सरकारी टीचर सेमिनार में कैसे होगा बच्चों का सिलेबस पूरा

परीक्षा की तैयारियों में लगे बच्चे।

नरेंद्र कुंडू
जींद।
शिक्षा विभाग के नए नियम कानून छात्रों के भविष्य पर भारी पड़ रहे हैं। टीचर कभी सेमिनार में तो कभी  अन्य गैर शिक्षण कार्यों में लगे हुए हैं। परीक्षा की डेटशीट भी आ गई। मगर अभी तक बच्चों का कोर्स पूरा नहीं हुआ है, रिवीजन तो दूर की बात है। कोर्स पूरा नहीं होने पर बच्चों को रिजल्ट की चिंता सता रही है। मगर शिक्षा विभाग के अधिकारियों व सरकार को इसकी जरा भी परवाह नहीं है। कक्षा एक से 10 तक के बच्चों का कोर्स पूरा नहीं हुआ है। इन क्लासों में एक लाख 17 हजार 944 विद्यार्थी पढ़ते हैं। कोर्स पूरा न होने पर जिले के एक लाख 17 हजार 944 बच्चों के भविष्य पर तलवार लटी हुई है।
शिक्षकों का कहना है कि पहला सेमेस्टर स्टेट टेस्ट व अन्य कारणों से लंबा चला। इसका असर यह रहा कि दूसरे सेमेस्टर के लिए बहुत कम समय मिला। इस कारण कोर्स पूरा होना असंभव है। नियम के मुताबिक एक सेमेस्टर के लिए 120 दिन होने चाहिए। आधा नंवबर शिक्षकों का परीक्षा व र्माकिंग में चला गया। उसके बाद जनगणना में ड्यूटी लगा दी गई। केवल दिसंबर में क्लास लगी। पांच से 16 जनवरी तक शीतकालीन छुट्टी रही। उसके बाद एक सप्ताह गणत्रंत दिवस की तैयारी में निकल गया। अब सब डिविजनों पर चल रहे सतत मूल्यांकन सेमिनारों में जिले से लगभग 180 अध्यापक तथा ब्लॉक स्तर पर चल रहे जेबीटी अध्यापकों के सेमिनारों में जिले से लगभग 350 अध्यापक भाग ले रहे हैं। अध्यापकों के सेमिनार में जाने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है और उनका कोर्स पूरा नहीं हो पा रहा है।
तैयारी के लिए बचे कुछ दिन
अब बच्चों का कोर्स पूरा कराने के लिए मात्र फरवरी का महीना बचा है। शिक्षकों की ड्यूटी शिक्षा सुधार के लिए सेमिनार में लगाई गई है। 14 दिन तक शिक्षकों को सेमिनार को अटैंड कराना है। शिक्षकों के सेमिनार में जाने पर बच्चे क्लास में खाली बैठे रहते हैं। शिक्षक सुनील आर्य का कहना है बिना पढ़ाई कराए सतत मूल्याकंन सेमिनार कैसे हो रहे हैं। इस तरह के सेमिनार होने जरूरी हैं। मगर उसके लिए निश्चित समय होना चाहिए। सरकार को छुट्टियों के दौरान सेमिनार लगाने चाहिएं। उनका कहना है कि सरकार शिक्षण दिवस में सेमिनार करवा कर पैसा बचा रही है। जिससे बच्चों का भविष्य संकट में चला जाएगा। 15 मार्च से बोर्ड परीक्षाएं संभावित हैं। इसके मद्देनजर नान बोर्ड परीक्षाएं स्कूलों में एक मार्च से शुरू हो जाएंगी। चंद दिनों में कोर्स पूरा नहीं हो पाएगा। शिक्षकों को मजबूरन बच्चों को पास कर दूसरी क्लास में भेजना होगा। मगर बोर्ड परीक्षा देने वाले बच्चों को ज्यादा दिक्कत आएगी।
पढ़ाई से ज्यादा दूसरे कार्यों में रखा जाता है व्यस्त
विभाग आए दिन शिक्षा में नए-नए प्रयोग कर रहा है। जो बच्चों के हित में नहीं हैं। शिक्षकों को पढ़ाई के बजाय दूसरे कामों में व्यस्त रखा जाता है। इसी कारण दूसरे सेमेस्टर में 50 दिन घट गए। 10वीं तक के बच्चों का कोर्स पूरा नहीं है। शिक्षक चाहकर भी कोर्स पूरा नहीं करवा सकते हैं। इससे बच्चों का रिजल्ट भी प्रभावित होगा और विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा इसके लिए टीचर्स को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
महताब मलिक
राज्य उपप्रधान, अध्यापक संघ

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