सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

डिजीटल पंचायत ने साक्षरता की ओर बढ़ाए कदम


.....ताकि मजबूत हो सके देश की नीव
शिक्षा समिति उठा रही गरीब व असहाय बच्चों की पढ़ाई का बीड़ा
नरेंद्र कुंडू
जींद।
देश की पहली डिजीटल पंचायत का दर्जा हासिल करने वाली बीबीपुर की पंचायत अब शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी धाक जमाने की कवायद में लगी हुई है। पंचायत द्वारा गांव के भावी कर्णधारों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवा, एक अच्छे समाज के निर्माण में अपनी भागीदारी दर्ज करवाने के उद्देश्य से गांव में शिक्षा समिति का गठन किया गया है। यह समिति समय-समय पर गांव के स्कूलों का निरीक्षण करती है और जरूरतमंद बच्चों की मदद करती है। पंचायत ने समिति में रिटायर्ड टीचरों को नियुक्त किया है, ताकि इनकी सेवाएं लेकर बच्चों को शिक्षा में पारंगत किया जा सके। जो बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, उनको कक्षाओं तक ले जाने की कवायद भी समिति कर रही है। शिक्षा के साथ-साथ समिति गांव में आपसी भाईचारे को कायम रखने के लिए भी प्रयासरत है। समिति द्वारा हर त्यौहार को स्कूलों में पूरे परंपरागत ढंग से मनाया जाता है। ताकि बच्चे हमारी संस्कृति व रीति-रिवाजों का अनुसरण कर आपसी प्यार-प्रेम व भाईचारे को कायम रख सकें। पंचायत द्वारा उठाए गए इस कदम से देश की यह पहली ऐसी पंचायत बनने जा रही है, जो गांव में शत-प्रतिशत साक्षरता के प्रयास में लगी है।
बीबीपुर गांव की पंचायत देश की अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई है। गांव की पंचायत देश की पहली डिजीटल पंचायत का दर्जा प्राप्त करने के अलावा भी कई प्रकार के अवार्ड जीतकर  अंतर्रास्ट्रीय  स्तर पर सुर्खियां बटोर चुकी है। पंचायत ने अनेकों उपलब्धियां प्राप्त करने के बाद भी विकास के क्षेत्र में अपनी रफ्तार को रुकने नहीं दिया। नई सोच व शिक्षित सरपंच के युवा नेतृत्व में अनेक बुलंदिया छूने के बाद भी पंचायत का जोश ठंडा नहीं पड़ा। इसके बाद पंचायत ने गांव से बाहर निकलकर देश के विकास की ओर अपना ध्यान केंद्रीत किया। इसकी शुरूआत पंचायत ने अपने ही गांव से की। पंचायत ने देश के भावी कर्णधारों को शिक्षित करने के उद्देश्य से गांव में शिक्षा समिति का गठन किया। ताकि आगामी पीढ़ी अच्छी शिक्षा ग्रहण कर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। शिक्षा समिति के संचालन की जिम्मेदारी सेवानिवृत्त अध्यापक ओमप्रकाश जागलान, नारायण सिंह, चंद्रभान व रामकिशन को सौंपी गई है। समिति की गतिविधियों में पैसे की कमी रोड़ा न बन सके, इसके लिए पंचायत द्वारा समिति को आमदनी के साधन भी उपलब्ध करवाए गए हैं। इस प्रकार गांव की यह पंचायत शत-प्रतिशत साक्षरता लाने की कवायद में लगी हुई है।
शिक्षा समिति के पास क्या है आमदनी का साधन
पैसे की कमी के कारण शिक्षा समिति की गतिविधियों पर कोई प्रभाव न पड़े इसके लिए पंचायत ने समिति को साढ़े तीन एकड़ जमीन दी हुई है। जमीन को हर वर्ष 20 से 25 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से ठेके पर दिया जाता है। इस प्रकार जमीन से समिति को हर वर्ष एक लाख के करीब आमदनी हो जाती है। इसके अलावा  पंचायत ने समिति के नाम 6 लाख रुपए की एफडी बैंक में डालवा रखी है। इस एफडी के ब्याज को भी समिति बच्चों की शिक्षा पर खर्च करती है।
क्या है समिति की जिम्मेदारी
गांव के स्कूलों की देखभाल व स्कूलों की जरूरतों को पूरा करती है।
शिक्षा समिति समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करती है।
गरीब व असहाय बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्च समिति उठाती है।
स्कूल के खिलाड़ियों को खेल की सभी सुविधाएं मुहैया करवाती है।
स्कूलों में समय-समय पर खेलों का आयोजन व एनएसएस कैंपों का आयोजन करवाती है।
स्कूली बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखती है।
पढ़ाई में कमजोर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है।
गांव में आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए हर त्यौहार पर स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन करवाती है।
ताकि गांव में बना रहे भाईचारा
गांव के लोगों में प्यार-प्रेम व भाईचारे की भावना बनी रहे और लोग सुख-दुख में एक दूसरे के काम आ सकें, इसके लिए शिक्षा समिति हर पर्व को स्कूल में ही बड़े हर्षोल्लास से मनाती है। हर पर्व पर स्कूल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में समिति के सदस्य बच्चों के बीच में रहकर उन्हें अपने रीति-रिवाजों व संस्कृति के बारे में अवगत करवाते हैं। इस प्रकार समिति के प्रयासों से गांव के लोगों में भाईचारे की भावना भी विकसित होती है।
बच्चे देश का भविष्य
बच्चे देश का भविष्य हैं और बच्चों का भविष्य शिक्षा में सुरक्षित है। शिक्षा के बिना देश का विकास संभाव नहीं है। इसलिए पंचायत ने बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से गांव में शिक्षा समिति का गठन किया है। गांव के सेवानिवृत्त अध्यापकों को समिति का सदस्य बनाया गया है। अपने गांव के साथ-साथ व अन्य गांवों की पंचायतों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। शिक्षा समिति को किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद के लिए किसी के सामने हाथ न फैलाने पड़ें, इसके लिए समिति को आय के साधन भी उपलब्ध करवाए गए हैं।
सुनील जागलान
सरपंच, बीबीपुर


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