मंगलवार, 24 जनवरी 2012

फाइलों में दफन 5 हजार बच्चों का भविष्य

दो वर्ष बाद भी अमल में नहीं आ सकी योजना
नरेंद्र कुंडू
जींद।
सरकार एक तरफ तो शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के दावे कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार के ये आसमानी दावे हकीकत में जमीन सुंघते नजर आते हैं। सरकार द्वारा राष्टÑीय बाल विकास नीति 2010 के तहत जिला बाल कल्याण परिषद के माध्यम से अनाथ व गरीब बच्चों को शिक्षा भत्ता देने के लिए आवेदन मांगे थे। इस योजना के तहत गरीब व बेसहारा बच्चों को हर माह 500 से 1500 रुपए शिक्षा भत्ता दिया जाना था। इसमें जिलेभर से 5 हजार बच्चों ने आवेदन किये थे, लेकिन अब हरियाण राज्य बाल कल्याण निदेशालय द्वारा इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। विभाग की अनदेखी के कारण 5 हजार बच्चों का भविष्य फाइलों में दफन हो गया है।
सरकार अनाथ व गरीब बच्चों के उत्थान के लिए हर रोज नई-नई योजनाएं तैयार कर रही है। सरकार द्वारा इन योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ये योजनाएं फाइलों से बाहर नहीं निकल पाती हैं। सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर सबको शिक्षा का हक दिलवाने के दावे कर रही है। लेकिन उधर स्वयं सरकार द्वारा तैयार की गई रास्ट्रीय बाल विकास नीति 2010 फाइलों में ही दफन होकर रह गई है। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद निदेशालय ने जिला बाल कल्याण परिषद को पत्र क्रमांक 37048-102 के माध्यम से एक दिसंबर 2010 को अनाथ व बेसहारा बच्चों के आवेदन जमा करवाने के निर्देश जारी किए थे। जिसके तहत जिला बाल कल्याण परिषद ने विज्ञापन जारी कर गरीब, बेसहारा, अनाथ व असहाय बच्चों से आवेदन मांगे थे। जिसके बाद जिला बाल कल्याण परिषद को जिले से 5 हजार आवेदन प्राप्त हुए थे। जिला बाल कल्याण परिषद ने प्राथमिकता के आधार पर पात्र व्यक्तियों से आवेदन प्राप्त कर और सभी औपचारिकताएं पूरी कर आवेदन निदेशालय को भेज दिए। निदेशालय को आवेदन प्राप्त होने के दो वर्ष बाद भी यह योजना अमल में नहीं आ पाई है। आवेदक आज भी विभाग से आर्थिक सहायता की आश लगाए बैठे हैं। योजना के ठंडे बस्ते में चले जाने से 5 हजार बच्चों के सपने फाइलों में ही दम तोड़ गए हैं।
क्या थी योजना
सरकार ने गरीब, बेसहारा, अनाथ व असहाय बच्चों को शिक्षा भत्ता देने के लिए रास्ट्रीय बाल विकास नीति 2010 नाम से एक योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत पात्र व्यक्तियों को 18 वर्ष तक 500 से लेकर 1500 रुपए तक भत्ता दिया जाना था। योजना का लाभ लेने के लिए पात्र व्यक्ति को एक सादे कागज पर अपना आवेदन तैयार कर संबंधित सरपंच या एमसी से सत्यापित करवाकर जिला बाल कल्याण परिषद को देने थे। इस योजना के तहत हरियाणा राज्य बाल कल्याण निदेशालय, चंडीगढ़ द्वारा पात्र आवेदकों के खाते खुलवाकर हर माह भत्ता उनके खाते में जमा करवाने का प्रावधान था। इस योजना के माध्यम से जिला बाल कल्याण परिषद को 5 हजार आवेदन प्राप्त हुए थे।  


हरियाणा राज्य बाल कल्याण निदेशालय द्वारा दिसंबर 2010 में जिला बाल भवन के माध्यम से अनाथ व गरीब बच्चों को शिक्षा भत्ता देने के लिए रास्ट्रीय बाल विकास नीति के तहत पात्र व्यक्तियों के आवेदन मांगे गए थे। इस योजना के तहत पात्र व्यक्तियों को 18 वर्ष तक 500 से 1500 रुपए शिक्षा भत्ता दिया जाना था। योजना के तहत जिला बाल भवन को 5 हजार आवेदन प्राप्त हुए थे। उन्होंने आवेदन प्राप्त कर सभी औपचारिकताएं पूरी करवा निदेशालय को आवेदन भेज दिये थे। लेकिन सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के बाद विभाग ने इस योजना को बंद कर दिया। जिस कारण आवेदकों को योजना का लाभ नहीं मिल सका।
सुरजीत कौर आजाद
जिला बाल कल्याण अधिकारी, जींद

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