सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

जिले में खूब चमक रहा है मिलावटखोरों का कारोबार


खाली पड़ा है ड्रग इंस्पेक्टर का पद
नरेंद्र कुंडू
जींद।
आप जो दवा खा रहे हैं, वह असली है या नकली इसकी कोई गारंटी नहीं है। क्योंकि जिस विभाग के कंधों पर यह जिम्मेदारी है, वह विभाग खुद ही बेसहारा है। जिले में गत चार सालों से ड्रग इंस्पेक्टर का पद खाली पड़ा है। कुछ समय तक तो स्वास्थ्य विभाग ने दूसरे जिलों से आयातित ड्रग इंस्पेक्टर के सहारे काम चलाया, लेकिन अब यह व्यवस्था भी दम तोड़ चुकी है। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के पास अब यह जिम्मेदारी नहीं है। सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को इससे अलग करते हुए इसकी जिम्मेदारीफूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग को सौंप दी है। जिस कारण स्वास्थ्य विभाग भी अब इस ओर से अपना मुहं मोड़ चुका है। जिस कारण अब एक साल से यहां किसी भी अधिकारी को इसका अतिरिक्त चार्ज नहीं सौंपा गया है। इस पद के खाली होने से मिलावटखोर व नकली दवा विक्रेता बेलगाम हैं। जिले में पिछले काफी समय से न तो मैडीकल स्टोरों की चेकिंग हुई है और न ही सैंपल भरे जा रहे हैं। इसके अलावा नकली मिठाई व दूध का कारोबार करने वालों का गोरखधंधा भी चमक रहा है। विभाग की इस लापरवाही से लोगों का स्वास्थ्य दांव पर है।
जिले में पिछले चार साल से लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी राम भरोसे है। विभागीय सूत्रों की मानें तो पिछले चार साल से जिले में ड्रग इंस्पेक्टर का पद खाली पड़ा है। कुछ समय तो स्वास्थ्य विभाग ने दूसरे जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर के सहारे यहां का काम चलाया, लेकिन जल्द ही यह व्यवस्था भी दम तोड़ गई। अब पिछले एक साल से यहां ड्रग इंस्पेक्टर का पद बिल्कुल खाली पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सालभर से किसी को अतिरिक्त कार्यभार भी नहीं सौंपा गया है। इतने लंबे समय से ड्रग इंस्पेक्टर का पद खाली रहने से मिलावटखोर जमकर चांदी कूट रहे हैं। मिलावट के कारोबार के साथ-साथ शहर में नकली दवाइयों का कारोबार भी फल-फुल रहा है। नकली दवा विक्रेता खुलेआम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग तमाशबिन बनकर सबकुछ चुपचाप देख रहा है। पिछले एक साल से जिले में न तो मैडीकल स्टोरों की चेकिंग हुई है और न ही सैंमल भरे गए हैं। इसके अलावा शहर में नकली मिठाई व दूध का कारोबार करने वालों का गोरखधंधा भी खूब चमक रहा है। जिले के लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी राम भरोसे है। अब इस बात की गारंटी कोन ले कि शहर के मैडीकल स्टोरों पर जो दवा बिक रही है, वह असली है या नकली, दुकानों पर जो खाद्य सामग्री बिक रही है, वह प्योर है या मिलावटी। विभाग की इस लापरवाही से खुलेआम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रही है।
अब स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं इसकी जिम्मेदारी
पहले मैडीकल स्टोरों की चेकिंग व सैंपल की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के पास होती थी। यह सब कामकाज स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में होता था। जिस कारण स्वास्थ्य विभाग किसी अधिकारी का पद खाली होने के बाद इसकी जिम्मेदारी किसी दूसरे अधिकारी को सौंप देता था, ताकि कामकाज प्रभावित न हो सके। लेकिन अब सरकार ने इसके लिए अलग से विभाग बना दिया। स्वास्थ्य विभाग को इससे अलग कर इसकी जिम्मेदारी फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग को सौंप दी है। इस जिम्मेदारी से मुक्त होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी इस ओर से मुहं मोड़ लिया है और पिछले एक साल से यहां ड्रग इंस्पेक्टर का अतिरिक्त चार्ज किसी भी अधिकारी को नहीं सौंपा गया है। जिस कारण मिलावटखोरों के हौंसले बुलंद हो गए हैं।
जिले से बाहर भी होती है नकली घी व दूध की सप्लाई
जिले में जमकर नकली घी व दूध का कारोबार चलता है। मिलावटखोर खुलेआम अपना कारोबार चलाते हैं। ये लोग यहां पर मिल्क प्लांट होने का फायदा उठाते हैं। मिलावटखोर नकली घी व दूध तैयार कर, उन पर मिल्क प्लांटों का नकली लेबल लगा कर जिले से बाहर भी इसकी सप्लाई करते हैं। इस तरह के मामले कई बार पुलिस के सामने आ चुके हैं। लेकिन जिले में ड्रग इंस्पेक्टर का पद खाली होने के कारण प्रशासन इस गौरख धंधे पर नकेल कसने में नाकामयाब है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें