गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

स्कूलों में नहीं पार्कों में ले रहे हैं तालीम!

अंधकार में देश के कर्णधारों का भविष्य
 स्कूल टाइम में अर्जुन स्टेडियम में आराम फरमाते स्कूली बच्चे।
अर्जुन स्टेडियम में बैठकर ताश खेलते स्कूली बच्चे।
नरेंद्र कुंडू

जींद। विद्यार्थी देश के कर्णधार होते हैं, देश का भविष्य विद्यार्थियों के कंधों पर टिका होता है। अगर देश के ये भावी कर्णधार ही अपने पथ से भ्रष्ट हो जाएं तो, यह साफ है कि देश का भविष्य अंधकार में है। देश के इन कर्णधारों की करतूतों से समाज का सिर शर्म से झुक जाता है। शहर में पढ़ाई के लिए आने वाले विद्यार्थियों की कक्षाएं स्कूलों या कॉलेजों में नहीं, बल्कि शहर के पार्कों में लगती हैं। इनकी करतूतों से शहरवासी ही नहीं, पुलिस प्रशासन भी परेशान है। लेकिन पुलिस प्रशासन इन पर नकेल कसने में नाकामयाब है। पार्कों में पूरा दिन इनके नशे व ताशबाजी के दौरे चलते रहते हैं। स्कूल टाइम में कॉलोनियों के सभी पार्कों में छात्रों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां से गुजरने वाली छात्राओं से छेड़छाड़ इनका प्रिय शौक है। इनको सबक सिखाने के लिए पुलिस भी खानापूर्ति के सिवाए कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।

 
पार्क में सिगरेट के कश लगते स्कूली बच्चे
बस स्टेंड पार्क में आराम करते स्कूली बच्चे।


हर मां-बाप का सपना होता है कि उनका बेटा पढ़-लिख कर अच्छा आदमी बने, उसे अच्छी नौकरी मिले। अपने सपने को पूरा करने के लिए वे अपने बच्चों की हर इच्छा पूरी करते हैं, चाहे उसके लिए उन्हें कितनी ही परेशानी क्यों न उठानी पड़े। अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से वे उसे शहर के महंगे से महंगे स्कूल में दाखिला दिलवाते हैं। ताकि उनका बेटा शहर से अच्छी तालीम लेकर उनका सपना पूरा कर सके। लेकिन यहां हकीकत कुछ ओर ही बयां करती है। न जाने कितने मां-बापों के सपने हर दिन शहर के पार्कों में टूटते नजर आते हैं। इनकी कक्षाएं स्कूलों या कॉलेजों में नहीं, बल्कि कॉलोनियों के पार्कों में लगती हैं। स्कूल टाइम में पार्कों में लगे विद्यार्थियों के टोल को देख कर यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि देश के ये भावी कर्णधार कैसी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दिनभर कॉलोनी के पार्कों में टोलियां बनाकर बैठे इन विद्यार्थियों की करतूतों से कॉलोनी वासी ही नहीं, पुलिस भी परेशान है। बस स्टेंड, नेहरू पार्क, अर्जुन स्टेडियम, अर्बन एस्टेट कॉलोनी, गांधी नगर, स्कीम नंबर 6, हाऊसिंग बोर्ड, शहीदी पार्क तथा अन्य पार्कों में छात्रों की टोलियां बैठी रहती हैं। पार्कों में बैठकर ये अपना कीमती समय तो खराब कर अपने मां-बाप की आंखों में धूल भी झौंकते हैं। कुसंगति के कारण न जाने कितनी गंदी आदतें इनके अंदर घर कर लेती हैं। कुसंगति के कारण इनका भविष्य बर्बाद हो रहा है। पूरा दिन पार्कों में इनके नशे व ताशबाजी के दौरे चलते रहते हैं। इसके अलावा यहां से गुजरने वाली छात्राओं से छेड़खानी करना व उन पर अश्लील फब्तियां कसना इनका खास शौक है। पार्कों में टोलियां बनाकर बैठ ये छात्र ऊंची आवाज में गंदी-गंदी गालियां देते रहे हैं तथा मोबाइल फोन की पूरी आवाज में अश्लील गानों पर थिरकते भी नजर आते हैं। इनकी हरकतें देखकर यहां से गुजरने वाली लड़कियां व महिलाएं शर्म से सिर झुकाकर चुपचाप यहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझती हैं। इनकी करतूतों से कॉलोनी के लोग परेशान हो कर कई बार पुलिस को भी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन भी इन पर नकेल कसने में नाकामयाब हो रहा है।
अभिभावक भी हैं बराबार के दोषी
इस बारे में जब शहर के बुद्धिजीवी लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि बच्चों की इन करतूतों के लिए उनके अभिभावक भी बराबार के दोषी हैं।  अभिभावक बच्चों से बिना पूछताछ किए ही जेब खर्च के लिए पैसे दे देते हैं। पैसे देने के बाद बच्चों से यह भी नहीं पूछते की उसने पैसे कहां खर्च किए। अभिभावकों के इस लाड-प्यार का बच्चे गलत प्रयोग करते हैं और जेब खर्च के लिए मिले पैसे से बच्चे नशा व अपने दूसरे शौक पूरे करते हैं। इसके अलावा ना ही वे कभी बच्चों के स्कूल में जाकर उनका रिकार्ड चैक करते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे समय-समय पर स्कूल में जाकर बच्चों का रिकार्ड चैक करें, पैसे देने से पहले उनसे पूछें की उन्हें किसी चीज के लिए पैसे चाहिएं। पढ़े-लिखे अभिभावकों को अपने बच्चों का होमवर्क भी चैक करना चाहिए तथा घर पर भी  अपने बच्चे का टेस्ट लेना चाहिए। बच्चों की हर गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए। छोटी-छोटी कमियों को अनदेखा कर उनकी आदत न बनने दें।

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