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भारतीय वैवाहिक व्यवस्था विश्व की सर्वश्रेष्ठ वैवाहिक व्यवस्था क्यों है

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- डॉ उमेश प्रताप वत्स भारतीय समाज में विवाह संबंधों को प्राण से भी बढ़कर महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के अन्य देशों के लोग यह जानकर आश्चर्य चकित हो जाते हैं कि भारत के लोग किस तरह एक ही साथी के साथ पूरा जीवन गुजार देते हैं तभी तो यहाँ साथी को जीवन साथी कहकर बुलाया जाता है।  यदि भावना से अलग होकर आकलन किया जाये तो सामाजिक जीवन में वैवाहिक परम्परा दो ज्ञात-अज्ञात महिला-पुरुष को इतने निकट संबंध में लेकर आता है कि बाकि सब संबंध गौण हो जाते हैं। यद्यपि माता-पिता, भाई-बहन व पुत्र-पुत्रियों का भी प्रगाढ़ अटूट संबंध है जिनका महत्व कदापि कम नहीं हो सकता और ये संबंध रक्त के साथ-साथ भावनात्मक भी है तथापि रचनात्मक रूप से विचारे तो मात-पिता का झुकाव अन्य बच्चों की ओर भी हो सकता है। भाई-बहन विवाह उपरांत अपने परिवार में ध्यान देने लगते हैं और बच्चें अपना परिवार होने पर व्यस्त हो जाते हैं। बस! एक पत्नी अथवा पति ही मरते दम तक गाड़ी के दो पहिये की तरह एक साथ मिलकर चलते हुए अपने जीवन की गाड़ी को अपने सपनों की दुनिया में ले जाने का अथक, अविराम निरंतर प्रयास करते ही रहते हैं। हिन्दुस्थान की वैवाहिक प...