गुरुवार, 4 जुलाई 2013

कपास की फसल में महिलाओं ने ढूंढ़े कुदरती कीटनाशी

शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीटों ने दी फसल में दस्तक

नरेंद्र कुंडू  
फसल में अवलोकन के दौरान महिलाओं को मिला मांसाहारी कीट क्राइसोपा का अंड़ा।
फसल में कीटों का अवलोकन करती महिलाएं।
जींद। कीटाचार्या सविता मलिक ने कहा कि किसानों को अपनी कपास की फसल में मौजूद शाकाहारी कीटों से घबराने की जरुरत नहीं है। शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने के लिए कपास की फसल में अब मांसाहारी कीटों ने भी दस्तक दे दी है। सविता वीरवार को ललीतखेड़ा गांव के खेतों में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल महिला किसान खेत पाठशाला के दूसरे सत्र के दौरान पाठशाला में मौजूद महिलाओं को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ा रही थी। इस अवसर पर बागवानी विभाग के जिला अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, कृषि विभाग के ए.डी.ओ. डा. कमल सैनी, डा. शैलेंद्र चहल तथा डा. नेम कुमार भी विशेष रूप से मौजूद थे। पाठशाला की शुरूआत में महिलाओं ने कपास की फसल में मौजूद कीटों का अवलोकन किया। कीट अवलोकन के दौरान महिलाओं ने कपास की फसल में क्राइसोपा का अंडे भी देखे।
सविता मलिक ने कहा कि फसल में शाकाहारी तथा मांसाहारी 2 प्रकार के कीट होते हैं। पहले शाकाहारी कीट आते हैं तो उसके बाद उनको नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी कीट आते हैं। मलिक ने कहा कि पिछले सप्ताह पाठशाला में कीट अवलोकन के दौरान फसल में सफेद मक्खी, हरा तेला तथा चूरड़ा नामक शाकाहारी कीट नजर आए थे लेकिन इस पाठशाला में उन्हें क्राइसोपा के साथ-साथ कुछ अन्य मांसाहारी कीट भी नजर आए हैं, जो शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने में किसानों की सहायता करते हैं और किसानी भाषा में इन्हें कुदरती कीटनाशी के नाम से भी जाना जाता है। शीला ने बताया कि क्राइसोपा का बच्चा सफेद मक्खी, हरे तेले और चूरड़े को अपना भोजन बनाता है तथा
पाठशाला में महिलाओं को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाती कीटाचार्या।
इसका प्रौढ़ हर प्रकार के शाकाहारी कीट को अपना शिकार बनाता है। अगर फसल में प्रति पौधा एक भी क्राइसोपा मौजूद हो तो वह फसल में शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने में काफी है। कीटाचार्या अंग्रेजो, राजवंती ने बताया कि कीट अवलोकन के दौरान फसल में उन्हें शाकाहारी कीट मिलीबग के अलावा अंगीरा, डायन मक्खी तथा लाल चिचड़ी नामक मांसाहारी कीट भी नजर आए। अंगीरा मिलीबग के पेट में अपने अंडे देता है और इस प्रकार अंगीरा के बच्चों के पालन-पोषण में मिलीबग का काम तमाम हो जाता है। इसी प्रकार लाल चिचड़ी खून चूसकर मिलीबग का खात्मा करती है तथा डायन मक्खी फसल में अपना मचान बनाकर शाकाहारी कीटों का शिकार करती है। डायन मक्खी अपने डंक से शिकार के शरीर में एक अजीब तरह का तरल पदार्थ छोड़ती है और फिर उसके मास को उस तरल पदार्थ में मिलाकर उसके मास को डंक की सहायता से चूसती है। इस अवसर पर महिलाओं ने कीटों का बही खाता भी तैयार किया। इसमें सफेद मक्खी की औसत प्रति पत्ता 1.9, हरा तेला 1.3 तथा चूरड़ा 2.9 की थी। डा. कमल सैनी ने कहा कि बही खाते के आंकड़े के अनुसार अभी तक कपास के इस खेत में कोई भी कीट फसल को नुक्सान पहुंचाने के आंकड़े से कोसों दूर है। निडाना गांव की महिलाओं ने महिला किसान खेत पाठशाला को सुचारू रूप से चलाने के लिए 1100 रुपए की  सहायता दी।  

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