रविवार, 26 फ़रवरी 2012

...ताकि किसानों को न पड़े कीटनाशकों की जरुरत

अल व चेपे से चिंतित न हों किसान
सरसों की फसल में लगा अल
नरेंद्र कुंडू
जींद।
खेतों में सरसों व गेहूं की फसल तैयार हो रही है, लेकिन फसल में आए अल व चेपे से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं। क्योंकि ये शकाहारी कीट फसल की टहनियों, कलियों व पत्तियों से रस चुसकर अपना वंश चलाते हैं। जिससे फसल की पैदावार पर काफी प्रभाव पड़ता है। गेहूं की फसल में होने वाली पेंटिडबग व सरसों की फसल में होने वाली एफिड (अल या चेपे) के कीट से फसल का बचाव करने के लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को कीटनाशक स्प्रे की सलाह दे रहे हैं। लेकिन इसके विपरित कीट प्रबंधन के प्रति जागरूक किसान पिछले 6-7 सालों से इसका उपचार कीट प्रबंधन से ही कर रहे हैं तथा इसे चिंता का विषय न बताकर अन्य किसानों को भी फसल में किसी प्रकार के कीटनाशकों का प्रयोग न करने की सलाह दे रहे हैं। निडाना खेत पाठशाला के किसान फसल में पाई जाने वाली मासाहारी सिरपट मक्खी व लेडी बिटल को अल व चेपे के कीड़ों का वैद्य बता रहे हैं।
धान व कपास की फसलों के भावों में हुई भारी गिरावट के बाद अब किसानों को गेहूं व सरसों की फसल में आए पेंटिडबग व एफिड (अल व चेपे) की चिंता सता रही है। अल व चेपे के कारण किसानों को फसल की कम पैदावार का डर सताने लगा है। जिसके उपचार के लिए किसान महंगे से महंगे कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। फसल पर बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग से फसल जहरिली हो रही है और जमीन भी कमजोर पड़ रही है। कृषि विज्ञानिक कीटनाशक स्प्रे के प्रयोग को अल व चेपे से बचाव का एकमात्र साधन मान रहे हैं। लेकिन उधर निडाना खेत पाठशाला के कुछ जागरूक किसान अल व चेपे के कीटों का उपचार कीटनाशक स्प्रे को नहीं कीट प्रबंधन को बता रहे हैं। किसान खेत पाठशाला के ये जागरूक किसान प्राकृतिक तौर पर ही इन कीटों  से निपटने में सक्ष्म रहे हैं और अल व चेपे को चिंता का विषय नहीं मान रहे हैं। कीट प्रबंधन के प्रशिक्षित किसान रणबीर मलिक व मनबीर रेढू ने बताया कि गेहूं व सरसों की फसल में पाए जाने वाली पेंटिडबग व एफिड (अल व चेपे) के कीटों को कंट्रोल करने के लिए फसल में सरफड़ो (सिरपट मक्खी)व फेलपास (लेडी बिटल) नामक मासाहारी कीट मौजूद रहते हैं, जो फसल में मौजूद अल व चेपे के कीटों को खाकर अपना जीवन चक्र चलाते हैं। जिससे अल व चेपा फसल में हानि पहुंचाने के स्तर तक नहीं पहुंच पाता है। कीट प्रबंधन के दौरान उन्होंने फसल में 6 से 7 किस्म की सिरपट मक्खियों व 9 किस्म की लेडी बिटल कीटों की पहचान की है। उन्होंने कहा कि किसानों को अल व चेपे से डरने की जरूरत नहीं है।
क्या है पेंटिडबग व एफिड
पेंटिडबग व एफिड (अल व चेपा) गेहूं व सरसों की फसल में पाए जाने वाले शाकाहारी कीट हैं। ये कीट फसल की टहनियों, पत्तियों व कलियों से रस चुसकर वंशवृद्धि करते हैं। दिसंबर से मार्च के बीच सर्द मौसम में फसल में पैदा होते हैं। फसल से रस चुसने के कारण फसल की टहनियां मुड़ने लगती हैं और फूलों से फलियां नहीं बनपाती। फलियों में दाने हलके रह जाते हैं, जिससे फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सरसों व गेहूं के अलावा यह कीट तोरिया, तारामीरा, बंदगोभी, फूलगोभी व करेला आदि फसलों में भी पाए जाते हैं।
क्या कहते हैं कृषि विज्ञानिक
पेंटिडबग व एफिड (अल व चेपा) एक शाकाहारी कीट हैं और ये कीट फसल का रस चुसकर अपनी वंश वृद्धि करते हैं। दिसंबर से मार्च के बीच का सर्द एवं मेघमय मौसम में ये फसल में पैदा होते हैं। लेकिन अल व चेपे से किसानों को किसी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है। इन कीटों को खाने के लिए फसल में सिरपट मक्खी व लेडी बिटल नामक मासाहारी कीट होते हैं, जो इन शाकाहारी कीटों को खाकर फसल को नुकसान से बचाते हैं।
डा. सुरेंद्र दलाल
कृषि विज्ञानिक, जींद

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