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अब विदेशों में भी जलेगी कीट ज्ञान की मशाल

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दूरदर्शन की टीम ने शूटिंग को दिया अंतिम रूप, 165 देशों में होगा प्रशारण नरेंद्र कुंडू जींद। बेजुबान कीटों को बचाने के लिए जिले के निडाना गांव की धरती से उठी आवाज अब विदेशों में भी गुंजेगी। किसानों की आवाज को दूसरे देशों तक पहुंचाने में दिल्ली दूरदर्शन की टीम इनका माध्यम बनी है। दिल्ली दूरदर्शन की टीम अपने कृषि दर्शन कार्यक्रम की रिकार्डिंग के लिए मंगलवार को निडाना गांव के किसानों के बीच पहुंची थी। टीम ने मंगलवार को निडाना गांव में किसान खेत पाठशाला तथा बुधवार को ललीतखेड़ा की महिला किसान खेत पाठशाला की गतिविधियों को कैमरे में शूट किया। बुधवार को हुई बूंदाबांदी के बीच भी कार्यक्रम की शूटिंग चली और ललीतखेड़ा की महिला किसान खेत पाठशाला में शूटिंग को अंतिम रुप देकर टीम अपने गंतव्य की तरफ रवाना हो गई। दिल्ली दूरदर्शन द्वारा 4 सितंबर को सुबह 6.30 बजे कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा और यह कार्यक्रम 165 देशों में प्रसारित होगा। निडाना गांव के किसानों द्वारा जलाई गई कीट ज्ञान की मशाल अब देश ही नहीं बल्कि विदेश के किसानों की राह का अंधेरा दूर कर उन्हें एक नया रास्ता दिखाएगी। इस रोशनी को विदेशो

भय व भ्रम की भूल भूलैया से बाहर निकलने के लिए कीट ज्ञान ही एकमात्र द्वार

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खाप पंचायत की 10वीं बैठक में मौजूद खाप प्रतिनिधियों ने किसान-कीट विवाद पर किया मंथन नरेंद्र कुंडू जींद। हमारे बुजुर्गों से हमें जो मिला है, क्या वह सब कुछ हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को दे पाएंगे? आज यह सवाल हमारे सामने एक चुनौति बनकर खड़ा है। अगर फसलों में पेस्टीसाइड का प्रयोग इसी तरह बढ़ता रहा तो हम आने वाली अपनी पुस्तों को बंजर जमीन व दूषित पानी के साथ-साथ कई प्रकार की लाइलाज बीमारियां पैतृक संपत्ति के तौर पर देकर जाएंगे। देश में बीटी के प्रचलन से पहले किसान के पास देसी कपास की 34 किस्में होती थी। लेकिन 2002 में बीटी के प्रचलन के बाद से अब तक इन 10 वर्षों में हमे अपनी देसी कपास की इन 34 किस्मों को खो चुके हैं। जो भविष्य में हमारे सामने आने वाली एक भयंकर मुसिबत की आहट है। यह बात अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने मंगलवार को निडाना गांव के खेतों में किसान खेत पाठशाला के दौरान पंचायत में किसान-कीट विवाद की सुनवाई के दौरान कही। पंचायत की अध्यक्षता बरहा कलां बारहा के प्रधान एवं सर्व खाप महापंचायत के संचालक कुलदीप ढांडा ने की। इस अवसर पर पंचायत में अखिल भारतीय

दूरदर्शन पर अपने अनुभव बांटेंगे निडाना व ललीतखेड़ा के किसान

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सूचना एवं प्रौद्योगीकी के क्षेत्र में पिछड़े क्षेत्रों के किसानों को मिलेगा लाभ  नरेंद्र कुंडू जींद। निडाना व ललीतखेड़ा गांव के किसान अब देश के अन्य क्षेत्रों में बैठे किसानों को खेती-किसानी के गुर सिखाएंगे। ये किसान टीवी के माध्यम से अन्य किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा कर उन्हें कीट प्रबंधन के लिए प्रेरित कर बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए अधिक उत्पादन लेने के टिप्स देंगे। इनके इस काम में निडाना व ललीतखेड़ा की कीट मित्र महिला किसान भी इनका पूरा सहयोग करेंगी। किसानों की इस मुहिम को देश के दूर-दराज क्षेत्र के किसानों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली दूरदर्शन की टीम ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है। कार्यक्रम की कवरेज के लिए दिल्ली दूरदर्शन की एक टीम मंगलवार को निडाना पहुंचेगी। यह टीम अपने कृषि दर्शन कार्यक्रम के लिए दो दिनों तक निडाना व ललीतखेड़ा के खेतों में जाकर किसानों के अनुभव व उनकी गतिविधियों के शाट अपने कैमरे में कैद करेगी। दूरदर्शन की इस पहल से सूचना एवं प्रौद्योगीकी के क्षेत्र में पिछड़े हुए क्षेत्रों के किसानों को काफी लाभ मिलेगा। कीट प्रबंधन के क्षेत्र में माहरत हासिल कर चुके निडाना व ललीतखे

सुलभ, सस्ता व जल्दी न्याय के लिए ओल्ड इज गोल्ड हैं उत्तर भारत की खाप पंचायतें

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खाप पंचायतों का  तालिबानी से एक अलग रूप    नरेंद्र कुंडू जींद। खापों का प्रचलन उत्तर भारत में लंबे समय से रहा है। लोगों के छोटे-मोटे आपसी विवाद निपटाने के लिए ग्राम समूह का अस्तित्व किसी से छिपा नहीं है। खाप पंचायतों का ढांचा लगभग 1350 साल से भी पुराना है। जनतांत्रिक प्रणाली को आधार मानकर 643 ई. में महाराजा हर्षवर्धन ने अपने शासनकाल में सर्वखाप पंचायत की स्थापना की थी। लेकिन इससे पहले भी आदि काल से ही पंचायतें समाज विकास के लिए किसी न किसी रूप में चली आ रही हैं। खाप पंचायतों ने अपने असल स्वरूप में कभी कोई स्थाई नेतृत्व धारण नहीं किया। यह तो वर्तमान में ही पनपा एक नया रोग है। खाप पंचायतों में नेतृत्व या किसी पद के लिए कोई चुनाव नहीं होता। रोजमर्रा के विवादों को निपटाने में अपनी क्षमता व प्रतिभाओं के बुते कुछ गणमान्य लोग समाज में उभर कर आते थे, जिनकी उपस्थिति विवाद निपटाने में जरुरी होती थी और ये लोग भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर संबंधित पार्टी के द्वारा पर ही मुफ्त में उसके विवाद का निपटारा कर देते हैं। जिससे लोगों का पुलिस थाने, कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने से वक्त जाया होने से बच जाता ह

जहर से लड़ने के लिए तैयार हो रही महिलाओं की फौज

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कीटनाशकों से लड़ने के लिए कीटों को बनाया अचूक हथियार नरेंद्र कुंडू जींद। लोगों की थाली से जहर कम करने के लिए चलाए गए कीटनाशक रहित खेती के इस अभियान को शिखर पर पहुंचाने के लिए निडाना व ललीतखेड़ा की महिलाएं जी-जान से जुटी हुई हैं। इस अभियान की जड़ें गहरी करने तथा अधिक से अधिक गांवों तक इस मुहिम को पहुंचाने के लिए इन महिला किसानों द्वारा अन्य महिलाओं को भी मास्टर ट्रेनर ते तौर पर ट्रेंड किया जा रहा है। इन महिलाओं द्वारा ललीतखेड़ा गांव के खेतों में चल रही महिला किसान पाठशाला में आने वाली अन्य महिलाओं को कीटों की पहचान करवाकर इनके क्रियाकलापों की भी जानकारी दी जाती है। बुधवार को भारी बारिश के दौरान भी ये महिलाएं खेत पाठशाला में पहुंची और हाथों में छाता लेकर खेत में कीट सर्वेक्षण भी किया। महिलाओं ने पांच-पांच के 6 ग्रुप बनाए और प्रत्येक ग्रुप ने पांच-पांच पौधों से 9-9 पत्तों पर मौजूद कीटों की गिनती की। कीट सर्वेक्षण के बाद महिलाओं ने चार्ट पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की। महिलाओं द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार पूनम मलिक के कपास के इस खेत में प्रत्येक पत्ते पर सफेद मक्खी की संख्या 0.4 प

बारिश भी नहीं तोड़ पाई किसानों के बुलंद हौसले

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खाप प्रतिनिधियों ने भी किया देसी कपास की फसल का अवलोकन व निरीक्षण  12 गाँव के किसानों ने चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत किये आंकड़े  नरेंद्र कुंडू जींद। हौंसले हो बुलंद तो मंजिल अपने आप कदम चूमने लगती है, और जो अपने हौंसले को तोड़ देता है उससे मंजिल दूर होती चली जाती है, ऐसा ही मानना है गांव निडाना में चल रही खेत पाठशाला के किसानों का। सोमवार रात को हुई बारिश के बाद भी किसानों के हौंसले नहीं टूटे। खेतों में पानी भरा होने के बावजूद भी मंगलवार को किसान खेत पाठशाला के नौंवे स्तर में कीटों व किसानों के बीच चल रहे मुकद्दमें की सुनवाई के लिए खाप प्रतिनिधियों सहित किसान भी वहां पहुंचे। किसान खेत पाठशाला में खाप पंचायत की तरफ से हुड्डाा खाप के प्रधान इंद्र सिंह हुड्डा, राखी बारह के प्रधान राजबीर सिंह, जाट धमार्थ जींद सभा के प्रधान रामचंद्र पहुंचे। खाप पंचायतों के प्रतिनिधि व किसानों ने गांव निडाना निवासी जोगेंद्र के खेत में बैठकर कीट मित्र किसानों के साथ कीटों के बारे में जानकारी हासिल की। मंगलवार को नहीं हो सका सर्वेक्षण सोमवार रात को हुई तेज बारिश से खेत में गोड्यां-गोड्यां तक पानी जमा

आखिर कैसे पहुंचेगा माइनरों की टेलों पर पानी

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सिंचाई विभाग में कर्मचारियों के टोटे से पानी पर डाका नरेंद्र कुंडू जींद। मानसून की दगाबाजी के बाद सिंचाई विभाग से भी किसानों की उम्मीदें टूटने लगी हैं। नहरी पानी पर जमकर डाका डाला जा रहा है। सिंचाई विभाग में खाली पड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के पदों के कारण तो पानी चोरों के हौसलें काफी बुलंद हैं और उनको कोई रोकने वाला तक नहीं है। इसी कारण नहरी पानी चोरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। नहरी पानी को बीच में ही चुराने के कारण माइनरों की टेलों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। टेल तक पानी नहीं पहुंने के कारण किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। इससे खेतों में खड़ी किसानों की फसलें पानी के अभाव में सुख रही हैं। मानसून की दगाबाजी की मार झेल रहे किसानों को अब सिंचाई विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों के टोटे की मार भी झेलनी पड़ रही है। विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी के कारण विभाग का कामकाज प्रभावित हो रहा है। सिंचाई विभाग के जुलाना ब्लॉक में रामकली, बराडखेड़ा, जुलाना व मोहला चार सैक्शन हैं। इन चारों सैक्सनों में चार जेई व करीबन 100 बेलदारों के पद खाली पड़े हैं। इसक