रविवार, 29 जनवरी 2012

अब लघु सचिवालय से छिड़ेगी सौर ऊर्जा की मुहिम


साढ़े दस लाख की लागत से तैयार किया जाएगा साढ़े चार केजी वॉट का संयत्र
 सौर ऊर्जा संयत्र का फाइल फोटो।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
जिले में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। लोगों को सौर ऊर्जा के लिए जागरूक करने की मुहिम अब लघु सचिवालय से छेड़ी जाएगी। इस मुहिम को सिरे चढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने लघु सचिवालय में प्रदर्शन के रूप में एक सौर ऊर्जा बिजली संयत्र लगाने का निर्णय लिया है। साढ़े दस लाख रुपए की लगात से तैयार होने वाले इस साढ़े चार किलो वॉट के बिजली संयत्र से हर माह एक हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। लघु सचिवालय के सभी मुख्य कार्यालयों को इस प्लांट से जोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट के परवान चढ़ने के बाद लघु सचिवालय सौर ऊर्जा से जगमगाएगा। इस संयत्र से जहां बिजली की बचत होगी, वहीं यह पर्यावरण के भी अनुकूल होगा।
बिजली किल्लत के कारण सरकारी कामकाज प्रभावित होने से लघु सचिवालय में आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई-कई दिनों तक उनके काम लटकते रहते हैं। लघु सचिवालय के बार-बार चक्कर काटने से उनका समय व पैसे दोनों बर्बाद होते हैं। लेकिन अब इन परेशानियों से बचने के लिए जिला प्रशासन ने एक खास योजना तैयार की है। इस योजना के तहत लघु सचिवालय में एक सौर ऊर्जा बिजली संयत्र लगाया जाएगा। सौर ऊर्जा संयत्र लगने के बाद लघु सचिवालय में बिजली की किल्लत के कारण कोई कार्य प्रभावित नहीं होंगे। कोई भी कर्मचारी बिजली न होने का बहाना बनाकर टरका नहीं सकेगा। सौर ऊर्जा प्लांट से लघु सचिवालय के सभी मुख्य कार्यालयों को जोड़ा जाएगा। इससे सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ आम आदमी को भी काफी राहत मिलेगी। यहां बिजली संयत्र लगने के बाद जहां बिजली किल्लत दूर होगी, वहीं सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा मिलेगा। सौर ऊर्जा को बढ़ाने की इस मुहिम को अब लघु सचिवालय से शुरू किया जाएगा। क्योंकि लघु सचिवालय में हर रोज सरकारी कामकाज से हजारों लोग यहां आते हैं, इसलिए यहां लगने वाले इस संयत्र को लोगों के सामने मॉडल के तौर पर प्रस्तुत किया जाएगा। ताकि अधिक से अधिक लोग प्रेरित हों और सौर ऊर्जा को बढ़ावा मिले। लघु सचिवालय में लगने वाले साढ़े चार किलो वॉट के सौर ऊर्जा बिजली संयत्र पर साढ़े दस लाख रुपए की लागत आएगी। साढ़े चार केजी वॉट के इस संयत्र से हर माह एक हजार यूनिट बिजली पैदा की जा सकेगी। संयत्र लगने के बाद बिजली की बचत तो होगी ही साथ-साथ प्रशासन को हर माह लाखों रुपए के राजस्व का भी लाभ होगा। इस संयत्र की सबसे खास बात यह है कि इन उपकरणों की लाइफ बहुत ज्यादा है और यह आसानी से खराब भी नहीं होते हैं। अक्षय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की मानें तो इन उपकरणों की लाइफ 35 साल से भी ज्यादा होती है। अधिकारियों का कहना है कि कई जगह तो लोग इस तरह के प्लांट लगाकर सरकार को बिजली बेच रहे हैं।
वातावरण पर नहीं होगा दूष्प्रभाव
थर्मल पॉवर प्लांट में एक यूनिट बिजली बनाने पर एक किलो कार्बन वातावरण में फैल जाती हैं, जिससे वातावरण दूषित होता है। कोयले से बिजली बनाने पर जहां हमारे वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वहीं कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन भी सिकुड़ रहे हैं। जिससे भविष्य में हमारे सामने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। लघु सचिवालय में लगने वाला सौर ऊर्जा बिजली संयत्र वातावरण के अनुकूल होगा। इस संयत्र से किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होगा। यह संयत्र सूर्य की किरणों से बिजली पैदा करेगा। इस तरह काफी हद तक वातावरण दूषित होने से बचेगा।
प्रदर्शन के तौर पर लगाया जाएगा संयत्र
लघु सचिवालय में सरकारी कामकाज के सिलसिले में हर रोज हजारों लोग आते हैं। इसलिए इस संयत्र को लघु सचिवालय में प्रदर्शन के तौर पर लगाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा सके। इस संयत्र से किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है। क्योंकि यह सूर्य की किरणों से बिजली पैदा करता है। यह पूरी तरह से वातावरण के अनुकूल है और यह लंबे समय तक चलने वाला प्लांट है। इस पर किए गए प्रयोगों से लगातार सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।
ओडी शर्मा
प्रोजेक्ट आफिसर, अक्षय ऊर्जा विभाग, जींद

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