गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

बड़ा नाजूक होता है प्रकृति व जीव का रिश्ता


किसान-कीट विवाद की सुनवाई के लिए खाप पंचायत की आखरी बैठक संपन्न

विवाद पर फैसला सुनाने के लिए दिसंबर या जनवरी में होगी खाप की बैठक

नरेंद्र कुंडू 
जींद। किसान-कीट की विवाद की सुनवाई के लिए मंगलवार को खाप पंचायत की 18वीं बैठक हुई। बैठक  की अध्यक्षता सर्व जातीय सर्व खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा ने की। इस अवसर पर बैठक में अखिल भारतीय जाट महासभा के युवा राष्ट्रीय महासचिव अनिल बैनिवाल, घनघस खाप के प्रतिनिधि सूबे सिंह, मलिक खाप के प्रतिनिधि कांसीराम मलिक, गांव मांडी (पानीपत) निवासी प्रगतिशील किसान रणबीर सिंह, रणधीर सिंह तथा वरिष्ठ पशु चिकित्सक राजबीर चहल भी विशेष रूप से मौजूद रहे। बैठक में कीट मित्र किसानों ने पूरे लेखेजोखे के साथ बेजुबान कीटों का पक्ष खाप प्रतिनिधियों के समक्ष रखा।
राजबीर चहल ने किसानों को सम्बोधित करते हुए बताया कि प्रकृति के अपने नियम हैं। इन नियमों को समझना इंसान के बस की बात नहीं है। प्रकृति व जीव का रिश्ता बड़ा नाजूक होता है। इसलिए हमें प्रकृति के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। चहल ने बताया कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाला हर जीव अपने दायरे से बाहर निकल कर भी अपनी वंशवृद्धि का प्रयास करता है। इसी प्रकार पौधों में भी अपनी वंशवृद्धि की लालसा होती है और पौधे भी धरती पर अपना बीज बिखेरने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। चहल ने नरमे की फसल के खेत की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इस समय नरमे के पौधों ने अपने पत्तों को पूरी तेजी से सिकोडऩा शुरू कर दिया है, ताकि उसके टिड्डो तक ज्यादा से ज्यादा धूप पहुंच सके और धूप से गर्मी लेकर टिड्डे पूरी तरह से खिल सकें, ताकि उसका वंश चलता रहे।

उत्पादन बढ़ाने में हाईब्रिड बीज की नहीं कोई अहम भूमिका

मास्टर ट्रेनर रणबीर मलिक ने बताया कि अधिक पैदावार में हाईब्रिड बीज की कोई भूमिका नहीं होती है। पैदावार बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका अच्छी  ङ्क्षसचाई, खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या, पौधों को समय पर पर्याप्त खुराक व मौसम की होती है। हाईब्रिड बीज का नाम तो सिर्फ किसानों को गुमराह करने के लिए तैयार किए गए हैं।

पूरे सीजन में एक बार भी लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ पाए कीट

कपास की फसल में शाकाहारी कीटों के नुक्सान के स्तर को जानने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा एक सीमा निर्धारित की गई है। इसमें सफेद मक्खी की प्रति पत्ता औसत 6, हरा तेला की 2 से अधिक व चूरड़ा की संख्या 10 निर्धारित की गई है लेकिन किसानों द्वारा तैयार किए गए कीट बही खाते में कोई भी कीट पूरे सीजन में इस लक्ष्मण रेखा को पार करना तो दूर इसके नजदीक भी नहीं पहुंच पाया। कीटों द्वारा तैयार किए गए कीट बही खाते में इस पूरे सीजन में सफेद मक्खी की औसत 4, हरे तेले की संख्या पौने 2 तथा चूरड़े की संख्या 6 ही दर्ज की गई है।

बैठक में खाप प्रतिनिधियों व किसानों में हुई तीखी बहस

कपास की फसल में कीट निरीक्षण करते किसान। 
बैठक में अलेवा के किसान जोगेंद्र ने जब मिलीबग के नुक्सान का आंकड़ा दर्ज करवाते समय गोलमोल सा जवाब दिया तो सर्व खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा ने किसानों के साथ बहस करते हुए कहा कि इस विवाद के निपटारे पर फैसला सुनाने के लिए भविष्य में जब भी सर्व जातीय सर्व खाप की बैठक होगी तो उसमें पूरे तथ्यों के साथ आंकड़े प्रस्तुत किए जाएंगे, क्योंकि खाप पंचायत द्वारा जो भी निर्णय लिया जाएगा वह एक प्रकार से पूरे समाज के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा। इसलिए कोई भी आंकड़ा आधा अधूरा नहीं होना चाहिए। इससे खाप पंचायत की शाख पर दाग लग सकता है।

दिसंबर या जनवरी माह में होगी खाप की बैठक 

किसान-कीट विवाद की सुनवाई के लिए खाप पंचायत की आखरी बैठक संपन्न हुई। अब इस विवाद पर निर्णय देने के लिए सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत की बैठक दिसंबर के अंतिम सप्ताह या जनवरी के प्रथम सप्ताह में होगी। उसी बैठक में इस विवाद के निपटारे पर खाप पंचायत अपना फैसला सुनाएगी। अभी इसका फैसला भविष्य के गर्भ में है।

 कीट बही खाते में आंकड़े दर्ज करवाते किसान। 




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें