शनिवार, 16 नवंबर 2013

माइलार्ड आम जनता के लिए खुलवा दिए गए हैं अस्पताल के टायलट !

सिविल सर्जन की तरफ से अदालत टायलट के ताले खुलवाने के ब्यान दर्ज करवाए लेकिन दिनभर टायलट पर लटके रहे ताले

स्थायी लोक अदालत में डी.सी. तथा सिविल सर्जन की तरफ से दर्ज करवाए गलत ब्यान 

नरेंद्र कुंडू
जींद। माइलार्ड आम जनता के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में बने टायलट के ताले खुलवा दिए गए हैं और भविष्य में सामान्य अस्पताल प्रशासन द्वारा इसके अच्छे से रखरखाव के इंतजाम भी किए जाएंगे। यह ब्यान शुक्रवार को स्थायी लोक अदालत में सामान्य अस्पताल में बने सार्वजनिक टायलट पर ताले लगाए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान उपायुक्त तथा सिविल सर्जन की तरफ से दर्ज करवाए गए लेकिन हकीकत कुछ ओर ही थी। स्थायी लोक अदालत में सार्वजनिक टायलट के ताले खोल दिए जाने का ब्यान दर्ज करवाया गया लेकिन वास्तव में शुक्रवार को भी सामान्य अस्पताल में बने सार्वजनिक टायलट पर ताले लटके हुए थे। इन तालों को खोलने के लिए शुक्रवार को सामान्य अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई लेकिन स्थायी लोक अदालत में सिविल सर्जन की तरफ से गलत ब्यान दर्ज करवाकर अदालत को गुमराह करने का काम जरूर किया गया है। 
गौरतलब है कि डी.आर.डी.ए. ने संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत 11 लाख रूपए की राशि से जींद नगर परिषद के माध्यम से सामान्य अस्पताल में आधुनिक टायलट काम्पलैक्स के निर्माण की योजना बनाई थी। योजना के तहत खुद जींद के डी.सी. ने सामान्य अस्पताल में गोहाना रोड की तरफ की साइट को आधुनिक टायलट काम्पलैक्स के लिए चुना था। गोहाना रोड की तरफ सामान्य अस्पताल में आधुनिक टायलट काम्पलैक्स इसलिए बनाया गया था ताकि राह चलते आम लोग इस टायलट का इस्तेमाल कर सकें। साल 2011 में 11 लाख रूपए की लागत से सामान्य अस्पताल में गोहाना रोड की तरफ आधुनिक टायलट काम्पलैक्स बनकर तैयार हो गया लेकिन आज तक इसका इस्तेमाल शुरू नहीं हो पाया है। इसके निर्माण का कार्य पूरा होने के साथ ही इस पर ताला जड़ दिया गया था और यह ताला आज तक नहीं खुल पाया है। नतीजा यह है कि जिस मकसद से सरकार ने 11 लाख रूपए की राशि सामान्य अस्पताल के टायलट काम्पलैक्स के निर्माण पर खर्च की थी, उस मकसद पर सामान्य अस्पताल प्रशासन की ढील ने पानी फेर दिया है। नगर परिषद के अधिकारियों ने सामान्य अस्पताल में टायलट काम्पलैक्स का निर्माण पूरा करने के बाद सामान्य अस्पताल प्रशासन को इसे हैंडओवर कर दिया था लेकिन सामान्य अस्पताल प्रशासन इसे इस्तेमाल करने में रूचि नहीं दिखा रहा। इस मामले में सामान्य अस्पताल प्रशासन टायलट काम्पलैक्स को अपने लिए बोझ मान रहा है। 
 जींद के सामान्य अस्पताल में बने सार्वजनिक शौचालय पर शुक्रवार को भी लटके ताले।

एडवोकेट विनोद बंसल ने स्थायी लोक अदालत में दायर की थी याचिका

युवा एडवोकेट विनोद बंसल ने 25 अक्तूबर 2013 को जींद की जन उपयोगी सेवाओं की स्थाई लोक अदालत में याचिका दायर कर जींद के सामान्य अस्पताल में 11 लाख रूपए की लागत से साल 2011 में बने इस सार्वजनिक टायलट का ताला खुलवाने की गुहार लगाई थी। याचिका में विनोद बंसल ने कहा है कि टायलट का ताला नहीं खुलने से लोगों और खासकर महिलाओं का भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर किया जा रहा है। इससे अस्पताल में गंदगी फैल रही है। विनोद बंसल ने याचिका में उपायुक्त और सिविल सर्जन को पार्टी बनाते हुए अदालत से गुहार लगाई थी कि वह इन दोनों को अस्पताल परिसर में बने सार्वजनिक टायलट पर जड़े गए ताले को खोलने के आदेश जारी करे। शुक्रवार के स्थायी लोक अदालत में इसी मामले की सुनवाई के दौरान उपायुक्त तथा सिविल सर्जन की तरफ से ब्यान दर्ज करवाए गए कि आम जनता के लिए जींद के सामान्य अस्पताल में बने टायलट के ताले खुलवा दिए गए हैं और भविष्य में सामान्य अस्पताल प्रशासन द्वारा इसके अच्छे से रखरखाव के इंतजाम भी किए जाएंगे लेकिन हकीकत में शुक्रवार को भी जींद के सामान्य अस्पताल में बने टायलट पर ताले ज्यों की त्यों लटक रहे थे। 

सामान्य अस्पताल के टायलट इस्तेमाल लायक नहीं

जींद के सामान्य अस्पताल के अंदर बने टायलट इस्तेमाल के लायक नहीं हैं। इनमें हर समय गंदगी रहती है। पानी अपने आप चलता रहता है। आम आदमी अस्पताल के टायलट का इस्तेमाल करने से परहेज करता है। लोग अस्पताल परिसर में ही खुले में लघु शंका और कई बार तो शौच के लिए जाते देखे जा सकते हैं। ऐसे में अगर अस्पताल परिसर में बने आधुनिक टायलट काम्पलैक्स पर 2 साल से लटका ताला खुल जाए तो लोगों को काफी सुविधा होगी। इससे अस्पताल में दाखिल मरीजों के परिजनों के साथ-साथ राह चलते लोगों को भी सुविधा होगी। 

आम जन की परेशानी को देखते हुए स्थायी लोक अदालत का खटखटाया था दरवाजा

आम लोगों की परेशानी को देखते हुए उन्होंने स्थायी लोक अदालत में सामान्य अस्पताल में बने सार्वजनिक शौचालय पर ताले लटकाए जाने के मामले को उठाया था। शुक्रवार को स्थायी लोक अदालत में इसी मामले की सुनवाई थी। सुनवाई के दौरान उपायुक्त तथा सिविल सर्जन की तरफ से सामान्य अस्पताल प्रशासन में बने सार्वजनिक टायलट के ताले खुलवाने का ब्यान दर्ज करवाए हैं। 
विनोद बंसल
एडवोकेट, जींद

ताले खुलवाए जाने के ब्यान करवाए गए हैं दर्ज

शुक्रवार को स्थायी लोक अदालत में सामान्य अस्पताल में बने सार्वजनिक शौचालय पर लगे ताले की मामले की सुनवाई के दौरान उपायुक्त तथा सिविल सर्जन की तरफ से शौचालय के ताले खुलवाए जाने के ब्यान दर्ज करवाए गए हैं। 
विकास देशवाल
एडवोकेट, जींद

शनिवार को खुलवा दिए जाएंगे ताले

आज वह छुट्टी पर हैं। इस कारण आज अस्पताल में बने टायलट का ताला नहीं खुल पाया है। शनिवार से वह टायलट के ताले खुलवाकर भविष्य में इसके रखरखाव के लिए एक सफाई कर्मचारी की यहां पर नियमित रूप से ड्यूटी लगा देंगे। 
डा. धनकुमार, सिविल सर्जन
सामान्य अस्पताल, जींद 


देशभर के कृषि वैज्ञानिकों को कीट ज्ञान की मुहिम से रू-ब-रू करवाएंगे म्हारे किसान

कीट कमांडों किसानों का 8 सदस्यीय दल राष्ट्रीय सैमीनार में भाग लेने के लिए रवाना

नरेंद्र कुंडू 
जींद। जींद जिले से शुरू हुई थाली को जहर मुक्त बनाने की मुहिम को देशभर में फैलाने के लिए वीरवार को जींद के कीट कमांडों किसानों का 8 सदस्यीय दल कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी के नेतृत्व में उत्तराखंड के पंतनगर के लिए रवाना हुआ। जींद जिले के यह कीट कमांडो किसान पंतनगर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 2 दिवसीय राष्ट्रीय सैमीनार में मौजूद देशभर के कृषि वैज्ञानिकों को अपने अनुभव से रू-ब-रू करवाएंगे। खाप पंचायत की तरफ से किसानों की इस मुहिम की वकालत करने के लिए बराह तपा बारहा के प्रधान कुलदीप ढांडा भी इस दल के साथ गए हैं।
फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे कीटनाशकों के कारण बेमौत मर रहे बेजुबान कीट और दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को देखते हुए कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेंद्र दलाल ने जींद जिले के किसानों के साथ मिलकर वर्ष 2008 में कीट ज्ञान की अलख जगाई थी। यह किसान पिछले 5 वर्षों से जींद जिले के साथ-साथ प्रदेश तथा आस-पास के प्रदेशों के किसानों को भी कीट ज्ञान की तालीम दे रहे हैं। इसी के चलते इन किसानों को यहां के लोग कीट कमांडों किसानों के नाम से जानते हैं। कीट कमांडों किसानों का कहना है कि कीटों को न तो काबू करने की जरूरत है और न ही नियंत्रित करने की। अगर जरूरत है तो बस कीटों को पहचानने और इनके क्रियाकलापों को जानने की। कीट कमांडों किसान रणबीर मलिक, मनबीर रेढ़ू, सुरेश, जयभगवान, सुरेश, रमेश, बलवान इत्यादि का कहना है कि कीट ही कीटों को नियंत्रण करने में सबसे बड़ा हथियार हैं। इसलिए इनको काबू करने के लिए किसी भी प्रकार के कीटनाशक की जरूरत नहीं है। कीट कमांडों किसानों द्वारा कीटों पर किए गए अनोखे प्रयोग को देखते हुए दूसरे प्रदेश के किसानों के साथ-साथ कई कृषि वैज्ञानिक भी जींद का दौरा कर चुके हैं तथा इन किसानों के इस शोध पर अपनी सहमती की मोहर लगा चुके हैं। इन किसानों की इस अनोखी मुहिम को देखते हुए अब उत्तराखंड के पंतनगर स्थित कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से इन किसानों को बुलावा भेजा गया है। पंतनगर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में 15 व 16 नवम्बर को आयोजित 2 दिवसीय राष्ट्रीय सैमीनार में देशभर के कृषि वैज्ञानिक भाग लेंगे। इस सैमीनार में यह कीट कमांडों कृषि वैज्ञानिकों के साथ अपने अनुभव सांझा करते हुए कीटों पर किए गए इस अनोखे प्रयोग से कृषि वैज्ञानिकों को रू-ब-रू करवाएंगे, ताकि देशभर के किसानों को जागरूक कर थाली को जहरमुक्त बनाने की इस मुहिम को शिखर तक पहुंचाया जा सके। वीरवार को जींद से रवाना हुए कीट कमांडों के इस दल का नेतृत्व कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी कर रहे हैं। प्रदेशभर की खाप पंचायतों द्वारा भी किसानों की इस मुहिम को काफी करीब से देखा तथा समझा गया है। इसलिए खापों की तरफ से इस मुहिम की वकालत करने के लिए बराह तपा बारहा के प्रधान कुलदीप ढांडा भी इस टीम के साथ गए हैं। ताकि खाप पंचायत भी जनहित की इस मुहिम में अपना योगदान दर्ज करवा सकें।