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जगदीशचंद्र बसु – विज्ञान के आकाश में भारतीय पुरोधा

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' पेड़   पौधों   में   भी   जीवन   होता   है   और   उनमें भी   अनुभूतियाँ   होती   है ' इस बात को वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध कर दुनियां को चौकाने वाले   वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु का आज जन्म दिवस है. इनका जन्म 30 नवंबर 1858 को मेमनसिंह गाँव,बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था. बसु जी प्रसिद्ध भौतिकवादी तथा पादपक्रिया वैज्ञानिक कहे जाते थे. बसु जी बचपन से ही बहुत विद्वान् और किसी न किसी क्षेत्र में रिसर्च करते रहते. जगदीश चंद्र बसु  ने कई महान ग्रंथ भी लिखे हैं, जिनमें से कुछ निम्न है - सजीव तथा निर्जीव की अभिक्रियाएँ ,वनस्पतियों की अभिक्रिया, पौधों की प्रेरक यांत्रिकी इत्यादि.  जगदीश चंद्र बसु ने सिद्ध किया कि चेतना केवल मनुष्यों और पशुओं, पक्षियों तक ही सीमित नहीं है, अपितु वह वृक्षों और निर्जीव पदार्थों में भी समाहित है. उन्होंने कहा कि निर्जीव व सजीव दोनों सापेक्ष हैं. उनमें अंतर केवल इतना है कि धातुएं थोड़ी कम संवेदनशील होती हैं. इनमें डिग्री का अंतर है परंतु चेतना सब में है. सर जगदीश चंद्र  सबसे प्रमुख पहले भारतीय वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने प्रयोग करके साबित किया कि ज

ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में अंतर

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भारत में प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों का बहुत महत्व रहा है। ऋषि मुनि समाज के पथ प्रदर्शक माने जाते थे और वे अपने ज्ञान और साधना से हमेशा ही लोगों और समाज का कल्याण करते आए हैं। आज भी वनों में या किसी तीर्थ स्थल पर हमें कई साधु देखने को मिल जाते हैं। धर्म-कर्म में हमेशा लीन रहने वाले इस समाज के लोगों को ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी आदि नामों से पुकारते हैं। ये हमेशा तपस्या, साधना, मनन के द्वारा अपने ज्ञान को परिमार्जित करते हैं। ये प्राय: भौतिक सुखों का त्याग करते हैं हालांकि कुछ ऋषियों ने गृहस्थ जीवन भी बिताया है। आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में कौन होते हैं और इनमे क्या अंतर है? ऋषि कौन होते हैं भारत हमेशा से ही ऋषियों का देश रहा है। हमारे समाज में ऋषि परंपरा का विशेष महत्व रहा है। आज भी हमारे समाज और परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज माने जाते हैं। ऋषि वैदिक परंपरा से लिया गया शब्द है जिसे श्रुति ग्रंथों को दर्शन करने वाले लोगों के लिए प्रयोग किया गया है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है वैसे व्यक्ति जो अपने विशिष्ट और विलक्षण एकाग्रता के बल पर वैदिक पर

खेलों के क्षेत्र में सोने की खान बनता हरियाणा

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नरेंद्र कुंडू  'देशां म देश हरियाणा, जित दूध-दही का खाना यह हरियाणा के दूध-दही का ही कमाल है कि जो यहां के खिलाड़ी खेलों के क्षेत्र में विश्व पटल पर भारत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख रहे हैं। खेल का मैदान हो या युद्ध का क्षेत्र हरियाणा के युवा हर जगह अपना परचम लहरा रहे हैं। आज खेलों के क्षेत्र में हरियाणा की एक अलग पहचान है। हरियाणा की माटी से निकले खिलाड़ी देश के लिए गोल्ड मैडल ला रहे हैं। हरियाणा अब खेलों का हब बन चुका है। कुश्ती का अखाड़ा हो चाहे कबड्डी का मैदान या फिर एथेलेटिक्स का ट्रैक हर क्षेत्र में हरियाणा के खिलाडिय़ों का दबदबा है। कुश्ती के अखाड़े में तो हरियाणा के पहलवानों का कोई तोड़ नहीं है। इसी प्रकार बॉक्सिंग के रिंग में भी हरियाणा के खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्डन पंच लगा रहे हैं। खेलों के क्षेत्र में हरियाणा का नाम आज अग्रीम पंक्ति में है।   भारत के कुल क्षेत्रफल का केवल 1.4 प्रतिशत और देश की 2.1 प्रतिशत से कम आबादी के साथ भौगोलिक क्षेत्र के मामले में 22वें स्थान पर होने के बावजूद हरियाणा खेलों के क्षेत्र में नंबर वन राज्य के रूप में उभरा है

भारतीय वैवाहिक व्यवस्था विश्व की सर्वश्रेष्ठ वैवाहिक व्यवस्था क्यों है

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- डॉ उमेश प्रताप वत्स भारतीय समाज में विवाह संबंधों को प्राण से भी बढ़कर महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के अन्य देशों के लोग यह जानकर आश्चर्य चकित हो जाते हैं कि भारत के लोग किस तरह एक ही साथी के साथ पूरा जीवन गुजार देते हैं तभी तो यहाँ साथी को जीवन साथी कहकर बुलाया जाता है।  यदि भावना से अलग होकर आकलन किया जाये तो सामाजिक जीवन में वैवाहिक परम्परा दो ज्ञात-अज्ञात महिला-पुरुष को इतने निकट संबंध में लेकर आता है कि बाकि सब संबंध गौण हो जाते हैं। यद्यपि माता-पिता, भाई-बहन व पुत्र-पुत्रियों का भी प्रगाढ़ अटूट संबंध है जिनका महत्व कदापि कम नहीं हो सकता और ये संबंध रक्त के साथ-साथ भावनात्मक भी है तथापि रचनात्मक रूप से विचारे तो मात-पिता का झुकाव अन्य बच्चों की ओर भी हो सकता है। भाई-बहन विवाह उपरांत अपने परिवार में ध्यान देने लगते हैं और बच्चें अपना परिवार होने पर व्यस्त हो जाते हैं। बस! एक पत्नी अथवा पति ही मरते दम तक गाड़ी के दो पहिये की तरह एक साथ मिलकर चलते हुए अपने जीवन की गाड़ी को अपने सपनों की दुनिया में ले जाने का अथक, अविराम निरंतर प्रयास करते ही रहते हैं। हिन्दुस्थान की वैवाहिक परम्प