सोमवार, 8 जुलाई 2013

चूल्हे-चौके के साथ साथ महिला किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगी कीटों की मास्टरनियां

सप्ताह के हर बुधवार को रधाना गांव में किया जाएगा महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन 

नरेंद्र कुंडू
जींद। थाली को जहरमुक्त करने की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कीटों की मास्टरनियां अब आस-पास के गांवों की महिलाओं को भी कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगी। तक सीमित रहने वाली महिलाओं को खेती किसानी के कार्य में निपुर्ण करने के लिए ललीतखेड़ा, निडाना तथा निडानी की महिलाओं द्वारा कीट साक्षरता के अग्रदूत डा. सुरेंद्र दलाल के नाम से सप्ताह के हर बुधवार को रधाना गांव में महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। इस पाठशाला में रधाना गांव के साथ-साथ आस-पास के गांवों की महिलाओं को भी कीटों की पहचान करवाकर जहरमुक्त खेती के टिप्स दिए जाएंगे। महिलाओं की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा भी विशेष सहयोग दिया जाएगा। 
फसलों में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण किसानों पर बढ़ते खर्च तथा रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से हो रही जीव हत्या को देखते कीट साक्षरता के अग्रदूत डा. सुरेंद्र दलाल ने 2008 में निडाना गांव से कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम का शंखनाद किया था। डा. सुरेंद्र दलाल ने यहां के किसानों को फसल में मौजूद कीटों की पहचान करवाने के साथ-साथ कीटों के क्रियाकलापों पर गहन शोध किया था। किसानों द्वारा किए गए शोध में यह सिद्ध हो चुका है कि कीट फसल में न तो हानि पहुंचाने के लिए आते हैं और न ही लाभ पहुंचाने के लिए आते हैं। कीट तो फसल में केवल अपना जीवन यापन करने के लिए आते हैं। इसके बाद इस मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए डा. सुरेंद्र दलाल ने महिलाओं को इस मुहिम में शामिल किया और वर्ष 2010 में निडाना गांव से ही पहली महिला किसान खेत पाठशाला की शुरूआत की। इसके बाद महिलाओं ने भी कीटों पर गहन अध्ययन किया और इसके बाद 2012 में ललीतखेड़ा से महिला किसान खेत पाठशाला की शुरूआत की। इस प्रकार निडाना, निडानी तथा ललीतखेड़ा गांव की 2 दर्जनभर
 ललीतखेड़ा गांव के खेतों में चल रही महिला पाठशाला का फाइल फोटो। 
 कीटों की मास्टरनियों के फोटो। 
के लगभग महिलाएं कीट ज्ञान का अध्ययन करते-करते कीटों की मास्टरनियां बन गई। अब कीटों की इन मास्टरनियों ने थाली को जहरमुक्त करने की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए आस-पास के गांवों की महिलाओं को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाने का निर्णय लिया है। निडाना, निडानी, ललीतखेड़ा गांव की इन वीरांगनाओं द्वारा सप्ताह के हर बुधवार को रधाना गांव के जगमेंद्र के खेत में पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। 18 सप्ताह तक पाठशालाएं चलेंगी और इन पाठशालाओं में रधाना तथा आस-पास के गांवों की महिलाओं को फसल में मौजूद शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों की पहचान करवाने तथा कीटों के क्रियाकलापों की जानकारी देकर जहरमुक्त खेती के टिप्स दिए जाएंगे। कीटाचार्या पूनम मलिक, सविता मलिक, मीनी मलिक, गीता, कमलेश, राजवंती, बिमला तथा अंग्रेजो ने बताया कि किसान अधिक उत्पादन की चाह में फसलों में बेहता रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं। फसल में अधिक उर्वरकों के प्रयोग से खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है। महिलाओं ने बताया कि अधिकतर किसानों को तो कीट तथा बीमारियों के बीच के अंतर के बारे में ही जानकारी नहीं है और जानकारी के अभाव में किसान भय व भ्रम के जाल में फंसकर बेजुबान कीटों की हत्या कर रहे हैं। इससे हमारे पर्यावरण के साथ-साथ हमारा खान-पान भी जहरीला होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर किसानों को भय व भ्रम के इस चक्रव्यूह से बाहर निकलना है तो उन्हें कीट ज्ञान का सहारा लेना होगा। कीटों की मास्टरनियों की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा भी विशेष सहयोग दिया जाएगा।

जहरमुक्त खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए विभाग ने तैयार की योजना

निडाना, निडानी तथा ललीतखेड़ा गांव की महिलाएं कीट ज्ञान के बूते पिछले 2-3 वर्षों से अच्छा उत्पादन ले रही हैं। इन महिला किसानों द्वारा अपनी फसलों में एक छटांक भी जहर का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इन महिलाओं की सफलता को देखते हुए कृषि विभाग ने इस मुहिम को पूरे जिले तथा जिले से बाहर फैलाने के लिए योजना तैयार की है। विभाग द्वारा आस-पास के गांवों में महिलाओं की पाठशालाएं लगवाई जाएंगी और उन पाठशालाओं में निडाना, निडानी तथा ललीतखेड़ा की महिलाओं को पढ़ाने के लिए भेजा जाएगा। इस सप्ताह से रधाना गांव में महिला पाठशाल का शुभारंभ किया जा रहा है। यहां पर महिलाओं को तकनीकी ज्ञान देने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी भी लगाई जाएगी। 
डा. रामप्रताप सिहाग, उप-निदेशक
 कृषि विभाग, जींद




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