रविवार, 3 अगस्त 2014

कीटाचार्य महिलाएं निभा रही हैं चिकित्सक व कृषि वैज्ञानिक की भूमिका


जींद के श्रीराम विद्या मंदिर व निडाना के डेफोडिल्स पब्लिक स्कूल के विधार्थियों ने भी किया पाठशाला का भ्रमण

विधालयों ने समझा पौधे और कीटों के आपसी रिश्ते का अर्थ

नरेंद्र कुंडू
जींद।
सामान्य अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजेश भोला ने कहा कि कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़ी महिलाएं एक तरह से चिकित्सक व कृषि वैज्ञानिक दोनों की भूमिका निभा रही हैं। क्योंकि एक कीट वैज्ञानिक की तरह कीटों पर शोध करने के साथ-साथ थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए पिछले कई वर्षों से लगातार किसानों को जहरमुक्त खेती के लिए जागरूक करने का काम भी कर रही हैं। डॉ. भोला शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा निडाना गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने पहुंचे थे। इस अवसर पर पाठशाला में डेफोडिल्स स्कूल की प्राचार्या विजय गिल तथा अखिल भारतीय पर्यावरण एवं स्वास्थ्य मिशन से सुनील कंडेला भी विशेष तौर पर पाठशाला में मौजूद रहे। पाठशाला में शनिवार को डेफोडिल्स पब्लिक स्कूल के साथ-साथ जींद से श्रीराम विद्या मंदिर स्कूल के विद्यार्थी भी कीट ज्ञान अर्जित करने के लिए पहुंचे थे। बच्चों ने बड़ी ही रुचि के साथ पाठशाला में कीटों के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी जुटाई। मास्टर ट्रेनर महिला किसानों ने बच्चों के सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया। विद्यार्थी कीटों के बारे में इतनी बारीकी से जानकारी हासिल कर काफी उत्साहित नजर आ रहे थे। पाठशाला के समापन पर सभी अतिथिगणों को अमर उजाला फाउंडेशन की तरफ से स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
पाठशाला में मौजूद विद्यार्थी और महिलाएं।

पिछले सप्ताह की बजाय कम हुई सफेद मक्खी, हरेतेले व चूरड़े की संख्या

फसल का अवलोकन करने के बाद महिला किसानों ने बताया कि पिछले सप्ताह की बजाय इस सप्ताह फसल में सफेद मक्खी, हरे तेले और चूरड़े की संख्या फसल में कम हुई है। इसका कारण यह है कि इस बार इन रस चूसक कीटों को खाने वाले मांसाहारी कीट फसल में काफी हैं। इस समय फसल में इरो नामक मांसाहारी कीट भी आया हुआ है। यह कीट परपेटिया है और सफेद मक्खी के बच्चे के पेट में अपने अंड़े देता है। इरो नामक यह परपेटिया कीट अकेला ही 30 से 40 प्रतिशत सफेद मक्खी को नियंत्रित कर लेता है। वहीं क्राइसोपे का बच्चा भी एक दिन में 100 के लगभग सफेद मक्खी का काम तमाम कर देता है। इनो नामक कीट भी 10 से 15 प्रतिशत सफेद मक्खी को अकेले ही नियंत्रित कर लेती है। महिला किसानों ने बताया कि इस बार उन्होंने एक नए किस्म के कीट के अंड़े भी फसल में देखने को मिले हैं। यह अंड़े किस कीट हैं इसका पता लगाने के लिए इन अंड़ों पर शोध किया जाएगा।

अमर उजाला फाउंडेशन ने शुरू की नई पहल

अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा चलाई जा रही महिला किसान खेत पाठशाला में फाउंडेशन की तरफ से १० मास्टर ट्रेनर महिला किसानों को मानदेय दिया गया। मानदेय पाकर महिला किसान काफी खुश नजर आ रही थी। मास्टर ट्रेनर मीनी मलिक, गीता, बिमला, कमलेश, राजवंती, शीला, ईशवंती, अनिता, शांति, सुषमा ने कहा कि पिछले लगभग चार वर्षों से वह अपनी जेब से पैसे खर्च कर पाठशालाएं चला रही हैं लेकिन अमर उजाला फाउंडेशन ने उन्हें मानदेय देकर उनका मान-सम्मान बढ़ाया है और एक नई पहल शुरू की है।

पाठशाला से मिली पौधों और कीट के आपसी रिश्ते की जानकारी

कीटों के बारे में जानकारी हासिल करते विद्यार्थी।
जींद के श्रीराम विद्या मंदिर स्कूल के विद्यार्थी मनप्रीत, नवीन, अजय, शुकर्ण, शुभम, ऋषिता, महक, भावना, ईशिका व प्रेक्षा ने बताया कि वह शहर में ही रहते हैं और उनके अभिभावक शहर में ही नौकरी व अपना व्यवसाय करते हैं। इसलिए उन्हें फसल व कीटों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन्होंने पहली बार खेत में जाकर इतनी नजदीक से फसल व कीटों के आपसी रिश्ते के बारे में समझने का अवसर मिला है। यहां आकर उन्हें यह पता चला है कि पौधे किस तरह से अपनी सुरक्षा के लिए समय-समय पर भिन्न-भिन्न किस्म की सुगंध छोड़कर कीटों को बुलाते हैं। यह पाठशाला उनके लिए काफी ज्ञानवर्धक रही है। 
मुख्यातिथि डॉ. राजेश भोला को स्मृति चिह्न भेंट करती महिला किसान।


महिला किसानों को अमर उजाला की तरफ से मानदेय भेंट करते एडीओ डॉ. कमल सैनी।

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