कीटों की मास्टरनियों ने अनोखे ढंग से मनाया तीज का त्यौहार
खेतों में पहुंचकर कीटों को झुलाया झूला और कीटों पर आधारित गीत गाए
नरेंद्र कुंडू
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जींद। एक तरफ जहां शुक्रवार को प्रदेशभर में तीज का पर्व परंपरागत रीति-रिवाज के साथ मनाया गया, वहीं दूसरी तरफ कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम से जुड़ी ललीतखेड़ा, निडाना, निडानी की विरांगनाओं ने तीज के पर्व को एक अनोखे ढंग से मना। कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम से जुड़ी इन विरांगनाओं ने तीज पर्व के पावन अवसर पर खेतों में जाकर पेड़ों पर झूल डाली तथा वहां फसल में मौजूद कीटों को झूला झुलाया और कीटों के जीवन चक्र पर तैयार किए गए गीत गाए। झूला झूलाने की शुरूआत महिलाओं ने हथजोड़े नामक मांसाहारी कीट को झूला झुलाकर की। कीटों की मास्टरनियों ने एक अनोखे ढंग से तीज का पर्व मनाकर किसानों को जहर मुक्त खेती के लिए प्रेरित कर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।
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सहारा है, जमीदार का खेत खा लिया तमनै आकै बचाना सै' आदि गीत सुनाए। महिला किसान सुनीता, अनिता, मीनी, अंग्रेजो, राजवंती, बिमला, यशवंती, पूजा, गीता, कमलेश ने बताया कि तीज का त्यौहार सावन के महीने में आता है। इस त्यौहार का हरियाणा की संस्कृति में विशेष महत्व है। यह त्यौहार सीधे-सीधे हरियाली का प्रतिक है और पर्यावरण के साथ हरियाली का विशेष संबंध है लेकिन आज फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग होने के कारण हमारा पर्यावरण दूषित हो रहा है। पर्यावरण दूषित होने के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। मनुष्य लगातार गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहा है। उन्होंने बताया कि किसान अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर तथा अज्ञानता के कारण इस कीटनाशक रूपी दलदल में फंसा हुआ है। किसान अपनी अज्ञानता के कारण ही बेजुबान कीटों को मार रहा है। जबकि खेती में कीटों का विशेष महत्व होता है। महिलाओं ने बताया कि त्यौहार एक तरह से खुशियों का प्रतिक होता है लेकिन आज मनुष्य के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आने और पर्यावरण दूषित होने के कारण मनुष्य की यह खुशियां भी बिखरती जा रही हैं। अगर हमें अपनी खुशियां बरकरार रखनी हैं और अपने त्यौहारों की परम्परा को बचाए रखना है तो हमें सबसे पहले अपने पर्यावरण को बचाना होगा लेकिन यह तभी संभव है जब हम सभी मिलकर कीट ज्ञान हासिल कर जहरमुक्त
खेती की तरफ अपने कदम बढ़ाएंगे। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे वर्षों से कीटों के साथ चली आ रही इस अंतहीन लड़ाई को खत्म कर कीटों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएं। क्योंकि बिना कीट ज्ञान के जहरमुक्त खेती संभव नहीं है। निडाना, निडानी और ललीतखेड़ा की महिलाओं ने एक अनोखे ढंग से तीज का पर्व मनाकर किसानों को पर्यावरण को बचाने के लिए जहरमुक्त खेती का संदेश दिया।
खेती की तरफ अपने कदम बढ़ाएंगे। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे वर्षों से कीटों के साथ चली आ रही इस अंतहीन लड़ाई को खत्म कर कीटों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएं। क्योंकि बिना कीट ज्ञान के जहरमुक्त खेती संभव नहीं है। निडाना, निडानी और ललीतखेड़ा की महिलाओं ने एक अनोखे ढंग से तीज का पर्व मनाकर किसानों को पर्यावरण को बचाने के लिए जहरमुक्त खेती का संदेश दिया।
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