रविवार, 18 मार्च 2012

कानून इनके ठेंगे पर


नरेंद्र कुंडू
जींद। सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। यह बात यहां के प्रशासनिक अधिकारियों पर बिल्कुल फिट बैठ रही है। प्रशासनिक अधिकारियों के ठीक नाक के नीचे लघु सचिवालय के पास स्थित डीसी कॉलोनी में कायदे-कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। डीसी कॉलोनी में अधिकारियों के आवासों व आसपास खाली पड़े प्लाटों में सब्जियों की फसलें उगाई जा रही हैं। इतना ही नहीं कुछ अधिकारियों के सेवादार तो कॉलोनी में मवेशियां पालकर अपना व्यवसाय चलाते हैं और खाली पड़ी जमीन में खेती भी करते हैं। पशुओं को नेहलाने व खेती में सिंचाई के लिए ये हर्बल पार्क व जनस्वास्थ्य विभाग के पानी की चोरी कर विभाग को मोटा चूना लगाते हैं। ऐसा करने से अगर इन्हें कोई रोकता है तो ये साहब का रोब दिखाकर उसकी बोलती बंद कर देते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आज तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करना प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशाल खड़ा करता है।
सरकारी कर्मचारियों ने वीआईपी कॉलोनी को ही पशुओं के तबेले में तबदील कर दिया है। शहर की आफिसर कॉलोनी में नियमों को ताक पर रख कर मवेशियां पाली जा रही हैं। इन कर्मचारियों द्वारा मवेशियों के लिए कॉलोनी के अंदर ही पक्के बरामदे भी बनाए गए हैं। एक तरफ तो शहर के लोग पीने का पानी उपलब्ध न होने पर जन स्वास्थ्य विभाग को कोसते नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर डीसी कॉलोनी के कर्मचारी पानी का दुरुपयोग करते हैं। जिससे स्वास्थ्य विभाग को हर माह लाखों रुपए का चूना लगता है और शहर की कई कॉलोनियां पीने के पानी से वंचित रह जाती हैं। सूत्रों की मानें तो कॉलोनी में खेती व पशु पालन का काम करने वाले कई कर्मचारी तो प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय में सेवादार हैं औरे इन्ही अधिकारियों के बलबुते ही ये कर्मचारी इस कार्रवाई को अंजाम देते हैं। क्योंकि ये कर्मचारी इसके बदले अधिकारियों की जी हजूरी के साथ-साथ उन्हें मुफ्त में सब्जी व दूध उपलब्ध करवाते हैं।
आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया
अगर पशु पालकों की बातों पर विश्वास किया जाए तो एक भेंस पर एक दिन में कम से कम 100 रुपए खर्च होते है। इस प्रकार एक  भेंस का एक माह का खर्च तीन हजार रुपए बैठता है। लेकिन डीसी कॉलोनी में रहने वाला एक-एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी सात-सात  भेंस रखता है। इस प्रकार सात  भेंसों का एक माह का खर्च 21 हजार रुपए बैठता है। जबकि उनकी एक माह की पगार 10 से 15 हजार रुपए के बीच होती है। अब सवाल यह उठता है कि 10 से 15 हजार रुपए की पगार वाला कर्मचारी एक माह में  भेंसों पर 21 हजार रुपए कहां से खर्च करता है।
डीसी कॉलोनी में उगाई गई सब्जी की खेती।  

क्या होते हैं नियम 
सरकारी आवास में मवेशियां या अन्य किसी भी प्रकार के पालतु पशु रखना तथा सरकारी आवास में किसी प्रकार का कंस्ट्रक्शन करवाना नियमों के विरुद्ध है, क्योंकि पीडब्ल्यूडी के नियमों के मुताबिक अफसरों को जब कोठियां अलॉट की जाती हैं तो उनसे एक एग्रीमेंट पर साइन करवाए जाते हैं। जिसमें अधिकारी की तरफ  से यह स्पष्ट लिखा जाता है कि अधिकारी कोठियों में किसी तरह की कंस्ट्रक्शन नहीं करवा सकेंगे। लेकिन यहां तो सरकारी कोठियों में पशुओं के लिए पक्के बरामदे बनाए गए हैं, जो नियमों के विरुद्ध हैं।

डीसी कॉलोनी में बंधे पशु।  
गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। गर्मी के मौसम में पानी की काफी डिमांड रहती है। डीसी कॉलोनी में अवैध तरीके से पानी का प्रयोग किया जाता है। मामला गंभीर है इसलिए एक्सईएन साहब से बातचीत कर मामला उपायुक्त के नोटिस में लाया जाएगा। ताकि डीसी कॉलोनी में पानी की चोरी को रोका जा सके।
आरआर भारद्वाज, एसडीओ
जनस्वास्थ्य विभाग, जींद

मामला उनकी जानकारी में नहीं है। हर्बल पार्क के कर्मचारियों को हर्बल पार्क से बाहर पानी न देने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। अगर डीसी कॉलोनी के कर्मचारी हर्बल पार्क से पानी चोरी करते हैं तो मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उपायुक्त से बातचीत कर डीसी कॉलोनी से मवेशियों के पालन व खेती पर पाबंदी लगवाई जाएगी।
सुनील कुंडू, रेंज पोस्ट आफिसर 
वन विभाग, जींद
फोटो कैप्शन



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