शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

शूटिंग रेंज के अभाव में दम तोड़ रही खेल प्रतिभाएं

शूटिंग रेंज के लिए 2008 में भेजा गया था मुख्यमंत्री को ज्ञापन 
नरेंद्र कुंडू
जींद।
जिले में पिछले चार साल से उठ रही शूटिंग रेंज की आवाज के बाद भी आज तक शूटिंग रेंज अस्तित्व में नहीं आ पाई है। जिला प्रशासन बिना शूटिंग रेंज व सुविधाओं के अभाव में ही खिलाड़ियों से मैडलों की आश लगाए बैठा है। शूटिंग रेंज के अभाव के कारणा एनसीसी कैडेट्स व होमगार्ड के जवानों को फायरिंग की ट्रायल देने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में फिलहाल पांडू पिंडारा गांव के पास अस्थायी शूटिंग रेंज चल रही है, जिससे जान व माल का बड़ा खतरा रहता है। खुले में चल रही शूटिंग रेंज के कारणा यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
जिले में शूटिंग रेंज न होने के कारण खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। खिलाड़ियों को मजबूरन जिले से बाहर प्राइवेट शूटिंग रेंज में जाकर अपने खर्च पर अभयास करना पड़ रहा है। प्राइवेट शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण का खर्च ज्यादा होने के कारण खिलाड़ियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण खिलाड़ी खेल से मुहं मोड़ रहे हैं। खिलाड़ियों के अलावा एनसीसी कैडेट्स व होमगार्ड के जवानों को भी प्रशिक्षण के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में हर साल एनसीसी के दो एनुअल ट्रेनिंग कैंप लगते हैं। इन कैंपों में जींद के अलावा रोहतक जिले के कैडेस भी भाग लेते हैं। इन कैंपों में कैडेस को फायरिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। लेकिन जिले में शूटिंग रेंज के अभाव के कारण कैडेस को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा होम गार्ड के जवानों को भी साल में कई बार फायरिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। लेकिन जिले में शूटिंग रेंज की व्यवस्था न होने के कारण जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर स्थित पांडू पिंडारा गांव में अस्थाई तौर पर शूटिंग रेंज तैयार की गई है। जिले में स्थाई तौर पर शूटिंग रेंज न होने के कारण यहां होमगार्ड के जवानों से खुले में ही फायरिंग करवाई जाती है। खुले में फायरिंग होने के कारण यहां कभी  भी बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन जिला प्रशासन को इससे कोई सरोकार नहीं है। जिले के खिलाड़ियों द्वारा शूटिंग रेंज के लिए जिला प्रशासन व मुख्यमंत्री से कई बार गुहार लगाई गई है, लेकिन आज तक जिले में स्थाई रूप से कहीं पर भी शूटिंग रेंज की कोई व्यवस्था नहीं की गई। जिले में शूटिंग के खले को बढ़ावा देने के लिए खेल गांव निडानी व पड़ाना गांव की पंचायत जिला प्रशासन को शूटिंग रेंज स्थापित करने के लिए गांव की शामलात जमीन देने को तैयार हैं। इसके लिए दोनों गांव की पंचायतों ने 2008 में खिलाड़ियों के साथ मिलकर उपयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी  भेजा था। लेकिन पंचायत के इस प्रपोजल की तरफ जिला प्रशासन और सरकार का  कोई ध्यान नहीं है।
निशुल्क प्रशिक्षण देकर प्रतिभाशाली शूटर तैयार करने की है तमन्ना
जिले से सीनियर राज्य शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लेने वाले जिले के एकमात्र खिलाड़ी सुरेश पूनिया भी शूटिंग रेंज स्थापित करने की मांग को लेकर कई बार जिला अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं। सुरेश पूनिया स्वयं निशुल्क प्रशिक्षण देकर जिले के कई प्रतिभाशाली शूटरों को तैयार करना चाहते हैं, लेकिन शूटिंग रेंज न होने के कारण खुले में फायरिंग करना खतरनाक साबित हो सकता है।
शूटिंग रेंज जिले की जरूरत
जिले में शूटिंग रेंज होना अनिवार्य ही नहीं, अपितू जिले की जरूरत भी  है। जिले में एक एनसीसी कॉम्पलेक्स बना कर उसी कॉम्पलेक्स में शूटिंग रेंज स्थापित की जानी चाहिए। जिले में एनसीसी कॉम्पलेक्स बनने के बाद एक पंथ दो काज हो सकते हैं। यहां पर एनसीसी के एनुअल कैंप के साथ-साथ कैडेट्स व अन्य खिलाड़ियों को फायरिंग का प्रशिक्षण भी दिया जा सकता है।
मेजर महताब एनसीसी, जींद
अस्थाई तौर पर की गई है शूटिंग रेंज की व्यवस्था
जिले में शूटिंग रेंज न होने के कारण पांडू पिंडारा गांव में अस्थाई तौर पर शूटिंग रेंज की व्यवस्था की गई है और इस रेंज पर होमगार्ड के जवानों को फायरिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। होमगार्ड के जवानों को प्वाइंट टूटू राइफल से प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन राज्य स्तर की शूटिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए रिवाल्वर, पिस्टल व अन्य हथियारों का अभयास होना अति आवश्यक है। लेकिन इन हथियारों के प्रशिक्षण के लिए जिले में कोई रेंज नहीं है।
बीरबल कुंडू जिला कमांडेंट होमगार्ड, जींद

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