रेडक्रॉस की राशि पर पंचायतों ने मारी कुंडली
नरेंद्र कुंडू
जींद। सामाजिक कार्यों के लिए पंचायती फंड से रेडक्रॉस को दी जाने वाली रकम पर ग्राम पंचायतें कुंडली मारे बैठी हैं। पिछले कई वर्षों से ग्राम पंचायतों द्वारा रेडक्रॉस में यह राशि जमा नहीं करवाई जा रही है। संस्था की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सामाजिक कार्यों पर ब्रेक लगना भी लाजमी है। रेडक्रॉस द्वारा पंचायतों के खाते से रकम जमा करवाने के लिए बीडीपीओ कार्यालय को कई बार-बार पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन बीडीपीओ कार्यालय द्वारा रकम जमा करानी तो दूर की बात संस्था के इन पत्रों का जवाब भी नहीं दिया जा रहा है। वर्ष 2011 में पूरे जिले से सिर्फ एक पंचायत ने 60 हजार रुपए की राशि संस्था में जमा करवाई है।
रेडक्रॉस की माली हालत को सुधारने तथा सामाजिक कार्यों में गति लाने के लिए सरकार ने 1986 में ग्राम पंचायत कंट्रीब्यूशन योजना तैयार की थी। इस योजना में प्रावधान किया गया था कि पंचायतें अपनी आय का कुछ प्रतिशत हिस्सा रेडक्रॉस को देंगी। यह राशि पंचायतों को बीडीपीओ कार्यालय में जमा करवानी तय की गई थी। रेडक्रॉस को पंचायती खाते से मिलने वाली इस ग्रांट को सामाजिक कार्यों के लिए प्रयोग करना था। कुछ सालों तक राशि जमा होने का सिलसिला ठीक चला, लेकिन बाद में अचानक यह राशि रास्ते में गोल होनी शुरू हो गई। कुछ पंचायतों ने तो यह राशि जमा करवानी ही बंद कर दी। इसके अलावा जो पंचायतें संस्था के लिए राशि देती थी उन्होंने भी राशि में कटोती करनी शुरू कर दी। विभागीय सूत्रों की मानें तो जो पंचायतें संस्था को पहले लाख से ज्यादा की वितीय सहायता देती थी, उन पंचायतों ने अपनी रकम में कटोती कर 50 से 60 हजार रुपए की रकम ही संस्था को दी है। संस्था के अधिकारियों द्वारा बीडीपीओ कार्यालयों को रकम जमा करवाने के लिए कई बार पत्र लिखी चुकी है, लेकिन बीडीपीओ कार्यालयों की ओर से रकम जमा करवानी तो दूर की बात संस्था के पत्रों का जवाब भी नहीं दिया जा रहा है।जींद। सामाजिक कार्यों के लिए पंचायती फंड से रेडक्रॉस को दी जाने वाली रकम पर ग्राम पंचायतें कुंडली मारे बैठी हैं। पिछले कई वर्षों से ग्राम पंचायतों द्वारा रेडक्रॉस में यह राशि जमा नहीं करवाई जा रही है। संस्था की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सामाजिक कार्यों पर ब्रेक लगना भी लाजमी है। रेडक्रॉस द्वारा पंचायतों के खाते से रकम जमा करवाने के लिए बीडीपीओ कार्यालय को कई बार-बार पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन बीडीपीओ कार्यालय द्वारा रकम जमा करानी तो दूर की बात संस्था के इन पत्रों का जवाब भी नहीं दिया जा रहा है। वर्ष 2011 में पूरे जिले से सिर्फ एक पंचायत ने 60 हजार रुपए की राशि संस्था में जमा करवाई है।
2011 में एक पंचायत ने ही जमा करवाई रकमसरकार द्वारा शुरू की गई ग्राम पंचायत कंट्रीब्यूशन योजना में पंचायतों द्वारा रूचि न लेने के कारण संस्था को ज्यादा लाभ नहीं मिल पा रहा है। जींद जिले में 299 पंचायतें हैं। वर्ष 2011 में 299 पंचायतों में से सिर्फ एक ही पंचायत ने 60 हजार रुपए की रकम संस्था में जमा करवाई है। इस प्रकार खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों की लापरवाही के कारण संस्था को पंचायती खाते से मिलने वाली वितीय सहायता बंद हो गई है।
उपायुक्त के आदेशों की भी नहीं हो रही पालना
संस्था को समय पर वितीय सहायता उपलब्ध करवाने के लिए उपायुक्त डा. युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने सभी बीडीपीओ को जल्द से जल्द सारी रकम की रिकवरी कर रेडक्रॉस में जमा करवाने के निर्देश जारी किए थे। लेकिन उपायुक्त के आदेशों के बावजूद भी अभी तक किसी पंचायत की ओर से संस्था में रकम जमा नहीं करवाई गई है। इस प्रकार खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों पर उपायुक्त के आदेशों का भी कोई असर नहीं है।
बीडीपीओ की ओर से नहीं मिल रहे सकारात्मक परिणामसरकार द्वारा शुरू की गई ग्राम पंचायत कंट्रीब्यूशन योजना के तहत पंचायतों की आय से कुछ प्रतिशत हिस्सा रेडक्रॉश में जमा करवाने का प्रावधान था। लेकिन पिछले कई वर्षों से पंचायतों द्वारा समय पर यह राशि संस्था में जमा नहीं करवाई जा रही है। इसके लिए उनके द्वारा संबंधित बीडीपीओ को पत्र लिखकर राशि जमा करवाने के लिए अवगत भी करवाया जाता है, लेकिन संस्था को बीडीपीओ की ओर से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे हैं।
रणदीप श्योकंद
सचिव रेडक्रॉस सोसायटी, जींद
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