जींद का विकास करवाया जा सके। इस उपचुनाव में भाजपा सरकार ने प्रचार-प्रसार के दौरान भाजपा प्रत्याशी को जीताने के लिए जींद के विकास के बड़े-बड़े वायदे किए हैं। इसको लेकर भी इस बार जींद की जनता का मन बदला है। 

जात-पात का नारा देने वालों को सिखाया सबक

जींद उपचुनाव में लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के अध्यक्ष एवं कुरुक्षेत्र से सांसद राजकुमार सैनी ने एक विशेष समुदाय के खिलाफ ब्यानबाजी कर 35 बिरादरी के नाम पर वोट मांगे थे। सांसद राजकुमार सैनी जाट आरक्षण के बाद से ही एक विशेष समुदाय के खिलाफ ब्यानबाजी कर सुर्खिया बटोर रहे हैं। इसके चलते ही सांसद राजकुमार सैनी ने भाजपा से अलग अपनी पार्टी बनाई है और जींद उपचुनाव उनकी पार्टी का पहला चुनाव था और इस उपचुनाव मे लोसुपा की तरफ से विनोद आशरी प्रत्याशी था। लेकिन इस उपचुनाव में जींद की जनता ने लोसुपा के प्रत्याशी विनोद आशरी की जमानत जब्त करवा कर यह संदेश दे दिया है कि अब जींद की जनता जात-पात का जहर फैलाने वालों के बहकावे में आने वाली नहीं है।

सत्ता के सेमीफाइनल में भाजपा की पीच पर डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने मारा अर्द्धसतक

भाजपा के कृष्ण मिढ़ा ने जजपा के दिग्विजय चौटाला को हराया
जमानत भी नहीं बचा पाए लोसुपा के प्रत्याशी विनोद आशरी व इनेलो के प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू
भाजपा को शहरों के अलावा गांवों से भी मिले वोट, जींद की जनता नेे बाहरी प्रत्याशियों को नकारा
सांसद राजकुमार सैनी नहीं बन सके पिछड़ों का चेहरा 

जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- जींद में पहली बार कमल खिला। भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने 50 हजार 566 वोट लेकर निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनननायक जनता पार्टी के दिग्विजय सिंह चौटाला को 12 हजार 935 वोटों से हराया। जेजेपी उम्मीदवार को 37 हजार 631 वोटों के साथ दूसरे और कांग्रेस के हैवीवेट उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला को 22 हजार 740 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के उम्मीदवार विनोद आशरी ने 13 हजार 582 वोट लेकर इनेलो के उमेद सिंह रेढ़ू को पांचवें स्थान पर धकेल दिया। उपचुनाव में कुल 21 उम्मीदवार थे जिनमें से पांच प्रत्याशी मतों का सैंकड़ा भी पार नहीं कर सके। 345 वोट लेकर नोटा (पसंद नहीं) 15 उम्मीदवारों से आगे रहा। पांच मुख्य सियासी दलों के अलावा केवल एसएनपी के उम्मीदवार राधेश्याम ही ऐसे प्रत्याशी हैं जो नोटा से ज्यादा वोट ले सके। हालांकि नोटा पर उनकी बढ़त भी केवल 15 मतों पर सिमट गई। हरियाणा की सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे जींद विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने भारी मतों से जीत हासिल की है। इस उपचुनाव में भाजपा को शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी काफी संख्या में वोट हासिल किए। 
जींद में तमाम राजनीतिक दलों के योद्धा अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन यहां के मतदाताओं ने भाजपा के मिढ़ा के पक्ष में अपना फरमान सुनाया। इनेलो के टिकट पर दो बार विधायक रह चुके डॉ. हरिचंद मिढ़ा के देहावसान के चलते जींद में उपचुनाव हुआ था। प्रदेश की राजनीतिक राजधानी माने जाने वाले जींद उपचुनाव के नतीजे सभी दलों के लिए आइना हैं। इन नतीजों से सबक लेकर राजनीतिक दलों को न केवल अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है, बल्कि लोकसभा चुनाव के लिए नई पैंतरेबाजी अपनानी पड़ सकती है। जींद को जाटलैंड माना जाता है। इसके बावजूद 1972 के बाद से यहां कभी जाट उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। यह भी हकीकत है कि इनेलो व कांग्रेस के गढ़ रह चुके जींद में भाजपा भी कभी कमल का फूल नहीं खिला सकी, लेकिन इस बार फूल खिल गया। जींद में इस बार 76 फीसदी मतदान हुआ। शहर के साथ-साथ ग्रामीण मतदाताओं खासकर महिलाओं ने भी इस बार मतदान में खासी रुचि दिखाई। जींद उपचुनाव के नतीजों न केवल मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रतिष्ठा से जुड़े थे, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की राजनीतिक विरासत का फैसला भी किया। कांग्रेस को इस बार सत्ता में वापसी की आस थी, इसलिए पार्टी ने अपने कद्दावर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला पर दांव खेला। लेकिन,जींद की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया। सुरजेवाला तीसरे स्थान पर रहे।

शाह ने दी जीत पर बधाई 

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा कि हरियाणा के जींद विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की भव्य जीत मोदी की केंद्र सरकार और प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार के विकास व लोक-कल्याणकारी कार्यों में जनता के विश्वास की जीत है। हरियाणा की जनता ने भ्रष्टाचार और जातिवाद को नकार कर पुन: भाजपा के विकासवाद पर अपनी मोहर लगाई है।

इनेलो ने कहा पैसे वालों के मुकाबले रहे कमजोर 

इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने जींद उपचुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उनका उम्मीदवार पैसे वालों के मुकाबले कमजोर रहा है। वह किसान का बेटा है और सरकार ने साम-दाम-दंड-भेद लगाया। हम पार्टी की हार को स्वीकार करते हैं और जीतने वाले भाजपा के उम्मीदवार डॉ. कृष्ण मिढ़ा को बधाई देते हैं। उन्होंने मशीनों पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।

शर्मा ने कहा, मैंने हुड्डा को पहले ही कहा था उनका कांटा निकल गया

जींद उपचुनाव पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा का कहना है कि उन्होंने इस उपचुनाव के परिणाम नामांकन के समय ही बता दिए थे। उन्होंने याद दिलाया कि नामांकन के बाद जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से यह कहा था कि उनका कांटा निकल गया तब ही यह स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मूंछ के बाल के रूप में काम कर रहे रणदीप सुरजेवाला तीसरे स्थान पर आएंगे। उन्होंने कहा कि अभय सिंह चौटाला ने जिस तरह दबाव बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनकी पत्नी स्नेहलता का बयान जारी करवाया उसी का परिणाम है कि उनके उम्मीदवार को इतने कम वोट मिल रहे हैं।

यूं हुआ था चुनाव

सोमवार को हुए चुनाव के दौरान जींद में कुल 174 बूथों पर मतदान हुआ। जींद की 1,72,774  मतदाताओं में से 1,30,913 मतदाताओं ने अपना वोट डाला। इस बार ग्रामीणों ने शहर के लोगों को पीछे छोड़ते हुए कुल 87 प्रतिशत मतदान किया, वहीं शहरों में 72 प्रतिशत मतदान हुआ। वोटिंग के दौरान बूथ नंबर 146 पर ईवीएम मशीन भी खराब हुई थी। दो जगह पर कार्यकर्ताओं में आपसी झड़प हुई थी। एक झड़प में कांग्रेस और लोसपा के कार्यकर्ता बताए गए थे।

आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिलेगा फायदा

इस चुनाव में भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी थी, जिसने अपनी पूरी संगठनात्मक ताकत के साथ चुनाव लड़ा है। छोटे कार्यकर्ता से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री तक चुनाव में प्रचार के लिए उतरे। इस जीत का असर 2019 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। जीत से उत्साहित पार्टी लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराने की ओर भी कदम बढ़ा सकती है। वहीं मोमेंटम को बरकरार रखने के लिए अपने गैर परंपरागत वोटर को साधने की कोशिश करेगी। इस कड़ी में सरकार घोषणाओं का पिटारा भी खोल सकती है।

कांग्रेस के लिए अंदरुनी गुटबाजी फिर बड़ी चुनौती

इस चुनाव में रणदीप सुरजेवाला जैसे उम्मीदवार को उतारने के बाद भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक के जानकार इसे कहीं न कहीं एक बार फिर अंदरुनी गुटबाजी से जोड़कर देख रहे हैं। पूरे चुनाव में कांग्रेस नेता दिखाने के लिए जरूर सुरजेवाला के साथ रहे, लेकिन चुनाव अकेले सुरजेवाला ने ही लड़ा। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यदि कांग्रेस को जीत हासिल करनी है तो इस अंदरूनी गुटबाजी को खत्म करना पड़ेगा। तभी वह हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा सीटों पर कब्जा जमा सकती है। हाईकमान और हरियाणा प्रभारी के लिए यह बड़ी चुनौती होगा।

जजपा के गठन ने इनेलो को कर दिया कमजोर

जींद उपचुनाव में भले ही जननायक जनता पार्टी की हार हुई हो लेकिन गठन के चंद महीने बाद चुनाव लडऩा और 37631 वोट हासिल करना उनके लिए सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट है। जजपा के गठन ने इनेलो को कमजोर कर दिया है। जाटलैंड में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जजपा कहीं न कहीं इनेलो का विकल्प बनकर उभरी है। जजपा इस हार को भी अपनी जीत की तरह लेगी और आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ज्यादा दमखम के साथ उतरेगी। 

इनेलो के लिए जजपा बड़ी चुनौती

2014 में जींद का विधायक देने वाली इनेलो उपचुनाव में पांचवें नंबर पर पहुंच गई। इनेलो के वोट बैंक में सबसे ज्यादा सेंधमारी जजपा ने की। भविष्य में इनेलो के लिए सबसे बड़ी चुनौती जजपा है। इस साल में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह देखना मुख्य रहेगा कि इनेलो अपने परंपरागत वोट बैंक को रोके रखने के लिए जजपा के खिलाफ क्या रणनीति बनाती है। यदि इनेलो इस सेंधमारी को नहीं रोक सकी तो यह आगामी चुनाव में उसके लिए बेहद नुकसानदायक होगा। चुनाव से पहले ओमप्रकाश चौटाला और उनकी पत्नी स्नेहलता के वायरल वीडियो ने संकेत दे दिए हैं कि भविष्य में पारिवारिक कलह और बढ़ सकता है।

मात्र 932 वोटों से बची कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला की जमानत

उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला मात्र 932 वोटों से ही अपनी जमानत बचा पाए। 28 जनवरी को हुए उपचुनाव में कुल 130828 वोट पड़े थे। इनमें से 51 बेलट पेपर वोट भी पड़े। इस प्रकार कुल मतों की संख्या 130859 हो गई। जमानत बचाने के लिए उम्मीदवार को कुल मतों का छठा हिस्सा लेना पड़ता है। इसलिए रणदीप सिंह सुरजेवाला को जमानत बचाने के लिए 21810 मतों की जरुरत है। उन्हें कुल 22742 वोट मिले। इस प्रकार रणदीप सिंह सुरजेवाला 932 वोटों से अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे।

जींद की जनता ने जीता दिल

यह मेरा पहला चुनाव था और इस चुनाव में जींद की जनता ने हमें काफी सहयोग किया है। हम चुनाव भले ही हार गए हों लेकिन जींद की जनता से मिले जनसमर्थन ने हमारा दिल जीत लिया है। हम जींद की जनता के इस फैसले को स्वीकार करते हैं। ईवीएम में काफी खामियां थी। कई ईवीएम के सीरियल नंबर नहीं मिल रहे थे। इसके कारण अंदर मौजूद सभी राजनीतिक दलो ने इसको लेकर अपना विरोध दर्ज करवाया है। हम विजयी प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा व भाजपा सरकार को शुभकामनाएं देते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि डॉ. मिढ़ा सरकार के साथ मिलकर जींद की जनता की समस्याओं का समाधान करवाएं व जींद के विकास के लिए कार्य करें।
दिग्विजय चौटाला, प्रत्याशी जननायक जनता दल

विकास के मुद्दे पर जात-पात की राजनीति पड़ी भारी

जींद उपचुनाव में विकास उनका मुद्दा था लेकिन विकास के मुद्दे पर खट्टर सरकार की जात-पात की राजनीति भारी पड़ गई है। वह भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा को उनकी जीत पर बधाई देते हैं और वह उम्मीद करते हैं कि डॉ. मिढ़ा जींद के विकास की तरफ ध्यान देंगे। एक दर्जन से भी ज्यादा ईवीएम में काफी खामिया थी। हमनें सभी प्वाइंट लिखकर अधिकारियों को दे दिए हैं। भविष्य में पार्टी उन्हें जहां से चुनाव लडऩे के लिए बोलेगी वह वहीं से चुनाव लड़ेंगे। 
रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस प्रत्याशी एवं कैथल विधायक

हरियाणा के गठन के बाद यह-यह रहे विधायक

हरियाणा में पहला चुनाव 1967 में हुआ। इसमें कांग्रेस के दयाकृष्ण ने 26089 मत लेकर आजाद उम्मीदवार इंद्र सिंह को हरा दिया। इंद्र सिंह को 15548 मत मिले। 1968 में हुए चुनाव में कांग्रेस के दयाकृष्ण ने फिर से आजाद उम्मीदवार शंकर दास को हरा दिया। इस चुनाव में दयाकृष्ण ने 17733 और शंकर दास ने 16136 मत प्राप्त किए। 1972 के चुनाव में कांग्रेस (एस) के उम्मीदवार चौधरी दलसिंह ने 28281 मत प्राप्त कर कांग्रेस के दयाकृष्ण को हरा दिया। दयाकृष्ण को इस चुनाव में 21999 मत मिले। 1977 के चुनाव में चौधरी देवीलाल की लहर के बावजूद आजाद उम्मीदवार मांगेराम गुप्ता 15751 वोट लेकर विधायक बने। उन्होंने जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रताप सिंह को हरा दिया। प्रताप सिंह को इस चुनाव में 9646 वोट मिले। 1982 के चुनाव में फिर से समीकरण बदले और लोकदल की टिकट पर बृजमोहन सिंगला ने कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को हरा दिया। इस चुनाव में बृजमोहन सिंगल को 27045 व मांगेराम गप्ता को 26899 वोट मिले। 1987 में हुए चुनाव में परमानंद ने लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़कर कांगे्रस के उम्मीदवार मांगेराम गुप्ता को हरा दिया। परमानंद को 39323 व मांगेराम गुप्ता को 31221 वोट मिले। 1991 में कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता ने 35346 वोट लेकर जनता पार्टी के उम्मीदवार टेकराम को हरा दिया। टेकराम को 19213 वोट मिले। 1996 में हविपा की टिकट पर फिर से बृजमोहन सिंगला विधायक बने और उन्होंने कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को हरा दिया। बृजमोहन सिंगला को 40803 व मांगेराम गुप्ता को 22245 वोट मिले। 2000 के चुनाव में मांगेराम गुप्ता ने इनेलो के गुलशन लाल को हरा दिया। मांगेराम गुप्ता को 41621 व गुलशन लाल को 36978 वोट मिले थे। 2005 के चुनाव में मांगेराम गुप्ता ने इनेलो के सुरेंद्र बरवाला को हराकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में गुप्ता को 43883 व बरवाला को 26448 वोट मिले। 2009 के चुनाव में इनेलो के डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने 34057 व कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को 26195 मत मिले। 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो के डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने भाजपा के सुरेंद्र बरवाला को हरा दिया। डॉ. मिढ़ा को इस चुनाव में 31631 व बरवाला को 29374 वोट मिले।  

डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने राजनीति के इतिहास में लिखा नया अध्याय

भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने राजनीति के इतिहास में नया अध्याय लिखने का काम किया है। हरियाणा के 52 वर्ष के इतिहास में जींद विधानसभा की सीट पर जो भाजपा कभी अपना खाता भी नहीं खोल पाती थी उस सीट पर डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधरों को मात देखकर भारी मतों से जीत हासिल कर इस सीट पर कमल खिलाने का काम किया है। जिस तरह से डॉ. कृष्ण मिढ़ा के पिता स्वर्गीय डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने 2009 में कांग्रेस के दिग्गिज नेता एवं कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मंत्री रहे मांगेराम गुप्ता को 7862 से पराजित किया था ठीक उसी तर्ज पर चलते हुए डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने कांग्रेस के दिग्गिज नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला व जजपा नेता दिग्विजय चौटाला को 12935 वोटों से पराजित करने का काम किया है। 

एक घंटा बाधित रही मतगणना

वीरवार को सुबह साढ़े आठ बजे के करीब मतगणना शुरू हो पाई। सात राउंडों तक तो मतगणना का कार्य ठीक-ठाक चला लेकिन दोपहर 12:35 पर आठवें राउंड में भाजपा के विरोधी प्रत्याशियों ने ईवीएम मशीन में सीरियल नंबर नहीं मिलने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया। इस दौरान भाजपा के विरोधी दलों के समर्थक भारी संख्या में मतगणना केंद्र के बाहर भी जमा हो गए। ईवीएम में गड़बड़ी की अफवाह फैलते ही विरोधी दलों के समर्थकों ने मतगणना केंद्र के बाहर हंगामा खड़ा कर दिया। जिसके चलते लगभग एक घंटा मतगणना का कार्य प्रभावित हुई। बाद में पुलिस ने लाठी चार्ज कर हंगामा कर रहे लोगों को खदेड़ा और इसके बाद मतगणना का कार्य सुचारू रूप से चला। 

पहला राउंड
जेजेपी   3639
भाजपा  2835
कांग्रेस 2169
इनेलो  992
लोसुपा  705
नोटा  17
पहले राउंड में जेजेपी भाजपा से 804 वोटों से आगे
दूसरा राउंड
जेजेपी   4253
भाजपा  3719
कांग्रेस 1754
इनेलो  1051
लोसुपा        373
नोटा  25
दूसरे राउंड में जेजेपी भाजपा से 532 वोटों से आगे
तीसरा राउंड
जेजेपी   3334
भाजपा  2796
कांग्रेस 1890
इनेलो  893
लोसुपा  395
नोटा  12
जेजेपी 538 वोटों से भाजपा से आगे
चौथा राउंड
भाजपा   6131
जेजेपी   2217
कांग्रेस 1801
इनेलो  511
लोसुपा  254
नोटा  31
2038 वोटों के साथ भाजपा ने बढ़त बनाई
पांचवा राउंड
भाजपा   5571
लोसुपा  2053
जेजेपी   1872
कांग्रेस 1199
इनेलो  81
नोटा  41
3518 वोटों के साथ भाजपा ने बढ़त बनाई
छठवां राउंड
भाजपा   5360
लोसुपा 2737
कांग्रेस 1225
जेजेपी 1057
इनेलो   40
नोटा  64
2623 वोटों से भाजपा ने लोसुपा से बढ़त बनाई।
सातवां राउंड
जेजेपी   3031
भाजपा 2399
कांग्रेस 1609
लोसुपा 726
इनेलो   202
नोटा  35
632 वोटों के साथ जेजेपी ने भाजपा से बढ़त बनाई
आठवां राउंड
जेजेपी   3467
भाजपा 3369
कांग्रेस 2086
लोसुपा 544
इनेलो   148
नोटा  34
99 वोटों के साथ जेजेपी ने भाजपा से बढ़त ली
नौवां राउंड
भाजपा   5381
जेजेपी 2555
लोसुपा 2105
कांग्रेस 2043
इनेलो   192
नोटा  0
2026 वोटों के साथ भाजपा ने जेजेपी से बढ़त ली।
दसवां राउंड
भाजपा   5163
कांग्रेस 1815
जेजेपी 1521
लोसुपा 699
इनेलो   59
नोटा  25
भाजपा ने 3348 वोटों के साथ कांग्रेस से बढ़त ली।
11वां राउंड
भाजपा   4192
जेजेपा 4110
कांग्रेस 2020
लोसुपा 494
इनेलो   284
नोटा  0
82 वोटों के साथ भाजपा ने जेजेपी से बढ़त ली।
12वां राउंड
जेजेपी   4337
कांग्रेस 2081
भाजपा 1950
लोसुपा 934
इनेलो   205
नोटा  0
2256 वोटों से जेजेपी ने कांग्रेस से बढ़त ली।
13वां राउंड
जेजेपी   2388
भाजपा 1057
कांग्रेस 855
लोसुपा 0
इनेलो   0
नोटा  0
1331 वोटों से जेजेपी ने भाजपा से बढ़त ली।
फाइनल परिणाम
भाजपा   50556
जेजेपी 37631
कांग्रेस 22740
लोसुपा 13582
इनेलो   3454
नोटा  345
भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा 12935 वोटों से विजयी हुए। 







बांगर की धरती पर 52 सालों में पहली बार खिला कमल

--भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा 12935 वोटों से विजयी, लोसुपा प्रत्याशी की जमानत जब्त
--विरोधी दलों ने लगाए ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप

 जीत हासिल करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा।
जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा की सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे जींद विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने भारी मतों से जीत हासिल की है। हरियाणा के इतिहास में 52 सालों में जींद की धरती पर पहली बार कमल खिला है। भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने 12935 वोटों से जीत हासिल कर दिग्गज नेताओं को पटखनी देकर राजनीति के अध्याय में नया इतिहास रचने का काम किया है। इससे पूर्व जींद विधानसभा की सीट पर कांग्रेस व इनैलो का कब्जा रहा है। स्वयं डॉ. कृष्ण मिढ़ा के पिता स्वर्गीय डॉ. हरिचंद मिढ़ा इनैलो की टिकट पर दो बार जींद विधानसभा से विधायक रहे हैं। सत्ता के इस सेमीफाइनल को जीत कर भाजपा ने विरोधी दलों को एक बड़ा संदेश देने का काम किया है। वहीं विरोधियों ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। जींद उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला जमानत जब्त होने से बाल-बाल बच गए लेकिन लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी प्रत्याशी विनोद आशरी अपनी जमानत नहीं बचा पाए। 
गौरतलब है कि 26 अगस्त को इनैलो विधायक डॉ. हरिचंद मिढ़ा के निधन के बाद जींद विधानसभा की सीट खाली हो गई थी। इसके बाद जनवरी 2019 में चुनाव आयोग द्वारा 28 जनवरी को जींद विधानसभा का उपचुनाव करवाने तथा 31 जनवरी को परिणाम की घोषणा की गई थी। जींद उपचुनाव की घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दलों ने इस उपचुनाव में अपने प्रत्याशियों को उतारा था। जींद उपचुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल इसलिए माना जा रहा था क्योंकि इस उपचुनाव के परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव पर पडऩे हैं। इसलिए जींद उपचुनाव पर हरियाणा ही नहीं पूरे देश की नजरें टिकट हुई थी। जींद उपचुनाव इसलिए भी हॉट सीट बना हुआ था क्योंकि कांग्रेस ने यहां से रणदीप सिंह सुरजेवाला को अपना प्रत्याशी बनाया था और जननायक जनता पार्टी ने दिग्विजय चौटाला को यहां से चुनाव मैदान में उतारा था। रणदीप सिंह सुरजेवाला व दिग्विजय चौटाला के चुनाव मैदान में आने से यह हॉट सीट बन गई थी। इस कड़ी के तहत वीरवार को जींद विधानसभा उपचुनाव के परिणाम घोषित किए गए। इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने 12935 वोट हासिल कर जीत हासिल करते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला व दिग्विजय चौटाला जैसे दिग्गिजों को पटखनी देने का काम किया। हरियाणा के 52 साल के इतिहास में जींद की धरा पर पहली भाजपा ने जीत हासिल की है। भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने जींद की धरती पर कमल खिलाने का काम किया है। वहीं मतगणना के आठवें राऊंड के दौरान मतगणना हाल के अंदर मौजूद प्रत्याशियों द्वारा ईवीएम के सीरियल नंबर नहीं मिलने को लेकर अपना विरोध जताया। इसके चलते लगभग एक घंटे तक मतगणना कार्य प्रभावित हुआ। इसके चलते मतगणना केंद्र के बाहर खड़े विरोधी दलों के समर्थकों ने काफी हंगामा किया, जिन्हें खदेडऩे के लिए पुलिस को हल्का लाठीचार्ज भी करना पड़ा। 

किस पार्टी को कितने वोट मिले

जींद विधानसभा उपचुनाव के दौरान कुल 130828 वोट ईवीएम व 51 वोट पोस्टल से डाले गए थे। 
भाजपा  50566
जजपा 37631
कांग्रेस 22740
लोसुपा 13582
नोटा 345

गुरुवार, 10 जनवरी 2019

हरियाणा की सियायत में हर बार कांग्रेस के लिए तारणहार बने रणदीप सुरजेवाला

पांचवीं बार आमने-सामने होगा चौटाला व रणदीप परिवार
एक मंच पर दिखे कांग्रेस दिग्गिज, पर साथ निभाने पर दारमदार 

जींद, 10 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):-  जब-जब भी कांग्रेस मुश्किल दौर से गुजरी है तब-तब रणदीप सिंह सुरेजवाला कांग्रेस के लिए तारणहार बनकर आए हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हर बार मुश्किल की घड़ी में कांग्रेस की नैया को मझधार से निकाल कर पार लगाने का काम किया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन काल में गुरुग्राम में हुए मारुती कांड के दौरान उठे बवाल के दौरान रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस विवाद को निपटा कर कांग्रेस की शाख को बचाने का काम किया था। मारुती कांड के दौरान काफी बड़ा बवाल गुरुग्राम में हुआ था और उद्योगिक क्षेत्रों ने यहां से पलायन का निर्णय ले लिया था। इसके बाद जाट आरक्षण के दौरान भी हरियाणा में कांग्रेस को काफी विदोह का सामना करना पड़ा था। जगह-जगह जाटों ने आंदोलन शुरू करते हुए धरने-प्रदर्शन किए थे। इसके चलते रेलवे टै्रक तक जाम हो गए थे। जाट आंदोलन के दौरान बसें ही नहीं ट्रेनों के पहिए तक थम गए थे। जाट आंदोलन के दौरान भी रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस के लिए संकट मोचन के रूप में सामने आए थे। जाट आंदोलन को निपटाने में रणदीप सिंह सुरजेवाला की अहम भूमिका थी। वहीं 2014 में चुनाव के बाद जब देश में भाजपा सत्ता पर काबिज हुई थी और कांग्रेस चारों खाने चित होकर सिकुडऩे लगी थी उस दौरान भी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कांग्रेस में प्राण फूंकने का काम किया था। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गत दिनों दूसरे प्रदेशों में हुए चुनाव में भी अच्छी भूमिका निभाने का काम किया था। अब जब जींद उपचुनाव में कांग्रेस को कोई भाजपा व जजपा को टक्कर देने के लिए कोई मजबूत चेहरा नहीं मिल रहा था तो भी रणदीप सिंह सुरजेवाला इस संकट की घड़ी में कांग्रेस के लिए तारणहार बनकर सामने आए हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला के चुनावी मैदान में आने के बाद इस उपचुनाव के समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेसी नेताओं में फुट के कारण हरियाणा में बदनाम हो चुकी कांग्रेस को इस उपचुनाव में रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संजीवनी देने का काम किया है। रणदीप ङ्क्षसह के मैदान में आने से कांग्रेस के सभी दिग्गज एक मंच पर आ गए हैं।

एक मंच पर दिखे कांग्रेस दिग्गिज, पर साथ निभाने पर दारमदार

रणदीप सिंह सुरजेवाला के मैदान में आने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कैप्टन अजय यादव, कुमारी सैलजा, किरण चौधरी, कुलदीप बिश्रोई, प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर सभी एक मंच पर आ गए हैं। रणदीप सिंह के नामांकन दाखिल करवाने के लिए सभी दिग्गज नेता वीरवार को यहां पहुंचे थे लेेकिन यह सभी दिग्गज साथ निभाने के लिए कितने कारगर साबित होंगे यह समय बताएगा।

पांचवीं बार आमने-सामने होगा चौटाला-रणदीप परिवार

चौटाला परिवार व रणदीप सिंह सुरजेवाला का 36 का आंकड़ा रहा है। इस जींद विधानसभा उपचुनाव में चौटाला परिवार व रणदीप सिंह सुरजेवाला परिवार पांचवीं बार आमने-सामने होगा। इससे पहले 1993 में रणदीप सिंह सुरजेवाला के पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला को राज्यसभा में भेजे जाने के कारण नरवाना विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इसके चलते वहां उपचुनाव हुआ था। इसमें इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व रणदीप सिंह सुरजेवाला आमने-सामने हुए थे। इस उपचुनाव में रणदीप हार गए थे और ओमप्रकाश चौटाला विजयी हुए थे। इसके बाद 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में रणदीप सिंह व ओमप्रकाश चौटाला फिर आमने-सामने हुए। इस बार बाजी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मारी ली और ओमप्रकाश चौटाला को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने जीत हासिल की और रणदीप सिंह यह चुनाव हार गए थे। 2005 में ओमप्रकाश चौटाला व रणदीप सिंह सुरजेवाला फिर आमने-सामने हुए थे। 2005 में ओमप्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्री होने के दौरान रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ओमप्रकाश चौटाला को हराने का काम किया था। अब 2019 में जींद विधानसभा के उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दिग्विजय चौटाला व रणदीप सिंह सुरजेवाला का आमना-सामना हुआ है। अब देखना यह है कि चौटाला परिवार व रणदीप ङ्क्षसह सुरजेवाला के बीच इस मुकाबले में बाजी किसके हाथ लगती है।

दिग्विजय चौटाला का नामांकन भरवाते सांसद दुष्यंत चौटाला। 

नामांकन दाखिल करवाने के बाद बाहर आते रणदीप सुरजेवाला। 






नामांकन भरने के दौरान खूब चले सियासी तीर

कांग्रेस और जजपा ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें
शहरी व गांव की पृष्टभूमि में उलझी सियासत

जींद, 10 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- आगामी 28 जनवरी को जींद में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। वीरवार को नामांकन दाखिल करवाने का अंतिम दिन होने के कारण इनैलो, कांग्रेस और जजपा ने भी अपने चुनावी घोड़े मैदान में उतार दिए। जींद उपचुनाव को आगामी विधानसभा का सैमीफाइनल माना जा रहा है। इसी के चलते सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत इस उपचुनाव में झौंक दी है। कांग्रेस व जजपा ने अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए बड़े चेहरों को आगे कर दिया है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला को अपना उम्मीदवार बनाया है तो जजपा ने भी अपनी लहर को बरकरार रखने के लिए इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला को युवा चेहरे के तौर पर मैदान में उतारा है। कांग्रेस व जजपा ने जींद उपचुनाव में बड़े चेहरों को मैदान में उतार कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं इनैलो ने जिला परिषद के उपप्रधान उम्मेद सिंह रेढ़ू को अपने प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा है। कांग्रेस व जजपा द्वारा बड़े चेहरे मैदान में उतारने के बाद लोगों की नजरें अब सबसे ज्यादा जजपा व कांग्रेस पर टिकी हुई हैं। वीरवार को सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करवा दिए। नामांकन दाखिल करवाने के दौरान राजनीतिक दलों के बीच जमकर सियासत के तीर चले। नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा। पूरा दिन शहर में राजनीति का माहौल गर्म रहा। राजनीतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन के कारण जींद शहर पूरी तरह जाम हो गया। 

परिवारिक राजनीति को बढ़ावा दे रहा है दुष्यंत : अभय चौटाला

इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि जींद उपचुनाव जींद की जनता की लड़ाई है। इसलिए हमनें अपना उम्मीदवार जींद से ही उतारा है। हमारा उम्मीदवार साधारण है व ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है लेकिन कांग्रेस के पास चुनाव लडऩे के लिए कोई चेहरा नहीं था। इसलिए कांग्रेस ने कैथल से उम्मीदवार को एम्पोर्ट किया है। वहीं जजपा के पास भी कोई प्रत्याशी नहीं था। इसलिए उन्होंने जींद के उम्मीदवार पर भरोसा करने की बजाए अपने परिवार के सदस्य को ही राजनीति में आगे बढ़ा दिया। दुष्यंत खुद सांसद हैं, उनकी मां एमएलए है लेकिन इसके बाद भी उनकी तृप्ति नहीं हो रही है। दुष्यंत केवल अपने परिवार की राजनीति को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। यह सेल्फिश लोग हैं। जींद की जनता बाहरी उम्मीदवार को वोट नहीं देगी। इनैलो इस उपचुनाव में भारी बहुमत से चुनाव जीतेगी। 

भाजपा की ए-बी टीम है इनैलो व जजपा : रणदीप 

कांग्रेस प्रत्याशी एवं कैथल के विधायक रणदीप सिंह सुरजरेवाला ने कहा कि जींद उपचुनाव से खट्टर सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। इनैलो व जजपा तो भाजपा की ही ए-बी टीम हैं। यह दोनों दल विकास की बात नहीं करते हैं। यह केवल मारने-काटने व जलाने की बात करते हैं। इन्होंने अपने शासन काल में तानाशाही को बढ़ावा दिया है। सत्ता में रहते हुए इन्होंने कभी भी जींद के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया। जींद की जनता बाहरी उम्मीदवार को वोट नहीं देगी। जींद की जनता के निर्णय के आगे सभी को सिर झुकाना पड़ेगा। जींद के विकास के लिए कांग्रेस ने उन्हें यहां भेजा है। वह उपचुनाव में जीत दर्ज करवा कर जींद में विकास कार्यों की झड़ी लगाने का काम करेंगे। 

मोदी, राहुल वर्सीज दिग्विजय बना जींद उपचुनाव : दुष्यंत

सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जींद उपचुनाव में जननायक जनता पार्टी से अपना उम्मीदवार इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला को बनाया है। पार्टी की कोर कमेटी ने दिग्विजय सिंह चौटाला के नाम पर अपनी सहमति जताई। इससे पहले पार्टी कार्यकर्ताओं से भी उम्मीदवार को लेकर राय ली गई थी। यह उपचुनाव निश्चित रूप से जेजेपी जीतेगी और इतिहास रचेगी। भाजपा और कांग्रेस इस उपचुनाव को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के स्तर का चुनाव मान कर अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरा है। चौ. देवीलाल की कर्मभूमि रही जींद की इस धरा से  दिग्विजय सिंह चौटाला पार्टी के विजयी अभियान की शुरूआत करेंगे और प्रदेश में 2019 में अगली सरकार जेजेपी पार्टी की होगी। जींद उपचुनाव नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी वर्सीज दिग्विजय का चुनाव बन गया है। चाहे महम, उचाना या नरवाना का चुनाव हो हमारे परिवार ने हमेशा ही चुनौती देकर चुनाव लड़ा है। हमारी रगों में भी देवीलाल का खून है इसलिए हमनें इस चुनाव को चुनौती के तौर पर स्वीकार करते हुए दिग्विजय को मैदान में उतारा है।

भाजपा ने बदले राजनीति के मायने : बराला

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद राजनीति के मायने ही बदल दिए हैं। इससे पहले प्रदेश में कांग्रेस या इनैलो दोनों दलों की सरकार रहती थी। नौकरियों में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिलता था। भ्रष्टाचार का बोलबाला रहता था लेकिन भाजपा ने सत्ता में आने के बाद भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार को खत्म कर विकास की तरफ जोर दिया है। सभी जिलों में बिना भेदभाव के विकास कार्य करवाए हैं। इस उपचुनाव में जींद की जनता विकास कार्यों पर मोहर लगाकर भाजपा को जिताने का काम करेगी। 

कांग्रेस व जजपा ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें

जींद उपचुनाव में कांग्रेस व जजपा ने बड़े चेहरों को आगे कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भाजपा ने उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त में से इनैलो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए डॉ. कृष्ण मिढ़ा को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस व जजपा ने इस उपचुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए बड़े चेहरों पर दाव खेला है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं कैथल के विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला को आगे कर बड़ा दाव खेल दिया है। रणदीप सिंह सुरजेवाला की कांग्रेस पर अच्छी पकड़ है। कई धड़ों में बटी कांग्रेस रणदीप सिंह के नाम पर एकजुट हो गई है। रणदीप सिंह सुरजेवाला के नाम की घोषणा के साथ ही कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं को एक मंच पर आना मजबूरी हो गया है। वहीं जजपा ने भी इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला को युवा चेहरे के तौर पर मैदान में उतारा है। दिग्विजय चौटाला का भी युवा वर्ग में अच्छा जनाधार है। कांग्रेस व जजपा द्वारा बड़े चेहरे मैदान में उतारे जाने के कारण भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। 

शहरी व ग्रामीण की पृष्टभूमि पर बिछी सियासत की बिसात

जींद उपचुनाव में शहरी व ग्रामीण की पृष्ठभूमि पर सियासत की बिसात बिछी है। भाजपा के उम्मीदवार डॉ. कृष्ण मिढ़ा व लोकतंत्र सुरक्षा मंच के उम्मीदवार विनोद आशरी शहरी पृष्ठभूमि से हैं और इन दोनों उम्मीदवारों की शहरी क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। वहीं जजपा के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला, कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला का ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। इनैलो का उम्मीदवार उम्मेद सिंह रेढू ग्रामीण क्षेत्र से है। 

रणदीप सिंह सुरजेवाला के नामकांन के लिए पहुंचे कांग्रेस के दिग्गज नेता।

अपने उम्मीदवार का नामांकन भरने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते अभय चौटाला। 

नामांकन दाखिल करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते दिग्विजय चौटाला। 






राजनीतिक दलों ने नामांकन भरने से पहले शहर में किया शक्ति प्रदर्शन


भाजपा से डॉ. कृष्ण मिढ़ा, जजपा से दिग्विजय चौटाला, कांग्रेस से रणदीप सिंह सुरजेवाला व अंशुल सिंगला ने निर्दलिय के तौर पर किया नामांकन

जींद, 10 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):-  आगामी 28 जनवरी को जींद उपुचनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही जींद में सियासत का पारा चढ़ गया है। 10 जनवरी को नामांकन का अंतिम दिन होने के चलते सभी राजनीतिक दलों ने नामांकन से पहले शहर में अपना शक्ति प्रदर्शन किया और शक्ति प्रदर्शन के बाद लघु सचिवालय में पहुंच कर अपना नामांकन भरा। नामांकन प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार की कोई अव्यवस्था नहीं हो इसके लिए प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किए गए थे। इसके लिए प्रशासन की तरफ से दो ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए है। जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राजेश कौथ तथा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी नरवाना राजेश टिवाना को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। वहीं गोहाना रोड से लघु सचिवालय को आने वाले रास्ते पर बैरिगेट्स लगाए गए थे। उम्मीदवार के अलावा अन्य किसी भी वाहन को लघु सचिवालय में जाने की अनुमति नहीं थी। 10 जनवरी को नामांकन के अंतिम दिन भाजपा के उम्मीदवार डॉ. कृष्ण मिढ़ा, जजपा के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला, कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला, इनैलो से जिला परिषद के उपप्रधान उम्मेद सिंह रेढ़ू ने अपना नामांकन दाखिल करवाया। वहीं कांग्रेस की टिकट पर दावेदारी जताने वाले पूर्व मंत्री बृजमोहन सिंगला के पुत्र अंशुल सिंगला ने भी निर्दलिय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन दाखिल करने से पूर्व भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने शहर के रानी तालाब से लेकर लघु सचिवालय तक भारी काफिले के साथ शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान उनके साथ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला, प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामबिलाश शर्मा, सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक, परिवहन मंत्री कृष्ण पवार, उचाना विधायक प्रेमलता, जिलाध्यक्ष अमरपाल राणा सहित पार्टी के कई अन्य पदाधिकारी भी साथ थे। वहीं रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कांग्रेस भवन से लेकर लघु सचिवालय तक अपना शक्ति प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, कुलदीप बिश्रोई, किरण चौधरी, पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल, कैप्टन अजय यादव सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला का नामांकन दाखिल करवाने पहुंचे। इनैलो प्रत्याशी उम्मेद सिंह रेढ़ू का नामांकन करवाने के लिए नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला, अशोक अरोड़ा, बसपा के प्रदेश प्रभारी प्रकाश भारती सहित अन्य कई पदाधिकारी मौजूद रहे। वहीं जजपा के प्रत्याशी दिग्विजय का नामांकन दाखिल करवाने के लिए सांसद दुष्यंत चौटाला, प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह, केसी बांगड़ सहित पार्टी के अन्य सभी वरिष्ठ पदाधिकारी साथ मौजूद रहे।   

माटी का कर्ज उतारने के लिए पार्टी ने दिया मौका

जींद का उपचुनाव जींद के विकास के लिए लड़ा जाएगा। यह चुनाव हरियाणा में नई बयार का चुनाव है। जींद की जनता के आशीर्वाद से जींद को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा। जींद उपचुनाव से खट्टर सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। कैथल, हिसार, भिवानी, रोहतक की तर्ज पर जींद का विकास करवाया जाएगा। इनैलो व जजपा खट्टर सरकार की ए-बी टीम हैं। यह दोनों पार्टी हरियाणा के विकास की बजाए तानाशाही, तोडफ़ोड़, मारने-काटने की बाते करती हैं। वहीं भाजपा सरकार ने भी हरियाणा को जलाने का काम किया है। कांग्रेस पार्टी ने जींद की माटी का कर्ज उतारने के लिए उन्हें मौका दिया है। वह जींद की जनता के आशीर्वाद से इस चुनाव में जीत दर्ज करवा कर जींद के विकास के लिए कार्य करेंगे।
रणदीप सिंह सुरजेवाला, उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी

जींद की जनता 10 माह के लिए मुझ पर विश्वास करके देखे

जींद की धरती को राजनीति का गढ़ माना जाता है। उन्होंने अपनी पार्टी की घोषणा भी जींद की धरती से ही की थी। यह चुनाव उनका पहला चुनाव है इसलिए वह जींद की जनता से अपील करेंगे की आगामी 10 माह के लिए जींद की जनता उन पर विश्वास करके देखे। इन 10 माह में जींद के लिए करवाए गए विकास कार्यों के बूते वह आगामी विधानसभा चुनाव में जनता के बीच वोट मांगने के लिए आएंगे। उन्हें जींद की जनता पर पूरा विश्वास है। जींद की जनता से उन्हें सिरसा की जनता से भी ज्यादा प्यार मिला है। दुष्यंत की बढ़ती लोकप्रियता से घबरा कर कांग्रेस ने जींद उपचुनाव में रणदीप सिंह सुरजेवाला को मैदान में उतार कर सबसे बड़ा दाव खेला है। ताकि वह दुष्यंत को कमजोर कर सकें।
दिग्विजय चौटाला, उम्मीदवार जननायक जनता पार्टी

बाहरी उम्मीदवारों को नहीं स्वीकार करेगी जींद की जनता

उन्होंने पूरी निष्ठा व ईमानदारी से पार्टी की सेवा की है। पार्टी की सेवा व ईमानदारी को देखते हुए पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है। जींद की जनता ने उन्हें जिला परिषद की सीट पर विजयी बनाकर जिला परिषद में भेजने का काम किया है। अब जींद की जनता उन्हें विधानसभा में भेजने का काम करेगी। जजपा व कांग्रेस के पास चुनाव लडऩे के लिए कोई मजबूत चेहरा नहीं था। इसलिए कांग्रेस ने कैथल से उम्मीदवार को इम्पोर्ट किया है और जजपा ने जींद के स्थानीय कार्यकर्ता पर विश्वास करने की बजाए अपने परिवार के सदस्य को ही टिकट दिया है। कांग्रेस व जजपा दोनों पार्टियों के उम्मीदवार बाहरी हैं और जींद की जनता इन बाहरी उम्मीदवारों को स्वीकार नहीं करेगी। भाजपा के पास भी अपना कोई उम्मीदवार नहीं था। इसलिए भाजपा ने भी इनैलो के कार्यकर्ता को अपने साथ शामिल कर उस पर ही दाव खेला है। जींद उपचुनाव में इनैलो पार्टी की जीत पक्की है। पिछली दो योजना में भी इनैलो के उम्मीदवार ने जींद में अपनी जीत दर्ज करवाई है।
उम्मेद सिंह रेढ़ू, उम्मीदवार इनैलो

भाजपा के विकास कार्यों पर अपनी मोहर लगाएगी जींद की जनता

जींद उपचुनाव में जींद की जनता भाजपा सरकार द्वारा करवाए गए विकास कार्यों पर अपनी मोहर लगाएगी। उनके पिता जी स्वर्गीय डॉ. हरिचंद मिढ़ा ने जींद की जनता की निस्वार्थ भाव से सेवा की थी। इसलिए जींद की जनता ने उन्हें दो बार यहां से विधायक बनाने का काम किया था। उनके पिता के साथ-साथ वह भी पिछले 10 वर्षों से लोगों के बीच रहकर जनता की सेवा करने का काम कर रहे हैं। इसलिए इस उपचुनाव में भाजपा की जीत पक्की है। बाहरी उम्मीदवारों को जींद की जनता किसी भी कीमत पर अपना वोट नहीं देगी क्योंकि इन उम्मीदवारों को केवल चुनाव के समय ही उनकी याद आती है। भाजपा के सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव लड़ेंगे।
डॉ. कृष्ण मिढ़ा, उम्मीदवार भाजपा

नामांकन दाखिल कर दिया है पार्टी के आदेश के बाद लेंगे फैसला

कांग्रेस की सीट पर उनकी दावेदारी काफी मजबूत थी लेकिन किसी कारण से पार्टी से उन्हें टिकट नहीं मिल पाई है। हमने अपना नामांकन दाखिल करवा दिया है बाकि पार्टी के जो आदेश मिलेंगे उसके बाद फैसला लिया जाएगा।
अंशुल सिंगला, उम्मीदवार निर्दलिय
रणदीप सिंह सुरजेवाला

दिग्विजय चौटाला 

डॉ. कृष्ण मिढ़ा 

उम्मेद सिंह रेढू 

अंशुल सिंगला

भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा का नामांकन दाखिल करवाने के लिए जाते शिक्षा मंत्री, सांसद रमेश कौशिक, विधायक प्रेमलता व अन्य भाजपा नेता। 






 









रविवार, 6 जनवरी 2019

टिकटार्थियों को साधने के प्रयास में जुटी भाजपा

--भाजपा नेताओं को सता रहा है टिकटार्थियों के बागी होने का भय
--भाजपा नामांकन के आखरी दिन करेगी उम्मीदवार के नाम की घोषणा
--भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा के इंतजार में दूसरे राजनीतिक दल

जींद, 6 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- आगामी 28 जनवरी को होने वाला जींद विधानसभा उपचुनाव भाजपा के लिए किसी अग्रि परीक्षा से कम नहीं है। इस परीक्षा को पास करने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा पूरी एक्सरसाइज की जा रही है। इस जींद उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने-अपने पार्टी के रथ को खींचने के लिए अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े की तलाश में हैं। भाजपा के पास इस समय टिकटार्थियों की लंबी कतार लगी हुई है। टिकटार्थियों की इस लंबी कतार ने भाजपा नेताओं की सांसें फुला रखी हैं। भाजपा नेताओं को टिकटार्थियों के बागी होने का भय सता रहा है। इसलिए भाजपा नेता उम्मीदवार की घोषणा करने के फैसला में जल्दबाजी करने से बच रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा पार्टी अपने उम्मीदवार की घोषणा 9 जनवरी को करेगी। ताकि टिकट नहीं मिलने से मायूस होने वाले अन्य टिकटार्थियों को बागी होने से रोका जा सके। क्योंकि 10 जनवरी को नामांकन की आखिरी तारीख है और यदि भाजपा 9 को अपने उम्मीदवार की घोषणा करती है तो समय के अभाव में टिकट नहीं मिलने से मायूस दूसरे टिकटार्थी नामांकन नहीं कर पाएंगे। वहीं दूसरे राजनीतिक दलों की नजरें भी भाजपा की तरफ टिकी हुई हैं। क्योंकि भाजपा द्वारा उम्मीदवार की घोषणा के बाद ही दूसरे राजनीतिक दल अपने समीकरण तय कर अपने उम्मीदवार की घोषणा करेंगे। वहीं सूत्रों से मिल रही जानकारी से यह भी सामने आया है कि भाजपा में टिकट की लाइन में खड़े कई टिकटार्थी लगातार दूसरे दलों के भी सम्पर्क में हैं।

कई उम्मीदवारों के नामाकंन पत्र हो चुके हैं तैयार, बस टिकट का है इंतजार

उपचुनाव में चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाना के लिए तैयार खड़े कई उम्मीदवारों ने तो अपना नामांकन पत्र तैयार करवाने व बैंक, बिजली निगम तथा अन्य विभागों से एनओसी लेने जैसी प्रक्रिया पहले ही पूरी करवा ली है। इन उम्मीदवारों को इस बात का भय सता रहा है कि यदि उन्हें उनकी इच्छुक पार्टी से टिकट नहीं मिला तो वह किसी दूसरे दल से या निर्दलिय चुनाव लड़ सकें। नामांकन के लिए अन्य प्रक्रिया पूरी करने में उनका समय खराब होने से बच सके व समय रहते वह अपना नामांकन करवा सकें।

संघ की तरफ से भी भाजपा पर बढ़ा दबाव

उपचुनाव में टिकट को लेकर भाजपा में चल रहे घमासान के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दबाव भी भाजपा नेताओं पर लगातार बढ़ता जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा इस समय केवल चुनाव जीत कर आने वाले उम्मीदवार पर दांव खेलना चाहती है और इसके लिए वह दूसरी पार्टी के मजबूत उम्मीदवार को भी अपने साथ शामिल कर टिकट देने से पीछे हटने वाली नहीं है लेकिन उधर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों ने भी भाजपा नेताओं पर संघ से संबंध रखने वाले उम्मीदवार को टिकट देने के लिए दबाव बनाया हुआ है।

भाजपा के पदाधिकारी पिछले कई दिनों से जींद में डाले हुए हैं डेरा

चुनाव में जीत के लिए भाजपा पूरे प्रयास कर रही है। भाजपा के नेता पार्टी के कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने से लेकर बूथ स्तर तक पर अपनी फिल्डिंग तैयार कर रहे हैं। इसके लिए भाजपा के प्रांत स्तर के कई नेता पिछले कई दिनों से जींद में ही अपना डेरा डाले हुए हैं। ताकि उपचुनाव में दांव पर लगी पार्टी की शाख को बचाया जा सके।


शनिवार, 5 जनवरी 2019

टिकट को लेकर भाजपा में घमासान

--जींद उपचुनाव को लेकर पर्यवेक्षकों के सामने 11 उम्मीदवारों ने जताई अपनी दावेदारी
--ठंड के मौसम में उपचुनाव की आहट ने जींद की फिजाओं में पैदा की राजनीति की गर्माहट

जींद, 5 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- जींद उपचुनाव की घोषणा के बाद से सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने के लिए अपने घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिए हैं। सर्दी के इस मौसम में उपचुनाव की आहट ने जींद की फिजाओं में राजनीति की गर्माहट पैदा कर दी है। सभी राजनीति दलों की नजर जींद के उपचुनाव पर टिकी हुई हैं। राजनीतिक दल उपचुनाव में अपनी-अपनी जीत पक्की करने के लिए जोर-शोर से तैयारियों में लगे हुए हैं। क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जींद उपचुनाव को सैमीफाइल माना जा रहा है। इस सैमीफाइनल में जिस पार्टी का उम्मीदवार विजयी होगा आगामी विधानसभा चुनाव में उस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा। इसके चलते जींद उपचुनाव में विजयश्री का आशीर्वाद पाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा दूसरे दलों के मजबूत उम्मीदवारों को भी अपने पाले में लाने के प्रयास चल रहे हैं। टिकट को लेकर सबसे ज्यादा घमासान भाजपा में मचा हुआ है। इस समय भाजपा के पास सबसे ज्यादा उम्मीदवार हैं। इस समय भाजपा के पास 11 उम्मीदवारों के नाम आए हुए हैं। इसी के चलते शुक्रवार को भाजपा के पर्यवेक्षकों ने कैथल रोड पर स्थित पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली। पर्यवेक्षक के तौर पर भाजपा की राष्ट्रीय सचिव सुधा यादव व प्रदेश के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ शुक्रवार दोपहर को जींद पहुंचे थे। पर्यवेक्षकों के समक्ष अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने के लिए सभी उम्मीदवार पूरे दल-बल के साथ पार्टी कार्यालय पहुंचे थे। पूरा दिन पार्टी कार्यालय में बैठकर पर्यवेक्षक सुधा यादव व ओमप्रकाश धनखड़ ने एक-एक कर सभी उम्मीदवारों की दावेदारी जांची। इस दौरान पर्यवेक्षकों ने उम्मीदवारों के साथ पहुंचे उनके समर्थकों से भी उनकी मजबूती के कारण भी पूछे। जींद विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे को लेकर 11 उम्मीदवारों ने पर्यवेक्षकों के सामने अपनी दावेदारी प्रस्तुत की। उम्मीदवारों के समर्थकों से राय लेने के बाद पर्यवेक्षकों ने बंद कमरे में उम्मीदवारों से भी उनकी मजबूत दावेदारी को लेकर चर्चा की। 

दल-बल के साथ पार्टी कार्यालय पहुंचे टिकटार्थी

उपचुनाव में जींद विधानसभा सीट पर पर्यवेक्षकों के सामने अपनी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत करने के लिए सभी टिकटार्थी पूरे दल-बल के साथ पार्टी कार्यालय पहुंचे थे। टिकटार्थियों के साथ आए उनके समर्थक पूरे जोश के साथ अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में नारेबाजी कर रहे थे।  

पर्यवेक्षकों के कार्यालय पहुंचते ही समर्थकों ने लगाए अपने-अपने उम्मीदवारों के नारे 

उम्मीदवारों की फीड बैक लेने के लिए जैसे ही पर्यवेक्षक ओमप्रकाश धनखड़ व सुधा यादव पार्टी कार्यालय पहुंचे वैसे ही समर्थकों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी। काफी देर तक समर्थकों ने नारेबाजी की। बाद में ओमप्रकाश धनखड़ ने उम्मीदवारों के नारेबाजी पर ऐतराज जताते हुए कहा कि यदि नारे लगाने हैं तो केवल पार्टी के ही लगाएं। जिनके साथ आप आएं हैं उनके पक्ष में केवल एकाध नारा ही लगाएं। 

टिकट के लिए इन-इन लोगों ने जताई अपनी-अपनी दावेदारी 

उपचुनाव में जींद विधानसभा से चुनाव लडऩे के लिए कुल 11 लोगों ने पर्यवेक्षकों के समक्ष अपनी-अपनी दावेदारी जताई। पर्यवेक्षकों ने सबसे पहले मास्टर गोगल को अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने का मौका दिया। दूसरे नंबर पर टेकराम कंडेला को समर्थकों के साथ अंदर बुलाया गया। तीसरे नंबर पर डॉ. कृष्ण मिढ़ा, चार नंबर पर मुख्यमंत्री के निजी सचिव राजेश गोयल को बुलाया गया लेकिन राजेश गोयल मौके पर मौजूद नहीं थे। इसके चलते राजेश गोयल के समर्थकों ने ही राजेश गोयल की तरफ से उनका पक्ष रखा। पांच नंबर पर लीलाधर मित्तल, छठे नंबर पर डॉ. ओमप्रकाश पहल, सातवें नंबर पर जवाहर सैनी, आठवें नंबर पर सुरेंद्र बरवाला, नौंवे नंबर पर बलकार डाहौला, दसवें नंबर पर सज्जन गर्ग तथा ग्याहरवें नंबर पर रामफल शर्मा ने टिकट को लेकर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की। 

हाल में समर्थकों की नारेबाजी से परेशान होकर खुले मैदान में आए पर्यवेक्षक

पर्यवेक्षकों द्वारा पार्टी कार्यालय के हाल में बैठकर टिकटार्थियों के समर्थकों से राय लेने की प्लानिंग थी लेकिन जैसे ही यह प्रक्रिया शुरू हुई वैसे ही टिकटार्थियों के साथ पहुंचे उनके समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। काफी देर तक टिकटार्थियों के साथ आए समर्थक अपने-अपने उम्मीदवार के पक्ष में नारेबाजी करते रहे। पर्यवेक्षकों के रोकने पर भी जब समर्थक नहीं रूके तो पर्यवेक्षकों को मजबूरन हाल से निकल कर खुले मैदान में आना पड़ा। इसके बाद पर्यवेक्षकों ने एक-एक कर उम्मीदवार व उनके समर्थकों को अंदर हाल में बुला कर उनकी राय ली। 

हाई कमान को दी जाएगी रिपोर्ट

भाजपा के पास उपुचनाव को लेकर कई उम्मीदवार हैं। उम्मीदवारों की संख्या को देखते हुए पार्टी द्वारा उन्हें पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है। आज जींद में पहुंचकर उम्मीदवारों व उनके कार्यकर्ताओं की राय ली गई है। कार्यकर्ताओं से राय लेने के बाद एक-एक उम्मीदवार से भी राय ली जाएगी। इसके बाद यह रिपोर्ट हाई कमान को भेजी जाएगी। इसके बाद हाई कमान उम्मीदवार का फैसला करेगी। 
ओमप्रकाश धनखड़, कृषि मंत्री

जींद उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए बना प्रतिष्ठा का सवाल

उपचुनाव को लेकर टिकटार्थियों ने कसे लंगोट
--टिकट के लिए अपने-अपने घोड़े दौड़ा रहे टिकटार्थी
--भाजपा पर टिककी सभी राजनीतिक दलों की नजर 

जींद, 5 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- जींद उपुचनाव की घोषणा के साथ ही चुनाव लडऩे के इच्छुक उम्मीदवारों ने भी अपने लंगोट कस लिए हैं। टिकट के लिए उम्मीदवार अपनी-अपनी गोटियां फिट करने में लगे हुए हैं। कुछ टिकटार्थी तो पिछले कई दिनों से दिल्ली के दरबार में अपने आकाओं के पास माथा टेक रहे हैं। वहीं राजनीतिक दलों ने भी टिकट के लिए उम्मीदवारों की दावेदारी को लेकर फील्ड से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। क्योंकि जींद उपचुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। सभी राजनीतिक दलों की नजरें इस समय भाजपा पर टिकी हुई हैं। दूसरे राजनीतिक दल इस बात के इंतजार में हैं कि भाजपा कब अपना उम्मीदवार घोषित करे। ताकि दूसरे दल भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने के लिए समीकरण बना सकें। भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा के बाद ही दूसरे राजनीतिक दल अपने पत्ते खोलेंगे लेकिन भाजपा अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है। क्योंकि भाजपा को भी इस बात का अंदेशा है कि यदि उन्होंने समय से पहले पत्ते खोल दिए तो उनकी पार्टी में टिकट की लाइन में खड़े दूसरे उम्मीदवार टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर दूसरी पार्टी में जा सकते हैं। इसके चलते भाजपा नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से एक दिन पहले ही अपने उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है। ताकि टिकट नहीं मिलने से मायूस दूसरे उम्मीदवारों को पाला बदलने के लिए समय नहीं मिले। 

उम्मीदवारों की नब्ज टटोल रही जजपा व इनैलो

जींद उपचुनाव के साथ ही इनैलो व जजपा ने भी अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने से पहले उम्मीदवारों व कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है। फिल्हाल इनैलो व जजपा मजबूत चेहरे को ढुंढ़ रही है ताकि इस सैमीफाइनल को जीत कर वह आगामी विधान सभा चुनाव के फाइनल के लिए अपना माहौल तैयार कर सकें। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इनैलो उपचुनाव में यह सीट गठबंधन दल बसपा के उम्मीदवार को भी उतार सकती है। 

पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता पर दांव खेल सकती है भाजपा

भाजपा में टिकट के दावेदारों की फेरहिस्त काफी लंबी है। इसके चलते भाजपा के पर्यवेक्षकों ने मजबूत उम्मीदवार की तलाश में शुक्रवार को जींद में पहुंच कर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली थी। इस दौरान पर्यवेक्षकों के सामने 11 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन यह कयाश लगाए जा रहे हैं कि भाजपा उपचुनाव में पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता पर अपना दांव खेल सकती है। क्योंकि उपचुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर है। इसलिए भाजपा किसी भी कीमत पर इस उपचुनाव को हारना नहीं चाहती। क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव पर इस उपचुनाव का सीधा प्रभाव पड़ेगा। यह भी कह सकते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह चुनाव सैमीफाइनल है। इसके चलते भाजपा पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता को जींद विधानसभा सीट पर सबसे मजबूत उम्मीदवार मान रही है। हालांकि मांगेराम गुप्ता द्वारा पर्यवेक्षकों के सामने शुक्रवार को अपनी दावेदारी पेश नहीं की गई थी। लेकिन सूत्रों की मानें तो भाजपा के वरिष्ठ नेता लगातार पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता से सम्पर्क कर रहे हैं। क्योंकि मांगेराम गुप्ता लगभग आठ बार जींद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और चार बार वह यहां से चुनाव जीत कर विधायक व मंत्री बन चुके हैं।  

जींद उपचुनाव लड़कर बेटे महावीर गुप्ता के लिए पीच तैयार करेंगे मांगेराम गुप्ता

पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता ने 2009 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हारने के बाद कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। इसके बाद मांगेराम गुप्ता 2013 इनैलो में शामिल हुए थे लेकिन 2014 में विधानसभा चुनाव में इनैलो द्वारा मांगेराम गुप्ता को टिकट नहीं देने से नाराज होकर मांगेराम गुप्ता ने इनैलो से भी दूरी बना ली थी। अब जींद उपचुनाव की घोषणा के बाद से भाजपा, कांग्रेस, इनैलो व जजपा (जननायक जनता पार्टी) लगातार पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता को अपने पक्ष में लाकर चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हैं। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मांगेराम गुप्ता से लगातार सम्पर्क कर रहे हैं। वहीं इनैलो के विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने भी शुक्रवार देर रात्रि मांगेराम गुप्ता से मुलाकात कर लगभग आधे घंटे तक बंद कमरे में बातचीत की। जजपा के वरिष्ठ नेता एवं सांसद दुष्यंत चौटाला भी अलग पार्टी बनाने के बाद मांगेराम गुप्ता से कई बार मुलाकात कर चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी मांगेराम गुप्ता से सम्पर्क कर रहे हैं। लेकिन मांगेराम गुप्ता स्वयं चुनाव नहीं लड़कर अपने बेटे महावीर गुप्ता को चुनाव लड़वाना चाहते थे। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजनीतिक दलों से बढ़ते दबाव के चलते मांगेराम गुप्ता स्वयं चुनाव लड़ सकते हैं। यदि मांगेराम गुप्ता उपचुनाव स्वयं लड़ते हैं और वह यह उपचुनाव जीतने में सफल रहते हैं तो वह आगामी विधानसभा चुनाव में अपने बेटे महावीर गुप्ता के लिए राजनीति की पिच तैयार कर देंगे। 

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

‘पांडुओं की तपो भूमि से दुष्यंत युग का आरंभ’

जींद में आयोजित हुए समस्त हरियाणा सम्मेलन में दुष्यंत ने किया नई पार्टी जेजेपी का ऐलान
परदादा चौधरी देवीलाल के इतिहास को दोहरा गए दुष्यंत

जींद, 09 दिसंबर (नरेंद्र कुंडू) :- पांडुओं की तपो भूमि रही जींद जिले के पांडू पिंडारा की धरा से रविवार को दुष्यंत युग का आरंभ हो गया। पांडू पिंडारा में आयोजित समस्त हरियाणा सम्मेलन में सांसद दुष्यंत चौटाला ने अपनी नई पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का ऐलान कर दिया। इस दौरान सांसद ने विधिवत रूप से अपनी पार्टी के नए झंडे व नए डंडे को भी लांच किया। पांडू पिंडारा की धरती पर लाखों की संख्या में भीड़ जुटा कर दुष्यंत चौटाला ने अपने परदादा चौधरी देवीलाल की 1986 में जींद में आयोजित हुई विशाल रैली के इतिहास को दोहरा दिया। रैली को लेकर लोगों में भारी जोश नजर आ रहा था। चारों तरफ दुष्यंत के समर्थन में नारे लग रहे थे। नई पार्टी की घोषणा के साथ ही दुष्यंत ने अपनी पार्टी की नीतियों के माध्यम से बुजुर्गों, युवाओं, व्यापारियों, कर्मचारियों व महिलाओं सहित हर वर्ग को साधने का काम किया। रैली में उमड़े जन सैलाब को देखकर मंच पर उपस्थित सभी नेता व कार्यकर्ता गदगद नजर आ रहे थे। पांडुओं की तपोस्थली से शुरू हुई सांसद दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक पारी में उनके छोटे भाई एवं इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला उनके सारथी बने। दिग्विजय चौटाला ने बार-बार मंच से विरोधियों पर जमकर निशाना साधा। दिग्विजय चौटाला ने अभय चौटाला पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि ‘जिसकी तु दुहाई देता है, उसको ऊंचा सुनाई देता है, मैं जानता हूं तेरी नीयत को तू क्यों सफाई देता है।’ 

नई पार्टी के ऐलान के साथ पार्टी का झंडा लहराती नैना चौटाला व अन्य।
 रैली को सम्बोधित करते सांसद दुष्यंत चौटाला व रैली में उमड़ा जन सैलाब।


दुष्यंत को चंडीगढ़ पहुंचाने के लिए करना है राम सेतू का निर्माण 

मंच पर मौजूद दुष्यंत चौटाला व अन्य नेता। 
डबवाली विधायक एवं दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला ने कहा कि जिस तरह से भगवान श्रीराम को लंका तक पहुंचाने के लिए वानर सेना ने राम सेतू का निर्माण किया था ठीक उसी तरह दुष्यंत को चंडीगढ़ तक पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं को भी राम सेतू का निर्माण करना पड़ेगा। इसके लिए प्रत्येक कार्यकर्ता अपने साथ नए कार्यकर्ताओं को जोडऩे का काम करें। इस दौरान नैना चौटाला ने बिना अभय चौटाला का नाम लिए कहा कि रैली में उमड़े जन सैलाब ने उन लोगों के चोटी में पसीना ला दिया जो दुष्यंत के खिलाफ षडय़ंत्र रच रहे थे। 

ओमप्रकाश चौटाला हमारे परिवार के मुखिया, कानूनी अड़चनों के कारण नहीं लगाई फोटो

सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला हमारे परिवार के मुखिया हैं और वह हमारे दिलों में बसते हैं। सांसद ने कहा कि कुछ लोग पुछते हैं कि हम पोस्टरों पर ओमप्रकाश चौटाला के फोटो क्यों नहीं लगाते। ऐसा इसलिए करना पड़ता है कि ओमप्रकाश चौटाला इनैलो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और कानूनी अड़चनों के कारण हम उनका फोटो नहीं लगा सकते। जिस दिन वह इनैलो से इस्तिफा दे देंगे उस दिन हम उनका फोटो भी लगा देंगे। इस दौरान दुष्यंत चौटाला ने कार्यकर्ताओं से ओमप्रकाश चौटाला के नाम के नारे भी लगवाए।    

भाजपा ने मेरे खिलाफ रचा चक्रव्यूह

सांसद दुष्यंत चौटाला ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरी लोकप्रियता को खत्म करने के लिए भाजपा ने मेरे खिलाफ चक्रव्यूह रचा। इसके लिए पहले बीरेंद्र ङ्क्षसह को केंद्रिय मंत्री बनाया, जिसका गृहक्षेत्र उचाना मेरी लोकसभा क्षेत्र में आता है, फिर सुभाष चंद्रा को राज्यसभा में भेजा जो कि हिसार से हैं और यह भी मेरी लोकसभा क्षेत्र में आता है फिर डीपी वत्स को राज्यसभा में भेजा जो कि हांसी से हैं और यह भी मेरे लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। लेकिन मैंने जनता के प्यार से भाजपा के इस चक्रव्यूह को भेद दिया।

एक वोट-एक नोट का दिया नारा

सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उनकी पार्टी नई है और अभी तक उनकी पार्टी का बैंक खाता भी नहीं खुला है। इसलिए कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक लोगों को पार्टी के साथ जोड़ें। सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सभी कार्यकर्ता एक वोट व एक नोट का आह्वान करते हुए पार्टी को मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान चलाएं। सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि वह भी अपने चार साल के कार्यकाल का लगभग 27 लाख रुपए का वेतन पार्टी को भेंट करेंगे।  

दुष्यंत को देखते ही जोश से उमड़ पड़े युवा, बेरिगेटस तोड़ स्टेज के पास पहुंचे

दुष्यंत की झलक पाने के लिए लोगों में भारी उत्साह था। जैसे ही सांसद दुष्यंत चौटाला हेलीपैड से पैदल चलते हुए मंच पर पहुंचे तो युवा उनकी झलक पाने के लिए जोश से भर गए। इस दौरान उत्साहित युवाओं ने मंच के आगे लगाए गए बेरिगेटस को तोड़ कर बिल्कुल मंच के पास पहुंच गए और काफी देर तक दुष्यंत-दुष्यंत के नारों से रैली स्थल गुंजता रहा। 
 


शनिवार, 8 दिसंबर 2018

‘पांडू पिंडारा की ऐतिहासिक धरती पर इनैलो का तर्पण कर नई पार्टी का आगाज करेंगे दुष्यंत चौटाला’

32 साल बाद परदादा चौ. देवीलाल के करिश्मे को दोहराने की तैयारी में दुष्यंत 

जींद, 7 दिसंबर (नरेंद्र कुंडू) :- पांडुओं ने महाभारत की लड़ाई में मारे गए अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए पिंडारा की जिस धरती पर पितरों का तर्पण किया था उसी धरती से सांसद दुष्यंत चौटाला 9 दिसंबर को इनैलो का तर्पण कर अपनी नई पार्टी का ऐलान करेंगे। पांडू पिंडारा की इस ऐतिहासिक धरती पर 9 दिसंबर को आयोजित होने वाला ‘समस्त हरियाणा सम्मेलन’ दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। जींद की जिस धरती पर 1986 में चौधरी देवीलाल ने ऐतिहासिक रैली कर हरियाणा की राजनीति में हलचल पैदा की थी ठीक उसी धरती से सांसद दुष्यंत चौटाला 32 साल बाद अपने परदादा चौधरी देवीलाल के करिश्में को दोहराने की तैयारी में है। बता दें कि चौधरी देवीलाल ने 1986 में जींद में विशाल रैली का आयोजन किया था, जिसकी बदौलत 1987 में चौधरी देवीलाल की पार्टी ने प्रदेश की 85 विधानसभा सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। ठीक उसी की तर्ज पर सांसद दुष्यंत चौटाला 9 दिसंबर को जींद के पांडू पिंडारा में विशाल रैली का आगाज करेंगे। 9 दिसंबर को पिंडारा में आयोजित होने वाली इस रैली में सांसद दुष्यंत चौटाला अपनी नई राजनीतिक पारी के साथ-साथ नई पार्टी व नया निशान तय करेंगे। इस रैली को सफल बनाने के लिए दुष्यंत समर्थक दिन-रात जी-जान से मेहनत कर रहे हैं। इस रैली में भारी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। 
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इनसो का झंडा व ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा चिह्न हो सकता है निशान
दुष्यंत चौटाला द्वारा 9 दिसंबर को पांडू पिंडारा में आयोजित होने वाले समस्त हरियाणा सम्मेलन में नई पार्टी के ऐलान के साथ ही नए डंडे व नए झंडे की भी घोषणा की जाएगी। सांसद दुष्यंत चौटाला की नई पार्टी का झंडा इनसो के झंडे से मिलता-जुलता रहेगा, वहीं चुनाव चिह्न भी ग्रामीण आंचल या खेती-बाड़ी के औजारों से मिलता-जुलता होगा। ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आसानी से चुनाव चिह्न की पहचान हो सके। 
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100 एकड़ में बिछाई गई दरियां, 1500 लोगों को सौंपी गई रैली की तैयारियों की जिम्मेदारी
9 दिसंबर को पांडू पिंडारा में आयोजित होने वाली सांसद दुष्यंत चौटाला की रैली के प्रति लोगों के उत्साह व भारी भीड़ उमडऩे के अंदेशे को देखते हुए दुष्यंत समर्थकों द्वारा 500 एकड़ में रैली स्थल तय किया गया है। इसमें से स्टेज के बिल्कुल सामने 100 एकड़ में लोगों के बैठने के लिए दरियां बिछवाई जा रही हैं। यदि भीड़ ज्यादा हुई तो साथ के साथ दूसरे हिस्से में भी दरियां बिछाने का काम किया जाएगा। वहीं रैली को सफल बनाने के लिए 1500 लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। 
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इनसो के वालिंटियर संभालेंगे यातायात व्यवस्था
9 दिसंबर की रैली में उमडऩे वाली भीड़ को देखते हुए यातायात व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के लिए यातायात की जिम्मेदारी इनसो के कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है। एक हजार के करीब इनसो के वालिंटियर सभी चौक व नाकों पर खड़े होकर यातायात पुलिस की मदद करेंगे और वाहनों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करेंगे। बाहर से आने वाले वाहनों को शहर के अंदर इंट्री करने की बजाए बाहर से ही डाइवर्ट किया जाएगा। 

रैली स्थल का दौरा करते हुए दिग्विजय चौटाला व अन्य कार्यकर्ता। 

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

अपने पिता बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए राजनीति में इंट्री कर सकता है आईएएस बेटा बृजेंद्र सिंह

--भाजपा विधायक प्रेमलता ने दिए बेटे बृजेंद्र सिंह के चुनाव लडऩे के संकेत
--चौटाला व भजनलाल परिवार को टक्कर देने के  लिए बृजेंद्र सिंह को युवा चेहरे के तौर पर मैदान में उतार सकते हैं केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह

जींद, 22 नवंबर (नरेंद्र कुंडू) :- अपने पिता एवं चौधरी छोटूराम के नाती केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए आईएएस बेटा बृजेंद्र सिंह आईएएस की कुर्सी को छोडक़र राजनीति के मैदान में उतर सकता है। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी एवं उचाना से भाजपा विधायक प्रेमलता ने अपने बेटे बृजेंद्र सिंह के 2019 में चुनाव लडऩे के संकेत दिए हैं। बृजेंद्र सिंह को 2019 में लोकसभा या विधानसभा की टिकट पर चुनाव लड़वाया जा सकता है। किस लोकसभा या विधानसभा से बृजेंद्र सिंह को चुनाव लड़वाया जाएगा इसको लेकर अभी तक विधायक प्रेमलता ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। शहर के पीडब्ल्यूडी रैस्ट हाऊस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विधायक प्रेमलता ने कहा कि जिस भी लोकसभा या विधानसभा से बृजेंद्र सिंह चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर करेगा उसी सीट से उसे चुनाव लड़वा दिया जाएगा, उसके लिए पूरा मैदान खाली पड़ा है। वहीं प्रेमलता ने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह 2019 का चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि चौधरी बीरेंद्र सिंह का केंद्रीय मंत्री का कार्यकाल 2022 तक का है। आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह के राजनीति में आने को लेकर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि उचाना क्षेत्र में चौटाला परिवार व भजनलाल परिवार को टक्कर देने के लिए केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह अपने आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को युवा चेहरे के तौर पर मैदान में उतार सकते हैं। फिलहाल बृजेंद्र सिंह हैफेड में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।  
पत्रकारों से बातचीत करती विधायक प्रेमलता। 

2014 में हुड्डा व शैलजा ने डाला अड़ंगा

उचाना की विधायक प्रेमलता ने कहा कि वह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को 2014 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़वाने की तैयारी में थे लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा ने उनके बेटे को टिकट नहीं देने के लिए कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनाकर उनको टिकट नहीं मिलने दी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कुमारी शैलजा ने 2014 में उनके बेटे के राजनीति में आने को लेकर उनकी राह में अड़ंगा डाला। 

बृजेंद्र सिंह को लोगों में पहचान बनाने के लिए फील्ड में करनी पड़ेगी मेहनत 

आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह यदि अपने पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए राजनीति में आते हैं तो राजनीति के क्षेत्र में उनकी राह इतनी आसान नहीं होगी। लोगों में अपनी पहचान बनाने के लिए बृजेंद्र सिंह को फील्ड में उतर कर काफी मेहनत करनी पड़ेगी। क्योंकि सरकारी नौकरी में होने के चलते अभी तक बृजेंद्र सिंह राजनीति में सक्रीय नहीं थे। इसके चलते लोगों से भी उनकी नजदीकियां ज्यादा नहीं रही।  

उचाना में चौधरी बीरेंद्र सिंह के साथ चौटाला परिवार का रहा है 36 का आंकड़ा

चौधरी बीरेंद्र सिंह के गृह क्षेत्र उचाना में चौटाला परिवार के साथ चौधरी बीरेंद्र सिंह का 36 का आंकड़ा रहा है। 2009 में विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने चौधरी बीरेंद्र सिंह के टक्कर में चुनाव लडक़र चौधरी बीरेंद्र सिंह को लगभग 635 मतों से पराजित किया था। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यंत चौटाला ने 2014 में हिसार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडक़र जीत हासिल की और उचाना क्षेत्र में अपनी अच्छी-खासी पहचान बनाने का काम किया। लेकिन 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने भाजपा की सीट पर चुनाव लड़ते हुए युवा सांसद दुष्यंत चौटाला को 7800 वोटों से पराजित किया। इसके बाद से ही सांसद दुष्यंत चौटाला उचाना क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत करने में लगे हुए हैं। वहीं भजनलाल परिवार भी उचाना क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने के लिए प्रयासरत है। क्योंकि उचाना विधानसभा क्षेत्र हिसार लोकसभा क्षेत्र में आता है और हिसार लोकसभा क्षेत्र भजनलाल परिवार की राजनीतिक का गढ़ माना जाता रहा है।