रविवार, 15 जनवरी 2012

चिकित्सक नदारद, मरीज परेशान

9:22 बजे अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में खाली पड़ी चिकित्सक की कुर्सी
9:25 बजे नेत्र चिकित्सक कक्ष में खाली पड़ी चिकित्सक की कुर्सी
9:33 बजे महिला वार्ड में खाली पड़ी लेडी डाक्टर की कुर्सी।
9:41 बजे टीका कक्ष में चिकित्सक की कुर्सी पर बैठा बच्चा।

नरेंद्र कुंडू
जींद।
मरीजों के लिए चिकित्सक ही भगवान होते हैं, लेकिन अगर भगवान ही भक्त को अपने हाल पर तड़फता छोड़ दे तो भक्त का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं। ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है शहर के सामान्य अस्पताल में। अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइनें लगी रहती हैं, लेकिन मरीजों के भगवान यानि चिकित्सक अस्पताल से नदारद रहते हैं। समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज चिकित्सा कक्ष के बाहर ही तड़फते रहते हैं। ये बात अलग है कि अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है, लेकिन मौजूदा चिकित्सक भी समय पर ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहे हैं। जिस कारण मरीजों कोभारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
एक तरफ प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने के दावे कर रही है। सरकार की तरफ से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई जा रही है। लेकिन सरकार के ये दावे सिर्फ कागजों तक ही समित रहते हैं। अस्पताल में ईलाज के लिए जाने वाले मरीजों को ईलाज की जगह दर्द के सिवाय कुछ नहीं मिलता है। यहां चिकित्सकों की लापरवाही इन गरीब व लाचार लोगों पर भरी पड़ती है। चिकित्सकों का अस्पताल में न तो आने का कोई समय है और न ही जाने का। मरीज अगर चिकित्सकों के आने के बारे में अगर किसी कर्मचारी से पूछते हैं तो कर्मचारी भी चिकित्सक के राऊंड पर जाने की बात कह कर मरीजों को टरका देते हैं और मरीज के पास चुपचाप लाइन में लगकर इंतजार करने के अलावा ओर कुछ चारा नहीं होता। शहर के सामान्य अस्पताल की ऐसी ही शिकायतें आज समाज को पिछले कई दिनों से मिल रही थी। शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए टीम सामान्य अस्पताल पहुंची तो वहां का नजारा वाकई ही चौंकाने वाला था। सर्दी के मौसम में चिकित्सकों का अस्पताल में पहुंचने का समय है सुबह 9 बजे निर्धारित है। टीम ने सुबह 9:20 मिनट पर सामान्य अस्पताल में प्रवेश किया। इसके बाद 9:22 पर टीम पहुंची अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में वहां पर सिर्फ दो स्टाफ नर्स ही मौजूद थी, एमरजेंसी वार्ड की चिकित्सक की कुर्सी खाली पड़ी थी। टीम ने यहां के चित्र को कैमरे में कैद किया और आगे बढ़ गई। टीम 9:25 मिनट पर पहुंची नेत्र जांच कक्ष में यहां मरीज तो थे, लेकिन चिकित्सक नदारद थे। इसके बाद टीम 9:33 मिनट पर पहुंची महिला वार्ड। यहां भी मरीजों की लंबी लाइन और लेडी डाक्टर की कुर्सी खाली पड़ी थी। वहां ईलाज करवाने आई सुमन, राजबाला, संतरो ने बताया कि वे काफी देर से यहां बैठी हैं, लेकिन अभी तक लेडी डाक्टर का कोई अता-पता नहीं है। इसके बाद 9:41 पर टीम सीधे पहुंची टीकाकरण कक्ष। टीका कक्ष में चिकित्सक की कुर्सी पर एक बच्चा बैठा हुआ था। बच्चे के अलवा वहां पर एक महिला भी मौजूद थी। संवाददाता ने जब महिला से बातचीत की तो महिला ने बताया कि वह तो अपने बच्चे को टीका लगवाने आई है और 9:30 बजे से यहां बैठी, लेकिन अभी तक किसी  ने उसकी सुध नहीं ली है। टीम ने बच्चे के इस अंदाज को कैमरे में कैद किया और हड्डी रोग कक्ष की तरफ चल दी। यहां पर चिकित्सक के मौजूद न होने के कारण मरीज कमरे में ताक-झाक कर वापिस जा रहे थे। टीम ने 9:45 पर हड्डी रोग कक्ष में प्रवेश किया और यहां भी नजारा वही था। टीम जब कक्ष में पहुंची तो वहां बैठे एक बुजुर्ग ने संवाददाता को ही चिकित्सक समझ कर अपने ईलाज के लिए मिन्नतें करनी शुरू कर दी। टीम ने जब बुजुर्ग से अपना परिचय दिया और उससे पूछा तो बुजुर्ग ने बताया कि उसके हाथ में दर्द है और वह ईलाज के लिए यहां काफी देर से बैठा है। लेकिन अभी तक चिकित्सक का कहीं अता-पता नहीं है।
सिफारशि को मिलती है प्राथमिकता
चिकित्सकों की लेट लतिफी के कारण मरीजों की लंबी लाइनें लग जाती हैं। जिस कारण ईलाज के लिए मरीजों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। चिकित्सक के कक्ष में प्रवेश करते ही सिफारशियों का तांता लगना शुरू हो जाता है। जिसके चलते लाइन में लगे मरीजों का इंतजार ओर लंबा हो जाता है। क्योंकि चिकित्स लाइन में लगे मरीजों को प्राथमिकता न देकर सिफारशियों की जांच पहले करते हैं। अगर कोई मरीज इस बात पर ऐतराज जताता है तो चिकित्सक के तेवर ओर उग्र हो जाते हैं और चिकित्सक मरीज के साथ अभद्र व्यवहार पर उतर आता है।







2 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. डॉ. साहब ये कलम इसलिए ही उठाई है ताकि इस तरहे के लोगों के खिलाफ आवाज उठाई जा सके

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