‘विज्ञान दर्पण’ पर लापरवाही की धूल

 तीन माह बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंच पाई पत्रिकाएं

नरेंद्र कुंडू
जींद।
सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति उत्सुकता बढ़ाने के मकसद से शुरू की गई ‘विज्ञान दर्पण’ पत्रिकाएं इन दिनों शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में ही धूल फांक रही हैं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इन पत्रिकाओं का वितरण जनवरी माह तक सभी स्कूलों में करवाया जाना था, लेकिन तीन माह से ये पत्रिकाएं शिक्षा अधिकारी के कार्यालय की रद्दी की टोकरी में ही दफन हैं। विद्यार्थियों के अलावा इन पत्रिकाओं में अध्यापकों के लिए भी  विभाग से जुड़ी नवीनतम जानकारियां उपलब्ध करवाई जाती हैं, ताकि अध्यापकों को स्कूल में बैठे-बिठाए ही विभागीय नियमों व बदलावों की जानकारियां मिल सकें। लेकिन यहां सरकार की इस योजना पर पूरी तरह से विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का ग्रहण लग चुका है और ये पत्रिकाएं केवल रद्दी बनकर रह गई हैं।    
 शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में रखी पत्रिकाएं जिन्हें स्कूलों में बांटा जाना था।
सरकार प्रदेश में शिक्षा स्तर को ऊंचा उठाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अनेकों योजनाएं लागू कर रही है। ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे इन योजनाओं का लाभ उठाकर आगे बढ़ सकें। लेकिन जब तक विभागीय अधिकारी ही सरकार की इन योजनाओं को सही ढंग से लागू करने में अपना पूरा सहयोग नहीं देंगे, तब तक किसी भी सूरत में ये योजनाएं मूर्त रुप नहीं ले सकेंगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का कुछ ऐसा ही नजारा यहां देखने को मिल रहा है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते ही सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति उत्सुकता बढ़ाने के मकसद से शुरू की गई ‘विज्ञान दर्पण’ पत्रिकाएं इन दिनों शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में ही धूल फांक रही हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्कूलों में भेजी जाने वाली ये त्रेमासिक विज्ञान पत्रिकाएं पिछले तीन माह से शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में ही पड़ी हुई हैं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इन पत्रिकाओं का वितरण जनवरी माह में ही करवाना था। लेकिन तीन माह शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इनकी सुध तक नहीं ली है। विद्यार्थियों के अलावा इन पत्रिकाओं में अध्यापकों के लिए भी नवीनतम जानकारियां होती हैं, ताकि अध्यापकों को स्कूलों में ही विभागीय नियमों व शुरू की गई नई योजनाओं की जानकारी मिल सके। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सुस्त रवैये के चलते सरकार की यह योजना शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में ही दम तोड़ गई है।  
स्कूलों में बैठे-बिठाए ही अध्यापकों को नई जानकारी देना है उद्देश्य
प्रदेश सरकार द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हरियाणा विज्ञान दर्पण के अलावा हरियाणा संवाद व अन्य कई पत्रिकाएं भी स्कूलों में भेजी जाती हैं, ताकि सरकार बच्चों व अध्यापकों के माध्यम से जनकल्याणकारी योजनओं का प्रचार-प्रसार कर सके और बच्चे भी सरकार की योजनाओं को अच्छे ढंग से समझ सकें। इन पत्रिकाओं में बच्चों के लिए जनरल नॉलेज, स्वास्थ्य संबंधी, विज्ञान संबंधी, खेल संबंधी, संस्कृति से संबंधी जानकारी तथा क्वीज प्रतियोगिताएं प्रकाशित करवाई जाती हैं। शिक्षा निदेशालय से प्रकाशित की जा रही इन पत्रिकाओं में शिक्षकों को ग्रास रुट लेवल पर विभागीय हलचलों की जानकारी देने तथा पत्रिका में अध्यापकों की रचनाएं, शिक्षाप्रद व विज्ञान के मानवीय पहलूओं को उजागर करने वाले लेख प्रकाशित किए जाते हैं। इन पत्रिकाओं की खास बात यह है कि अध्यापक विभागीय नियमों व बदलावों को बारीकियों को स्कूल में बैठे-बिठाए ही जान सकते हैं।
सरकारी योजनाओं पर नहीं दिया जाता ध्यान
विभागा के अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार की योजनाएं सफल नहीं हो पा रही हैं। अधिकारियों की सुस्ती के कारण ही तीन माह बाद भी ये पत्रिकाएं स्कूलों में नहीं पहुंच पाई हैं, जो सरासर गलत है। अधिकारियों की लापरवाही सीधे इस बात की ओर इशारा कर रही है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकारी योजनाओं के प्रति कितने गंभीर हैं। विभागीय अधिकारियों के पास अध्यापकों को परेशान करने के शिवाय कोई काम नहीं हैं। विभागीय अधिकारियों का ध्यान सरकार की योजनाओं को अमल में लाने पर कम अध्यापकों को बिना वजह परेशान करने पर ज्यादा रहता है।
महताब सिंह मलिक, राज्य उपप्रधान
हरियाणा अध्यापक संघ
                                    क्या कहते हैं अधिकारी
इस तरह का कोई मामला जानकारी में नहीं है। शायद इस बार मीटिंग न होने के कारण पत्रिकाओं का वितरण नहीं हो सका है। अगर ये पत्रिकाएं स्कूलों के लिए आई हैं तो इस बार मीटिंग में इस मुद्दे पर बातचीत कर पत्रिकाओं को स्कूलों में भिजवा दिया जाएगा। अब विभाग ने इस तरह के झंझट से बचने के लिए पत्रिकाओं को डाक के माध्यम से सीधे स्कूलों में भेजने का प्रावधान किया है। विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से  भविष्य में इस तरह के मामलों पर रोक लगेगी।
साधू राम रोहिला
जिला शिक्षा अधिकारी, जींद

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