रविवार, 22 जनवरी 2012

अब नहीं होगा गरीबों का इलाज

नरेंद्र कुंडू
जींद। गरीबों के लिए शुरू की गई रास्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। बीमा कंपनी व निजी अस्पतालों की खींचतान में गरीब लोग पिस रहे हैं। निजी अस्पतालों में कार्ड पर इलाज न होने के कारण सरकार द्वारा बनाए गए स्मार्ट कार्ड जरूरतमंदों के लिए बेकार साबित हो रहे हैं। निजी अस्पताल पिछले 8 माह से बीमा कंपनी द्वारा इलाज की राशि का भुगतान न करने की बात कहकर हाथ खड़े कर रहे हैं। इस प्रकार बीमा कंपनी समय पर निजी अस्पतालों को इलाज की राशि का भुगतान न करके सरकार को भी चूना लगा रही है। कार्ड धारकों के लिए निजी अस्पतालों के दरवाजे बंद होने के कारण इन्हें इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला ईकाइ के सदस्य दो बार उपायुक्त से इलाज की राशि की रिकवरी की गुहार लगा चुके हैं।
सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से रास्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की गई थी। सरकार द्वारा प्रदेश में सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों को भी स्मार्ट कार्ड धारकों के इलाज के लिए नेटवर्क में लिया। विभागिय सूत्रों की मानें तो जिले में 75 हजार के करीब स्मार्ट कार्ड धारक हैं। इन स्मार्ट कार्ड धारकों के इलाज के लिए जिले में सरकारी अस्पतालों के अलावा 14 निजी अस्पताल भी निर्धारित किए गये। शुरूआत में तो योजना कार्ड धारकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई, लेकिन बाद में बीमा कंपनी व निजी अस्पतालों की खिंचतान के कारण योजना कार्ड धारकों के लिए गले की फांस बन गई। निजी अस्पतल संचालकों की मानें तो उन्हें बीमा कंपनी से पिछले 8 माह से बीपीएल परिवारों को इलाज करवाने के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली पेमेंट ही नहीं मिल पा रही है। ऐसे में निजी अस्पतालों ने योजना से हाथ पीछे खिंचते हुए इन बीपीएल परिवारों का इलाज करना ही बंद कर दिया।
निजी अस्पताल में स्मार्ट कार्ड धारकों का इलाज न करने बारे लगाया गया नोटिस।
सरकार को भी लग रहा है चूना
सरकार द्वारा शुरू की गई रास्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को इलाज पर खर्च की जाने वाली राशि के भुगतान के लिए बीमा कंपनी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकार द्वारा बनाए गए स्मार्ट कार्ड पर एक साल तक कार्ड धारक का इलाज किया जाता है। सरकार पात्र बीपीएल परिवारों की पहचान कर बीमा कंपनी को एक साल की पेमेंट कर देती है। अब निजी अस्पतालों द्वारा कार्ड धारकों का इलाज बंद कर देने से बीपीएल परिवारों के लिए कार्ड बेकार साबित हो रहे हैं। क्योंकि कुछ ही महीनों के बाद इनकी निर्धारित अवधि समाप्त हो जाएगी। इस प्रकार सरकार द्वारा बीमा कंपनी को दी गई राशि बीमा कंपनी ही हजम कर सरकार को चूना लगा रही है।
क्या है स्मार्ट कार्ड योजना
रास्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बीपीएल परिवार के स्मार्ट कार्ड धारकों और उसमें दर्ज परिवार के किसी भी सदस्य के अस्पताल में भर्ती होने पर तीस हजार रुपए तक के इलाज की सुविधा निशुल्क मिलती है। इस योजना के तहत मरीज के भर्ती होने से डिस्चार्ज होने तक तीस हजार तक का खर्च नेटवर्क से जुड़े निजी अस्पताल या सरकारी अस्पताल वहन करते हैं। मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद अस्पताल इसके भुगतान के लिए सरकार को मरीज के खर्च का रिकार्ड भेजती है, जिससे अस्पताल को सरकार बीमा कंपनी के माध्यम से भुगतान राशि मिलती है, लेकिन काफी दिनों से भुगतान बंद होने के कारण नेटवर्क से जुड़े निजी अस्पतालों का रुपया फंस गया है। इसके कारण निजी अस्पतालों द्वारा स्मार्ट कार्ड धारकों का इलाज करने की बजाय हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं।
क्या कहते हैं मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला प्रधान डा. सुरेश जैन, सचिव डा. अजय गोयल व मीडिया प्रभारी डा.सुशील मंगला का कहना है कि स्मार्ट कार्ड धारकों का नर्सिग होम में इलाज किया जाता था। उनके पास हर रोज 6 से 7 मरीज इलाज के लिए आते थे। लेकिन जून 2011 से बीमा कंपनी कि ओर से उन्हें कार्ड धारकों पर खर्च होने वाली राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। बीमा कंपनी से समय पर राशि का भुगतान करवाने के लिए वे दो बार उपायुक्त को भी ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन स्थिति ज्यों कि त्यों है। इसलिए उन्होंने अब मजबूरीवश स्मार्ट कार्ड धारकों का इलाज करना बंद कर दिया है। इस बारे में नोडल अधिकारी से डा. अतुल गिल से संपर्क किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।


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