रविवार, 18 दिसंबर 2011

लाखों रुपए फूंकने के बावजूद भी बेरोजारी की मार झेल रहे हैं लाइसेंसधारक

नरेंद्र कुंडू
जींद।
  पीएसओ व सिक्योरिटी गार्ड की एक अदद नौकरी के लिए प्रदेश से हजारों युवा हथियारों पर लाखों रुपए फूंक रहे हैं, लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में किए गए परिवर्तनों के बाद लाखों रुपए के हथियार खरीदने के बावजूद भी हजारों युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में कम हो रहे रोजगार के अवसरों के बाद युवा पर्सनल सिक्योरिटी आॅफिसर (पीएसओ)व सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की ओर रूख कर रहे थे। इस क्षेत्र में युवाओं को अच्छी सफलता प्राप्त हो रही थी, लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में परिवर्तन कर आल इंडिया के लाइसेंस बंद कर दिए गए। जिस कारण युवाओं के लिए इस क्षेत्र में  भी रोजगार के अवसर बंद हो गए। 
सरकार भले ही बेरोजगारी को कम करने के लिए लंबे-चौड़े दावे कर रही हो, लेकिन सरकार खुद ही नए-नए नियम बनाकर युवाओं के रास्ते में अड़ंगा डाल रही है। सरकारी क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं कम होने तथा प्राइवेट सैक्टर में ज्यादा कम्पीटीशन होने के कारण युवाओं ने पीएसओ व सिक्योरिटी गार्ड के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमानी शुरू की थी। इस क्षेत्र में युवा अच्छी सफलता प्राप्त कर रहे थे। प्रदेश से हजारों युवा आर्म्ज का आॅल इंडिया का लाइसेंस प्राप्त कर कर देश के विभीन्न बड़े नगरों में जाकर अपना रोजगार चला रहे थे। पीएसओ व सिक्योरिटी के क्षेत्र में युवा सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हुए अपने कैरियर को संवार रहे थे। लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के नियमों में की गई फेरबदल व आॅल इंडिया के लाइसेंस बंद करने के बाद इस क्षेत्र में भी युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बंद हो गए। आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में संसोधन कर बनाए गए नए नियमों के अनुसार अब व्यक्ति राज्य स्तर पर लाइसेंस बनवाने के बाद आल इंडिया का लाइसेंस नहीं बनवा सकता। आल इंडिया के स्थान पर अपने प्रदेश के साथ लगते तीन राज्यों का ही लाइसेंस बनवा सकता है। गृह मंत्रालय द्वारा बनाए गए इन नए नियमों के बाद अब लाखों रुपए के हथियार खरीदने के बाद भी  लाइसेंसधारक प्रदेश से बाहर जाकर पीएसओ की नौकरी नहीं कर सकता। गृह मंत्रालय द्वारा बनाए गए नए नियमों के फेर में फसे प्रदेश के हजारों युवा अब लाखों रुपए के हथियार खरीदने के बावजूद भी  बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। निडानी निवासी सुरेश पूनिया, राजेश, हाडवा निवासी गोविंद, उचाना निवासी हिम्मत, पिंडारा निवासी संदीप, करसोला निवासी सुनील व शामलो निवासी संदीप ने बताया कि उन्होंने स्टेट स्तर पर लाइसेंस बनवा कर लाखों रुपए के हथियार तो खरीद लिए हैं, लेकिन आॅल इंडिया का लाइसेंस नहीं बनने के कारण वे आज भी  बेरोजगार हैं। क्योंकि प्रदेश ओद्योगिक क्षेत्र में ज्यादा विकसित नहीं है इसलिए प्रदेश में इस क्षेत्र में रोजगार की ज्यादा संभावनाएं नहीं हैं। लेकिन प्रदेश से बाहर देश के अन्य राज्यों में वे बिना लाइसेंस के नौकरी नहीं कर सकते। जिस कारण उनका रोजगार का यह मार्ग भी बंद हो गया है।
किस खत्म हो रही हैं रोजगार की संभावनाएं
 पहले युवा आल इंडिया का आर्म्ज लाइसेंस बनवाकर पीएसओ व सिक्योरिटी के क्षेत्र में अच्छे रोजगार प्राप्त कर रहे थे। आल इंडिया का लाइसेंस लेने के बाद देश के बड़े-बड़े नगरों में जाकर पर्सनल सिक्योरिटी आफिसर के क्षेत्र में सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए युवा अपने व्यक्तित्व को निखार रहे थे। इस दौरान युवा पिस्टल शूटिंग जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर भी अपना कैरियर स्थापित कर रहे थे। लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा आल इंडिया का लाइसेंस बंद कर दिए। आल इंडिया के लाइसेंस बंद होने के बाद अकेले हरियाणा प्रदेश में इस क्षेत्र में रोजगार की ज्यादा संभावनाएं नहीं हैं। जिस कारण नए नियमों के कारण  युवाओं के लिए पीएसओ व सिक्योरिटी के क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर कम हो गए।
क्या हैं नए नियम
पहले कोई भी पात्र व्यक्ति स्टेट लेवल पर आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के बाद आल इंडिया का लाइसेंस ले सकता था। लेकिन 2010 में गृह मंत्रालय ने इन नियमों में संसोधन कर नए नियम बना डाले। नए नियमों के तहत रोजगार के लिए कोई लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता। लाइसेंस सिर्फ उसी व्यक्ति को जारी किया जा सकता है। जिसको जान-माल की हानि का खतरा हो। इन नियमों के तहत कोई भी पात्र व्यक्ति सिर्फ स्टेट लेवल का ही लाइसेंस बनवा सकता है। आल इंडिया के स्थान पर व्यक्ति को सिर्फ अपने राज्य के साथ लगते तीन अन्य राज्यों का लाइसेंस दिया जा सकता है। लेकिन उसके लिए उस व्यक्ति को उन तीनों राज्यों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता के पुख्ता सबूत पेश करने होंगे।

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