नौकरी सरकारी, बने व्यापारी

सैंपल के लिए आई दवाइयों के बदले पशु पालकों से ऐंठे जाते हैं पैसे
नरेंद्र कुंडू
जींद।
नौकरी सरकार की हो रही है, लेकिन खुद का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जिले में वेटरनरी सर्जन व सहायक वेटरनरी चिकित्सक सरकारी ड्यूटी बजाने की बजाय प्राइवेट प्रेक्टिस को ज्यादा तव्वजो दे रहे हैं। पशु चिकित्सक निजी स्वार्थ के लिए पशु पालकों की जेबों पर डाका डाल रहे हैं। सारा दिन सरकारी अस्पताल सूने पड़े रहते हैं, जबकि इनमें ड्यूटीरत चिकित्सक गांवों में प्राइवेट प्रेक्टिस में लीन रहते हैं। इनता ही नहीं दवा कंपनियों की ओर से पशु चिकित्सकों को मिलने वाले सैंपलों को भी ये धड़ल्ले से बेच रहे हैं। इस तरह वेटरनरी सर्जन व सहायक वेटरनरी चिकित्सक खुलेआम पशु पालकों की जेबें कट कर मोटी चांदी कूट रहे हैं।
प्रदेश में पशु व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन सरकारी अस्पताल में मौजूद वेटरनरी सर्जन (वीएस) व सहायक वेटरनरी चिकित्सक (वीएलडीए) सरकार की इस मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। यहां तो बाड़ ही खेत को खा रही है। ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में मौजूद पशु चिकित्सक सरकार की ड्यूटी कम, अपना बिजनश ज्यादा चला रहे हैं। अपनी जेबें गर्म करने के चक्कर में पशु चिकित्सक अस्पताल में कम और बाहर ज्यादा रहते हैं। जिससे सारा दिन अस्पताल खाली पड़े रहते हैं। चिकित्सक अस्पताल में पशुओं का ईलाज करने की बजाय पशु पालक के घर पर जा कर पुश का ईलाज करने को ज्यादा तवज्जो देते हैं। क्योंकि घर पर पशु का ईलाज करने के बाद वह पशु पालक से पूरी फीस वसूलते हैं। इस प्रकार सरकार की ड्यूटी के साथ-साथ वह अपना बिजनश धड़ल्ले से चला रहे हैं। इतना ही नहीं दवा कंपनी की तरफ से पशु चिकित्सकों को सैंपल के तौर पर मिलने वाली दवाइयों को भी ये खुलेआम बेचते हैं। सैंपल की दवाई को सैंपल के तौर पर इस्तेमाल न कर पशु पालक से दवाई के पूरे पैसे ऐंठे जाते हैं। इस प्रकार पशु चिकित्सक सरकारी नियमों को ताक पर रख कर पशु पालकों को चूना लगा रहे हैं। 
क्या है नियम
पशु अस्पताल में मौजूद सरकारी चिकित्सक ड्यूटी के दौरान किसीभी पशुपालक से पशु के ईलाज के बदले पैसे नहीं ले सकता। चिकित्सक अगर पशु पालक के घर पर जाकर पशु का ईलाज करता है तो वह उसके लिए भी पशुपालक से किसी तरह की फीस नहीं ले सकता। अगर अस्पताल में दवाई उपलब्ध नहीं है तो पर्ची पर दवा लिख कर पशुपालक से मेडीकल स्टोर से दवा मंगवा सकता है। इसके अलावा अगर दवा कंपनी की तरफ से चिकित्सक को सैंपल के लिए कोई दवाई दी गई है तो वह पशु पालक से उस दवाई के भी पैसे नहीं ले सकता।
शिकायत मिलने पर की जाएगी कार्रवाई
इस तरह की कोई भी शिकायत उनके पास नहीं आई है। अगर उनके पास इस तरह की शिकायत आती है, तो वह मामले की जांच करवाएंगे। कोई भी चिकित्सक ईलाज के बदले पशु पालक से पैसे लेता है तो, यह सरासर गलत है। अगर अस्पताल में दवाई मौजूद नहीं है तो चिकित्सक वह दवाई पशु पालक को लिख कर मेडीकल स्टोर से मंगवा सकता है।
डा. राजीव जैन, उपनिदेशक
सघन पशुधन परियोजना, जींद


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