सरवाइकल बन रहा युवाओं का दुश्मन


नरेंद्र कुंडू                                                                   
जींद।
सावधान! अगर आप कम्प्यूटर पर ज्यादा समय बिताते हैं, आपका सोने का तरीका व बिस्तर सही नहीं है या आप एक ही अवस्था में ज्यादा देर तक टीवी देखते हो तो आप सरवाइकल का शिकार हो सकते हैं। आज सरवाइकल की बीमारी युवाओं की दुश्मन बनी हुई है। सरवाइकल की चपेट में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी आ रही है। शहर के सामान्य अस्पताल के आयुर्वैदिक पंचकर्म केंद्र पर रोजाना औसतन 15 केस सरवाइकल के पहुंच रहे हैं। पंचकर्म केंद्र पर आने वाले सरवाइकल के मरीजों में ज्यादातर युवा शामिल हैं। चिकित्सक इसके लिए ज्यादा देर तक कम्प्यूटर पर कार्य करना, टीवी देखना, सोने का तरीका व बिस्तर सही नहीं होना व डिप्रेशन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
युवाओं में इंटरनेट के बढ़ते क्रेज के कारण ज्यादा समय कम्प्यूटर पर बिताने, दिनचर्या सही न होने के कारण सरवाइकल की बीमारी दस्तक दे रही है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा इस बीमारी का शिकार हो रही है। सरवाइकल युवा पीढ़ी की दुश्मन बनी हुई है। कम्प्यूटर पर काम करते समय बैठने व काम करने का तरीका सही नहीं होने, एक ही अवस्था में लेट कर ज्यादा देर तक टीवी देखने व उपयुक्त बिस्तर न होने के कारण सरवाइकल की बीमारी अपने पैर पसार रही है। सामान्य अस्पताल के पंचकर्म केंद्र पर हर रोज 20 से 25 मरीज इलाज के लिए आते हैं। जिनमें से रोजाना औसतन 15 मरीज सरवाइकल के आते हैं। पंचकर्म के थैरेपिस्ट की मानें तो सबसे ज्यादा युवा इसका शिकार हो रहे हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं सरवाइकल के मरीज
थैरेपिस्ट की मानें तो आज सबसे ज्यादा युवा वर्ग इस बीमारी की चपेट में आ रहा है। क्योंकि आज इंटरनेट का प्रयोग काफी बढ़ गया है, जिस कारण युवा ज्यादा समय कम्प्यूटर पर बिताते हैं। कम्प्यूटर पर काम करने  व बैठने का सही तरीका न होने के कारण मासपेसियों में खींचाव बन जाता है। जिससे व्यक्ति सरवाइकल की शिकार हो जाता है। इसके अलावा एक ही अवस्था में ज्यादा देर तक टीवी देखने, रात को सोते समय ऊंचे तकीये का प्रयोग करने व डिप्रेशन के कारण युवा सरवाइकल का शिकार हो रहे हैं। सरवाइकल होने पर व्यक्ति की गर्दन में दर्द रहने लगता है। सरवाइकल होने पर व्यक्ति ज्यादा देर तक बैठकर काम नहीं कर पाता। रात को देर तक नींद नहीं आती। शरीर में बेचैनी रहती है। बिस्तर से उठने के बाद सारे शरीर में दर्द रहता है।
क्या है सरवाइकल का उपचार
सामान्य अस्पताल में चल रहे आयुर्वैदिक पंचकर्म केंद्र पर रोजाना सरवाइकल, कमर दर्द, जोड़ों के दर्द, सिर दर्द, गठिया बाय, अनीद्रा, थाइराइड के 20 से 25 मरीज रोजाना आते हैं। इन मरीजों में सबसे ज्यादा सरवाइकल के मरीज होते हैं। पंचकर्म केंद्र पर रोजाना 15 मरीज सरवाइकल के पहुंच रहे हैं। पंचकर्म केंद्र पर थैरेपिस्ट द्वारा फिजियोथैरेपी, एक्यूप्रैसर, योग से सरवाइकल व अन्य बीमारियों का इलाज किया जाता है।
क्या रखें सावधानियां
कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच-बीच में थोड़ा आराम करते रहें। कम्प्यूटर पर बैठने का तरीका सही होना चाहिए। कम्प्यूटर पर काम करते समय कंधों व हाथों का खिंचाव ज्यादा नहीं होना चाहिए। काम करते समय बीच-बीच में गर्दन को हिलाते रहना चाहिए। रात को सोते समय ज्यादा ऊंचे तकीए का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा बिस्तर न तो ज्यादा सख्त व न ही ज्यादा मुलायम होना चाहिए। हर रोज नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
समय पर इलाज न होने से गंभीर हो सकते हैं परिणाम : गोयल
जिला आयुर्वैदिक आफिसर डा. रामनिवास गोयल ने बताया कि अगर व्यक्ति की दिनचर्या सही हो तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। अगर समय पर इलाज नहीं करवाया जाए तो यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर सकती है। इसलिए सरवाइकल के शुरूआती दौर में ही इसका सही व पूरा इलाज जरूरी है। पंचकर्म केंद्र पर फिजियोथैरेपी, एक्यूप्रेसर व योग के माध्यम से इसका पूरा इलाज किया जाता है।

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