सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

अब दूरदर्शन में भी सुनाई देगा जींद के किसानों का जहरमुक्त खेती का संदेश

दूरदर्शन की टीम ने किसानों के अनुभव की रिकार्डिंग के कार्यक्रम को दिया फाइनल टच

नरेंद्र कुंडू  
जींद। जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई जहरमुक्त खेती की मुहिम से देशभर के किसानों को रू-ब-रू करवाने के लिए कीटाचार्य किसानों के अनुभव को कैमरे में कैद करने के लिए जींद पहुंची दिल्ली दूरदर्शन की टीम ने राजपुरा भैण गांव के खेतों में जाकर कीटाचार्य किसानों के अनुभवों और क्रियाकलापों को शूट किया। इस दौरान किसानों ने दूरदर्शन की टीम को कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों क्रियाकलाप भी दिखाए। जींद जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई इस अनोखी मुहिम को देखकर दिल्ली दूरदर्शन की टीम भी इन किसानों की कायल हो गई। इस अवसर पर कृषि विभाग से सेवानिवृत्त एस.डी.ओ. राजपाल सुरा भी हांसी से किसानों की एक टीम के साथ यहां पहुंचे थे।
जींद जिले के किसानों द्वारा कीट ज्ञान के दम पर की जा रही जहरमुक्त खेती के चर्चे सुनकर दिल्ली दूरदर्शन की टीम प्रोड्यूशर श्रीकांत सैक्शेना के नेतृत्व में वीरवार को ललितखेड़ा गांव के खेतों में पहुंची। यहां पर टीम के सदस्यों ने महिलाओं से कीटों के बारे में विस्तार से चर्चा की और उनके क्रियाकलापों को कैमरे में कैद किया। इसके बाद टीम शनिवार को राजपुरा भैण गांव के खेतों में पहुंची और यहां कीटाचार्य किसानों से भी कीट ज्ञान पर चर्चा की। टीम के सदस्यों ने शनिवार देर सायं तक किसानों के क्रियाकलापों को सांझा करते हुए दर्जनभर से भी ज्यादा किसानों के अनुभवों को कैमरे में कैद किया। कीटाचार्य किसान रणबीर मलिक, मनबीर ईगराह, बलवान, ईंटलकलां के जयभगवान, रणधीर सिंह ने बताया कि वह पिछले 5 वर्षों से कीटनाशक रहित खेती कर रहे हैं। बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए उनकी पैदावार उन किसानों से ज्यादा आ रही है, जो कीटनाशकों का
कीटों का बही खाता तैयार करते टीम के सदस्य। 
अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह वह कम खर्च से अधिक पैदावार तो ले ही रहें हैं, साथ-साथ अपने परिवार की थाली से जहर के स्तर को कम करने का प्रयास भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह अब तक 204 किस्म के कीटों की पहचान कर चुके हैं, जिनमें 43 किस्म के शाकाहारी तथा 161 किस्म के मांसाहारी शामिल हैं। फसल में शाकाहारी कीटों की तादाद मांसाहारी कीटों से काफी कम होने के कारण मांसाहारी कीट अपने खुद ही शाकाहारी कीटों को कंट्रोल कर लेते हैं। इसलिए उन्हें फसल में कीटनाशकों के प्रयोग की जरुरत नहीं है। किसानों ने बताया कि कीटनाशकों का व्यापार भय व भ्रम के दम पर चल रहा है। पहले तो किसान को कीटों से फसल में होने वाले नुक्सान का झूठा भय दिखाया जाता है और फिर उन्हें भ्रमित कर फसलों में कीटनाशकों का इस्तेमाल करना सिखाया जाता है लेकिन जींद जिले के लगभग 2 दर्जन गांवों के किसानों ने अपना खुद का ज्ञान पैदा कर इस भय व भ्रम के जाल को तोडऩे का काम किया है। आज जींद जिले में 200 से ज्यादा पुरुष किसान और 100 से ज्यादा महिला किसान इस मुहिम के साथ जुड़ी हुई हैं। जींद जिले में एक हजार एकड़ कपास और एक हजार एकड़ के लगभग धान की ऐसी खेती की जा रही है, जिसमें एक छटांक भी कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया गया है। कीट ज्ञान के बल पर उन्होंने यह सिद्ध कर के दिखा दिया है कि कीटनाशकों के बिना खेती संभव है लेकिन कीटों के बिना खेती संभव नहीं है। सिरसाखेड़ी गांव से आए किसान कर्मबीर ने बताया कि वह भी इस वर्ष से इस मुहिम के साथ जुड़ा है और उसने इन पाठशालाओं में आकर ऐसी काफी ज्ञानवर्धक जानकारियां हासिल की हैं, जिनके बारे में एक आम किसान कभी सोच भी नहीं सकता। इस दौरान किसानों ने दूरदर्शन की टीम को कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के क्रियाकलाप भी दिखाए। बाद में टीम के सभी सदस्यों को स्मृति चिह्न भेंट कर जींद पहुंचने पर उनका आभार व्यक्त किया।
 कीटाचार्य किसानों के अनुभव शूट करते दूरदर्शन की टीम के सदस्य।


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