.....और पढ़ाई करते-करते 20 साल कम हो गई उम्र
आईटीआई द्वारा जारी प्रमाण पत्र दर्शा रहे हैं अलग-अलग जन्मतिथि
आईटीआई द्वारा स्नेहलता को जारी किए गए प्रमाण पत्र। |
जींद। जिस संस्थान के कंधो पर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध करवाने का जिम्मा होता है, उसी संस्थान के कुछ कर्मचारियों की थोड़ी सी गलती ने एक छात्रा की झोली में रोजगार की जगह परेशानियां व धक्के डाल दिए हैं। जींद की सरकारी आईटीआई में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। आईटीआई की तरफ से छात्रा को जारी किए गए प्रमाण पत्रों में एक छात्रा की उम्र देखते ही देखते 20 साल घट गई है। छात्रा को जारी किए गए प्रमाण पत्रों से छेड़छाड़ कर उसकी जन्मतिथि 1974 से बदलकर 1994 कर दी गई है। प्रमाण पत्रों में जन्मतिथि सही न होने के कारण छात्रा के भविष्य पर तलवार लटक रही है। छात्रा अपनी जन्मतिथि ठीक करवाने के लिए पिछले दो साल से आईटीआई के चक्कर काट रही है, लेकिन अब तक छात्रा को आईटीआई प्रबंधन की ओर से कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला है। आईटीआई प्रबंधन की तरफ से कोई उम्मीद नजर न आती देख छात्रा ने उपायुक्त का दरवाजा खटखटाया है। उपायुक्त को दी शिकायत में छात्रा ने आईटीआई प्रबंधन पर जानबुझकर उसे परेशान करने का आरोप लगाया है।
शहर के अपोलो रोड स्थित राज नगर निवासी राजकुमार की पुत्री स्नेह लता को अपने हक के लिए आवाज उठाना काफी महंगा पड़ा। स्नेहलता ने आईटीआई में दाखिला लेते वक्त शायद यह नहीं सोचा था कि जहां पर वह प्रशिक्षण के लिए दाखिला ले रही है, वहां से उसे परेशानियों के सिवाए कुछ नहीं मिलेगा। स्नेहलता ने उपायुक्त को दी शिकायत में बताया कि उसने 2008 में आईटीआई में सिलाई व कढ़ाई की ट्रेड में दाखिला लिया था। स्नेहलता ने बताया कि उसे प्रशिक्षण के दौरान सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के बच्चों को मिलने वाला सहायता भत्ता नहीं मिला था। इसलिए उसने अपने हके के लिए आवाज उठाते हुए इसकी शिकायत जिला प्रशासन को की। प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद संस्थान की तरफ से उसे भत्ता तो मिल गया, लेकिन भत्ते के साथ-साथ उसे आईटीआई प्रबंधन की रंजिश भी तोहफ के रूप में मिली। जिसका खामियाजा उसे आज तक भुगतना पड़ रहा है। स्नेहलता ने बताया कि आईटीआई के कुछ कर्मचारियों ने उससे रंजिश रखते हुए उसे परेशान करने के लिए उसके प्रमाण पत्रों के साथ छेड़छाड़ कर उसकी जन्मतिथि में बदलाव कर दिया। आईटीआई द्वारा जारी किए गए उसके दोनों प्रमाण पत्रों में उसकी जन्मतिथि में 20 साल का अंतर है। स्नेहलता ने बताया कि आईटीआई द्वारा अगस्त 2008 से जुलाई 09 तक के पिरयेड में जारी किए गए प्रमाण पत्र में उसकी जन्मतिथि 12 मार्च 1974 दर्ज की गई है, जो सही है। लेकिन अगस्त 2009 से जुलाई 2010 के पिरयेड में जारी किए गए दूसरे प्रमाण पत्र में उसकी जन्मतिथि 12 मार्च 1994 दर्ज की गई है, जो गलत है। स्नेहलता ने बताया कि वह अपनी जन्मतिथि ठीक करवाने के लिए कई बार आईटीआई के चक्कर लगा चुकी है, लेकिन आईटीआई के कर्मचारी हर बार उसे कुछ न कुछ बहाना बनाकर टाल देते हैं। आईटीआई द्वारा जारी किए गए दोनों प्रमाण पत्रों में अलग-अलग जन्मतिथि होने के कारण वह कहीं भी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पा रही है। आईटीआई के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण उसका भविष्य तो खतरे में है ही, साथ-साथ उसे मानसिक, आर्थिक व शारीरिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। जिस कारण उसे मजबूरन उपायुक्त कार्यालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
प्रमाण पत्र में हुई गलती क्लेरिकल मिस्टेकआईटीआई की ओर से स्नेहलता को जारी किए गए प्रमाण पत्रों में हुई गलती किसी रंजिश के कारण नहीं, बल्कि यह एक क्लेरिकल मिस्टेक है। इस गलती को ठीक करने के लिए आईटीआई प्रबंधन द्वारा कई बार स्नेहलता को लिखित में पत्र भेजा जा चुका है। लेकिन वह अपने असली प्रमाण पत्र आईटीआई में जमा नहीं करवा रही है। स्नेहलता के अभिभावक आईटीआई प्रबंधन को परेशान करने के लिए जानबुझ कर बार-बार उपायुक्त को शिकायत दे रहे हैं। इस तरह की शिकायत यह पहले भी कर चुके हैं और आईटीआई प्रबंधन अपनी तरफ से इनका जवाब प्रशासन को दे चुका है।
सुभाष गौतम, प्राचार्य
आईटीआई महिला विंग, जींद
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